जुलाई 27, 2012

राशन किरासन के लिए हंगामा

सुशासन की सरकार के तमाम बड़े--बड़े दावों से इतर सहरसा में गरीब--गुरबों की हाय--तौबा और हक़ के लिए हंगामे का दौर बदस्तूर जारी है.इसी कड़ी में आज कहरा प्रखंड के बीपीएल धारियों ने राशन किरासन के लिए जिला समाहरणालय गेट प़र ना केवल जमकर हंगामा किया बल्कि सरकार और प्रशासन के खिलाफ खूब नारेबाजी भी की.आक्रोशित लाभुकों का आरोप था की गाँव के डीलर ने पिछले छः महीने से उन्हें अनाज और किरासन तेल नहीं नहीं दिए हैं.राशन--किरासन के अभाव में उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है. समाहरणालय गेट प़र यह हंगामा बारह बजे दिन से लेकर साढ़े तीन बजे दिन तक बरपता रहा.बड़े अधिकारी विकास योजनाओं को लेकर वीडियो कौन्फेंसिंग में लगे हुए थे.बड़ी मुश्किल से मौके प़र आये मेजिस्ट्रेट ने लोगों को समझा--बुझालकर मामले को शांत कराया.इस हंगामे के बीच सत्ताधारी दल के एक विधायक चाय की दूकान प़र बैठकर मजे से चाय की चुस्की ले रहे थे.

जुलाई 26, 2012

बड़ी दुर्गा मंदिर में चोरी

बीती रात चोरों ने सदर थाना के शब्जी मंडी स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर में लाखों मूल्य के माँ का सोने का पानी चढ़ा चांदी मुकुट और चांदी की छतरी चुरा लिए.चोर मंदिर की छत से वेंटिलेटर के रास्ते माँ की मूर्ति के पास पहुँचे और चोरी की इस घटना को अंजाम दिया.पुलिस ने सदर थाना में काण्ड दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी है.बताना लाजिमी है की इसी साल चोरों ने सदर थाना के महावीर चौक स्थित हनुमान मंदिर से भी भगवान राम का मुकुट और छतरी चुराए थे जिसका आजतक पता नहीं चल सका है.जाहिर तौर प़र चोरों के बढे हौसलों का ही नतीजा है की अब भगवान भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं.
चोरों के बढे हौसलों ने जहां भगवान को पूरी तरह से असुरक्षित बना दिया है वहीँ पुलिस की कार्यशैली प़र भी सवाल खड़ा कर दिया है.आखिर चोरों को पुलिस का खौफ क्यों नहीं है.भगवान से पंगा लेने वाले ये चोर अब पुलिस को क्या तवज्जो देंगे.

BIHAR POLYTECHNIC RESULT 2012

BIHAR POLYTECHNIC  RESULT 2012

सहरसा टाइम्स के ख़बर का असर........ अनाथ बच्चे ने ख़त्म किया भूख हड़ताल

रिपोर्ट चन्दन सिंह : अनाथ बच्चों की भूख हड़ताल से पहले तो जिला प्रशासन का कलेजा नहीं पसीजा लेकिन सहरसा टाइम्स के ख़बर का असर देखिये की गहरी नींद में सोया प्रशासन अनशन के दूसरे दिन बीते देर शाम में जागा और अनाथ आश्रम के संचालक से ना केवल वार्ता की बल्कि उनकी कुछ छोटी मांगों को मानकर तत्काल भूख हड़ताल को खत्म भी कराया.जिला प्रशासन के अधिकारी का कहना है की ऐसे अनाथ बच्चों को सरकार द्वारा आदेशित और निर्देशित NGO या किसी संस्था को रखने का हक़ है लेकिन आकांक्षा अनाथ आश्रम के संचालक बिना किसी वैधानिकता के पिछले चार साल से इन अनाथों को पाल रहे हैं इसलिए उनके बच्चों के प्रति लगाव की वजह से जिला प्रशासन उनसे सहानुभूति रखता है.जिला प्रशासन ने उनकी वे मांगें मान ली है जो जिला प्रशासन से संभव है.बड़ी मांगों की भरपाई सरकार के स्तर से ही संभव है.जिला प्रशासन ने किसी तरह से बला को टालने की तर्ज प़र अनशन को तो खत्म करा लिया है लेकिन आगे बच्चों की जिन्दगी कैसे चलेगी और इनके भविष्य का क्या होगा यह यक्ष प्रश्न जस का तस बरकरार है.
अनशन तो खत्म हो गया लेकिन इन बच्चों के लिए कोई बेहतर और स्थायी समाधान नहीं हो सका.संचालक आगे सरकार से लड़कर हक़ लेने की बात कर रहा है.रब जाने इन नौनिहालों का क्या होगा.

जुलाई 25, 2012

हड़ताली मासूमों की जान प़र बनी

रिपोर्ट चन्दन सिंह: कहते हैं जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों.लेकिन यहाँ तो लग रहा है ऊपर वाले ने भी मुंह फेर लिया है.किस्मत के मारे इन अनाथ बच्चों प़र भगवान को भी तरस नहीं आ रहा है.चित्कार और दर्द में सनी यहाँ की तस्वीर यमराज को रुलाने का माद्दा रखता है लेकिन भगवान को भी ना जाने क्या हो गया है.लगता है की भगवान ने भी जात--जमात और पैसे--रसूख वालों प़र ही मेहरबान होने का मन बना लिया है.पहले तो इन मासूमों के सर से माँ--बाप का साया छीना अब इनको तिल--तिल कर मरने को छोड़ दिया है.कुल 23 की संख्यां में इस अनाथ आश्रम में अनाथ बच्चे पल रहे हैं.पल क्या रहे हैं बस जिन्दगी के दिन काट रहे हैं.13 बच्चे कुसहा त्रासदी के हैं और 10 बच्चे इधर--उधर से भूले--भटके लावारिश हैं जिन्हें लाकर जमा कर दिया गया है. कुछ बच्चे कुपोषण के शिकार हैं लेकिन इनका इलाज नहीं हो पा रहा है.अब यहाँ अनशन प़र पड़े पाँच बच्चों की हालत बिगड़ चुकी है.बच्चे बीमार पड़ते जा रहे हैं. ये खुद के बीमार होने की भी बात कर रहे हैं
इन मासूम नौनिहालों को किसी तारणहार की जरूरत है.सरकार को बेजा कामों में खर्च करने के लिए या यूँ कहें पानी में बहाने के लिए पैसे हैं लेकिन इन बच्चों की जिन्दगी बचाने के लिए पैसे या कोई बड़ी योजना नहीं है.आखिर सरकार किस खुशफहमी में है.क्यों नहीं इन बच्चों के लिए सरकार आगे आ रही है.एसी कमरे में चिकेन--बिरयानी और लजीज व्यंजनों के जायके लेने में इन बच्चों की सुधि लेना निश्चित रूप से नामुमकिन है.काश ! ये ओहदेदार इन मासूमों में अपनी संतान की सूरत देखते.सच मानिए तब पाँव के नीचे की ज़मीन ही फट जाती.ऊपर वाले तुने देने में कोई कमी नहीं की लेकिन किसे क्या मिला यह तो मुकद्दर की बात है.

मशरूम खाने के चक्कर में कई बीमार

रिपोर्ट चन्दन सिंह : सदर थाना के कहरा गाँव में मशरूम समझकर गोबर के छत्ते की शब्जी खाने से एक ही परिवार के 15 लोग गंभीर रूप से बीमार हो गए.बीमारों में छः की हालत नाजुक है जिसमें चार बच्चियां और दो महिलायें शामिल हैं.सभी बीमारों को सदर अस्पताल में भर्ती किया गया है जहां तत्काल उनका इलाज किया जा रहा है.जहांतक चिकित्सकों का सवाल है तो उनका कहना है की मरीजों को तत्काल दवा दी जा रही है लेकिन इस केश में मरीजों को कुछ घंटे तक वाच करना होता है.उनकी नजर में मरीजों की स्थिति नाजुक है और उन्हें बाहर भी रेफर किया जा सकता है.एक ही परिवार प़र अचानक आई इस बड़ी आफत  
एक परिवार अचानक एक बड़ी आफत आ गयी है.एक साथ पंद्रह लोग जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.इन्हें दवा के साथ--साथ दुआओं का भी असर हो जिससे इनकी जिन्दगी बेजा काल के गाल में समाने से बच सके.

2008 की कुसहा त्रासदी में हुए अनाथ मासूमों की भूख हड़ताल

आकांक्षा अनाथालय के बच्चे 
रिपोर्ट चन्दन सिंह: जिला समाहरणालय के ठीक सामने एक जर्जर भवन में अवस्थित आकांक्षा अनाथ आश्रम के दिन अब लद से गए हैं.एक संतान विहीन दम्पति द्वारा बिना किसी सरकारी और प्रशासनिक मदद के संचालित इस आश्रम में कुल तेईस अनाथ बच्चे पल रहे हैं जिसमें कुसहा त्रासदी के तेरह अनाथ बच्चे हैं. बिना किसी सरकारी--प्रशासनिक मदद के चलने वाले इस अनाथ आश्रम में बीते चार वर्षों से इन मासूम नौनिहालों में किसी तरह जान फूंकने की कवायद चलती रही.लेकिन अब इस आश्रम के संचालक आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट गए हैं और इन बच्चों के लालन--पालन में पूरी तरह से असमर्थ हैं.बीते चार वर्षों में आश्रम के संचालक ने मंत्री,सांसद--विधायक से लेकर जिले के तमाम बड़े अधिकारियों से इन बच्चों के लिए जीभर के गुहार लगाई लेकिन किसी ने इन बच्चों के लिए मजबूत पहल नहीं की.आज नतीजा सामने है की यहाँ पल रहे बच्चे दीन--हीन बने दाने--दाने को मोहताज हैं.आलम यह है की आज अहले सुबह से ये टूटे नौनिहाल जिन्दगी बचाने के लिए जिला समाहरणालय के सामने भूख हड़ताल प़र बैठे हैं.ये टूगर बच्चे भोजन,वस्त्र,इलाज और भविष्य के लिए तरस रहे हैं और डी.एम साहब से फ़रियाद कर रहे हैं की मुझे खाना दो नहीं तो मरने की इजाजत दो.
यह बिल्कुल साफ़ हो चुका है की सत्तासीनों और उसके तंत्रों की आँखें और उनके कान अलहदा होते हैं.सुशासन का दावा करने वाले एसी नेताओं को ये तस्वीरें दोजख और तबाही के नहीं लगेंगी.यह तस्वीरें उन्हें सिर्फ और सिर्फ तमाशे की लगेंगी.गोया हमने बाहर से कलाकार मंगवाकर तस्वीरें उतारी हों.नीतीश बाबू अपनी आँखों पर आपने ना जाने कौन सा चस्मा चढ़ा रखा है जिससे सिर्फ चाँद--तारे और सूरज के साथ--साथ विकास ही दिखते हैं.राजा साहब,कोशिश करके ऐसा चस्मा पहनिए जिससे सच और वाजिबियत की जमीनी तस्वीरें दिखें.

अस्पताल से लालू की हुई छुट्टी

रिपोर्ट चन्दन सिंह: पैसा,रसूख और ताकत के सामने एक बार फिर गरीबी को शिकस्त मिली.पद,पैरवी और तिकड़म हमेशा इन्साफ की राह में रोड़े डालता रहा है.इसी कड़ी में  बीते 12 जुलाई से सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती नाबालिग लालू को ना केवल अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया बल्कि उसे सहरसा व्यवहार नयायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश भी किया गया.देर शाम लालू को पुर्णिया रिमांड होम भेज दिया गया.बताना लाजिमी है की 11 जुलाई की शाम जिले के सिमरी बख्तियारपुर के दबंग राजनीतिज्ञ सह कद्दावर व्यवसायी चंद्रमणि भगत और उनके दो भाईयों ने चोरी के आरोप में अपनी दूकान में बंद करके लालू की ना केवल बेरहमी से पिटाई की थी बल्कि उसके तलवे पर किसी नुकीली चीज चुभो कर उसे गंभीर यातना भी दी थी. नतीजतन जदयू ने चंद्रमणि भगत को पार्टी से निष्कासित कर दिया.लालू की पिटाई मामले में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें से दो आरोपी मनोज भगत और ललन भगत ने 16 जुलाई को न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया.वे दोनों अभी जेल में हैं.लेकिन हद की इंतहा देखिये की पिटाई मामले का मुख्य आरोपी चंद्रमणि अभीतक फरार है और मासूम लालू को रिमांड होम भेज दिया गया.सत्तासीनों के आशीर्वाद से लालू को इन्साफ नहीं मिल पाया.जिस बेरहम दरिन्दे आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए वह छुट्टा घूम रहा है और मासूम नाबालिग बच्चा रिमांड होम चला गया .पैसे के दम प़र मेले लागाये जाते हैं,बड़े--बड़े खेल--तमाशे से लेकर भव्य आयोजन होते हैं.पैसा बहुत चीजों प़र भारी होता है.गरीब लालू के इन्साफ प़र जुल्मी पैसे का रंग चढ़ गया.

RRC GROUP D RESULT RAILWAY PATNA KOLKATA Guwahati RANCHI DELHI MUMBAI BILASPUR

GROUP D RESULT RAILWAY PATNA KOLKATA RANCHI DELHI


http://www.rrbkolkata.org/
www.rrcecr.gov.in
GUAHATI
www.nfr.railnet.gov.in/

जुलाई 24, 2012

भाई ने बहन की गर्दन रेती

रिपोर्ट चन्दन सिंह: सदर थाना के पटुआहा गाँव में आज अहले सुबह एक दरिन्दे  सगे भाई मोहम्मद इस्लाम ने ज़मीन के टुकड़े की लालच में अपनी सगी बहन मरियम खातून की बेरहमी से गर्दन रेतकर उसकी इहलीला खत्म करने की पुरजोर कोशिश की.बेरहम भाई ने अपनी तरफ से बहन को मरा हुआ समझा था लेकिन रमजान के महीने में अल्लाह के फजल से बहन की तत्काल जान बच गयी और उसे आनन्--फानन में इलाज के सदर अस्पताल लाया गया.सदर अस्पताल में डॉक्टर उसकी गर्दन को सिलने और जान बचाने के प्रयास में जुटे हुए हैं.अपनी जख्मी बेटी के साथ आये पिता का कहना है की उसका बेटा इंसान की शक्ल में खूनी दरिंदा और यमराज है.इस क्रूर बेटे ने पहले अपने माँ--बाप को घर से निकाला था और आज इसने तीन बीघा ज़मीन पचाने के लिए बहन की जान लेने की कोशिश की.
फिलवक्त पुलिस ने इस मामले में पिता के बयान प़र सदर थाना में काण्ड दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया है.सभी आरोपी फरार हैं.इस घटना ने एक बार से फिर पाक रिस्ते को चाक किया है.धन के लोभ में आज रिस्ते के मजबूत पाए भी दरक--दरक के धराशायी हो रहे हैं. यह घटना उसी की बानगी है.फिलवक्त अभी हम तो सिर्फ यही दुआ करते हैं की किसी तरह से पहले मरियम की जान बच जाए.

आतंकवादियों की तरह नाबालिग की सुरक्षा

रिपोर्ट चन्दन सिंह: चोरी के आरोप में बुरी तरह से पिटाई का शिकार होकर गंभीर रूप से जख्मी हुए नाबालिग लालू प्रसाद बीते 12 जुलाई से सदर अस्पताल में भर्ती है जहां उसका इलाज किया जा रहा है.लालू अब धीरे--धीरे ठीक हो रहा है.लेकिन लालू की सुरक्षा के लिए जिस तरह के सजग और पुख्ता इंतजाम सदर अस्पताल में किये गए हैं वह कहीं से भी गले के नीचे नहीं उतर पा रहा है.एक मामूली से नाबालिग की सुरक्षा में एक ए.एस.आई,चार पुलिस जवान और दो चौकीदार लगाए गए हैं.सुरक्षा व्यवस्था को देखकर लगता है की यहाँ किसी नाबालिग का नहीं बल्कि किसी आतंकवादी या फिर किसी कद्दावर खून चटोरे अपराधी का इलाज हो रहा है.यहाँ के सुरक्षा इंतजाम पुलिस की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा करने के लिए काफी है.लालू की पिटाई मामले के मुख्य आरोपी जदयू निष्कासित नेता सह समृद्ध व्यवसायी चंद्रमणि भगत को पुलिस घटना के इतने दिनों बाद भी पकड़ने में कामयाब नहीं हो पायी है लेकिन लालू कहीं अस्पताल से भाग ना जाए इसके लिए पुलिस काफी चिंतित और गंभीर है.सुशासन में पुलिस के काम करने का यही तरीका है.
लालू मामले में सत्ताधारी दल के नेताओं के बयान अधिकारियों के सुपरविजन जैसे हुए हैं.घटना की वाजिबित को समझे और पीड़ित को बिना देखे ही सत्ताधारी दल के नेताओं ने अल्प सूचनाओं पर अपनी विशिष्ट राय रख दी.जाहिर तौर पर लालू मामले में पावर वाले लोग तटस्थ नहीं रहे.मोटे तौर पर लालू के साथ कहीं से न्याय होता नहीं दिख रहा है.आखिर में हम यही कहेंगे की सत्तासीनों और विभिन्य तंत्रों की आँखे और उनके कान अलहदा होते हैं.

जुलाई 23, 2012

पी.के.शाही (शिक्षा मंत्री) भागो बाल दीदी आई.........

शिक्षा मंत्री पी.के.शाही
रिपोर्ट चन्दन सिंह: सूबे के शिक्षा मंत्री पी.के.शाही का सहरसा के जवाहर विकास भवन में कोसी प्रमंडल के तीनों जिले सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले के शिक्षा अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करना काफी मंहगा साबित हुआ.मंत्री जी समीक्षा बैठक खत्म करके जवाहर विकास भवन से ज्यों ही सहरसा परिसदन की ओर निकलना चाहे की जवाहर विकास भवन परिसर में पहले से मौजूद बाल दीदियों ने ना केवल उन्हें गाड़ी प़र चढ़ने से रोक दिया बल्कि उनका घेराव कर जमकर हंगामा भी किया.अचानक आई इस आफत से बौखलाए मंत्री जी ने पहले तो आक्रोशित महिलाओं को समझाना चाहा लेकिन स्थिति विस्फोटक होती देख मंत्री जी वहाँ से अपनी कीमती लक्जरी गाड़ी छोड़कर किसी तरह जान बचाकर पैदल ही परिसदन की ओर भागे.इस दौरान सहरसा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को मंत्री जी को सुरक्षा प्रदान करने में भारी मशक्कत करनी पड़ी.
भागते पी के शाही (शिक्षा मंत्री)
बाल दीदी की समस्या क्या है जानिए :--  केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2001 में बाल दीदियों को एक हजार रूपये मानदेय प़र रखा गया था.दस वर्षों तक इन बाल दीदियों ने अपनी सेवा दी लेकिन अब इनकी सेवा केंद्र सरकार ख़त्म कर रही है.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इसी वर्ष इनका मानदेय एक हजार रूपये से बढ़ाकर तीन हजार रुपया किया गया था लेकिन बढ़ी हुई राशि तो इन्होनें प्राप्त नहीं किया लेकिन सरकार के आदेश से इनकी सेवा इसी साल अप्रैल माह से खत्म करने का आदेश हो गया.देखते ही देखते ये महिलायें सड़क प़र आ गयीं.सहरसा जिले में लगभग पौने दो सौ बाल दीदी हैं.अपनी सेवा खत्म किये जाने की खबर से बौखलाई ये महिलायें आज मंत्री जी के आने की खबर से आपे से बाहर हो गयीं और उन्हौनें मंत्री जी का काफी विरोध करते हुए हंगामा किया.देखिये महिलायें किस तरह से हंगामा कर रही हैं.इनके मजबूत हंगामे से मंत्री जी यहाँ से पैदल ही परिसदन की तरफ भागे.
इन बाल दीदियों का भविष्य कैसा होगा फिलवक्त कयास लगाना बेमानी है.अभी तो सिर्फ इतना कहा जा सकता है की इन बाल दीदियों ने अपना जबरदस्त विरोध जरुर दर्ज कराया है.शाही जी के चेहरे की लाली को उतारने में इन महिलाओं ने कोई कोर--कसर नहीं छोड़ी. आगे यह देखना दिलचस्प होगा की राज्य सरकार इनके हित में क्या कर पाती है. 

जुलाई 21, 2012

कोशी के रहमोकरम पर सहरसा - मानसी रेल मार्ग

रिपोर्ट चन्दन सिंह :  पूर्व मध्य रेलवे का फनगो हॉल्ट इनदिनों कोसी के कोप से थर्रा रहा है.नदी अपनी तेज धार से कटाव करती हुई तेजी से रेलवे ट्रैक की तरफ लपकती जा रही है. कभी भी बंद हो सकती सहरसा मानसी रेल मार्ग.रेल प्रशासन कटाव को लेकर काफी चिंतित है और कटाव रोकने के लिए विभिन्य तरह के उपाय में भी जुटा हुआ है.बोल्डर क्रेटिंग के अलावे कटाव की जगह प़र बोल्डर भी गिराए जा रहे हैं  इसके बावजूद भी कोशी मैया इस बार मानने के मुड में नहीं दिख रही है . इतना होने के बावजूद भी ठीकेदार की मनमानी कटाव को बचने में देखी जा रही है जिसके कारण काम कर रहे मजदुर ने काम करने से माना कर दिया.जाहिर तौर पर जहा एक तरफ सरकारी तंत्र दो वर्षों से सोई रही जब कोशी रेलवे ट्रेक के साफ करीब से बहने पर आमदा हुई तब प्रशासन की नींद खुली. फ़िलहाल  कोसी  तेजी से कटाव ही नहीं कर रही है बल्कि ट्रैक को नदी में समाने के लिए मचल भी रही है.अगर ट्रैक क्षतिग्रस्त हुआ तो कोसी इलाके में एक बड़ी आफत आ जायेगी.यहाँ प़र काम हो रहे हैं लेकिन कोसी की उग्रता के मुताबिक़ काम नहीं हो रहे हैं.ऐसा हम नहीं बल्कि इलाके के लोग कह रहे हैं.कटाव स्थल प़र सेटेलाईट कैमरा लगाया गया है.इस कैमरे की मदद से बड़े अधिकारी बिना यहाँ आये यहाँ की ताजा स्थिति का अपने कार्य स्थल प़र से ही नजारा कर रहे हैं.दीगर है की कहीं कोई चूक ना हो जाए इसके लिए चौकसी बरती जा रही है.मौके प़र कार्य का निरीक्षण करने पहुँचे फ्लड फायटिंग फ़ोर्स के अध्यक्ष कहना है की काम में लगातार तेजी रखनी होगी वर्ना बड़ी घटना को टालना नामुमकिन होगा.

छीन गया गरीबों के मुंह का निवाला

मुकेश सिंह,सहरसा टाइम्स: गरीबों के साथ अनदेखी और और खिलवाड़ का सिलसिला बदस्तूर जारी है.गरीबों को सस्ते दर प़र राशन उपलब्ध कराने की गरज से मंगाए गए हजारों क्विंटल गेहूं ठेकेदार,ट्रांसपोर्टर और रेल अधिकारियों की लापरवाही से सहरसा रेलवे रैक पॉइंट प़र बारिश में भींग--भींगकर बर्बाद हो गए.बीते 10 जुलाई को 51 हजार 8 सौ 71 बोड़े गेंहूँ पंजाब के अम्बाला से मंगाए गए थे जिसे गरीबों के बीच सस्ते दर प़र उपलब्ध कराया जाना था लेकिन इसे रैक पॉइंट प़र खुले आसमान के नीचे रख दिया गया.तेज बारिश में सारे गेंहूँ भींगते रहे लेकिन उसे बचाने का किसी ने प्रयास नहीं किया और आखिरकार वहीँ हुआ जिसका डर था.हजारों क्विंटल गेंहूँ देखते--देखते यूँ ही सड़कर बर्बाद हो गए.गरीब तो गेंहूँ नहीं खा सके अब सड़े हुए गेंहूँ को रैक पॉइंट प़र सूअर और बकरी खा रहे हैं.यही नहीं सड़े हुए गेंहूँ को अब यहाँ से उठाकर ट्रक प़र लादकर सरकारी गोदामों में ले जाया जा रहा है,जहां इसका मिलावट अच्छे गेंहूँ में करके खपाने की गहरी साजिश की जायेगी.वैसे बहुत सारे गेंहूँ को विभिन्य इलाके में फेंका भी गया है.बताना लाजिमी है की पिछले साल 2011 में भी इसी तरह गरीबों के नाम प़र मंगाए गए 32 हजार क्विंटल चावल इसी रेलवे रैक पॉइंट प़र बारिश में सड़ाकर बर्बाद किये गए थे.उस वक्त भी सड़े हुए चावल का लुत्फ़ गरीबों की जगह सूअरों ने उठाया था.समझ में नहीं आता की आखिर इस तरह से अनाज को सड़ाकर किसका भला किया जा रहा है.सरकार और समूचा तंत्र इस जानलेवा और बर्बादी से सनी लापरवाही को आखिर क्यों मूक और बधिर बना देख रहा है.
2011 की घटना : अब हम आपको पिछले साल वर्ष 2011 में हुई बड़ी लापरवाही के नतीजे से रु ब रु करवा रहे है.2011 के अप्रैल माह से लेकर जून महीने के बीच में हरियाणा के कुरुक्षेत्र से आया 32 हजार क्विंटल से ज्यादा चावल लापरवाही की वजह से सहरसा के रेलवे रैक पॉइंट से ट्रांसपोर्टरों के द्वारा नहीं उठाया गया जिस कारण वे सारे चावल सड़ कर बर्बाद हो गए.इन सड़े चावल की कीमत दो करोड़ से ज्यादा थी.इन चावलों में से ज्यादा मात्रा में चावल सुपौल जिले के राघोपुर FCI गोदाम भेजा जाने वाला था जहां से इन चावलों को कम कीमत पर गरीबों को उपलब्ध कराया जाता.लेकिन यह सारे चावल लापरवाही की भेंट चढ़ गए.लेकिन गड़बड़झाला ऐसा था की इसी सड़े चावल को सहरसा के FCI गोदाम में खपाने की तैयारी चल रही था. सहरसा टाइम्स ने जब इसको लेकर सहरसा के जिलाधिकारी देवराज देव से से जबाब--तलब किया तो जिला प्रशासन हरकत में आया और 8 जून को FCI गोदाम पर छापामारी की गयी.जिला प्रशासन के अधिकारियों ने सड़े चावल को खपाने की चल रही तैयारी को रंगे हाथ पकड़ा और गोदाम को तुरंत सील भी कर दिया.एक तरफ जहां रेलवे रैक पॉइंट पर खुले आसमान के नीचे हजारों क्विंटल चावल बारिश में बर्बाद हो रहे थे वहीँ दूसरी तरफ सहरसा FCI गोदाम में सड़े चावल को अच्छे चावल में मिलाकर खपाने की तैयारी चल रही थी.हद की इंतहा तो यह थी की दर्जनों ट्रक FCI परिसर में लगे हुए थे जिसपर अलग से सड़े हुए चावल लदे हुए थे.मामले की गंभीरता देख जिलाधिकारी ने FCI के एरिया मेनेजर सरफराज आलम,डीपो मेनेजर उमाकांत झा और गोदाम प्रभारी गरीब दास पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी के आवेदन पर सदर थाना में FIR दर्ज करा दिया.लेकिन धीरे--धीरे यह मामला अधिकारियों की पेंच की भेंट चढ़ गया और मामला पूरी तरह से ठंढा हो गया.
इस लापरवाही को सनक,पागलपन और क्रूरतम अपराध नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे.कोसी इलाके में एक वक्त की रोटी के लिए गरीबों का एक बड़ा तबका रोज जंग लड़ रहा है.लेकिन हुक्मरानों को अपनी सियासत चमकाने से फुर्सत नहीं है की वे इतनी बड़ी लापरवाही को रोकने के लिए आगे आयें और गरीबों के मुंह से छीन रहे निवाले को उनके मुंह तक पहुंचाएं.वोट लेने के समय इन गरीबों की याद इन कुर्सीपोशों को बड़ी सिद्दत से आती है.ये सियासी सुरमा वक्ती तौर प़र गरीबों के जख्मों को अपने मतलबी हाथों से सहलाते और उनके आंसुओं को अपने जुल्मी खद्दर से पोंछते हैं.ये सियासी पंछी शायद यह भूल गए हैं की ऊपर बैठा भगवान सारे तमाशे को देख रहा है.लेकिन सहरसा टाइम्स आपको इस तरह के खबरों से रु ब रु करते रहेगा ये मेरा वादा है. 

जुलाई 17, 2012

नीतीश की साजिश की वजह से यह सब हुआ- बाहुबली आनंद मोहन

मुकेश कुमार सिंह
एडिटर इन चीफ़
सहरसा टाइम्स
पिछले पाँच साल से सहरसा जेल में बन्द पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन आज जेल से सहरसा कोर्ट लाये गए जहां 1990 में सहरसा जेल में हुयी मारपीट के मामले में सहरसा के फास्ट ट्रैक कोर्ट में उनकी पेशी हुयी.पेशी के बाद आनंद मोहन यूँ तो मीडिया से रूबरू हुए लेकिन इस दौरान उन्होनें सहरसा टाइम्स से ख़ास बातचीत की.इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गोपालगंज के तत्कालीन डी.एम जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में उनके आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखे जाने पर पर वे खुलकर बोले.उन्होनें खुद को बेकसूर बताते हुए कहा की ये जो जंग है वो सत्ता संचालित साजिश और सच्चाई की जंग है.धर्म और सत्य मेरे साथ खड़ा है,इसलिए मैं कोर्ट के फैसले से निराश नहीं हूँ.आखिर में मेरी ही जीत होगी.सत्य परेशान होता है लेकिन कभी पराजित नहीं होता.आनंद मोहन सूबे के मुखिया नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा की नीतीश की साजिश की वजह से उनके साथ यह सब हुआ है.नीतीश ने मुझे फांसी दिलाने के पटना से लेकर दिल्ली तक मेरा पीछा किया. 
 सहरसा टाइम्स ने इस मौके पर उनसे कई सवाल दागे जिसका जबाब उन्होनें अपने चिर--परिचित अंदाज में दिया.सबसे पहले उन्होनें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा की वे इस फैसले से निराश नहीं है क्योंकि सत्य उनके साथ है.बिहार का बच्चा-बच्चा जानता है की जी.कृष्णैया की ह्त्या के दिन मुजफ्फरपुर में क्या हुआ था.आनंद मोहन ने ह्त्या के दिन की पूरी कहानी अपनी जुबानी सुनाई की किस तरह एक बेकसूर की उस दिन गिरफ्तारी की गयी.आनंद मोहन ने कहा की इस चक्रव्यूह के सात दरबाजे हैं.तीन दरबाजे प़र सत्य पराजित होता दिख रहा है लेकिन अभी चार दरबाजे बचे हुए हैं.दो सुप्रीम कोर्ट के और दो राज्यपाल और राष्ट्रपति के.मुझे पक्का यकीन है की इसमें सत्य की जीत होगी.
आनंद मोहन सहरसा टाइम्स से ख़ास बातचीत
आनंद मोहन ने नीतीश कुमार प़र कई सवाल खड़े किये.उन्हौनें कहा की एक समय नीतीश कुमार और जार्ज फर्नांडिश मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन के लिए धरना प़र बैठे थे और कहा था की आनंद मोहन और उसके साथी निर्दोष हैं,उन्हें वेवजह फंसाया गया है.नीतीश कुमार ने मेरे प्रभाव और प्रभुत्व का हमेशा इस्तेमाल किया और सत्तासीन होते ही मेरे एहसान को भुलाकर मुझे इस मुकाम प़र पहुंचा दिया.नीतीश प़र आरोप लगाते हुए आनंद मोहन ने कहा की नीतीश कुमार ने अनैतिकता,अधर्म और असत्य का साथ दिया है.धर्म और सत्य हमारे साथ खड़ा है इसलिए हमारी विजय होकर रहेगी.आनंद मोहन की नजर में जो भी परिवर्तन के लिए आगे आया है,उसे वनवास भोगना पड़ा है.खुद को बेकसूर बताते हुए उन्हौनें कहा की ये जो जंग है वो सत्ता संचालित साजिश और सच्चाई की जंग है,इसमें सच्चाई की जीत होगी.नहीं तो ईश्वर और कोर्ट को परीक्षा देनी होगी,आनंद मोहन को कोई परीक्षा नहीं देनी पड़ेगी.सहरसा टाइम्स ने उनसे जब यह सवाल किया की आपकी पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद कॉँग्रेस नेत्री हैं लेकिन आपके मामले कॉँग्रेस कहीं भी खड़ी नजर आई के जबाब बड़े तल्ख़ अंदाज में देते हुए उन्हौनें कहा की उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं की उनके लिए कौन खड़ा है.वे सिर्फ इतना जानते हैं की सत्य उनके साथ खड़ा है. शेर सजायफ्ता है और पिंजड़े में बन्द है लेकिन उसकी दहाड़ अभी भी सलामत और जारी है.आनंद मोहन को अभी भी उम्मीद है की उनके साथ इन्साफ होगा और वे निर्दोष साबित होकर जेल से बाहर आयेंगे और खुली हवा में सुकून और अमन की साँसें लेंगे.आगे आनंद मोहन का क्या होगा है,सिर्फ और सिर्फ भगवान के हाथों है.

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जुलाई 16, 2012

लालू इंज्यूरी रिपोर्ट का इंद्रजाल

तलवे का जख्म दिखता लालू
मुकेश सिंह, सहरसा टाइम्स : बहुचर्चित नाबालिग बच्चे की बेरहमी से पिटाई के लोमहर्षक मामले में अब इन्जुयुरी रिपोर्ट को लेकर बबाल मचा हुआ है.पीड़ित बच्चा और उसके परिजन चीख--चीख कर तलवे में कील ठोंकने की बात कर रहे हैं लेकिन इंज्यूरी रिपोर्ट में तलवे के जख्म तक का जिक्र नहीं है. इस मामले में अब पीड़ित बच्चा और उसके परिजन पुलिस और चिकित्सकों प़र पैसे लेकर इंज्यूरी रिपोर्ट कमजोर और बदलने का आरोप लगा रहे हैं. थोड़ी देर के लिए चलिए हम भी यह मान लेते हैं की तलवे में कील नहीं ठोंकी गयी है लेकिन इंज्यूरी रिपोर्ट में तलवे के जख्म का जिक्र होना चाहिए था.बड़ा सवाल है की आखिर वह कौन सी वजह थी जिस कारण से इंज्यूरी रिपोर्ट में इस जख्म का जिक्र नहीं किया गया.पीड़ित मासूम बच्चा फिलवक्त सदर अस्पताल में भर्ती है.सदर अस्पताल के वे डॉक्टर जिन्होनें पीड़ित बच्चा को अस्पताल में एडमिट किया था और बच्चा अभी जिस डॉक्टर के वार्ड में भर्ती है उनका कहना है की बच्चे के पाँव में कील ठोंका गया की नहीं वे यह तो नहीं जानते लेकिन कोई नुकीली चीज जरुर इस बच्चे के तलवा में चुभी है.जिस मामले को लेकर देश भर में चर्चाएँ हुयीं उस बात की जानकारी सहरसा के सिविल सर्जन साहब को नहीं है.बेरहमी से पिटाई के शिकार हुए लालू प्रसाद के मामले में अब कई तरह के रहस्यों का खुलासा हो रहा है.सदर अस्पताल में भर्ती लालू और उसके परिजन जहां तलवे में कील ठोंकने की बात को चीख--चीखकर कह रहे हैं वहीँ पुलिस और चिकित्सकों प़र पैसे लेकर इंज्यूरी रिपोर्ट कमजोर और बदलने का आरोप भी लगा रहे हैं.अब हम आपको सदर अस्पताल के दो डॉक्टर के बयान बताते है..
१.  डॉक्टर एस.पी.विश्वास.पीड़ित लालू जब 12 जुलाई की शाम में इलाज के लिए सदर अस्पताल आया था तो विश्वास साहब ने ही लालू को इमरजेंसी में एडमिट किया था.इनकी नजर में लालू के तलवे में किसी चीज के चुभने के जख्म थे.
२. डॉक्टर ए.के.पाठक.लालू अभी इन्हीं के वार्ड में भर्ती है.इनकी नजर में भी तलवे में जख्म के निशान हैं लेकिन वे निशान किस चीज से हुए है,कहना मुश्किल है.यूँ अभी वे अपनी फाईनल राय नहीं दे रहे हैं.
आखिर में अब हम आपको इस हंगामेदार फिल्म के सबसे महत्वपूर्ण किरदार का  बयान बताते है.
3. जनाब डॉक्टर भोला नाथ झा.सहरसा के ये सिविल सर्जन सह सी.एम.ओ हैं.सूबा से लेकर देश भर में मासूम लालू प़र बेइंतहा हुए जुल्म की खूब चर्चा हुई.लेकिन भोला बाबू को इस घटना की भनक तक नहीं लगी. इस घटना के बारे में उन्हें जानकारी मिली.सिविल सर्जन साहब ने कहा की वे खुद ना केवल पीड़ित बच्चे के तलवे का जख्म देखेंगे बल्कि सिमरी बख्तियारपुर चिकित्सा प्रभारी से इस बाबत पूरी जानकारी भी लेंगे.इस पूरे मामले को वे गंभीरता से देखेंगे और इसकी जांच करेंगे.अगर किसी का दोष जाहिर होगा तो उसपर कारवाई भी होगी.
एक तो इस मामले में आरोपी व्यवसायी सह निष्काषित जदयू नेता चंद्रमणि भगत सहित उनके दो भाईयों की अभीतक गिरफ्तारी नहीं हुयी है दूसरा इंज्यूरी रिपोर्ट में हेराफेरी को लेकर बबाल मचा हुआ है.सच्चाई आखिर जो भी हो लेकिन तमाम गतिविधियों प़र अगर तटस्थ नजर डालें तो यह साफ़--साफ़ नजर आ रहा है की दाल में जरुर कुछ ना कुछ काला है.वैसे भी अगर तलवे में कील ठोंकने की बात सही नहीं होती फिर भी इंज्यूरी रिपोर्ट में तलवे के जख्म का जिक्र तो किया ही जाना चाहिए था.बताना लाजिमी है की अमूमन अगर मामला थोड़ा भी संगीन होता है तो इंज्यूरी रिपोर्ट के लिए मेडिकल बोर्ड तक का गठन हो जाता है लेकिन जिस मामले में इतनी हाय--तौबा मची,उस मामले में सिमरी बख्तियारपुर से ही इंज्यूरी रिपोर्ट राज्य मुख्यालय को भेज दिया गया.यह सब बड़ी तेजी से हुआ है.आगे अब सबकुछ बड़े अधिकारियों के पाले में है.लेकिन इस मामले में अभी जो कुछ भी चल रहा है उसपर संदेह के घनघोर बादल मंडराते दिख रहे हैं.

जुलाई 14, 2012

रात की बरसात और नरक में तब्दील मुहल्ले की सड़के

बटराहा की सड़क 
रिपोर्ट चन्दन सिंह : सहरसा की लगभग तमाम जगहें पानी से तर हैं.इस जिले के कई इलाके ऐसे हैं जो अभी बाढ़ की चपेट में है.इससे इतर सहरसा जिला मुख्यालय के लगभग तमाम सड़कों से लेकर मुहल्ले तक सिर्फ पानी ही पानी का नजारा है.शहर का चप्पा--चप्पा पानी--पानी है.शहर के तमाम मुहल्ले मसलन गौतम नगर, गंगजला, बटराहा,कायस्थ टोला,हटियागाछी सहरसा बस्ती, भावानीनगर, संतनगर,बारिश के पानी से इसकदर लबालब हैं गोया बाढ़ का कहर हो. लेकिन सबसे ज्यादा बदहाल है बटराहा की तमाम सड़के. इस मोहल्ले में यदि आप आना चाहे तो बिना किचर, पानी का मुकाबला किये आप नहीं आ सकते.  बटराहा में वर्तमान बीजेपी विधायक आलोक रंजन जी का आवास है विधायक जी का रहना भी इसी मुहल्ले होता है इसके बावजूद यहाँ की सड़के बदहाल है लोग बेहाल है. इससे आप खुद अंदाजा लगा सकते है की सहरसा के गली मुहल्ले की तमाम सड़कों की क्या हालत होंगे.लोग परेशान--हलकान हैं.बारिश में हुए इस जल-जमाव से लोगों का जीना मुहाल है.जिन्दगी में जैसे जंग लग गयी हो.जिन्दगी की रफ़्तार थम सी गयी है.नगर परिषद् पंगु और लाचार है.पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका नतीजा हमारे सामने है. कोसी के कहर के साथ सहरसा वासी बारिश का कहर भी झेलने को मजबूर हैं.इस इलाके के लोगों को कुदरत के कहर के साथ--साथ सरकारी लापरवाही का जुल्म भी सहना पर रहा है.इन्हें ना जाने इस मुसीबत से कब और कैसे निजात मिलेगी. इस शहर को बारिश ने अपनी पहली धाम में ही ना केवल पानी से तर कर दिया है बल्कि शहर को नरक में तब्दील करके रख दिया है.आम जनजीवन बेहाल है.लोगों की जिन्दगी ठहर सी गयी है. 

रेल मार्ग ठप्प होने के कगार प़र

रिपोर्ट चन्दन सिंह : अपने कम जलस्तर के बाबजूद कोसी कहर बरपाने प़र आमदा है.कोसी की लपलपाती तेज धार पूर्व मध्य रेल के सहरसा और मानसी के बीच फनगो हॉल्ट प़र रेलवे ट्रैक के समीप तेजी से ना केवल कटाव कर रही है बल्कि रेलवे ट्रैक को खुद में समाने के लिए बाबली होकर ट्रैक की ओर तेजी से बढती भी आ रही है.हलकान-परेशान रेल प्रशासन दो सौ से ज्यादा मजदूर लगाकर कटाव को रोकने में जुटा हुआ है लेकिन खतरा कम होने की जगह बढ़ता ही जा रहा है.कोसी की धारा रेलवे ट्रैक की ओर मुड़ी हुई है जो बड़े खतरे की ओर इशारा कर रही है.अगर ट्रैक क्षतिग्रस्त हुआ तो कोसी प्रमंडल की पचास लाख से अधिक की आबादी का राज्य मुख्यालय से रेल संपर्क पूरी तरह से टूट जाएगा.यूँ तो कई दिनों से रेल का परिचालन बाधित रहता है और विभिन्य ट्रेनें अपनी नीयत समय से घंटों विलम्ब से किसी तरह ट्रैक के इस पार से उस पार और उस पार से इस पार जाती है .अगर ट्रेन का परिचाल रुका तो कोसी प्रमंडल के लाखों की आबादी प़र एक नयी और बड़ी मुसीबत की मार पड़ेगी.रेल अधिकारी फिलवक्त स्थिति को कंट्रोल में बता रहे हैं लेकिन नदी की धारा का रुख ट्रैक की तरफ देखकर वे भी खासे परेशान और बड़ी आफत की आशंका में डूबे दिख रहे हैं.
 मै आपको बता दू कि ये कटाव चंद कुछ दिनों से नहीं है बल्कि बीते दो तीन वर्षो से कोशी ट्रेक के बगल से हो कर अपना रास्ता बना ली है. इतने दिनों से रेल प्रशासन कुम्भकर्ण जी कि निंद्रा में सोये थे इतना ही नहीं सभी नेतागण भी इस होकर ही राजधानी जाते रहे लेकिन इनकी नजर कोशी के कटाव पर नहीं पड़ी. अरे भाई कैसे पड़ेगी नजर ये जनता के रखवाले तो रेल के A.C. कोच में बैठकर अपना सफ़र करते है न. जो भी हो ये पचास लाख की आवादी कोशी के रहमो करम पर है जी रही है.. जिस दिन कोशी मैया की किर्पा होई उस दिन उत्तर बिहार में फिर से एक त्रासदी होगी जिसका मूल्यांकन सिर्फ हमारे जनप्रतिनिधि है कर पाएंगे.पिछले ढाई वर्षों से डुमरी पुल क्षतिग्रस्त रहने की वजह से मुख्य सड़क मार्ग से कोसी प्रमंडल का राज्य मुख्यालय से संपर्क भंग है.ऐसे में अगर रेल मार्ग ठप्प हुआ तो कोसी इलाके में एक बड़ी आफत आ जायेगी.रेल प्रशासन को काम में और तेजी लाना होगा जिससे रेलवे ट्रैक को कोसी की क्रूर धार से बचाया जा सके.थोड़ी सी लापरवाही और चुक से बड़ी आफत आकर रहेगी.यूँ तबाही फुंफकार मारती मुहाने पर खड़ी है. 
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भीड़तंत्र का तालिबानी इन्साफ

चोर की जमकर धुनाई
रिपोर्ट चन्दन सिंह : कानून पसंद इस देश और राज्य में अब खाड़ी देशों की तरह तालिबानी हुकूमत का नजारा दिखने लगा है.बात--बात में अब आमलोग कानून अपने हाथों में ले रहे हैं सोया यहाँ पुलिस--प्रशासन नाम की कोई चीज ही नहीं रह गयी हो.गुंडे--मवाली हों या फिर लुटेरे और चोर,जो भी लोगों की गिरफ्त में आया सच मानिए उसकी कोई खैर नहीं. अहले सुबह सदर थाना के न्यू कोलोनी मुहल्ले में लोगों ने एक चोर को पहले तो चोरी करते हुए रंगे हाथों पकड़ा फिर उसकी जमकर धुनाई की.चोर घंटों लोगों की गिरफ्त में रहा.इस दौरान जिसको मौक़ा लगा सभी ने दस हाथ जमाकर अपने हाथ साफ़ किये.जब लोगों का जी भर गया तो उन्होनें चोर को पुलिस के सुपुर्द कर दिया.
भीड़तंत्र का यह तालिबानी इन्साफ कहीं से भी जायज नहीं है.यह सच है की पुलिस--प्रशासन के काम--काज के तरीके ऐसे हो गए हैं की उनपर से आमलोगों का भरोसा धीरे--धीरे पूरी तरह से उठने लगा है.लेकिन लोगों को अपना आपा इस तरह नहीं खोना चाहिए और पुलिस--प्रशासन को भी चाहिए की वह अपने गिरेबान में झांककर अपने कार्यों का ना केवल मूल्यांकन करे बल्कि आमलोगों का उनपर कैसे भरोसा बढेगा इसके लिए पारदर्शी जतन भी करे. 

जुलाई 12, 2012

बहशी जुल्म की इंतहा (जदयू के कद्दावर नेता की दबंगई का शिकार एक मासूम )


रिपोर्ट चन्दन सिंह कल 11 जुलाई की देर शाम सिमरी बख्तियारपुर बाजार स्थित लाईफ स्टाईल ELECTRONICS की दूकान में पंखा चोरी करने के आरोप में एक तेरह वर्षीय मासूम प़र जुल्म की घनघोर बरसात हुई.मासूम को दबोचकर पहले तो लाठी--डंडे और हॉकी स्टील से उसकी बेरहमी से पिटाई की गयी लेकिन बात इतने प़र ही नहीं थमी.दूकान के मालिक ने अपने अन्य भाईयों और अन्य सहयोगियों की मदद से बच्चे के पाँव में कील ठोंक दी और उसकी गर्दन में रस्सी बांधकर उसे बांस--बल्ले प़र लटका भी दिया.इस बेइंतहा जुल्म की खबर जब सिमरी बख्तियारपुर थाना की पुलिस को लगी तो मौके प़र पहुंचकर पुलिस ने बच्चे को जुल्मियों के कब्जे से छुडाकर उसे अपने कब्जे में ले लिया.इस दरिंदगी से भरे मामले में पुलिस ने पहले दूकान मालिक के बयान प़र बच्चे प़र चोरी के आरोप में मामल दर्ज किया.बाद में जब स्थानीय लोगों ने विरोध किया तो बच्चे के परिजन के आवेदन प़र दूकान मालिक चंद्रमणि भगत और उनके दो भाईयों मनोज भगत और ललन भगत प़र भी मामला दर्ज किया गया.आज दोपहर बाद बच्चे को कोर्ट में पेशी के लिए भेजा जा रहा था लेकिन सरडीहा गाँव के समीप ग्रामीणों ने पुलिस की चंगुल से बच्चे को छुडाकर सड़क पर घंटों जाम लगा दिया.एक बजे लगा जाम बड़ी मुश्किल से शाम पांच बजे खत्म किया जा सका.पीड़ित बच्चा सिमरी बख्तियारपुर के सकरौली गाँव का रहने वाला है.
अब बारी है इस पूरी फिल्म के विलेन चंद्रमणि भगत यानि लाईफ स्टाईल ELECTRONICS की दूकान के मालिक की.ये साहब जदयू के कद्दावर नेता है.जदयू के व्यवसायिक प्रकोष्ठ के ये सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के अध्यक्ष और वार्ड संख्यां ग्यारह के वार्ड पार्षद भी हैं.सिमरी बख्तियारपुर थाना में इनपर नामजद प्राथमिकी दर्ज है लेकिन इनका रसूख और इनका बड़ा कद देखिये की इनकी दूकान में बैठकर एक पुलिस अधिकारी इनके बयान को दर्ज कर रहा है.पुलिस की ऐसी बेशर्मी शायद ही कहीं और आपने देखी हो.अब इस नेता की ढिठाई देखिये.इनकी मानें तो बच्चा चोरी करते हुए ना केवल पकड़ा गया बल्कि पूर्व की कई चोरी की घटना में खुद के शामिल होने की बात भी स्वीकारी.इन्होनें बच्चे के साथ मारपीट नहीं की.बाहर के लोगों ने इस बच्चे को पीटा.ये भाई साहब खुद को बिल्कुल निर्दोष बता रहे हैं. चंद्रमणि भगत के दिवंगत पिता रामचन्द्र प्रसाद सिमरी बख्तियारपुर विधान सभा से विधायक भी रह चुके हैं.जाहिर तौर प़र भगत परिवार का राजनीतिक रसूख इस इलाके में काफी दमदार है.खुद जनाब सताधारी दल के नेता हैं.कानून और पुलिस तो इनकी जेब में है. ऐसे में मासूम लालू प्रसाद यादव के साथ आगे न्याय हो पायेगा,यह कहना नामुमकिन है.

जुलाई 11, 2012

बलात्कारी गुरु ने शिष्या की अस्मत उतारी

रिपोर्ट चन्दन सिंह : एक बार फिर रिस्ते--नाते,मान--मर्यादा,आदर्श परंपरा और रिवायत सहित भाव--निष्ठा के ना केवल पाए दरके बल्कि जद से उसकी मिट्टी ही पलीत हो गयी.एक झटके में इंसानियत का सीना पूरी तरह से चाक हो गया.एक हवस के भेड़िये गुरु ने अपनी ही शिष्या की अस्मत के चिथड़े उड़ा डाले.जिश्म की भूख ने आँखों प़र ऐसी काली पट्टी बाँधी की यह गुरु अपनी सारी हदों को पार कर एक मासूम बच्ची को बेहतर भविष्य देने की जगह उसकी जिन्दगी को ही पूरी तरह से दोजख में धकेल दिया.बीते 9 जून को सहरसा जिले के बैजनाथपुर के सपहा चौक प़र स्थित इन्डियन पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल विनोद यादव ने अपने स्कूल में कोचिंग के लिए आनेवाली दशवीं की छात्रा के साथ अहले सुबह अपने कक्ष में बुलाकर उसके साथ जबरदस्ती मुंह काला किया.इस घटना से आहत बच्ची ने जब शोर मचाना चाहा तो इस हवस के भेड़िये गुरु ने अपने एक सहयोगी शिक्षक राजकुमार यादव के साथ मिलकर लड़की को मोटरसाईकिल पर लादकर वहाँ से फरार हो गया.इस घटना की जानकारी जब पीड़िता के परिजन को लगी तो उन्होने इस घटना की लिखित जानकारी बैजनाथपुर पुलिस शिविर के इंचार्ज को दी.पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और मामला दर्ज कर लड़की की बरामदगी के लिए छापामारी शुरू कर दी.लड़की को पुलिस ने मधेपुरा जिले के मठाही गाँव के समीप से आज बरामद कर लिया.लेकिन आरोपी हैवान गुरूजी मौके से अपने सहयोगी के साथ फरार हो गया.आज सदर अस्पस्ताल में पुलिस ने जहां लड़की का मेडिकल परिक्षण कराया वहीँ सहरसा कोर्ट में सी.जी.एम के सामने लड़की का 164 का बयान करवाया.
काश यह घटना झूठी होती.भविष्य संवारने की ललक में एक बच्ची का जीवन पोर--पोर दरक गया.बच्ची की माँ आरोपी गुरु को फांसी की सजा दिलाने की मांग कर रही है.ऐसे गुरुओं को हमारी समझ से भी समाज में जीने का कोई हक़ नहीं है.पुलिसिया कारवाई और कानूनी दाँव--पेंच आखिरकार काजल को जैसा भी इन्साफ दे लेकिन काजल का जख्म बड़े--बड़े नासूरों पर भारी है जिसे आसानी से कोई नहीं भर सकता.रब काजल को इस दर्द को झेलने और वह फिर से संभले इसके लिए उसे एक मुश्ते ताकत बख्शी करे.

जुलाई 10, 2012

आनंद मोहन की सजा रही बरकरार

रिपोर्ट चन्दन सिंह : बहुप्रतीक्षित गोपालगंज के तत्कालीन डी.एम जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया. माननीय कोर्ट ने इस मामले में ना केवल पहले से दोषी करार दिए गए बल्कि आजीवन कारावास के सजायाफ्ता और पिछले पाँच साल से जेल में बन्द पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन की आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा.कोर्ट के इस फैसले से जहां आनंद मोहन के परिवार में मातम छाया हुआ है वहीँ आनंद मोहन के समर्थक भी पूरी तरह से गम में डूबे हुए हैं.अदालत के इस फैसले से आनंद मोहन की माँ गीता देवी काफी आहत हुई हैं और उनकी तबियत इस फैसले से काफी बिगड़ गयी है.
सहरसा आनंद मोहन का गृह जिला है.राजनीतिक जमीन खिसकने के बाद बड़ा जनाधार आनंद मोहन के साथ फिलवक्त नहीं हो लेकिन इनका रसूख और प्रभाव खासकर के कोसी इलाके में सर चढ़कर बोलता है.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से आनंद मोहन के समर्थक जाहिर तौर पर सदमे में हैं लेकिन इस फैसले को वे आसानी से हजम कर जायेंगे ऐसा कहीं से भी नहीं लग रहा.आगे इस इलाके की स्थिति क्या होगी,इसपर तुरंत कयास लगा पाना मुमकिन नहीं है.

BIHAR MADARSA BOARD RESULT 2012

BIHAR MADARSA BOARD RESULT 2012

जुलाई 08, 2012

तंत्र की बेइंतहा लापरवाही और ससुराल वालों के जुल्म की दास्ताँ

मुकेश सिंह,सहरसा टाइम्स   
एक बार फिर तंत्र की बेइंतहा लापरवाही ने इंसानियत का ना केवल सीना चाक किया है बल्कि बदले निजाम में भी जुल्म और सितम का दौर बदस्तूर जारी है इसका खुलासा भी किया है.बुरी तरह से जलाई गयी एक अबला को जिन्दा इलाज के लिए सस्दर अस्पताल में बीते 25 जून को एडमिट कराया गया था लेकिन जबतक वह पीड़िता अपने साथ हुए जुल्म की दास्ताँ को अपनी जुबानी बताने में समर्थ थी तबतक पुलिस ने उसका उसका बयान लेना मुनासिब नहीं समझा.बेहतर इलाज के अभाव में तड़प---तड़प उसकी मौत कल 07 जून को हो गयी. जाहिर सी बात है की पति और ससुराल वालों के द्वारा जलायी गयी यह युवती जब तक जिन्दा थी तब तक पुलिस को वह अपने साथ हुए हर जुल्म का बयान देने की स्थिति में थी लेकिन अस्पताल तंत्र की बेइंतहा लापरवाही देखिये की ओडी (ऑफिसर ऑन ड्यूटी) स्लिप 25 जून को ही उसे सदर थाना को भेजना चाहिए लेकिन अस्पताल ने ओडी स्लिप समय से नहीं भेजा.07 जुलाई यानि कल जब युवती की इलाज के दौरान मौत हो गयी तो अस्पताल से ओडी स्लिप भेजा गया.हद की इंतहा देखिये इस दौरान
 बेटी को इन्साफ मिले इसके लिए कई बार युवती की माँ सदर थाना गयी की किसी तरह उसकी बेटी का बयान हो जाए और उसके खूनी ससुराल वालों पर मुकदमा दर्ज हो जाए लेकिन थाने में किसी ने उसकी एक ना सुनी और वहाँ से उसे फटकार कर भगा दिया गया.एक बेबस माँ की गुहार और फ़रियाद प़र तंत्र की बेरहम लाठी पड़ती रही और आँखों के सामने तड़प--तड़प कर बेटी असमय काल के गाल में समा गयी.सहरसा के सौर बाजार की रहने वाली 20 वर्षीय मधु की शादी तीन साल पहले मुजफ्फरपुर के कटरा गाँव के विक्रम मिस्त्री के साथ हुई थी.पति द्वारा दो लाख रूपये दहेज़ में और देने की मांग की पूर्ति मधु अपने मायके वालों से नहीं करा पायी.लिहाजा 19 जून को उसे जलाकर मारने की कोशिश की गयी.स्थानीय लोगों की दखल के बाद मधु के ससुरालवालों के द्वारा मधु को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया.लेकिन उस अस्पताल में मधु को भर्ती करके ससुराल वाले फरार हो गए.24 जून को मधु के मायके वालों को फोन से सूचना मिली की मधु अस्पताल के बाहर लावारिश पड़ी हुई है.मायके वालों ने वहाँ जाकर 25 जून को मधु को सहरसा ले आये और उसी दिन मधु को सदर अस्पताल में भर्ती करा दिया.मधु अब इस दुनिया में नहीं रही.
 मधु की मौत जुल्म की पहली कहानी नहीं है लेकिन इस मौत ने तंत्र की लापरवाही की पोल--पट्टी पूरी तरह से खोलकर रख दी है.इस मामले में अस्पताल महकमा और पुलिस अधिकारी दोनों कटघरे में खड़े दिख रहे हैं.आगे देखना दिलचस्प होगा की दहेज लोभी मधु के ससुराल वालों को पुलिस किस तरह से कानूनी फंदे में घेरती है और उन्हें किस तरह की सजा और कितने समय में दिलाती है.फिलवक्त मधु को इन्साफ मिलेगा,ऐसा कहीं से भी नहीं दिख रहा है.

जुलाई 06, 2012

मंदिर प़र पथराव से फूटा गुस्सा

शिव मंदिर, तिरंगा चौक
रिपोर्ट चन्दन सिंह: बीती रात सदर थाना के तिरंगा चौक स्थित शिव मंदिर प़र उपद्रवी और असामाजिक तत्वों द्वारा पथराव करने से बौखलाए लोगों ने आज सुबह से तिरंगा चौक को जामकर ना केवल घंटों यातायात को पूरी तरह से बाधित कर दिया बल्कि पुलिस--प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की.इस दौरान सहरसा के भाजपा विधायक आलोक रंजन भी अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गए और उपद्रवियों को शीघ्रता से गिरफ्तार करने की मांग करने लगे.विधायक जी तो आपे से इतने बाहर हो गए की उन्होनें कहा की अगर सरकार इस मामले में शख्त कदम नहीं उठाती है तो वे सरकार के विरोध में काम करेंगे.इस उबले गुस्से के बीच आक्रोशित लोगों ने सहरसा---मधेपुरा पेसेंजर ट्रेन को पॉलीटेक्निक ढाला के समीप ना केवल घंटों रोके रखा बल्कि ट्रेन पर जमकर पथराव और तोड़फोड़ भी की.आस्था पर चोट के सवाल पर स्थिति बद से बदतर हो रही थी.मौके पर डी.एम,एस.पी सहित जिले के तमाम अधिकारी घंटों कैम्प करते रहे और लोगों को समझाने का भरपूर प्रयास किया लेकिन लोग दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग पर डटे रहे.
छातापुर के जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू के हस्तक्षेप से मामले को करीब डेढ़ बजे दिन में शांत कराया जा सका.इस मामले में एस.पी.ने सदर थानाध्यक्ष मोहम्मद निजामुद्दीन को तत्काल निलंबित करते हुए इन्स्पेक्टर सदर को आठ लोगों पर नामजद और पचास से अधिक अज्ञात लोगों के खिलाफ सदर थाना में काण्ड दर्ज करने का निर्देश दिया है.इसके अलावे एस.पी.ने तिरंगा चौक पर एक पुलिस कैम्प लगाने के भी निर्देश दिए हैं.फिलवक्त पुरे इलाके में तनाव है लेकिन स्थिति पूरे नियंत्रण में है.
जाम खत्म कराने के बाद भी यहाँ की स्थिति काफी तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में है.अधिकारियों और कुछ जन प्रतिनिधियों ने मिलकर लोगों के फुंफकार मारते गुस्से को तो भारी मशक्कत के बाद तत्काल शांत करा लिया है लेकिन पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों को इतने प़र ही चुप नहीं बैठना चाहिए.सबसे पहले उन्हें शरारती तत्वों को ढूंढ़कर उन्हें शख्त से शख्त सजा दिलानी होगी जिससे इस तरह की कभी कोई दुर्भाग्यपूर्ण घटना की एक बार फिर से पुनरावृति नहीं हो.ऐसी घटना समाज के लिए कलंक है.समाज के लोगों को भी सामाजिक समरसता बनी रहे इसके लिए मजबूती से आगे आकर पहल करनी चाहिए.
                                                        विडियो  के लिए क्लीक करे  ----
                                      http://youtu.be/5RwA749bQGw

जुलाई 05, 2012

पहले बलात्कार फिर बेरहमी से ह्त्या

रिपोर्ट चन्दन सिंह आज सुबह जिले के सिमरी बख्तियारपुर थाना के रंगीनिया गाँव के समीप एक खेत में एक 18 वर्षीय अज्ञात युवती की लाश देखते ही पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी.आनन्--फानन में इस घटना की सूचना पुलिस को दी गयी.पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर जहां पोस्टमार्टम के लिए उसे सदर अस्पताल सहरसा भेज दिया वहीँ गहराई से तफ्तीश में जुट गयी है.बताया जा रहा है की बीती रात किसी ने पहले उसकी अस्मत उतारी फिर उसकी इहलीला ही खत्म कर डाली.अब पुलिस को पहले यह जानना जरुरी है की यह अज्ञात लड़की कौन है और कहाँ की रहने वाली है.आगे पुलिस के लिए यह जानना भी जरुरी है की ह्त्या से पूर्व इसके साथ कहीं सामूहिक दुष्कर्म तो नहीं हुआ.इन बातों का खुलासा तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हो जाएगा लेकिन बड़ा सवाल तो यह है की जिश्म की भूख मिटाने के लिए क्या अब इंसानी जान की कोई कीमत नहीं रही.
पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल लायी गयी यह अभागी बच्ची कहाँ की रहने वाली है और इसकी जिन्दगी किसने लील ली,इसके  जबाब अभी तलाशने हैं.पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर भी इस ह्त्या को बेरहमी से हुई ह्त्या बता रहे हैं.दुष्कर्म को लेकर इन्होनें कुछ भी नहीं बताया,बस इतनी जानकारी अवश्य दी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट कल दिया जाएगा जिसमे सारे सच उकेरे होंगे. नारी देह अभिशप्त तो नहीं.देह की भूख ने एक मासूम को असमय इस दुनिया से विदा करा दिया.अब पुलिस की तफ्तीश में आगे क्या कुछ निकलकर सामने आता है और दोषियों तक पुलिस कैसे और कितने समय झोंककर पहुँचती है,इसे देखना बांकी है.वैसे जाने वाली जा चुकी है.जीते जी इसके साथ भला नहीं हो सका तो आगे कौन सा इन्साफ इसे जिन्दा कर देगा.यह खौफनाक और दर्दनाक वाकया अब भूली--बिसरी कहानी की तरह है.

कैदी के जहर खाने की आशंका

रिपोर्ट: चन्दन सिंह: बीते शाम  करीब चार बजे सहरसा जेल के भीतर एक कैदी की हालत अचानक बिगड़ गयी.आनन्--फानन में उसे सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है.सूत्रों की माने तो इस कैदी ने जहर खाया है.अस्पताल के डॉक्टर भी इसके द्वारा जहर खाने की बात कह रहे हैं.डॉक्टर फिलवक्त उसके इलाज में जुटे हुए हैं.ह्त्या,लूट,अपहरण और डकैती जैसे 21 संगीन मामले में पिछले साढ़े तीन वर्षों से सहरसा जेल में बन्द चन्दन यादव नाम के इस अपराधी द्वारा खुद जहर खाने या किसी के द्वारा जहर दिए जाने की आशंका से पूरे इलाके में सनसनी फैल गयी है.खुद चन्दन यादव की मानें तो आज कोर्ट पेशी के दौरान आशीष नाम के एक युवक ने जान मारने की नीयत से एक साथ उसे दवा की कई गोलियां खिला दी थी.मामले के पीछे की सच्चाई आखिर जो हो लेकिन फिलवक्त इस घटना ने जेल प्रशासन के काम--काज प़र कई तरह के सवाल तो खड़े कर ही दिए हैं.सहरसा जेल में महीनों से कारा अधीक्षक नहीं हैं.जिला प्रशासन के एक मेजिस्ट्रेट सत्यनारायण मंडल कारा अधीक्षक के प्रभार में हैं.घटना के वक्त वे जेल प़र मौजूद नहीं थे.हमारे जेल प़र आने की सुचना पाने के बाद भी जेलर सुरेश चौधरी ने जेल के भीतर से बाहर आना मुनासिब नहीं समझा.आखिर हमने जेल सुरक्षा में तैनात बीएमपी के अधिकारी से ही इस घटना को लेकर जबाब--तलब किया.यह अधिकारी जेलर और जेल प्रशासन प़र ठींकरा फोड़ते हुए इस घटना के लिए उन्हीं लोगों को जिम्मेवार ठहराया. एक बंदी के द्वारा जहर खाये जाने की बात से पूरे प्रशासनिक महकमे में भी खलबली मच गयी है.अभी कैदी अस्पताल में भर्ती है और इस मामले के पीछे का असली रहस्य क्या है वह जाहिर नहीं हो पा रहा है.एक कैदी द्वारा ऐसा कदम उठाना जेल प्रशासन प़र कई तरह के प्रश्न खड़े कर रहा है.इस मामले में सघन और तटस्थ जांच और फौड़ी तौर प़र बड़ी कारवाई की जरुरत है.

जुलाई 04, 2012

मुखिया ने बेरहमी से की महिला की पिटाई

रिपोर्ट चन्दन सिंह:  सहरसा के सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र के कोपा पंचायत के मुखिया अजय रजक ने अपनी भाभी की ना केवल बेरहमी से सड़क पर पटक--पटक कर के पिटाई की बल्कि उसकी अस्मत से खेलने की भी पुरजोर कोशिश की.गंभीर रूप से जख्मी महिला को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुयी है. मौके पर मौजूद डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उसके इलाज में लगे हुए हैं.यहाँ उसकी स्थिति गंभीर बनी हुयी  है. जालिम देवर ने बीच सड़क पर पटक--पटक के लात--घूंसे से बेरहमी और दरिंदगी से उसे पीटा है.घंटों अस्पताल के बेड पर यह महिला बेहोश पड़ी रही.बड़ी मशक्कत के बाद इसे होश में लाया जा सका.पीडिता ने जहां आज की घटना के बारे में पूरी जानकारी दी वहीँ बताया की उसका देवर जब उसके पति घर में मौजूद नहीं रहते हैं तो वह घर में घुस जाता है और उसकी अस्मत उतारने की पुरजोर कोशिश करता है.लेकिन उसकी किस्मत अच्छी रही है की आजतक वह अपनी इज्जत को बचाए रखी. आज भी उस जालिम ने पहले उसकी अस्मत उतारने की कोशिश की लेकिन जब कामयाब नहीं हुआ तो उसने पीट--पीट कर उसको अधमरा कर दिया.उन्हौनें कई बार पुलिस से इस बाबत शिकायत की लेकिन पुलिस मुखिया के पैसे प़र बिक गयी और उसकी फ़रियाद पर उसने आजतक कोई कारवाई नहीं की.पीड़िता के पति शिक्षक हैं और वे भी अपने छोटे लेकिन दबंग भाई से काफी परेशान है.पैसे की हनक में रिस्ते--नाते और मान--मर्यादा की कोई कीमत नहीं रह जाती.मुखिया की हरकत घिनौनी और दरिंदगी से भरी हुई है.पुलिस इस मामले में आजतक खामोश रही जिसका नतीजा सामने है.अब पुलिस के बड़े अधिकारियों को तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए उचित कारवाई करनी चाहिए.बहरहाल पीडिता को किसी तरह का न्याय मिल सकेगा,इसके द्वार फिलवक्त खुलते नहीं दिख रहे हैं.

जुलाई 03, 2012

मौत का पानी

चन्दन सिंह की रिपोर्ट : कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़.भूख से कुलबुलाते पेट और खामोश चूल्हे.गरीबी,बेकारी और अभाव में सिसकते और सुबकते कोसी के इस इलाके में यूँ तो आफतों की कोई कमी नहीं है लेकिन असमय विभिन्य तरह की बीमारियों की चपेट में आकर लोगों की हो रही मौतों से यहाँ की जिन्दगी दोजख में बेमानी होकर रह गयी है.यह अलग बात है की इससे यमराज को काफी राहत और सुकून मिल रहा होगा.कोसी नदी के कहर को हर साल सिद्दत के साथ झेलने वाले इस इलाके में विभिन्य तरह की बीमारियों के शिकार होकर लोग असमय काल--कलवित हो रहे हैं.खासकर के
मौत का पानी
 कोसी इलाके में शुद्ध पानी एक बहुत बड़ी समस्या है.एक तो पानी में आयरन की मात्रा अत्यधिक है उसपर पानी बिलकुल पीला और बदबूदार निकलता हैं.जाहिर सी बात है की पानी में विभिन्य तरह के कीटाणु भी होते हैं.लेकिन लोग आखिर करें भी तो क्या.सम्बद्ध विभाग और सरकार इस मामले में बिल्कुल खामोश है.सरकार के प्रयास से जिले में PHED विभाग ने आमलोगों को शुद्ध पानी पिलाने के लिए करोड़ों की दो योजनायें कोसी अमृत पेयजल और आयरन रिमूवल प्लांट (IRP)युक्त चापाकल योजना चलाई लेकिन ये दोनों योजनायें महज खाऊ--पकाऊ बनकर रह गयी और जिले के लोग इसके एक बूंद पानी को भी हलाक के नीचे नहीं पहुंचा सके.ऐसे में लोग गंदे पानी को पीने को विवश हैं.ग्रामीण इलाके की बात तो छोडिये जनाब शहरी इलाके में भी लोग गंदे और बदबूदार पानी पीने को विवश हैं.लोगों के सामने कोई दूसरा विकल्प नहीं है. लोग ऐसे पानी को पीकर अक्सर बीमार ही रहते हैं.खासकर के गरीब तबके के लोगों को तो शायद स्वस्थ्य रहने की इजाजत ही नहीं है.ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम छोटे--बड़े अस्पताल से लेकर शहर के अस्पताल गरीब मरीजों से भरे रहते हैं.इन अस्पतालों में मरीजों को कैसी स्वास्थ्य सुविधा मिलती है इसकी चर्चा करना,कम से कम आज बेमानी है.
अगर आपके गले सुख रहे हैं और आपको पानी की शख्त जरूरत है,फिर भी कम से हम आपको सहरसा के ग्रामीण क्षेत्रों में कभी भी पानी पीने की सलाह नहीं देंगे.यहाँ मौत का पानी मिलता है.नीतीश जी आप तो साधारण पानी की जगह मिनरल वाटर पीते हैं.कभी सहरसा आईये तो यहाँ के आमलोगों के इस मौत के पानी को भी पीने की जहमत उठाईये.आप इस इलाके का दर्द यहाँ के लोगों के बीच घुसकर देखिये.लेकिन आपको हवाई यात्रा और ए.सी कमरे में बैठे--बैठे फाईलों के मकड़जाल से निकलने की फुर्सत कहाँ है

जुलाई 01, 2012

जहानाबाद के दो परीक्षार्थी शराब पीकर हुए टुन्न

रिपोर्ट चन्दन सिंह: पॉलीटेक्निक की एक दिवसीय परीक्षा के संपन्न होने के उपरान्त आज दोपहर बाद दो परीक्षार्थियों ने छंककर इतनी शराब पी की ना केवल उनकी हालत बुरी तरह से बिगड़ गयी बल्कि नशे में टुन्न ये दोनों परीक्षार्थी बेहोशी की हालत में एक गड्ढे में गिर गए.स्थानीय लोगों ने करीब दो घंटे तक रेल पुलिस लेकर सदर थाने की पुलिस तक को इसकी सूचना दी लेकिन अपनी आदत से मजबूर कहीं से कोई पुलिस वहाँ नहीं पहुंची स्थानीय लोगों के प्रयास से गंभीर स्थिति में फंसे इन दोनों परीक्षार्थियों को इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया गया जहां उनकी हालत काफी गंभीर बनी हुई है.अस्पताल में मौजूद चिकित्सक के मुताबिक़ इनदोनों युवकों की हालत काफी नाजुक है.वे इलाज में लगे हैं लेकिन सबकुछ भगवान के हाथों है.
घर से अपने स्वजन--परिजनों को ढेरों सतरंगी सपने दिखाकर आने वाले ये युवक अपनी करनी से आज मौत के मुहाने प़र खड़े हैं. रब जाने इनकी जिन्दगी बचेगी भी की नहीं.

गिरफ्त में आया लुटेरा

रिपोर्ट चन्दन सिंह : सदर थाना क्षेत्र के रूपनगरा गाँव में आज दिनदहाड़े लूट की घटना को अंजाम दे रहे तीन अपराधियों में से एक अपराधी को ग्रामीणों ने खदेड़ कर दबोच लिया.अभय यादव नाम का यह लुटेरा अपने दो अन्य साथियों के साथ इस गाँव के रास्ते सहरसा की ओर जा रहा था.रास्ते में इसने मोहम्मद नियमान आलम नाम के एक मोटर साईकिल सवार को पहले तो रोका फिर पहले उसकी मोबाइल छीन ली और पुनः उसकी गाड़ी छीनने लगा.पीड़ित युवक ने थोड़ा सा प्रतिरोध किया की इन अपराधियों ने उसपर गोली चला दी.किस्मत अच्छी थी की वह बाल--बाल बच गया.पीड़ित युवक पहले तो जान बचाकर भागा फिर उसने जोर--जोर से शोर मचाना शुरू कर दिया.आसपास के लोग चीख सुनकर चारों तरफ से जमा होने लगे और लुटेरों को खदेड़ना शुरू कर दिया काफी मसकत के बाद एक अपराधी को ग्रामीण ने  गिरफ्त में लेकर उसकी जमकर धुनायी भी की.ग्रामीणों ने इस अपराधी के पास से दो खतरनाक हथियार और बारह जिन्दा कारतूस भी बरामद किये.बताना लाजिमी है की लोगों ने लुटेरे की मोटरसाईकिल को भी अपने कब्जे में ले लिया.बाद में इस घटना की सूचना लोगों ने सदर थाने को दी.पुलिस ने आकर इस लुटेरे को अपनी गिरफ्त में लेकर गहराई से तफ्तीश शुरू कर दी है.मालूम हो की पुलिस के हाथ लुटेरे के दो हथियार तो आये लेकिन बारह में से महज चार गोली ही उसकी हाथ लगी.जाहिर सी बात है की किसी ने अफरातफरी में आठ गोली गायब कर दिए.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।