जुलाई 31, 2015

बिकने---लूटने से बचा बचपन..........

मुकेश कुमार सिंह की कलम से-------आज सहरसा रेल पुलिस(GRP)को एक बड़ी कामयाबी मिली.रेल पुलिस ने चाईल्ड लाईन संस्था की गुप्त सूचना पर सुबह करीब साढ़े आठ बजे सहरसा रेलवे स्टेशन पर खड़ी जनसेवा एक्सप्रेस जो सहरसा से पंजाब जाती है पर सवार एक दलाल सहित आठ मासूम बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले लिया.लूटने से बचे इन बच्चों में से सात पुर्णिया जिले के रहने वाले हैं जबकि एक बच्चा मधेपुरा जिले का रहने वाला है.गिरफ्त में आया दलाल इन तमाम बच्चों को,काम कराने के नाम पर पंजाब ले जा रहा था.
हम तो पेट की भूख मिटाने की जंग लड़ रहे हैं.हमें सपने देखने की आजादी नहीं है.जी हाँ! कोसी--सीमांचल सहित पूर्वोत्तर बिहार इलाके में बच्चे कच्ची उम्र में ही पढाई कर ऊँची मंजिल पाने के सपनों को कुचलकर कुछ काम कर रोजी--रोटी के इंतजाम में जुट जाते हैं.आंकड़े गवाह हैं की मानव तस्करों की गिद्ध दृष्टि इस इलाके प़र लगी रहती है,जहां मजबूर माँ--बाप नाना तरह के शब्जबाग के झांसे में आकर अपने बच्चों का सौदा मानव सौदागरों से करने से भी गुरेज नहीं करते हैं.रेल थाना में लाये गए ये बच्चे पंजाब के लुधियाना ले जाए जाने के दौरान आज जनसेवा एक्सप्रेस से बरामद किये गए हैं.दलाल इन्हें बहला--फुसलाकर लुधियाना ले जा रहे थे.यह सच है की जिन मासूम हाथों में कलम--किताब होनी चाहिए वह मज़बूरी में परदेश,वह भी कमाने के लिए जा रहे हैं.देखिये इन मासूमों की आँखों को.ये रो रहे हैं.बिलख और सुबक रहे हैं.इनकी विवशता व्यवस्था और हुक्मरानों से कई सवाल एक साथ कर रहे हैं.गरीबी क्या होती है ज़रा इनकी बेजा चिथड़ों में लिपटी जिन्दगी में उतरकर देखिये.य़े बच्चे कह रहे हैं की वे पढ़ना चाहते हैं लेकिन मज़बूरी में कमाने जा रहे हैं.घर में अनाज नहीं है.जाहिर तौर पर ये मासूम अपनी इच्छा को कुचलकर परदेश जा रहे थे.


रेल पुलिस की गिरफ्त में आया दलाल मोहम्मद अयूब खुद को निर्दोष बताता है.पूर्णिया जिले का रहने वाला यह दलाल कह रहा है की उसके साथ महज दो बच्चे हैं,जो पढ़ने के लिए लुधियाना जा रहे हैं.इसकी मानें तो पुलिस अधिकारी ने जबरन उसे गिरफ्त में ले लिया है.इधर रेल थानाध्यक्ष संतोष कुमार घटना की पूरी जानकारी देते हुए कह रहे हैं की गिरफ्त में आया दलाल आठ बच्चों को लुधियाना ले जा रहा था लेकिन चाइल्ड लाईन की सूचना के बाद यह कार्रवाई सम्भव हो पायी.अधिकारी इस कामयाबी से गदगद हैं और आगे भी उचित कारवाई का भरोसा दे रहे हैं.
हर साल बाढ़ की विभीषिका झेलने वाले इस इलाके में गरीबी बेकारी,भुखमरी, बीमारी और तरह--तरह की समस्याएं सुबह की पहली किरण के साथ ही मुंह बाए खड़ी रहती है.इस इलाके में गरीबी कुलाचें भर रही है.खासकर के पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर की स्थिति तो और भी नाजुक और कलेजे को चाक करने वाली है.पेट की आग बुझाना यहाँ पहाड़ खोदकर दूध निकाले के समान है.ऐसे में गरीब हर वक्त किसी तारणहार की बाट जोहते नजर आते हैं.इस लाचारी में ये गरीब माँ--बाप मानव तस्कर के झांसे में आ जाते हैं और महज कुछ रूपये की लालच में अपने कलेजे के टुकड़ों को उनके हाथों बेच देते हैं दो से दस हजार के बीच की रकम देकर दलाल इन गरीब लोगों के मासूमों को खरीदकर दूसरे प्रांत ले जाते हैं जहां ऊँची कीमत पर उन बच्चों को बेचकर मालामाल होते हैं.
कई ऐसे मामले आये हैं की ये दलाल हर साल बच्चों को अलग--अलग कीमत में अलग--अलग जगहों पर बेचते हैं.पिछले दस वर्षों के दौरान कोसी इलाके के 25 हजार से ज्यादा बच्चों को दलाल खरीदकर दूसरे प्रांत ले गए हैं.यह अलग बात है की कुछ स्व्यंसेवी संघटनों ने अभीतक करीब 10 हजार बच्चों को इन दलालों के चंगुल से मुक्त कराने सफलता पायी है.लेकिन हद की इंतहा देखिये मुक्त कराये गए इन बच्चों को वायदे के मुताबिक़ आजतक ठीक से पुनर्वासित भी नहीं किया गया है.जाहिर सी बात है की इतने संवेदनशील मामले में सरकार की तरफ से कोई ठोस कदम क्या ख़ाक उठाये जायेंगे, सरकारी फाईलों से गरीबों के नाम पर निकलने वाली करोड़ों--अरबों की योजनायें धरातल पर नहीं पहुच पाती हैं,यह उसी का नतीजा है.
कोसी इलाके में मासूम सपनों की बलि चढाने का सिलसिला बदस्तूर जारीहै.सरकार के कागजी आंकड़े और जमीनी सच में कोई मेल नहीं है.गरीब के लिए ही लगभग सारी बड़ी योजनायें है लेकिन गरीब को इन योजनाओं का फलाफल मिलना तो दूर इन योजनाओं की पूरी जानकारी भी नहीं हो पाती है और उनकी अर्थी निकल जाती है.गरीबों की ज्यादातर योजनायें बाबू--हाकिम से लेकर बिचौलियों के बीच ही उछलती--फुदकती रह जाती है.ये गरीब अपने मासूम नौनिहालों के सपने बेचते हैं.उनकी जिन्दगी और उनकी अहमियत बेचते हैं.जबतक गरीबी और रोजगार का टोंटा रहेगा इस इलाके में मानव तस्कर बच्चों को यूँ ही खरीदते रहेंगे.

जुलाई 30, 2015

आनंद मोहन की राजनीतिक नैया को अब पार लगाएंगे मांझी....

सहरसा टाईम्स के ग्रुप एडिटर मुकेश कुमार सिंह की कलम से------  तारीख 29 जुलाई 2015. जगह पटना का रविन्द्र भवन. यह दिन बिहार के राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाएगा. आज फैंड्स ऑफ आनंद द्वारा आयोजित एक विशेष सम्मलेन के दौरान सपा छोड़ पूर्व सांसद लवली आनंद ने अपने तमाम समर्थकों के साथ जीतन राम मांझी की नवोदित पार्टी "हम" की सदस्य्ता ग्रहण की. इस पुरे कार्यक्रम के दौरान पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद का बड़ा बेटा चेतन आनंद अपनी माँ के साथ साये तरह मौजूद रहा. "हम" सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ लवली आनंद और चेतन आनंद दोनों को "हम" पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेवारी सौंपेगी. इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और लवली आनंद ने "हम" का दामन थामा है. जाहिर तौर पर जीतन राम मांझी और उनके समर्थकों के लिए आगे यह एक "संजीवनी" साबित होगी. सूबा बिहार सहित देश के अन्य हिस्सों में भी पूर्व सांसद आनंद मोहन का अभी भी एक बड़ा जनाधार मौजूं है. 
इस कड़ी में यह बताना जरुरी है की सजायफ्ता पति का दर्द और बच्चों के लालन--पालन की जिम्मेवारी को समेटे पूर्व सांसद लवली आनंद अपनी राजनीति की गाड़ी भी आगे बढ़ाती रही है. संघर्ष की यात्रा जब लम्बी होने लगती है तो इंसान टूटने और बिखड़ने लगता है लेकिन लवली आनंद चट्टानी वजूद के साथ जिंदगी का जंग ना केवल सिद्दत से लड़ती रही बल्कि राजनीति में भी खुद को बनाये--जमाये रखा. लेकिन जीवन के झंझावतों में उलझी लवली आनंद बगैर आनंद मोहन के राजनीति में कोई बड़ी हैसियत नहीं बना पायी और इस पार्टी से उस पार्टी में जाने में ही उनके कीमती समय बेजा व्यय होते रहे. 
पूर्व सांसद आनंद मोहन 
बताते चलें की तत्कालीन गोपालगंज जिलाधिकारी जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में बीते लगभग एक दशक से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की राजनीतिक यात्रा में एक ठहराव जरूर आया है लेकिन उनकी राजनीतिक जिंदगी मुकम्मिल तौर से खत्म हो गयी हो, ऐसा कतई नहीं है. सहरसा मंडल कारा में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन विगत लोकसभा और विधान सभा चुनाव के दौरान विभिन्य राजनीतिक दलों की एक बड़ी और महती जरुरत रहे हैं. समय--समय पर विभिन्य राजनेताओं ने अपने--अपने फायदे लिए इनका भरपूर इस्तेमाल किया है. लेकिन उहापोह से भरी, अंधदौड़ वाली आज की राजनीति में पूर्व सांसद आनंद मोहन को किसी ने जेल से रिहाई के लिए प्रयास नहीं किया. विभिन्य मंचों से पूर्व सांसद आनंद मोहन की माँ गीता देवी,पत्नी लवली आनंद,बेटा चेतन आनंद सहित उनके अनेकों समर्थक आनंद मोहन को बिल्कुल निर्दोष और बेशर्म राजनीति का शिकार बताते रहे लेकिन इसका फलाफल सिफर आया और आनंद मोहन आजतक सलाखों के पीछे बंद हैं.
"हम" में शामिल होने के बाद लवली आनंद ने नीतीश--लालू पर जमकर हमले किये. खासकर नीतीश कुमार को पति आनंद मोहन को सजा कराने वाला और उनको जेल के सलाखों के पीछे करवाने वाला सबसे बड़ा साजिशकर्ता और बहुरुपिया बताया. इस मौके पर लवली को पार्टी में शामिल कराकर मांझी जहां बेहद खुश थे वहीँ उन्होनें आत्मीयता से ओतप्रोत होकर और मजबूती के साथ घोषणा की आगे जब उनके सहयोग से बिहार में सरकार बनेगी तो उनकी पहली प्राथमिकता होगी "जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की सम्मानजनक रिहाई"
लवली के पार्टी में शामिल होने का एक तरह से सभी जश्न मना रहे थे. कहते हैं कि यूँ भी नेताओं को खामोशी से बिठाकर रखना पहाड़ खोदकर दूध निकालने के समान है.लेकिन जब मौक़ा ख़ास हो और एक अदद मंच भी हो तो मंचासीन नेता,आखिर कैसे चुप बैठेंगे. इस मौके पर महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने कह डाला की सहरसा जेल से आनंद मोहन ने इस कार्यक्रम में उन्हें शामिल होने का न्योता दिया था.यह एक बड़ी भूल थी जिसे वृषण पटेल ने अपने भाषण में सम्भाला और कहा की मांझी जी ने फोन करके न्योता दिया था जिसे महाचन्द्र बाबू ने गलती से आनंद मोहन के द्वारा न्योता मिला,कह डाला.वृषण पटेल ने इंकलाबी लहजे में कहा की आमलोगों का यह नारा है की "जेल का फाटक टूटेगा और आनंद मोहन निकलेगा",यह जल्द ही साकार होगा. वृषण पटेल ने तो यह भी कहा की जल्द ही लालू प्रसाद जेल जाएंगे और जेल में बंदी तब कहेंगे की "बहारों फूल बरसाओ,मेरा महबूब आया है".
लवली आनंद "हम" में शामिल हो चुकी हैं और हम को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टी की मान्यता भी दे दी है. बहुत जल्द इस पार्टी को चनाव चिह्न भी हासिल हो जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव में यह पार्टी कितनी ताकतवर पार्टी के रूप में उभरकर सामने आती है, आगे यह देखना दिलचस्प होगा. वैसे अभी इतना तो तय दिख रहा है की एन.डी.ए.  की सब से बड़ी पार्टी बीजेपी इस नवोदित पार्टी "हम" को खुश करने में कोई कोर--कसर  नहीं छोड़ेगी.
सहरसा टाईम्स  के ग्रुप
एडिटर मुकेश  कुमार सिंह
पूर्व सांसद लवली आनंद की इस नयी राजनितिक पारी को लेकर हम अपने पाठकों को एक बेहद खास जानकारी देना चाहते हैं.लवली आनंद को अपनी पार्टी रालोसपा में शामिल कराने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुसवाहा और प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार ने सहरसा जेल में आनंद मोहन से कुछ दिन पूर्व मुलाक़ात की थी. यही नहीं लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान और बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी आनंद मोहन पर अलग से डोरे डाल रहे थे. वैसे मांझी के बेहद करीबी शकुनी चौधरी भी जेल जाकर आनंद से ना केवल मुलाकात की थी बल्कि वे लगातार उनके सम्पर्क में भी थे.लेकिन सियासी धुंध अब पूरी तरह से छंट चुकी है.पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद की राजनीतिक नैया के असल मांझी अब "जीतन राम मांझी" हैं.

दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ० अब्दुल कलाम को भावपूर्ण श्रद्धांजलि......



डा०कलाम को सलाम है,
मिशाइल मैन को प्रणाम है।
जब तक सूरज चांद है,
तब तक तेरा नाम है।
विज्ञान के प्रकाश में,
एसएलबी को आकाश में,
पोखरण परीक्षण से,
भारत के विकास में,
तेरा बड़ा काम है।
डा०कलाम को सलाम है,
मिशाइल मैन को प्रणाम है।
मुक्तेश्वर मुकेश, 
अध्यक्ष ,
भारतीय सर्वभाषा साहित्य संघ, 
सहरसा, बिहार।

जुलाई 29, 2015

सरकारी दीवारों पर राजनीतिक पार्टियों का कब्ज़ा..........

सहरसा टाइम्स की रिपोर्ट :- स्वच्छ भारत अभियान और स्मार्ट सिटी बनाने का कार्य सरकार द्वारा एक विशाल जन आंदोलन है जो कि पुरे भारत में चलाया जा रहा है। 
लेकिन  इस दीवार को ज़रा आप देखिये किस तरह से सरकारी दीवारों को पार्टी प्रसार -प्रचार के लिए प्रयोग किया जा रहा है. हवाई अड्डा से लेखर शहर के तमाम सरकारी दीवारों पर इस तरह का वाल पेंट आपको देखने को मिलेगा. कई बार इन दीवारों पर यदि किसी संस्थान या दुकानों का का प्रचार लगता था तो जल्द ही उससे मिटा दिया जाता था, लेकिन इस वाल पेंट को हटाने में सरकारी नुमाइंदे भी खामोश है. एक तरफ तो पार्टी के आलाधिकारी इस शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की बात कर रहे है तो दूसरी ओर बीजेपी जैसे बड़े पार्टी का इस तरह से सरकारी दीवारों पर अपना विज्ञापन छपवाना कितना उचित है ये समझ से परे है. 
विधानसभा चुनाव को लेकर शहर के तमाम जगहों पर पोस्टर वार तीव्र गति से चालू है. जिस पार्टी कार्यकर्ता को जहाँ खाली स्थान दिखता है वहीं पोस्टर चिपकाने या पेंट करने में पीछे नहीं रहते है. जिस तरह से सरकारी दीवारों पर पोस्टर वार जारी है उससे हम स्मार्ट सिटी या स्वच्छ भारत की कल्पना कैसे कर सकते है जड़ा आप भी तो सोचिये. 

जुलाई 23, 2015

अब होगी शर्तों की राजनीति.....................

मुझे राजनीति करनी नहीं आती,पिता को इन्साफ दिलाने,माँ का संबल बनने आया हूँ----चेतन आनंद 
मुकेश कुमार सिंह की कलम से-------
कभी रॉबिन हुड तो कभी बाहुबली और कभी राजपूतों के क्षत्रप. सहरसा जिले के पंचगछिया गाँव के रहने वाले पूर्व सांसद आनंद मोहन बिहार में जे.पी.आंदोलन की ऊपज हैं. बिहार सहित देश की राजनीति में मजबूत हस्तक्षेप रखने वाले आनंद मोहन की राजनीतिक यात्रा विगत कुछ वर्षों से ठहरी हुयी है.फिलवक्त आनंद मोहन बिहार के गोपालगंज जिले के तत्कालीन डी.एम.जी.कृष्णैया हत्या मामले में माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा आजीवन कारावास के सजायाफ्ता हैं और अभी सहरसा जेल में बंद हैं .लगभग एक दशक से जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन हांलांकि इस बाबत खुद को निर्दोष और क्रूर राजनीति के शिकार बताते हैं. इस कठिन दौर में,लम्बे समय से राजनीति से दूर रहने वाले आनंद मोहन की राजनीतिक गाडी को उनकी धर्मपत्नी श्रीमती लवली आनंद आगे बढ़ाती रही है. लेकिन पति के साथ हुए अन्याय और देश के बड़े राजनेताओं के द्वारा लगातार छलावा मिलने की वजह से उनके राजनीतिक जीवन में ना तो कभी ठहराव आ सका और ना ही वह कहीं उच्चतर राजनीतिक हैसियत ही बना पायी. वैसे जेल में बंद रहने के बाद भी, हर चुनाव के वक्त आनंद मोहन का कद तमाम राजनीतिक पार्टियों के लिए कतिपय बढ़ा हुआ रहा है और कई पार्टियां अपने फायदे के लिए उनका भरपूर इस्तेमाल भी करती रही है. 
वैसे बताते चलें की तमाम विकट हालात के बाबजूद, पूर्व सांसद आनंद मोहन का जहां बिहार में एक बड़ा जनाधार है वहीँ देश के अन्य हिस्सों में भी उनकी पकड़ है. पूर्व सांसद आनंद मोहन के गुरुकुल से निकले किशोर कुमार मुन्ना और नीरज कुमार बबलू कोसी इलाके की राजनीति में एक अलग और मजबूत पहचान बनाये हुए हैं. यही नहीं आनंद मोहन के गुरुकुल से राजनीति के गुर सीखकर विधायक जय कुमार सिंह, झारखण्ड सरकार के पूर्व मंत्री कमलेश कुमार सिंह, पारु विधायक अशोक कुमार सिंह,गोपालगंज विधायक सुभाष सिंह,गया विधायक वीरेंद्र सिंह,फारविसगंज विधायक पद्म पराग रेणू,गणपतगंज विधायिका दमयंती यादव, मोतीपुर विधायक ब्रज किशोर सिंह,देव की पूर्व विधायिका रेणू पासवान, मीनापुर विधायक दिनेश कुसवाहा,विधान पार्षद दिनेश सिंह,पूर्व विधान पार्षद विनोद कुमार सिंह,पूर्व विधायक ललन पासवान, पंकज पासवान और जयपुर राजस्थान के विधायक प्रताप सिंह खाचरियावास जैसे राजनेता, आज मजबूती से राजनीति में अपनी दखल रखते हैं.एक लम्बी फ़ौज है जो पूर्व सांसद आनंद मोहन के असीम आशीर्वाद से आज राजनीति में बाखूबी परचम लहरा रहे हैं.लेकिन यह एक बड़ा सच है की जेल में बंद रहने की वजह से आनंद मोहन के ना केवल जनाधार को बड़ा झटका लगता रहा है बल्कि उनका राजनीतिक कद भी काफी छोटा प्रतीत होता है.राजनीति के जानकार तो आनंद मोहन के राजनीतिक जीवन के अवसान तक की बात करते दिखते हैं.अब तमाम कमियों को पाटने और राजनीति में एक नयी शुरुआत का विगुल फूंकने पूर्व सांसद आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद का बेटा चेतन आनंद आ रहा है.यूँ तो राजनीति में वंशवाद का पुराना इतिहास रहा है जिसका मजबूत स्तम्भ और बेहतर उदाहरण नेहरू परिवार है.इस कड़ी में लालू प्रसाद और रामविलास पासवान भी किसी से कमतर नहीं हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चेतन आनंद को बेहद खास तरीके से प्रोजेक्ट किया जा रहा है.लेकिन चेतन आनंद राजनीति में आने की बात से साफ़ इंकार कर रहे हैं और कह रहे हैं की एक तो राजनीति में आने की ना तो उनकी ख्वाहिश है और ना ही उनकी उम्र है,दूसरा उन्हें अपनी पढ़ाई के जरिये देश की सेवा करनी है.चेतन आनंद ने देश के अति प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सिम्बायशिस पुणे  से इंडस्ट्रियल डिजाइनिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की है और अगले साल जनवरी माह में वे उच्चतर शिक्षा के लिए आस्ट्रेलिया जा रहे हैं.उन्होनें अपने पिता के साथ हुए अन्याय को सिद्दत से भोगा है.वे महज अपनी माँ का सम्बल बनने आये हैं.इसी माह 29 जुलाई को पटना के रविन्द्र भवन सभागार में फ्रेंड्स ऑफ आनंद का राज्य स्तरीय सम्मलेन है.इस सम्मेलन में प्रमुख साथियों से गहन विचार--विमर्श के बाद कई अहम फैसले और भावी योजनाओं का खुलासा होगा. सहरसा टाईम्स से चेतन आनंद ने राजनीति से जुड़े कई मसलों पर एक्सक्लूसिव और खास बातचीत की.
चेतन आनंद ने सहरसा टाईम्स से खास बातचीत में पटना में आहूत आगामी सम्मलेन को लेकर विस्तृत जानकारी देते हुए कहा की खुद चेतन आनंद और लवली आनंद इस सम्मलेन को सफल और प्रभावी बनाने के लिए पिछले सप्ताह से बिहार दौरे पर हैं. सम्मेलन के मुख्य मुद्दे को लेकर चर्चा करते हुए चेतन आनंद ने कहा की ''ना विशेष पैकेज की भीख और ना ही असम्भव विशेष राज्य का दर्जा'' बिहार के तीव्र विकास के लिए आबादी के अनुरूप राष्ट्रीय बजट में बिहार का हिस्सा तय हो,जिससे बिहार खुद अपने पांवों पर खड़ा हो जाएगा.बिहार बंटवारे के बाद अब,जब की राज्य की सभी खनिज सम्पदा झारखण्ड चली गयी है और राज्य की अस्सी प्रतिशत आबादी आज सिर्फ खेती पर निर्भर है,तो राज्य की तरक्की का एक मात्र रास्ता यह रह जाता है की हम खेती पर विशेष ध्यान दे.इसके लिए बिहार सरकार को अपने मुकम्मिल बजट का पचास प्रतिशत हिस्सा खेती पर खर्च करना चाहिए.चेतन आनंद ने बातचीत के दौरान आगे कहा की गरीब सवर्णों के आरक्षण की बात अब प्रायः हर पार्टी करने लगी है.मायावती जी,लालू जी,रामविलास जी और नीतीश जी ने तो बढ़कर सवर्ण आयोग का गठन ही कर डाला.लेकिन विडंबना देखिये की चार साल में यह आयोग चार कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया.अतः हमारी मांग है की आर्थिक तौर पर पिछड़े और गरीब सवर्णों को भी सरकारी नौकरी में 10 से 15 प्रतिशत तक आरक्षण का लाभ मिल सके.इससे देश की प्रतिभाओं का पलायन रुकेगा.देश और दुनिया की हर क्रान्ति और हर बदलाव युवाओं के बलिदान के दम पर होते आये हैं.लेकिन हद की इंतहा देखिये की कुर्बानी किसी की और कब्जा किसी और का होता जाता है.युवाओं को अगर अपने सुर्ख़ाबी सपनों को वाजीवियत की जमीन देनी है तो सत्ता में उनकी भागेदारी बेहद जरुरी है.ऐसे में ''देश की तमाम पार्टियां आगामी चुनावों में 25 से 40 वर्ष के युवाओं को 50 प्रतिशत टिकट देना सुनिश्चित करे''.
आखिर में चेतन आनंद काफी भावुक हो गए और कहा की बिहार का बच्चा--बच्चा जानता है की गोपालगंज के तत्कालीन डी.एम.जी.कृष्णैया हत्या मामले में मेरे पापा आनंद मोहन जी बिलकुल निर्दोष हैं.उन्हें सोची--समझी और गहरी साजिश का शिकार बनाया गया है.वे अपने पापा की सम्मानजनक रिहाई चाहते हैं.
अपनी बात खत्म करने से पहले चेतन आनंद ने बड़े साफ़ लहजे में कहा की इन मुद्दों पर आधारित भावी लड़ाई में जो पार्टी या समूह हमारा साथ देंगे,आगामी विधानसभा चुनाव में फ्रेंड्स ऑफ आनंद उसे ही अपना समर्थन देगा.

जुलाई 17, 2015

बंदी की मौत ........


सहरसा टाइम्स की रिपोर्ट : बीते चौदह जुलाई को मंडल कारा सहरसा से ईलाज के लिए सदर अस्पताल लाये गए बंदी मरीज बनारसी सदा की ईलाज के दौरान मौत हो गयी. मृतक बंदी जिले के फोरसाहा गाँव का रहने वाला था और एक नरसंहार मामले में आजीवन कारावास की सजा सहरसा मंडल कारा में काट रहा था.मृतक के परिजनों ने ईलाज में डॉक्टरों की लापरवाही को बंदी की मौत की वजह बताया है.
सदर अस्पताल के बंदी कक्ष में मृतक की लाश पड़ी हुयी है. 1985 में जिले के सौर बाजार प्रखंड के फोरसाहा गाँव में एक साथ 8 लोगों की ह्त्या की गयी थी.इस मामले में 1992 में हाई कोर्ट के द्वारा 25 लोगों को आजीवन कारावास की सजा हुयी थी.बनारसी सदा इन सजायाफ्ताओं में से एक था.मृतक के परिजन साफ़--साफ़ कह रहे हैं की बंदी का ईलाज सही तरीके से नहीं हुआ.डॉक्टरों ने बंदी मरीज को सिर्फ पानी चढ़ाया जबकि उसे गैस की शिकायत थी.बिना दवा के यह मरीज तड़प-तड़प कर मर गया.बताना लाजिमी है की इसी मामले में एक अन्य सजायाफ्ता बंदी रघुनन्दन यादव की मौत भी ईलाज के दौरान सदर अस्पताल में इसी साल हुयी थी.और तभी भी मृतक के परिजन ने इसी तरह से डॉक्टर की लापरवाही को उक्त बंदी की मौत की वजह बताया था.
मौके पर जेल जमादार कपिलदेव सिंह घटना के बाबत जानकारी देने के साथ---साथ मृतक के   परिजनों के द्वारा चिकित्सक पर लगाए जा रहे आरोपों के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं.  बंदी के मामले में शख्त कानूनी दांव--पेंच और प्रशासनिक उदासीनता अक्सर बंदी की मौत की वजह बनती है.समय पर साधारण बंदियों को जेल से निकालकर बाहर किसी बेहतर मेडिकल संस्थान में ले जाकर ईलाज करवाने से पहले थोक में कागजी कार्रवाई होती है और तबतक बंदी इस दुनिया को अलविदा कह देता है.

युवाओं का हल्ला बोल ...........

मुकेश कुमार सिंह की कलम से---- गिरती कानून व्यवस्था और अपराधियों के बढे मनोबल से आजिज आकर आज सहरसा के सैंकड़ों युवाओं ने बिहार विकास मोर्चा के बैनर तले ना केवल जमकर हल्ला बोला बल्कि जिले के एसपी और डीएम का पुतला भी फूंका.आक्रोशित युवाओं का हुजूम जुलुस की शक्ल में स्थानीय जिला परिषद परिसर से निकला जो मुख्य बाजार डीबी रोड,थाना चौक,कुंवर सिंह चौक होते हुए डीएम और एसपी कार्यालय के समीप पहुंचा जहां इन युवाओं ने इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बाद में इनदोनों अधिकारियों के पुतले को स्टेडियम के सामने आग के हवाले किया गया.
देखिये आक्रोशित युवाओं के इस फ़ौज को. पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारियों के खिलाफ इनका आक्रोश फूटा है.बिहार विकास मोर्चा.के अध्यक्ष सोनू तोमर और संरक्षक राजेश कुमार सिंह ने समवेत स्वर में कहा की रोजाना संगीन से संगीन अपराध शहरी इलाके से लेकर ग्रामीण इलाके में हो रहे हैं लेकिन ये अधिकारी हाथ पर हाथ धरे हुए हैं.पुलिस वाले न्याय करने की जगह रिश्वत लेकर फर्जी मुकदमें कर रहे हैं. लग रहा है की इस जिले में अपराधियों की सरकार है.मोटे तौर पर ऐसे अधिकारियों की सांठगांठ अपराधियों से है और यही वजह है की अपराधी घटना दर घटना को अंजाम दे रहे हैं. इन युवाओं ने अधिकारियों को सात दिनों का अल्टीमेटम दिया  है की वे अपने आचरण में सुधार लाएं, नहीं तो जूते--चप्पल की माला पहनाकर उन्हें इस जिले से विदा किया जाएगा.
जाहिर तौर पर इस जिले में लोगों की सुरक्षा--पुलिस-प्रशासन की मुस्तैदी की जगह अपराधियों की मेहरबानी पर टिकी हुयी है.

जुलाई 10, 2015

नूतन के सर बंधा जीत का सेहरा.........

सहरसा जिलाधिकारी से प्रमाण पत्र  लेते  हुए नूतन सिंह   
मुकेश कुमार सिंह की कलम से------- सुपौल एमएलसी सीट से आज लोजपा प्रत्यासी नूतन सिंह ने सीधी टक्कर में कॉंग्रेस के इसराईल राईन को 2,127 मतों से हराकर जीत का परचम लहराया. सहरसा के जिला स्कूल में मतों की गणना हो रही थी जहां सुबह से ही विभिन्य प्रत्याशियों के समर्थकों का तांता लगा हुआ था. मैदान में कुल चौदह प्रत्यासी थे.
बताते चलें की नूतन सिंह, जदयू के बागी बाहुबली विधायक नीरज कुमार बबलू की पत्नी हैं. इस जीत के लिए नूतन सिंह ने जहां कोसी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, लोजपा के बड़े नेता सहित एनडीए के सभी नेताओं को बधाई और साधुवाद दिया वहीँ नीरज कुमार बबलू ने इस जीत को नीतीश कुमार के लिए पुरे सर्वनाश का आगाज बताया. बबलू ने कहा की आगामी लोकसभा चुनाव में कोसी के तेरह विधान सभा सीट में नीतीश कुमार खाता भी नहीं खोल पाएंगे. उनका सर्वनाश अब तय है. जीत के इस मौके पर ना केवल खूब अबीर--गुलाल उड़े बल्कि जमकर आतिशबाजियां भी हुयी.
मतगणना में नूतन सिंह को 3756 मत,कॉंग्रेस के इसराईल राईन को 1629 मत,मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बलराम सिंह यादव को 399 मत,निर्दलीय रवि शंकर यादव को 272 और रणधीर यादव को 125 मत मिले. इस जीत से जदयू के बाz विधायक नीरज कुमार बबलू को अकूत ताकत मिली है और जाहिर सी बात है की आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी की यह जीत उनके लिए संजीवनी का काम करेगी. वैसे एनडीए के लिहाज से भी यहजीत कोसी और सीमांचल में राजनीति की एक नयी शुरुआत का भी पुरजोर तरीके से संकेत दे रहा है.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।