सितंबर 30, 2011

तंगहाली में फांसी लगाकर आत्महत्या


                      
     

                                                                               कहते हैं की मौत बस बहाना ढूंढ़ती है बीते दिन सदर थाना क्षेत्र के बटराहा मुहल्ले से एक कमरे का दरवाजा तोड़कर पुलिस ने फांसी के फंदे में बांस--बल्ली से लटकती एक युवक की लाश को बरामद किया.पिछले दो दिनों से बन्द कमरे से आज बदबू निकल रही थी जिससे लोगों को शंका हुई और लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी.फिर मौके पर पुलिस ने आकर कमरे का दरवाजा तोड़कर लाश को बरामद किया.स्थानीय लोगों का कहना है की मृतक 35 वर्षीय संतोष
  यादव बेरोजगार था और महीनों से आर्थिक तंगी से गुजर रहा था.उसकी शादी हो चुकी थी और उसके दो मासूम बच्चे भी हैं.लेकिन पिछले तीन माह से उसने अपनी पत्नी और बच्चों को अपनी ससुराल में छोड़ रखा था.कई दिनों से वह काफी परेशान था और पिछले दो दिनों से उसका कमरा भी बन्द था लेकिन लोगों ने इसपर ध्यान नहीं दिया.लेकिन आज जब
कमरे से बदबू निकल रही थी तो लोगों को शक हुआ और उन्होनें पुलिस को इस बाबत सूचना दी.जाहिर तौर पर संतोष ने दो दिन पहले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.पुलिस लाश को कब्जे में लेकर जांच में जुट चुकी है.गरीबों के नाम पर सरकार की तमाम योजनाओं के बीच आर्थिक तंगी में एक परिवार असमय बर्बाद हो गया.
यह नजारा है सहरसा के रिहायशी मोहल्ला बटराहा का.देखिये इस बन्द कमरे के दरवाजे को पुलिस के सामने तोडा जा रहा है.और यह बांस--बल्ली से लटकती--झूलती लाश है संतोष यादव की.दो बच्चों का बाप संतोष अपनी बेबा पत्नी और बच्चों को रोता--बिलखता छोड़कर इस दुनिया से जा चुका है.बेरोजगार संतोष लाख कोशिशों के बाद भी कमाई का कोई पुख्ता इंतजाम आजतक नहीं कर पाया था.घर में उसके बड़े भाई और अन्य कई लोग भी हैं लेकिन वे भी गरीबी में किसी तरह अपनी जिन्दगी की गाड़ी खींच रहे हैं.आर्थिक तंगी की वजह से संतोष काफी परेशान रहा करता था.उसने अपनी पत्नी और बच्चों को पत्नी के मायके सौर बाजार प्रखंड के इन्दरवा गाँव तीन महीने पहले ही पहुँचाया था लेकिन उन्हें वह ला नहीं पा रहा था.जाहिर तौर पर उसकी माली हालत उसे अपने परिवार को यहाँ लाने से रोक रहा था.आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट चुके संतोष ने जिन्दगी से हार मान ली और दो दिन पहले ही फांसी लगाकर अपनी जान दे दी.बटराहा मुहल्ले में ही अलग--अलग जगह पर संतोष के दो भाईयों का परिवार रहता है.देखिये संतोष की मौत पर उसकी भाभी और घर के अन्य लोग कैसे विलाप कर रहे हैं.घर के लोग भी संतोष की आत्महत्या की वजह उसकी आर्थिक तंगी बता रहे हैं.
मौके पर आये पुलिस अधिकारी ने लाश को कब्जे में लेकर अनुसंधान शुरू कर दिया है.यह मामला हत्या का है अथवा आत्महत्या का यह उनके मुताबिक़ जांच के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा.
पुलिस की जांच आखिर जब पूरी हो लेकिन यहाँ के हालत चीख--चीख कर कह रहे हैं की गरीबी और मज़बूरी में एक युवक ने अपनी इहलीला खुद खत्म कर ली.हारकर संतोष तो इस दुनिया से चला गया लेकिन उसके बाद उसकी बेबा और उसके मासूम बच्चों का क्या होगा,फिलवक्त इसका जबाब किसी के पास नहीं है.

सितंबर 29, 2011

दरिदगी से पत्नी की हत्या

दरिदगी से पत्नी की हत्या 
२८-०९-2011
 भारतीय संस्कृति में जिस तरह से महिलाओ को देवी का दर्जा दिया जाता है वो अब हमारे समाज से कही ना कही दूर होता जा रहा.. मानवीय  संवेदना  सामाजिक  जीवन से शुन्य होती जा रही है.. जी हा आज जो हम आपको दिखाने  जा रहे है उसे देख  आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगे... बीते दिन सहरसा के बनगाव थाना क्षेत्र के  राजोरा गांव निवाशी शुकुमार यादव के घिनोने करतूत से तंग अनीता ने सामाजिक व्यवस्था के लिये दरदर समाज में भटकती रही फिर भी ये सामाज उन्हें  न्याय नहीं दिला सकी और इसी समाज के सामने दिन दहारे उसके कशाई पति ने धारदार हथियार से प्रहार कर मौत की नींद शुला दिया...
यह नजारा है राजोरा गावं के मायडगरा घाट का जंहा अनीता ने पशु के लिये घास काटने गई थी... घास कट कर लौट रही अनीता को उसके दरिन्दे पति ने दविया से प्रहार कर पहले गर्दन कटा फिर जिन्दा देख जवरा कट दिया...फिर देखते ही देखते उन दो मासूम शिल्पी और शंकर का आशियाना माँ के आँचल के साथ ही उजर गया. शुकुमार यादव ने दो दिन  पहले अपने शाश से कहा था की अब अगर आपकी बेटी अनीता हमसे किसी प्रकार की मांग करती है तो उन्हें जान से मार दूंगा... और इस बात को दो दिन में  साबित कर दिखाया .. 
                        एक घिनोने रिश्ते के लिए एक पवित्र रिश्ता का अंत होते रहता है..... इस बेजुवान समाज में ये कोई नई बात   नहीं है.... खैर जो भी हो पुलिश अनुसन्धान मे लग गई है... हत्यारे को जल्द ही गिरफ्तार करने की बात की जा रही है..... 








सितंबर 16, 2011

आतंक की ख़ोप



                                                                                                                                              16-09-2011  
आतंक की  ख़ोप से शहमी है शहर.
थम सी जाती है सड़क पे दोड़ती जिन्दगी...
विरान  हो जाती है  शहर की हर गलिया..
सुनाई पड़ती है तो सिर्फ दर्द से कराहती बेजान लाशो की शिश्किया...
सुनाई पड़ती है तो माँ बहनों की रोने की  आवाजे...
बैचैन हो जाती है सुरक्षा विभाग के आलाधिकारी उड़ जाती है इनकी नींदे   ...
इनसे किये जाते है   तमाम तरह के सवाल कहा हुई सुरक्षा व्यवस्था से चुक...
ओर बन  जाती है एक और जाँच कमेटी ..
और फिर सब कुछ धीरे धीरे सामान्य होने लगता.... 
मातम का शाया सिर्फ उन्ही के यंहा रहता  है जिनका कोई आतंकी  हमले का शिकार होता है...और तब शुरू होती है राजनीतिक शियाशी खेल...वेवैचारिक खेल जिनका ना तो कोई तर्क होता है ना ही मतलब सिर्फ बहानेवाजी..
जी हाँ .. जब हम आंतरिक सुरक्षा की बात करते है तो उस मायने में मेरा राष्ट्रय काफी पीछे छुट जाता है.. सिर्फ घोटाले और बयानवाजी  में आगे..आंतरिक सुरक्षा मामले में भारत अमेरिका से कोशो दूर है... अमेरकी ने जिस तरह से 9 /11 के  हमले का जबाव लादेन के मौत से लेकर नई इबारत लिखी उससे सभी आतंकवाद  से प्रभावित  राष्ट्रय को  शिख  लेनी चाहिए... परन्तु हमारा भारत तो लोकतान्त्रिक राज्य है  यंहा सभी बराबर है .. लेकिन एक साधारण चोर के लिये तो यंहा  कठोर कानून है महज किसी  आतंकवादी के सामने मेरा कानून इसकी इजाजत नहीं देती की हम भी उसे    उसी तरह से मौत की नींद सुला दे जिस तरह से उसने पलक झपटे कई को मौत की नींद सुला दी.. लेकिन नही मेरा लोकतान्त्रिक राष्ट्रय  तो उसकी  अतिथि देवो में लगा है... उसे तो जिन्दा रखता है ताकि उसपर शियाशी खेल हो सके... बानगी भर के लिये हम  उस नेता को याद करे  जिसने कसाब  को कसाब जी कह कर संबोधन  किया  .... हम इस राष्ट्रीय पार्टी व उस राजनेता को   शतशत नमन करते है जो भारतीय आवाम के लिये कुर्वानी तक देने की कसमे खाते  है.   
बहुत ही गंभीर सवाल है की लगातार हो रहे आतंकी हमले से जहा सरकार का  नाकोदम  हो गया  है वही   भारतीय आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था   में कोई सुधार  नाम की कानून नहीं दिखती... गौरतलब  है की पिछले दिनों दिल्ली  के न्यायलय  परिसर  में हुए बम  धमाके  ने  जिस तरह से सुरक्षा व्यवस्था  के कलाई  खोल दी... उससे हम अनुमान लगा सकते है की दिल्ली का भीड़ भाड़  वाल इलाका कितना महफूज है.. इस धमाके में एक  मेल को लेकर सुरक्षा व्यवस्था  तमाम दावा करने लगी..स्कैच जारी किया गया... ५ लाख का इनाम रखा जाता है ... एक आतंकवादी को पकरने के नए तामझाम सरकार की  नाकाफी बाया करती है ... एक तरफ  कानून व्यवस्था  में जिस  तरह से  राजनीतिज्ञ का दखलअंदाजी  हो रहा है वही दूसरी तरफ आतंकवादी फिर से धमाके करने का योजना बना रहा है और हमे किसी बड़े आतंकी हमले के लिए तैयार रहना होगा.....                 

सितंबर 06, 2011

पूर्व सांसद आनंद मोहन के घर पर हमला

05-09-2011
पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान  पूछताछ करते हुए 
 सहरसा जिला मुख्यालय के गंगजला स्थित पूर्व सांसद आनंद मोहन के घर पर करीब 50 से 60 की संख्यां में आये अज्ञात हमलावरों ने ना केवल पाँच चक्र गोलियां चलाई बल्कि बम के ताबड़तोड़ तीन धमाके भी किये.यक-ब-यक हुई इस घटना से पूरे मुहल्ले में हडकंप मच गया.हमलावरों ने घर के लोगों को भी निशाने पर लेने की कोशिश की लेकिन घर के लोगों ने ग्रिल और दरवाजे आनन्--फानन में बन्द कर लिए.इसी बीच हमलावरों ने आनंद मोहन के दो समर्थकों की जमकर धुनाई कर दी.देखते ही देखते अफरातफरी मच गयी और गोली की आवाज और बम धमाके की गूंज से लोगों की भीड़ यहाँ जमा होने लगी जिसे देख अपराधी हवा में हथियार लहराते फरार हो गए.हांलांकि इतनी बड़ी घटना में कोई भी गंभीर रूप से जख्मी नहीं हुआ.घटना की सूचना जंगल में आग की तरह पूरे इलाके में फैल गयी.इस घटना की सूचना ज्योहीं पुलिस को मिली वह भी पूरे आव--लस्कर साथ ना केवल तुरंत मौका ए वारदात पर पहुँच गयी बल्कि फ़ौरन घटनास्थल पर मौजूद लोगों से बयान लेकर आगे की कारवाई में भी जुट गयी.घटना के वक्त पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान कोसी दियारा इलाके में छापामारी में जुटे थे लेकिन उन्हें जैसे ही इस घटना सूचना मिली वैसे ही वे घटनास्थल पर पहुँच गए.करीब नौ बजे घटनास्थल पर पहुँचे पुलिस अधीक्षक ने इस घटना की कमान खुद संभाल ली.पुलिस अधीक्षक ने इस घटना के बाबत कहा की पुलिस इस मामले को चैलेन्ज के रूप में ले रही है और उन्होनें घटनास्थल पर मौजूद लोगों के बयान के आधार पर दोषियों को चिन्हित कर लिया है जिनकी आज रात ही ना केवल गिरफ्तारी कर ली जायेगी बल्कि सात दिन के भीतर उन्हें सजा कराने के लिए भी वे एडी चोटी एक कर देंगे.जो भी हो घटना बड़ी और पुलिस के लिए मुसीबत भरी है.यह घटना राज्य में कानून व्यवस्था की कलई खोलने के लिए भी काफी है.
पूर्व सांसद आनंद मोहन का आवास
यह नजारा है सहरसा जिला मुख्यालय के गंगजला मोहल्ला स्थित पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन के आवास का.सोमवार की शाम करीब यहाँ पर करीब 50 से 60 की संख्यां में आये अज्ञात अपराधियों ने जमकर तांडव मचाया.अपराधियों ने घर को चारों तरफ से घेरकर पहले तो घर के अंदर के लोगों को ललकारा लेकिन जब घर के लोग घर से नहीं निकले तो उन्होनें दहशत फैलाने की नीयत से पाँच चक्र गोलियां चलाई और तीन बम के जोरदार धमाके भी किये.इसी बीच इन अपराधियों ने आनंद मोहन के दो समर्थकों की जमकर धुनाई भी कर दी.यह जाहिर सी बात है की ये अज्ञात अपराधी किसी बड़ी घटना को अंजाम देने आये थे लेकिन उन्हें इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी.इतनी बड़ी घटना में एक भी व्यक्ति गंभीर रूप से जख्मी नहीं हुआ,यह बड़े सुकून की बात रही.घटना के बाद सदर थाना की पुलिस तुरंत घटनास्थल पर आई और तहकीकात शुरू कर दी.मौके पर एक के बाद एक सभी पुलिस के बड़े अधिकारी आये और उन्होनें अपने स्तर से घटनास्थल पर मौजूद सभी लोगों से पूछताछ की.घटनास्थल से खोखे,तलवार और बोतल बम के टुकड़े बरामद कर पुलिस ने आगे की कारवाई तेजी से शुरू कर दी है.इस मामले की कमान खुद पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान ने संभाल रखी है.उन्होनें बताया की पीड़ितों के बयान पर अपराधियों को चिन्हित कर लिया गया है और आज रात ही सभी की गिरफ्तारी कर ली जायेगी.पुलिस अधीक्षक ने इस घटना को ना केवल बड़ी घटना बताते हुए इसकी निंदा की बल्कि इस मामले को चैलेन्ज के रूप में लेने का एलान भी किया.अलग-- अलग पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में छः टीम बनाकर अपराधियों के संभावित ठिकाने पर छापामारी शुरू की जा चुकी है.पुलिस अधीक्षक खुद एक टीम के साथ छापामारी में जुटे हैं.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।