जुलाई 21, 2012

छीन गया गरीबों के मुंह का निवाला

मुकेश सिंह,सहरसा टाइम्स: गरीबों के साथ अनदेखी और और खिलवाड़ का सिलसिला बदस्तूर जारी है.गरीबों को सस्ते दर प़र राशन उपलब्ध कराने की गरज से मंगाए गए हजारों क्विंटल गेहूं ठेकेदार,ट्रांसपोर्टर और रेल अधिकारियों की लापरवाही से सहरसा रेलवे रैक पॉइंट प़र बारिश में भींग--भींगकर बर्बाद हो गए.बीते 10 जुलाई को 51 हजार 8 सौ 71 बोड़े गेंहूँ पंजाब के अम्बाला से मंगाए गए थे जिसे गरीबों के बीच सस्ते दर प़र उपलब्ध कराया जाना था लेकिन इसे रैक पॉइंट प़र खुले आसमान के नीचे रख दिया गया.तेज बारिश में सारे गेंहूँ भींगते रहे लेकिन उसे बचाने का किसी ने प्रयास नहीं किया और आखिरकार वहीँ हुआ जिसका डर था.हजारों क्विंटल गेंहूँ देखते--देखते यूँ ही सड़कर बर्बाद हो गए.गरीब तो गेंहूँ नहीं खा सके अब सड़े हुए गेंहूँ को रैक पॉइंट प़र सूअर और बकरी खा रहे हैं.यही नहीं सड़े हुए गेंहूँ को अब यहाँ से उठाकर ट्रक प़र लादकर सरकारी गोदामों में ले जाया जा रहा है,जहां इसका मिलावट अच्छे गेंहूँ में करके खपाने की गहरी साजिश की जायेगी.वैसे बहुत सारे गेंहूँ को विभिन्य इलाके में फेंका भी गया है.बताना लाजिमी है की पिछले साल 2011 में भी इसी तरह गरीबों के नाम प़र मंगाए गए 32 हजार क्विंटल चावल इसी रेलवे रैक पॉइंट प़र बारिश में सड़ाकर बर्बाद किये गए थे.उस वक्त भी सड़े हुए चावल का लुत्फ़ गरीबों की जगह सूअरों ने उठाया था.समझ में नहीं आता की आखिर इस तरह से अनाज को सड़ाकर किसका भला किया जा रहा है.सरकार और समूचा तंत्र इस जानलेवा और बर्बादी से सनी लापरवाही को आखिर क्यों मूक और बधिर बना देख रहा है.
2011 की घटना : अब हम आपको पिछले साल वर्ष 2011 में हुई बड़ी लापरवाही के नतीजे से रु ब रु करवा रहे है.2011 के अप्रैल माह से लेकर जून महीने के बीच में हरियाणा के कुरुक्षेत्र से आया 32 हजार क्विंटल से ज्यादा चावल लापरवाही की वजह से सहरसा के रेलवे रैक पॉइंट से ट्रांसपोर्टरों के द्वारा नहीं उठाया गया जिस कारण वे सारे चावल सड़ कर बर्बाद हो गए.इन सड़े चावल की कीमत दो करोड़ से ज्यादा थी.इन चावलों में से ज्यादा मात्रा में चावल सुपौल जिले के राघोपुर FCI गोदाम भेजा जाने वाला था जहां से इन चावलों को कम कीमत पर गरीबों को उपलब्ध कराया जाता.लेकिन यह सारे चावल लापरवाही की भेंट चढ़ गए.लेकिन गड़बड़झाला ऐसा था की इसी सड़े चावल को सहरसा के FCI गोदाम में खपाने की तैयारी चल रही था. सहरसा टाइम्स ने जब इसको लेकर सहरसा के जिलाधिकारी देवराज देव से से जबाब--तलब किया तो जिला प्रशासन हरकत में आया और 8 जून को FCI गोदाम पर छापामारी की गयी.जिला प्रशासन के अधिकारियों ने सड़े चावल को खपाने की चल रही तैयारी को रंगे हाथ पकड़ा और गोदाम को तुरंत सील भी कर दिया.एक तरफ जहां रेलवे रैक पॉइंट पर खुले आसमान के नीचे हजारों क्विंटल चावल बारिश में बर्बाद हो रहे थे वहीँ दूसरी तरफ सहरसा FCI गोदाम में सड़े चावल को अच्छे चावल में मिलाकर खपाने की तैयारी चल रही थी.हद की इंतहा तो यह थी की दर्जनों ट्रक FCI परिसर में लगे हुए थे जिसपर अलग से सड़े हुए चावल लदे हुए थे.मामले की गंभीरता देख जिलाधिकारी ने FCI के एरिया मेनेजर सरफराज आलम,डीपो मेनेजर उमाकांत झा और गोदाम प्रभारी गरीब दास पर जिला आपूर्ति पदाधिकारी के आवेदन पर सदर थाना में FIR दर्ज करा दिया.लेकिन धीरे--धीरे यह मामला अधिकारियों की पेंच की भेंट चढ़ गया और मामला पूरी तरह से ठंढा हो गया.
इस लापरवाही को सनक,पागलपन और क्रूरतम अपराध नहीं कहेंगे तो और क्या कहेंगे.कोसी इलाके में एक वक्त की रोटी के लिए गरीबों का एक बड़ा तबका रोज जंग लड़ रहा है.लेकिन हुक्मरानों को अपनी सियासत चमकाने से फुर्सत नहीं है की वे इतनी बड़ी लापरवाही को रोकने के लिए आगे आयें और गरीबों के मुंह से छीन रहे निवाले को उनके मुंह तक पहुंचाएं.वोट लेने के समय इन गरीबों की याद इन कुर्सीपोशों को बड़ी सिद्दत से आती है.ये सियासी सुरमा वक्ती तौर प़र गरीबों के जख्मों को अपने मतलबी हाथों से सहलाते और उनके आंसुओं को अपने जुल्मी खद्दर से पोंछते हैं.ये सियासी पंछी शायद यह भूल गए हैं की ऊपर बैठा भगवान सारे तमाशे को देख रहा है.लेकिन सहरसा टाइम्स आपको इस तरह के खबरों से रु ब रु करते रहेगा ये मेरा वादा है. 

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।