दिसंबर 18, 2016

सहरसा की नन्ही परी लहरा रही है परचम

मेधा किसी की मोहताज नहीं ....
अपनी उड़ान से हम लिखेंगे ईबारत........ 
सहरसा की नन्ही परी लहरा रही है परचम.......
यशस्वी को चाहिए फेसबुक लाईक्स तब बनेगी चैम्पियन लिट्ल मिस इंडिया की दौर में है यशस्वी .

सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट----

गर हौसले हों बुलंद,तो कुछ भी नामुमकिन नहीं ।सहरसा की बेटी ने यह लोहा तो मनवा लिया है ।अब उसे कुछ आशीर्वाद की जरुरत है।बताना लाजिमी है की लिट्ल मिस इंडिया प्रतियोगिता में सहरसा की बेटी यशस्वी ने फाईनल राउंड में जगह बनायी है ।देश के विभिन्न शहरों में हुए ऑडिशन के बाद अंतिम राउंड के लिए कुल 32 प्रतिभागियों का चयन किया गया है जिसमें यशस्वी शामिल है ।अब इनमें अव्वल कौन आती है इसका फैसला इन प्रतिभागियों के नृत्य,गायन, आत्मविश्वास एवं फेसबुक लाईक के आधार पर किया जायेगा।मूल रूप से सहरसा के सौरबाजार प्रखंड के भवटिया गांव निवासी योगेश झा एवं विनीता झा की पुत्री यशस्वी पटना के SRCS की वर्ग नवीं की छात्रा है ।यशस्वी के चाचा ख्यातिलब्ध पत्रकार गंगेश झा ने बताया कि बचपन से ही यशस्वी का रुझान नृत्य एवं गायन के क्षेत्र में रहा है और भविष्य में वह मॉडलिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहती है ।
वैसे पढ़ाई में भी उसकी कोई सानी नहीं है ।यशस्वी का जिश्म  सौंदर्य से लवरेज और कुदरत की कारीगरी लगती है ।लगता है ईश्वर ने उसे फुरसत में बनाया है ।कमसिन और अकूत सौंदर्य की धनी यशस्वी के इम्तिहान का अब आखिरी पल चल रहा है ।

अंतिम राउंड 28-30 दिसम्बर को भुवनेश्वर में होगा,जहां फेसबुक लाईक्स के साथ अन्य विधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को क्रमशः पुरस्कृत किया जाएगा ।आपके एक अनमोल लाईक्स से यशस्वी मिस इन्डिया भी बन सकती है ।जरा सोचिये जब यशस्वी मिस इंडिया बनेगी,तो,कोसी कछार के इस कास और पटेर के इलाके के लोगों का कितना मान बढ़ेगा और सीना कितना चौड़ा होगा? वोट करने के लिए नीचे क्लीक करें और लाइक करे  >>Click Here<<

दिसंबर 08, 2016

सहरसा पुलिस हफ्ता और महीना वसूली में है माहिर


सहरसा पुलिस हफ्ता और महीना वसूली में है माहिर
लेकिन ज्यादा रोजाना वसूली पर रहती है नजर
किसी संगीन मामले के पटाक्षेप में फिस्सडी साबित रहने वाली पुलिस को हरदम चाहिए नजराना
हांलांकि नोटबन्दी से थाने में अभी है मंदी का असर
यहां के दारोगा खुद को समझते हैं डीजीपी
जातीय भावना,अगड़े--पिछड़े की घृणित सोच से ग्रसित अधिकारियों की वजह से आमलोगों को न्याय मिलना मुश्किल
सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक---->>

यूँ तो पुरे जिले के थानों की एक ही राम कहानी है लेकिन सदर थाना का रिकॉर्ड अव्वल है ।कोसी प्रमंडलीय मुख्यालय सह सहरसा जिला मुख्यालय का यह सदर थाना है ।आप समझ सकते हैं की यह कितना महत्वपूर्ण थाना है ।लेकिन इस थाने में किसी घटना के घटित होने पर दफा लगाने की भी बोली लगती है ।इस थाने की यह परम्परा रही है । मारपीट की घटना,एक्सिडेंट,छेड़खानी आदि की घटनाओं में रोजाना आमदनी होती है ।वाहन चेकिंग और ओवरलोडिंग से भी अच्छी कमाई होती है ।ह्त्या,अपहरण,छिनतई और लूट की  घटनाओं में अगर नामजद अपराधी हैं तो उसे पकड़ने के नाम पर कमाई होती है ।अगर FIR में कोई नामजद नहीं है,तो फिर इन वर्दी वालों की चल निकलती है ।ये थोक में निर्दोषों को पकड़ कर लाते हैं और फिर पैरवी--पैगाम और नजराने पर उनकी दरियादिली से रिहाई होती है ।
रात्रि में कमाई के अवसर कुछ ज्यादा होते हैं । लेकिन ये पुलिस वाले कोई अवसर नहीं गंवाते । वैसे ये कमाई के अवसर तैयार करने में भी माहिर होते हैं ।जमीन की दलाली में खूब कमाई होती है ।सदर थाना के पूर्व थानेदार संजय  सिंह कमाई में एक शानदार रिकॉर्ड बनाकर यहां से गए हैं । जमीन के फंसे कई मामलों के निपटारे कर उन्होनें लाखों कमाए लेकिन बहुतो मामलों के निपटारे पैसे लेकर भी वे नहीं कर पाये ।जिनकी जमीन का निपटारा नहीं हो सका और जिनके रूपये फंसे हैं,वे सदर थाना आते हैं लेकिन निराश होकर लौट जाते हैं ।ना वो नगरी ना वो ठाम ।संजय सिंह तबादले के बाद भागलपुर जोन जा चुके हैं और सदर थाने के अब नए थानेदार हैं भाई भरत कुमार ।हमने आपको यह बताने का अभीतक प्रयास किया है की पुलिस की रोजाना कमाई के कई जरिये हैं ।यहां बताना बेहद जरुरी है की इस कार्य में कुछ तथाकथित पत्रकार भी संलिप्त हैं ।

हमने कुछ दिन पूर्व सहरसा के होटलों में फल--फूल रहे सैक्स रैकेट को लेकर एक आलेख लिखा था ।उस आलेख को मैंने सदर थाने के ह्वाट्स एप ग्रुप में डाल दिया ।हमारे आलेख से तिलमिलाए प्रभारी थानाध्यक्ष नितेश कुमार ने हमें उस ग्रुप से रिमूव कर दिया ।वैसे मुझे उस ग्रुप से किसने जोड़ा था,इसकी जानकारी भी मुझे नहीं है ।वैसे भी ऐसे घृणित ग्रुप से मैं अलग रहना अपने लिए ज्यादा मुफीद समझता हूँ ।मैं अक्सर थाना स्तर के अधिकारी से एक दूरी पसन्द करता हूँ ।चूँकि मेरी नजर में यह जगह इन्साफ देने की जगह दलाली की मंडी है ।मैंने प्रभारी थानेदार को फोन लगाया की भाई मुझ नाचीज को ग्रुप से आपने बाहर का रास्ता क्यों दिखाया ।तो,जनाब ने कहा की पुलिस कहाँ हफ्ता वसूली करती है,उसका मेरे पास क्या प्रमाण है ? जनाब ऐसे बात कर रहे थे गोया हमारी बातचीत एसपी,आईजी से नहीं डीजीपी से हो रही हो ।हमने उन्हें बताया की कुछ जगहों का उसमें जिक्र है जहां हफ्ता और महीना वसूली होती है ।वैसे वे इतने बड़े अधिकारी नहीं हैं,जिन्हें हम हर जगह की सीडी बनाकर दें ।मैंने एक एसआई से ज्यादा मुंह लगाना ठीक नहीं समझा और बात वहीं खत्म कर दी ।लेकिन इस एसआई की फितरत के बारे में थोड़ा बताना लाजिमी है ।इस अधिकारी ने कुछ माह पूर्व न्यूज 24 के पत्रकार अमित कुमार से बदसलूकी की ।पंचायत चुनाव के काउंटिंग दौरान एक प्रतिष्ठित दैनिक अखबार के पत्रकार सुशील झा से बदसलूकी और मारपीट मई ।समकालीन तापमान के पत्रकार तेजस्वी ठाकुर से भी इनका विवाद हुआ है ।यही नहीं कई और पत्रकारों से भी इनका तू--तू मैं--मैं हो चुका है ।
भाई भरत दो माह से सदर थानाध्यक्ष हैं ।शालीन व्यक्ति हैं और काम करना चाहते हैं ।लेकिन इनको गाईड लाईन नितेश कुमार से मिलता है ।यूँ सही मायने में थाने से फिलवक्त पिछले दरवाजे से कमाई से ज्यादा जातिगत और अगड़े--पिछड़े की बू आ रही है ।
अब जानिये की पुलिस हफ्ता और महीना वसूली कहाँ से करती है ।एसपी ऑफिस के बेहद करीब कचहरी ढ़ाला पर गांजे का कारोबार होता है । गांधी पथ के पोखर के आसपास,सराही मोड़, बेंगहा,मछली पट्टी,फकीर टोला,सहरसा बस्ती,रिफ्यूजी चौक,चांदनी चौक,बटराहा, सिमराहा,बोरापट्टी,हटियागाछी सहित कई अन्य जगहों पर शराब बेची जाती है ।आखिर शराब की बिक्री बिना पुलिस की सहमति या सहयोग के कैसे होती है?इसे बस समझने की जरुरत है ।सहरसा गेस्ट हॉउस,दिल्ली रेस्ट हॉउस,वेलकम होटल,एम्बेसी होटल,मनोरमा,कोसी टूरिस्ट होटल सहित सहरसा के दर्जनों होटल,या यूँ कहें लगभग सभी होटल में देह का कारोबार होता है ।अच्छे घराने की लड़की प्रेमपाश में,या पैसे की खातिर अपना देह परोस रही हैं ।होटल के रजिस्टर की रोजाना चेकिंग नहीं होती है ।अगर चेकिंग होती है,तो,सेटिंग से ।जिस काम को किसी भी सूरत में नहीं होने देना चाहिए ।जिस काम से हमारी संस्कृति विलुप्त होती जा रही है ।उस काम को पुष्पित और पल्लवित किया जा रहा है,महज चन्द नोटों की खातिर।



ये जनाब हैं नितेश कुमार इन्होनें प्रभारी होते हुए सेक्स रैकेट मामले में लड़की का बयान कातिब से लिखवाया और FIR में केश की जांच का जिम्मा एसडीपीओ को दिया ।इस काण्ड का FIR नम्बर 1010 /2016 है।
जहांतक मुझे जानकारी है CRPC की धारा 157 के तहत थानाध्यक्ष किसी भी मामले और इस तरह के मामले की जांच या तो खुद करेंगे,या फिर अपने मातहत से कराएंगे । हाँ!एसपी के विशेष निर्देश पर एसडीपीओ जांचकर्ता बन सकते हैं ।लेकिन मामले में पहले से बहुत ही पेंच है ।सेक्स रैकेट का पर्दाफाश जिस सहरसा रेस्ट हॉउस में हुआ,उसका जिक्र आवेदन के सबसे नीचे है ।सबसे चौंकाने वाली बात यह है की पीड़िता ने पिछले साल भी एक केस महिला थाना में किया था,जहां उसने अपना हस्ताक्षर बनाया था ।लेकिन इस बार के आवेदन में उसके अंगूठे के निशान हैं ।यानि गेम बड़ा है ।हांलांकि इस मामले में बेहद दबाब के बाद रेस्ट हॉउस के मालिक को जेल भेजा गया है ।लेकिन पीड़िता से कातिब के माध्यम से ऐसा आवेदन लिखाया गया है और जिसपर FIR हुआ है,उसमें कोई दम नहीं है ।इतने बड़े मामले को बड़ी समझदारी से कमजोर किया गया है ।
जब संजय सिंह,इस थाने के थानाध्यक्ष हुआ करते थे,तो,उनकी तूती बोलती थी ।उन्होनें लाखों में अवैद्य कमाई की ।फिलवक्त सहरसा के ही एक मामले को लेकर भागलपुर प्रक्षेत्र में वे निलंबित हैं ।संजय सिंह ने बहुत से जमीन के निपटारे मामले में बहुतों से पैसे लिए थे जिनमें से बहुतों का काम नहीं हुआ ।वे लोग सदर थाने संजय सिंह को ढूंढने आते हैं ।लेकिन "का वर्षा जब कृषि सुखानी" ।संजय सिंह फुर्र हो चुके हैं।
इधर सदर थाने से जातिगत और अगड़े--पिछड़े की बू आ रही है ।नए थानाध्यक्ष भाई भरत कुमार से हमारा आग्रह है की वे अपने कार्य क्षेत्र को पहले समझें ।अपना सूचना तंत्र मजबूत करें ।मुखबिर बनाएं और कोशिश करें की नोटबंदी की इस मार में ईमानदारी से जनता की सेवा ज्यादा से ज्यादा हो ।गला दबाकर या किसी की खेत गिरवी रखवाकर कमाई ना करें ।हमारी दुआ है की भाई भरत खुद को एक काबिल ऑफिसर साबित करने के साथ--साथ ईमानदारी का परचम लहराएँ । जरूरतमंदों की वे ज्यादा से ज्यादा दुआ बटोरें ।

दिसंबर 06, 2016

आयकर विभाग का छापा,एक डॉक्टर शिकंजे में,कई डॉक्टर्स निशाने पर



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सहरसा में डॉक्टर शंकर कुमार ईशर पर आयकर का कसा शिकंजा 

शुरूआती जांच में करीब ढ़ाई करोड़ का नहीं है कोई लेखा--जोखा
आयकर विभाग ने बैंक अकाउंट को किया सीज
अभी सहरसा के कई नामी नर्सिंग होम के डॉक्टर हैं 
आयकर विभाग के निशाने पर 

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जांच में यह बात सामने आयी कि जमा रुपये का कोई लेखा-जोखा नहीं है. पूछताछ में डॉक्टर ईशर की घिग्घी बंध गयी और वे आय का स्रोत भी नहीं बता सके.आयकर की टीम ने उनके बैंक अकाउंट को सीज कर लिया है.औपचारिकता पूरी करने के बाद खाते में रखे सभी रुपये को आयकर विभाग ने जब्त कर लिया है.डॉ ईशर सहरसा के गांधी पथ में निजी प्रैक्टिस करते हैं.बताना लाजिमी है की इनकी पत्नी संगीता ठाकुर भी डॉक्टर है ।यही नहीं डॉक्टर शंकर कुमार ईशर के पिता ए.के.ईशर भी इस इलाके के जाने--माने चिकित्सक थे ।इस मामले में अभीतक तस्वीर पूरी तरह से साफ़ हो चुकी है की इनकी इस ब्लैक मनी को आयकर विभाग जब्त कर लेगा. 
इसके अलावा आयकर विभाग ने उनकी आय से जुड़े और क्लिनिक के कागजातों को भी जब्त कर लिया है. फिलहाल इनकी जांच चल रही है.आगे इनके रिटर्न दायर करने के मामलों समेत अन्य सभी पहलूओं पर जांच की जायेगी.लेकिन इस मामले के उजागर होते ही सहरसा का पारा ठंढ के इस मौसम में भी काफी गर्म है ।सहरसा में दर्जनों बड़े आलिशान नर्सिंग होम हैं जिसके स्वामी पहले अकड़ कर चलते थे लेकिन अभी भींगी बिल्ली की तरह जुगाड़ टेक्नोलॉजी की तलाश में हैं ।हमने कई चिकित्सक को पसीने से तर और बेहद परेशान हाल देखा है ।
हमने कुछ चिकित्सक से गुजारिश भी की कुछ कालेधन हमें भी दीजिये जिससे हम सरकार के नियम--कायदे के सम्पादन से पहले ही कुछ गरीबों की मदद करें ।लेकिन अभीतक किसी डॉक्टर का कलेजा नहीं पसीजा है ।शायद सभी को सरकारी चाबुक का ही इन्तजार है ।

दिसंबर 05, 2016

सैक्स रैकेट की आई बाढ़


सैक्स रैकेट की आई बाढ़ 
सहरसा के होटल सबसे मुफीद जगह 
अच्छे घराने की लडकियां और लड़के सैक्स रैकेट में हैं शामिल
पुलिस खाती है हफ्ता,मनती है रंगरेलियां  
सहरसा से मुकेश कुमार सिंह की दो टूक-->>

सहरसा जो विकास के लिए दशकों से तरस रहा है लेकिन यहां मौज--मस्ती अपने परवान है ।सहरसा में दर्जनों होटल हैं जो सैक्स रैकेट को ना केवल बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि चमरी की कमाई से होटल मालिक मालामाल भी हो रहे हैं ।जहांतक,खाकी का सवाल है,तो उनके लिए हफ्ता बंधा हुआ है । आप यह जानकार हैरान हो जाएंगे की इन होटलों में शराबबंदी के बाद शराब भी उपलब्ध है ।यानि शबाब,कबाब और शराब.... यानि मस्ती का बबंडर...फुलडोज ।
बीती शाम डीबीरोड स्थित सहरसा गेस्ट हाउस में खूब तमाशा हुआ ।विजय नामक युवक ने पहले नैना नाम की युवती के साथ खूब रंगरेलियां मनाई ।लेकिन उससे उसका जी नहीं भरा तो उसने अपने एक दोस्त को भी बुला लिया और नैना को उसके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए मजबूर करने लगा ।नैना को यह नागवार गुजरा और उसने हंगामा खड़ा कर दिया ।अवैद्य देह के इस खेल की भनक स्थानीय लोगों को लगी ।लोगों ने विजय और उसके दोस्त को दबोच लिया और फिर इस घटना की सूचना पुलिस को दी गयी ।पुलिस ने आकर तीनों को अपने कब्जे में लिया और उन्हें अपने साथ लेकर थाने चली गयी और तफ्तीश में जुट गयी ।
इससे पहले गंगजला चौक स्थित गेस्ट हॉउस, मत्स्यगंधा स्थित टूरिस्ट होटल,डीबी रोड स्थित वैलकम होटल,शंकर चौक स्थित एम्बेसी होटल सहित कई और होटलों से कई बार प्रेम के इन पंछियों को सेक्स करते रंगे हाथों पकड़ा गया है ।

यह घटना तो गिरफ्त में आये सैक्स के खिलाड़ियों के हैं ।सहरसा में यह खेल वर्षों से पुलिस के संरक्षण में चल रहा है ।कई प्रशासन और पुलिस के अधिकारी खुद इस खेल में माहिर हैं । अब साहब किसी होटल में रंगरेलियां मनाएं,तो वह नजारा बेहद खास होगा ही ।

यहां के कुछ होटल वाले ऐसे हैं जो लड़के और लड़कियों को कुछ घंटे के लिए किराए पर कमरा देते हैं लेकिन बदले में मोटा पैसा लेते हैं ।बीते दिनों सहरसा के भीआईपी रोड में शराब और मुर्गे की पार्टी उड़ाते एक अपराधी किस्म के होटल मालिक के यहां तीन पुलिस के जवान भी मीडिया के स्टिंग के शिकार हुए थे,जिन्हें निलंबित करना पुलिस अधिकारी की मजबूरी बन गयी थी ।ये तीनों जवान एसडीपीओ सुबोध विश्वास के अंगरक्षक थे ।हद तो इस बात की थी की इस जश्न में एसडीपीओ साहब की गाड़ी का भी इस्तेमाल हुआ था ।अभी एसडीपीओ सुबोध विश्वास सहरसा सदर एसडीपीओ के तौर पर ही तैनात हैं ।सुबोध विश्वास पर भी गाज गिरती लेकिन मीडिया से एसडीपीओ की अच्छी बनती है और उनकी विनती से मीडिया वाले पिघल गए और एसडीपीओ साहब बेदाग़ निकल गए ।



आप को हम यह भी बताना चाहते हैं की सहरसा सदर स्थित भारतीय नगर को लोग रेड लाईट इलाके के नाम से जानते हैं ।साढ़े पांच सौ से ज्यादा ऐसे परिवार हैं जिन्होनें नाच--गाने का लायसेंस ले रखा है लेकिन इसकी आड़ में देह व्यापार धड़ल्ले से हो रहा है ।पुलिस को यहां से मोटी रकम मिलती है ।दूर--दराज इलाके से लडकियां यहां लायी जाती हैं और उनसे देह व्यापार कराया जाता है ।
सहरसा का शायद ही कोई ऐसा होटल हो,जहां चमरी का खेल ना चल रहा हो ।अच्छे परिवार की पढ़ने वाली लडकियां गुमराह होकर,या यूँ कहें प्रेमपाश में फंसकर होटल आती हैं और अपने प्रेमी संग सेक्स करती हैं ।कई ऐसे गंभीर मामले सामने आये हैं की,पहले तो प्रेम में लडकियां अपना देह परोसती हैं ।फिर उन्हें किसी बहाने चकला घर में धकेल दिया जाता है ।
पुलिस को अपनी काली कमाई पर रोक लगानी चाहिए ।पुलिस का यह फर्ज बनता है की भोली--भाली लड़कियों के जीवन को बर्बाद होने से बचाने में वे अपनी महती भूमिका निभाएं ।इसके लिए जरुरी है की एक टीम बनाकर सभी होटलों में दिन--रात की रजिस्टर पंजी का मुआयना किया जाए,वह भी दिल साफ रखकर ।वैसे पाश्चात्य संस्कृति की रौ में हमारी युवा पीढ़ी बह रही है । सैक्स उनके लिए महज एक मनोरंजन का साधन बनता जा रहा है,जो भारतीय संस्कृति के लिए बेहद खतरे का विषय है ।
यह खबर हम सभी परिवारों को आगाह करने के लिए लिख रहे हैं की अपने बच्चे--बच्चियों को भारतीय संस्कृति, नैसर्गिक और मूल्यसंचित जीवन के साथ--साथ नैतिकता का पाठ भी पढ़ायें ।वैसे जीवन की आपाधापी और अंधदौड़ में इस तरह के सैक्स की घटना अब आम बात बनकर रह गयी है ।

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।