जुलाई 23, 2012

पी.के.शाही (शिक्षा मंत्री) भागो बाल दीदी आई.........

शिक्षा मंत्री पी.के.शाही
रिपोर्ट चन्दन सिंह: सूबे के शिक्षा मंत्री पी.के.शाही का सहरसा के जवाहर विकास भवन में कोसी प्रमंडल के तीनों जिले सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले के शिक्षा अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करना काफी मंहगा साबित हुआ.मंत्री जी समीक्षा बैठक खत्म करके जवाहर विकास भवन से ज्यों ही सहरसा परिसदन की ओर निकलना चाहे की जवाहर विकास भवन परिसर में पहले से मौजूद बाल दीदियों ने ना केवल उन्हें गाड़ी प़र चढ़ने से रोक दिया बल्कि उनका घेराव कर जमकर हंगामा भी किया.अचानक आई इस आफत से बौखलाए मंत्री जी ने पहले तो आक्रोशित महिलाओं को समझाना चाहा लेकिन स्थिति विस्फोटक होती देख मंत्री जी वहाँ से अपनी कीमती लक्जरी गाड़ी छोड़कर किसी तरह जान बचाकर पैदल ही परिसदन की ओर भागे.इस दौरान सहरसा पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को मंत्री जी को सुरक्षा प्रदान करने में भारी मशक्कत करनी पड़ी.
भागते पी के शाही (शिक्षा मंत्री)
बाल दीदी की समस्या क्या है जानिए :--  केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2001 में बाल दीदियों को एक हजार रूपये मानदेय प़र रखा गया था.दस वर्षों तक इन बाल दीदियों ने अपनी सेवा दी लेकिन अब इनकी सेवा केंद्र सरकार ख़त्म कर रही है.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इसी वर्ष इनका मानदेय एक हजार रूपये से बढ़ाकर तीन हजार रुपया किया गया था लेकिन बढ़ी हुई राशि तो इन्होनें प्राप्त नहीं किया लेकिन सरकार के आदेश से इनकी सेवा इसी साल अप्रैल माह से खत्म करने का आदेश हो गया.देखते ही देखते ये महिलायें सड़क प़र आ गयीं.सहरसा जिले में लगभग पौने दो सौ बाल दीदी हैं.अपनी सेवा खत्म किये जाने की खबर से बौखलाई ये महिलायें आज मंत्री जी के आने की खबर से आपे से बाहर हो गयीं और उन्हौनें मंत्री जी का काफी विरोध करते हुए हंगामा किया.देखिये महिलायें किस तरह से हंगामा कर रही हैं.इनके मजबूत हंगामे से मंत्री जी यहाँ से पैदल ही परिसदन की तरफ भागे.
इन बाल दीदियों का भविष्य कैसा होगा फिलवक्त कयास लगाना बेमानी है.अभी तो सिर्फ इतना कहा जा सकता है की इन बाल दीदियों ने अपना जबरदस्त विरोध जरुर दर्ज कराया है.शाही जी के चेहरे की लाली को उतारने में इन महिलाओं ने कोई कोर--कसर नहीं छोड़ी. आगे यह देखना दिलचस्प होगा की राज्य सरकार इनके हित में क्या कर पाती है. 

2 टिप्‍पणियां:


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।