नवंबर 24, 2011

TET Bihar New Exam Date

As announcement of SCERT, Bihar candidates have to qualify Bihar Elementary Teacher Eligibility Test (BETET) to be a teacher of class I to VIII. So Applications are being invited from eligible and interested candidates for appearing in Bihar Elementary Teacher Eligibility Test (BETET)
The candidates those who applied for the examination can get the information regarding the examination time table schedule and admit cards and the examination board has mentioned that the Bihar TET 2011 will be held on 20 December 2011 and 21 December 2011 at various examination centers and the candidates can get the admit card/call letter at your near sumited form center.for further details on this link 
www.educationbihar.in
राज्य के प्रारंभिक विधालयों में 1लाख शिक्षको की बहाली के लिये २६ लाख बैठेंगे . 20 एवं 21 दिसम्बर को ही प्रारंभिक शिक्षक पात्रता परीक्षा होगी . इसके लिये अभ्यर्थियों को परीक्षा से एक सप्ताह पहले एडमिट कार्ड मिलेगा. 


नवंबर 23, 2011

बबली जा रही अपने घर

 सामूहिक दुष्कर्म की शिकार बच्ची आज ना केवल चंगा हो चुकी है बल्कि आज वह अपने गाँव सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र के काशनगर गाँव भी जा रही है.सहरसा के पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की कमान खुद सँभालते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टास्क फ़ोर्स का गठन किया था.उसी के नतीजतन दुष्कर्म का मुख्य आरोपी साहेब पोद्दार को आज पुलिस ने दबोच लिया.अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए भी पुलिस की सघन छापामारी जारी है.आज सुबह पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान खुद सदर अस्पताल पहुँचे जहां उन्होनें पीड़िता का हाल--चाल पूछा और पीड़िता और उसकी माँ का अलग--अलग बयान भी लिया.यहीं नहीं बल्कि बबली की देख-रेख के लिए उन्होनें 500 रूपये की आर्थिक मदद भी की.जाहिर तौर पर पुलिस अधीक्षक अब इस मामले में काफी गंभीर दिख रहे हैं.इधर बबली की सेहत अब अच्छी हो गयी है और अस्पताल से   दुष्कर्म का मुख्य आरोपी साहेब पोद्दार दबोचा जा चुका है.अन्य आरोपियों को गिरफ्त में लेने के लिए पुलिस की छापामारी जारी है.सदर अस्पताल में पीड़िता बबली का देर से ही सही मगर उपयुक्त इलाज शुरू हुआ और अब बबली पूरी तरह से ठीक है.आज सुबह बबली को देखने खुद पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान अस्पताल पहुँचे.उन्होनें पीड़िता और पीड़िता की माँ से अलग--अलग बयान लिया.बबली की देख-रेख के लिए उन्होने 500 रूपये भी दिए.पीड़िता की माँ कहती है की एस.पी साहब ने उनसे घर के सदस्य की तरह बातचीत की.अब लगता है की उनलोगों को इन्साफ मिल जाएगा.बबली भी स्वस्थ होकर काफी खुश है..
राजेश कुमार रंजन,ओपी प्रभारी,कशनगर.
इधर अस्पताल पहुँचे काशनगर ओपी के प्रभारी का कहना है की मामला बड़ा संगीन है.इसमें एक आरोपिऊ को दबोचा जा चुका है.चूँकि इस मामले की कमान खुद एस.पी साहब ने संभाल रखी है इसलिए वे एस.पी साहब के निर्देश के मुताबिक़ ही सारी कारवाई करेंगे.
आखिरकार हमारी पहल ने अपना रंग दिखाया और बबली मरने से ना केवल बच गयी बल्कि चंगी होकर अपने घर भी जा रही है.इस मामले में एक आरोपी दबोचा भी जा चुका है.हमने इस लड़ाई में थोड़ी सी जीत हासिल की है.हमें पूरी जीत तब मिलेगी जब हम दुष्कर्म के इस गंदे खेल को पूरी तरह से खत्म करने में कामयाब होंगे.लेकिन इसे भी हम जीत ही मानेंगे.

नवंबर 21, 2011

मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म


21-11- SAHARSA  :-जिश्म और हवस के भेड़िये ने फिर एक मासूम की अस्मत के चिथड़े उड़ा डाले.सोनवर्षा राज थाना क्षेत्र के काशनगर गाँव की रहने वाली 9 वर्षीय बबली को उसके पड़ोस की ही रहने वाली एक हमउम्र बच्ची ने उसे बुलाकर गाँव के साहेब नाम के एक युवक के पास पहुंचा दिया जिसने उसे पहले नशीला लड्डू खाने के लिए दिया जिससे वह बेहोश हो गयी.बबली के बेहोश होते ही साहेब उसे उठाकर बगल की एक खेत में बने गड्ढे में ले गया जहां उसकी इज्जत के परखच्चे उड़ा डाले.बबली घंटों वहाँ बेहोश पड़ी रही.घटना के बहुत देर बाद जब खून से लथ--पथ बबली पर लोगों की नजर पड़ी तब घर के लोगों के साथ मिलकर उसे सोनवर्षा राज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया.घटना की सूचना मिलते ही सोनवर्षा राज थाना की पुलिस मौके पर पहुंची और पीड़िता की माँ के बयान पर काण्ड दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी.बबली की हालत काफी नाजुक थी इसलिए परसों शाम में उसे बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया जहां अभीतक वह बेहोश पड़ी है.एक तो बबली अपना सबकुछ गंवा चुकी है लेकिन इस अस्पताल में उसके इलाज में जिसतरह से लापरवाही बरती जा रही है उससे उसे बचा पाना नामुमकिन लग रहा है.इस वाकये से दूसरे मरीज के परिजन और स्थानीय नेता भी काफी आक्रोशित हैं
  अस्पताल की बेड पर छटपटाती बबली को.इज्जत गंवाकर यह जिन्दगी किसी तरह बच जाए इसके लिए यहाँ जंग लड़ रही है.लेकिन इस अस्पताल में अब किसी के पास दिल और जज्बात नहीं रह गए हैं.बच्ची की नाजुक स्थिति को देखकर जिस संजीदगी और गंभीरता से इसका इलाज किया जाना चाहिए वह यहाँ बिल्कुल नहीं हो रहा है.सोनवर्षा राज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर करके इसे इस अस्पताल में भेजा गया है.बबली तीन दिनों से यहाँ बेहोश पड़ी है.परिजन सहित आमलोग उसे बार--बार होश में लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल रही है.बबली की माँ घटना को लेकर तफसील से जानकारी देते हुए बता रही है ना तो पुलिस इस मामले में कुछ कर रही है और ना ही इसका इलाज ही सही ढंग से हो रहा है.
काशनगर के साहेब की साहिबी ने बबली के अस्मत को तो चाक कर ही दिया अब अस्पताल के बाबू--हाकिम और मुलाजिम बबली की जिन्दगी से खेलने पर उतारू हैं.हांलांकि मीडिया की दखल--पहल के बाद बबली का इलाज बेहतर तरीके से जरुर हुआ है लेकिन वह बच सकेगी या नहीं उसकी गायरेंटी नहीं है.हमने बबली को बचाने के लिए अस्पताल में आवाज बुलंद कर रखी है अगर बबली बच जाती है तो यह भी मीडिया की पहल का ही नतीजा होगा.

नवंबर 20, 2011

सहरसा पुलिस की दरिंदगी


सहरसा पुलिस और जेल पुलिस--प्रशासन के रवैये से एक परिवार अब पूरी तरह से तहस---नहस होने के कगार पर है.सहरसा पुलिस की बिगडैल कार्यशैली की वजह से पति के अपहरण के फर्जी मुक़दमे में फंसकर पहले तो बेकसूर गर्भवती पत्नी जेल गयी फिर जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उसके नवजात बच्चे की मौत हो गयी.बच्चे की मौत के सदमें से आहत और निदोष रहते हुए जेल की सजा काट रही यह लाचार और बेबस पत्नी फिलवक्त गंभीर रूप से बीमार है जिसका इलाज जेल पुलिस की अभिरक्षा में सदर अस्पताल में हो रहा है.अपनी बीमार पत्नी को अस्पताल में देखने,उससे उसका हाल-चाल पूछने और उसकी तीमारदारी के लिए अस्पताल में पहुँचे उसके पति को पहले तो उसकी अभिरक्षा में लगे पुलिस जवान ने रोका लेकिन जब वह मिलने की जिद पर अड़ गया तो पुलिस जवान ने ना केवल उसकी जमकर पिटाई की बल्कि उसे हथकड़ियों में जकड़कर सदर थाना भी पहुंचा दिया.पहले से पुलिस की बेशर्मी की वजह से पिछले चार महीने से जेल की सजा काट रही पत्नी के बाद अब पुलिस उसके पति को भी जेल भेज दे लेकिन मीडिया ने जब निर्दोष  अनु और उसके पति को इंसाफ दिलाने के लिये राजधानी से लेकर सहरसा तक के  तमाम वरीय पदाधिकारी से संवाद करने लगी तो दबाब में आकर अनु के पति को छोड़ा. 
इसे सहरसा पुलिस ने अपने ही पति के अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर बीते 19 अगस्त को जेल भेज दिया.उस समय अन्नू गर्भवती थी.हद की इंतहा देखिये अन्नू को 25 अक्तूबर को एक बेटा हुआ लेकिन वह जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से इलाज के अभाव में 12 नवम्बर को दम तोड़ दिया.सदमें में अब अन्नू बीमार है जिसका यहाँ पर इलाज चल रहा है.बिना किसी कसूर के अन्नू अपने ही दो रसूखदार भैंसुरों के द्वारा अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल भेज दी गयी.बताते चलें की अन्नू का पति मौजूद था लेकिन उसकी एक ना सुनी गयी.पैसे और पैरवी के दम पर इस फर्जी अपहरण काण्ड को पुलिस के आलाधिकारियों के अनुसंधान में ना केवल सत्य करार दिया गया बल्कि कोर्ट में चार्जसीट भी समर्पित कर दिया गया.आखिरकार अन्नू को अपनी माँ के साथ जेल जाना पड़ा.अब बीमार अन्नू यहाँ पड़ी हुई है तो उसकी देख--रेख के लिए उसका पति यहाँ आता है .लेकिन यमराज बने पुलिसवाले अन्नू के पति को उससे मिलने देना नहीं चाहते हैं.आज तो अन्नू पर फिर से एक इंसानी कहर बरपा है. अन्नू के पति को पहले तो उसकी अभिरक्षा में तैनात पुलिस जवान ने जमकर धुनाई की फिर उसे सदर थाना पहुंचा दिया.अन्नू बताती है की वह बीते 13 नवम्बर से यहाँ भर्ती है और उसके पति की इससे पहले भी कई बार पिटाई हो चुकी है.आज तो हद हो गयी.उसे मारपीट कर जेल भेजा जा रहा है.उसके पति उसके इलाज के लिए उससे पूछने आते हैं लेकिन यह पुलिसवालों को अच्छा नहीं लगता है.अन्नू सीधे तौर पर कहती है की उसे और उसके पति को ये लोग मिलकर मार डालना चाहते हैं.तड़पती अन्नू से जब हमने बात की तो उसने अपने पति और खुद अपनी रक्षा के लिये मीडिया से गुहार लगाने लगी.
धीरज ने प्रेम विवाह किया है.ना जाने इस प्रेमी जोड़े को किस कलमुहें की बुरी नजर लग गयी है.पुलिस के आलाधिकारी इस घटना के बाबत फिलवक्त मुंह नहीं खोल रहे हैं और बेकसूर धीरज अपनी पत्नी की तरह फर्जी मुकदमें में फंसकर हाजत भी गया लेकिन मीडिया की दखल पर इस बेकसूर पति धीरज को छोड़ दिया. ये मामला जितना सुलझता है उससे जयादा उलझता भी जाता है. आखिर सहरसा पुलिस को क्या हो गया है जो वह गलती दर गलती करती जा रही है. जो कही ना कही पुलिशया कारबाई  पर सवालिया निशान लगाती है .आखिर कौन इन मनमौजी और तानाशाह पुलिस पर नकेल डालेगा.सहरसा में कानून मजाक बनकर सरकार की ना केवल किरकिरी करा रहा है बल्कि इन देशी पुलिसवालों को अंग्रेजी पुलिस होने का अहसास भी करा रहा है.नीतीश बाबू जल्दी कुछ कीजिये,वर्ना देर हो जायेगी.  आपके विपक्ष को फिर एक मुद्दा मिल गया है अब आप किस किस को जबाब देंगे.हम भी  अनु को इंसाफ दिलाने की पुरजोर कोशिस कर रहे  है ओर आपको इस ख़बर का लगातार अपडेट देते रहेंगे  

नवंबर 19, 2011

घुस लेते कर्मचारी गिरफ्तार

सहरसा जिलाधिकारी द्वारा डी.एस.पी के नेतृत्व में गठित निगरानी टीम ने  सत्तर कटैया प्रखंड के राजस्व कर्मचारी और उनके  एक सहयोगी दलाल को 10 हजार घुस की रकम के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.राजस्व कर्मचारी द्वारा ज़मीन की रशीद काटने के नाम पर पिछले कई दिनों से बिसनपुर गाँव निवासी कुंदन प्रसाद यादव से 10 हजार रूपये बतौर घुस मांगे जा रहे थे जिसको देने में कुंदन असमर्थ थे लेकिन राजस्व कर्मचारी पैसे लेने की अपनी जिद पर अड़े थे.थक-हारकर पीड़ित ने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की.जिलाधिकारी को इस राजस्व कर्मचारी को लेकर पहले से भी कई शिकायतें मिल चुकी थी.क्षेत्र की जनता से लगातार मिल रही शिकायत के बाद सहरसा जिलाधिकारी ने एक निगरानी टीम गठित कर पीड़ित व्यक्ति के साथ सत्तर कटैया प्रखंड कार्यालय भेजा गया जहां राजस्व कर्मचारी मनोज कुमार राउत ने पीड़ित कुंदन प्रसाद यादव से खुश होकर दस हजार रूपये लिए और उसे रखने के लिए अपने सहयोगी दलाल बेदानंद पासवान को दे दिया.एन वक्त पर निगरानी की टीम ने धावा बोलकर दोनों शातिरों को घुस की रकम के साथ रंगे हाथ धर दबोचा.
मनोज कुमार राउत,राजस्व कर्मचारी,सत्तर कटैया प्रखंड,सहरसा
देखिये दस हजार घुस की रकम लेकर हजम करने को तैयार दो घूसखोरों को घुस की रकम के साथ रंगे हाथ दबोचकर यहाँ लाया गया है.देश में अन्ना हजारे,बाबा रामदेव और कई संत--महात्माओं के साथ--साथ राजनीतिक हस्तियाँ भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए मुहीम छेड़े हुए हैं और यहाँ जमकर भ्रष्टाचार का नंगा नांच हो रहा है.राज्य के मुखिया नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए खुद बड़े--बड़े दावे कर रहे हैं लेकिन उनके मुलाजिम,बाबू--हाकिम हैं की अपनी बुरी लत से तौबा करना नहीं चाहते.मनोज कुमार राउत अपने सहयोगी के साथ मिलकर ज़मीन की रशीद काटने के नाम पर घुस ले रहे थे लेकिन आज इनलोगों की किस्मत अच्छी नहीं थी और डी.एस.पी.उमाकांत राम ने इन दोनों को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया.इन दोनों के पकड़ में आने से इतना तो साफ़ हो गया है की इस जिले में शहरी इलाके से लेकर ग्रामीण इलाके में भी घूसखोरी का जमा--जमाया खेल बदस्तूर जारी है.जाहिर तौर पर एक छोटी सी मछली के पकड़ में आने से कुछ भी ख़ास नहीं होगा लेकिन यह कामयाबी भी निश्चित तौर पर एक बड़ा सन्देश जरुर देगी.
एक तरफ जंहा सूबे के मुखिया के अगले माह में सहरसा पदार्पण से सरकारी महकमो में अफरा तफरी मचा हुआ है वही ये प्रखंड स्तर के बाबु लोग जेब गरम करने से बाज नहीं आ रहे है . घुस लेना इस जिले में अब अधिकार के तौर पर काबिज है.ऐसे में किसी एक के भी रंगे हाथों दबोचा जाना एक बड़ी कामयाबी है.यूँ इस गिरफ्तारी की एक ख़ास बात यह है की यह गिरफ्तारी पटना से आई निगरानी की टीम ने नहीं बल्कि जिलधिकारी द्वारा गठित निगरानी की टीम ने किया है. 

नवंबर 18, 2011

दो फूल एक माली

18-11-11 SAHARSA : ---
पहले से शादीशुदा एक व्यवसायी पति ने अपनी पहली बीमार पत्नी की इच्छा पर दूसरी शादी तो कर ली लेकिन यह शादी अब उसके गले की फांस बन गयी है.वाकया सहरसा सदर थाना क्षेत्र के कपड़ापट्टी के एक दवा व्यवसायी की है.दवा व्यवसायी राम कुमार गुप्ता ने अपनी कैंसर पीड़ित पत्नी की जिद पर मधेपुरा जिले के डुमरिया की रहने वाली सपना से बाबा सिंहेश्वर मंदिर में इसी साल मार्च महीने में शादी तो रचा ली लेकिन आज सपना के माँ--बाप ने पुलिस की मदद से सपना को उसकी ससुराल से निकालकर सदर थाने लेकर चली आई जहां सपना ने चीख--चीख कर कहा की उसके पति उसे पत्नी बनाकर नहीं बल्कि एक नौकरानी की जरुरत पूरी करने के लिए लाये थे.पति उसे अक्सर ना केवल जानवर की तरह पीटते थे बल्कि तरह--तरह से प्रताड़ित भी करते थे.अब वह इस पति से मुक्ति चाहती है.इधर सपना के माँ--बाप जिन्होनें अपनी गरीबी की वजह से सपना के हाथ इसलिए पीले किये थे की उनकी लाडली महारानी की तरह गहनों में लदी राज करेगी लेकिन उनका अब मोहभंग हो चुका है और वे अपनी बेटी को अपने घर ले जाकर उसकी दूसरी शादी करने की बात कर रहे हैं.जहां तक व्यवसायी और उनकी पहली पत्नी का सवाल है तो वे खुद को किसी बड़ी साजिश का शिकार बता रहे हैं.पुलिस अधिकारी भी पेशोपेश में हैं और हर कदम फूंक--फूंक कर रखते हुए पूरी जांच कर कारवाई की बात कह रहे हैं.सदर थाने में हो रहा है हाई वोल्टेज ड्रामा.नवयुवती दूसरी पत्नी पति से मुक्ति चाहती है तो पति मांग रहा है इन्साफ.यहाँ एक फूल दो माली नहीं बल्कि दो फूल और एक माली का खेल चल रहा है.
दूसरी पत्नी सपना 

 यह नजारा है सदर थाना का.यहाँ पर हाई वोल्टेज फेमिली ड्रामा चला .मासूम सी और बला की खुबसूरत यह सपना है.इसी साल इसकी शादी इसके गरीब माँ--बाप ने उस व्यवसायी से कर दी जो पहले से ना केवल शादीशुदा था बल्कि दो बच्चों का बाप भी था.सपना के माँ--बाप ने मज़बूरी और लालच में यह सोचकर शादी की थी उनकी बेटी महारानी की तरह उस घर में राज करेगी.इसी साल 27 मार्च को मधेपुरा जिले के प्रसिद्ध सिंहेश्वर मंदिर में इस लड़की की शादी हुई थी.शादी के दो दिन बाद तक तो सबकुछ ठीक--ठाक रहा उसके बाद सपना के साथ मारपीट और प्रताड़ना का खेल शुरू हो गया.सपना बताती है उसे कभी भी पत्नी का दर्जा नहीं मिला.उसके पति उससे कहते थे की उसने एक नौकरानी की जरुरत पूरी करने के लिए उससे शादी की है.सपना को किसी से बात करने और मिलने--जुलने की भी इजाजत नहीं थी.सपना बताती है की उसके पति उससे कहते थे की उसका बाप होमगार्ड है और उसने तरस खाकर शादी की है.यहाँ वह खाये-पिए और रहे.उसका बाप तो उससे धंधा कराता.कमसे कम वह यहाँ घर में तो है.आखिर शादी उसने क्यों की को लेकर जब हमने उससे सवाल किये तो उसका कहना था की वह दशवीं कक्षा की छात्रा थी.उसके माँ--बाप ने गाँव से यह कहकर सिंहेश्वर स्थान लाया की स्कूल सम्बन्धी काम है और जब वह सिंहेश्वर मंदिर लायी गयी तो उससे कहा गया की उसकी शादी है.उसने अपने गरीब माँ--बाप की लाज--मान रखने के लिए शादी कर ली.लम्बे समय से प्रताड़ना का दंश झेल रही सपना ने अपनी विपदा किसी तरह से अपने मायके वालों को सुनाई और कल शाम उसके माँ--बाप सहरसा आये. पुलिस की मदद से सपना को उसकी ससुराल से निकाल कर सदर थाना लाया गया जहां की कहानी हम आपको दिखा रहे हैं.
पहली पत्नी संजू देवी 
 इधर व्यवसायी की पहली पत्नी का कहना है की उन्होनें ही जिद करके अपने पति की दूसरी शादी कराई थी.वह कैंसर से पीड़ित है.वह चाहती थी की उसके दो बच्चे और उसके पति सुखी रहें इसलिए उसी ने यह शादी कराई थी.अगर वह जानती की यह दिन देखना पड़ेगा तो वह कभी भी यह शादी नहीं करवाती.सहरसा के कपड़ापट्टी में राम कुमार का दवा का बड़ा कारोबार है.पैसे वालों में इनका शुमार है.इनका कहना है की इन्होनें कभी भी सपना के साथ मारपीट नहीं की बल्कि सपना काफी गुस्से वाली लड़की है और उसने खुद से अपने जिश्म पर जख्म के निशान करके उन्हें बर्बाद करने को आमदा है.पहले सपना ऐसी नहीं थी.ना जाने उसके माँ--बाप ने क्या पढ़ा दिया है की वह ऐसी हरकत करने पर उतारू हो गयी है.अपनी पत्नी की जिद पर उन्होने शादी की है.सपना जो और जैसा चाहेगी वे करने के लिए तैयार हैं.
पुलिस अधीक्षक का कहना है की इस मामले की सघन जांच होगी और जो पक्ष दोषी होगा उसपर कारवाई होगी.

दोनों पक्ष फिलवक्त थाने में हैं.कोई कुछ भी कह ले लेकिन इसमें कोई शक नहीं है की गरीबी की वजह से सपना का सौदा हुआ है और यह हाई वोल्टेज ड्रामा महज लेन--देन की वजह से हो रहा है.सपना ने शादी से पहले और डोली में बैठकर बहुतेरे सपने बुने होंगे लेकिन उसके सपनों को डायन सौतन गरीबी ने चाक करके रख दिया.अब सपना का क्या होगा.फिर से उसकी शादी जायज नहीं है और राम कुमार के साथ यह रहना नहीं चाहती है.फांस में सपना के सपने दम तोड़ रहे हैं तो दोजख में उसकी जिन्दगी पड़ी है.आखिर में इसका क्या समाधान निकलेगा,कहना मुश्किल है.इतना तो हम जरुर कहेंगे की सपना के सपने गरीबी में पहले से बिखड़े पड़े थे उसके माँ--बाप की गरीबी और लालच ने उसे और भी बिखेड़ कर रख दिया है.रब जाने,आगे उसका क्या होगा. सहरसा से चन्दन सिंह की रिपोर्ट

नवंबर 14, 2011

गलत मुक़दमे की फांस और नवजात की मौत

अपने पति के झूठे अपहरण मामले में बन्द एक नवयुवती ने अपने नवजात के इलाज में बरती गयी लापरवाही की वजह से उसे जनम के कुछ दिनों के बाद ही खो दिया.पिछले चार दिनों से बीमार बच्चे के इलाज के लिए वह जेल के भीतर गुहार लगाती रही लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी.बीती रात जेल प्रशासन ने उसे उसके बीमार बच्चे के साथ सदर अस्पताल तो भेजा लेकिन तबतक देर हो चुकी थी. नवजात बच्चे ने अस्पताल पहुँचने से पहले ही दम तोड़ दिया.नवजात बच्चे की माँ और उसके पिता सहित अस्पताल में मौजूद उसके सभी परिजन इस बच्चे की मौत के लिए जेल प्रशासन और अपने घर के उन सदस्यों को जिम्मेवार ठहरा रहे हैं जिन्होनें झूठे मुकदमें में फंसाकर इस नवयुवती को जेल भेजा था जिससे आज ये मातम का दिन देखना पड़ा.नवजात की मौत में लापरवाही बरतने की बात को जेल प्रशासन सिरे से ख़ारिज करते हुए कह रहा है की जेल प्रशासन ने ना केवल इस नवयुवती बल्कि नवजात के इलाज के लिए भी उससे जो संभव हुआ हर संभव प्रयास किया.इस बच्चे की मौत पर विलाप चल रहा है लेकिन यह मामला एक तरह से दब ही जाएगा.यह मौत एक बड़ा मामला है लेकिन इससे भी बड़ा मामला है की यह नवयुवती आखिर जेल गयी तो किस वजह से.इस नवयुवती पर उसके दो भैंसुर ने मिलकर झूठा मुकदमा दर्ज करा डाला की उसने अपनी माँ के साथ मिलकर संपत्ति हड़पने की नीयत से उसके छोटे भाई यानि अपने पति का अपहरण कर लिया है.हद बात देखिये की अपने बड़े भाईयों के रसूख और उनकी ताकत के डर से इस नवयुवती का पति सहरसा से भागकर नेपाल के धरान में शरण लिए हुए था.चूँकि इस नवयुवती और उसके पति ने प्रेम विवाह किया था जिसे उसके घर के कुछ लोग स्वीकार नहीं कर रहे थे.हांलांकि लड़के के पिता और एक भाई इस शादी से रजामंद थे.लेकिन यह परिवार अजूबा परिवार है जहां के लोग दो फाड़ हैं.एक खेमे में दो बेटे और माँ हैं तो दूसरे खेमे में दो बेटे और पिता हैं.माँ की तरफ का एक बेटा पेशे से वकील और नाम--सोहरत के साथ--साथ रसूख वाला है.इनलोगों को लग रहा था की घर के लोग आखिर में मान जायेंगे और उनके रिस्ते को स्वीकार कर लिया जाएगा.लेकिन साजिश के तहत अपहरण का मुकदमा ना केवल दर्ज कराया गया बल्कि बड़ी साजिश और पैसे के दम पर पुलिस के तमाम अधिकारियों के द्वारा इस अपहरण की झूठी घटना को अनुसंधान में भी सत्य साबित कर दिया गया.नवयुवती और उसकी माँ को इस काण्ड में आरोपी बनाया गया था जिसे पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. हद बात तो यह भी है की जिस समय सीजीएम के पास आरोपी नवयुवती और उसकी माँ को प्रस्तुत किया गया था उस समय भी अगवा घोषित पति ने सीजीएम साहब के सामने उपस्थित होकर अपनी पत्नी और सास को बेकसूर बताया था.लेकिन सभी की आँखों में पट्टी बंधी थी और सब के सब बहरे हो गए थे.पति चीखता--चिल्लाता रहा लेकिन उसकी आँखों के सामने ही उसकी पत्नी को जेल भेज दिया गया.आज अगर वह घर में होती तो मासूम नवाजा पालने में होता लेकिन असमय वह इस दुनिया से जा चुका है.बिलख--बिलखकर यह नवयुवती कह रही है उसे जाना था ससुराल लेकिन चली गयी जेल.यह कैसा इन्साफ है.संपत्ति की लालच में एक बड़ी साजिश से एक परिवार में बिखड रही जिन्दगी की अजीबो--गरीब दास्ताँ.एक 
अपने पति के ही अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर अपनों के ही द्वारा जेल भेजी गयी एक नवयुवती यहाँ पर विलाप कर रही है.बीती रात यह सहरसा जेल से अपने नवजात बच्चे को लेकर इलाज के लिए आई थी लेकिन अस्पताल पहुँचने से पहले ही बच्चे ने दम तोड़ दिया.देखिये इस नवयुवती का विलाप.यह नजारा देखकर यमराज के भी पसीने छूट जायेंगे.यह नवयुवती बताती है की पिछले चार दिनों से जेल में बीमार बच्चे को अस्पताल ले जाकर वह इलाज कराने के लिए जेल के सभी अधिकारियों से फ़रियाद करती रही लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी.जेल का कमपाउंडर कुछ से कुछ दवाई देकर बहलाता रहा.आखिरकार कल जब बच्चे की तबियत बहुत बिगड़ गयी तो जेलर ने अस्पताल ले जाने की इजाजत दी.यह देखिये नवजात के पिता किस तरह से ना केवल बेसुध पड़े हुए है बल्कि जब उन्हें होश में लाया जाता है तो कैसे वे चीख रहे हैं.छाती पीट रहे हैं.नवजात के पिता ने भी जेल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है.आईये दोनों पीड़ित दम्पति को बच्चे की मौत पर वे क्या कह रहे हैं सुनते हैं.
सबसे पहले हम इस अध्याय को खत्म करना चाह रहे हैं.इसलिए चलिए पहले बच्चे की मौत को लेकर जो जेल प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं उसको लेकर जेल प्रशासन से जबाब-तलब कर लेते हैं.जेल अधीक्षक देवेन्द्र कुमार अवकाश पर हैं.उनकी अनुपस्थिति में जेलर सुरेश चौधरी जेलर के अलावे जेल अधीक्षक के प्रभार में भी हैं.इनका कहना है की इसी वर्ष 19 अगस्त को अपहरण काण्ड की आरोपी अन्नू देवी को उनकी माँ कृष्णा देवी के साथ जेल भेजा गया था.बीते 25 अक्तूबर को उसे प्रसव पीड़ा होने लगी तो उसे सदर अस्पताल भेजा गया.25 अक्तूबर को ही उसने बेटे को जन्म दिया.उस वक्त बच्चे को पीलिया रोग हो गया था इसलिए नौ दिनों तक उसका इलाज अस्पताल में होता रहा. डिस्चार्ज किये जाने के बाद वह पुनः 2 नवम्बर को जेल लायी गयी.जेल के भीतर ही बच्चा और जच्चा दोनों का का इलाज हो रहा था लेकिन बीती रात बच्चे की तबियत अचानक बिगड़ गयी तो उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.जेल में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गयी है.
अब हम नवजात की मौत से इतर आपको ऐसे वाकये से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसे जानकार आप ना केवल दांतों तले ऊँगली दबा लेंगे बल्कि पुलिस की अजीबो-गरीब कारस्तानी ऐसा भी कर सकती है को लेकर सोचने को विवश भी हो जायेंगे.बनगांव थाना क्षेत्र के बरियाही गाँव के रहने वाले धीरज और अन्नू एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे.लेकिन धीरज की माँ और उसके दो भाईयों को यह पसंद नहीं था.अन्नू और धीरज ने घर से भागकर पहले मदिर फिर न्यायालय में शादी कर ली.यह दोनों शादी के बाद छुप--छुपाके रह रहे थे.बताना लाजिमी है की धीरज चार भाई है.उसके पिता बालमुकुन्द गुप्ता बरियाही के सबसे अधिक धनाढ्यों में से एक हैं.लेकिन उनके दो बेटे और उनकी पत्नी गौरी देवी आपस में मिलकर वर्षों से साजिश करते रहते हैं.खुद उन्हें भी इनलोगों ने कई झूठे मुकदमें में फंसा रखा है.बालमुकुन्द गुप्ता और उनके दो बेटे उनके साथ हैं जिसे पहला खेमा देखना नहीं चाहता है.जाहिर तौर पर बता दूँ की सभी कुछ जायदाद को लेकर है.अपनी माँ के साथ रह रहे दो बेटे अमर रंजन और नीरज रंजन दोनों रसूखदार और पैरवी--पहुँच वाले हो गए हैं.पैसा भी अच्छा कमाया है और जायदाद पर भी कुंडली मारकर बैठे हुए हैं.बालमुकुन्द गुप्ता प्रेम विवाह किये अपने बेटे धीरज रंजन और सबसे बड़े बेटे सरोज रंजन के साथ पिछले चार वर्षों से घर छोड़कर भागे--भागे फिर रहे हैं.इसी अजीबो--गरीब परिवार के दो बेटों नें अन्नू को अपने ही पति के अपहरण के आरोप में फंसा दिया और उसे और उसकी माँ कृष्णा देवी दोनों को आरोपी बना डाला.यही नहीं इनके पैरवी की ताकत देखिये की अन्नू के पति यानि अपने सगे भाई धीरज को पागल करार करने के लिए PMCH से सर्टिफिकेट भी बनवा लिया.यही नहीं वे सारे लोग पूरी जायदाद को हड़प सकें इसके लिए साजिश करके अपहरण के मुक़दमे को बड़े अधिकारियों के अनुसंधान में हर जगह सत्य करवा लिया.पुलिस ने इस काण्ड का चार्जसीट  तक कोर्ट में जमा कर दिया. आखिरकार अन्नू और उसकी माँ को पुलिस ने गिरफ्तार कर के सीजीएम के पास प्रस्तुत किया.धीरज ने वहाँ पर चीख-चीख कर बताया की वह सही सलामत है.उसकी पत्नी ने उसका अपहरण नहीं करवाया है.उसकी पत्नी और सास दोनों बेकसूर हैं.लेकिन किसी ने उसकी एक ना सुनी और अन्नू और उसकी को जेल भेज दिया गया.
अस्पताल में बेहाल अन्नू की हालत देख स्थानीय मीडिया  ने जिलाधिकारी को नवजात की मौत और फर्जी अपहरण को लेकर पूरी जानकारी दी.देखिये जिलाधिकारी अस्पताल पहुँचे तो अन्नू किस तरह से अपने मर चुके बच्चे को लेकर जिलाधिकारी की गाड़ी के आगे बैठी और किस तरह से फ़रियाद कर रही है.जिलाधिकारी ने ना केवल अन्नू को बल्कि उसके पति धीरज को भी गंभीरता से सुना और इस मामले की पुनः जांच का भरोसा दिलाया.इस फर्जी अपहरण के मुक़दमे को लेकर हमने पुलिस अधीक्षक से भी तल्ख़ अंदाज में जबाब--तलब किया. पुलिस अधीक्षक कहना है की वरीय अधिकारी के निर्देश पर सारी प्रक्रिया हुई है.अब जो भी होगा अदालत के माध्यम से ही होगा.पुलिस की इतनी बड़ी लापरवाही को पुलिस अधीक्षक बड़े मामूली लहजे में बस टालते दिखे. इस  परिवार को पुलिस ने अपने अनुसंधान से तबाह करके रख डाला और जबाब भी दे रहे हैं तो घुमाने वाले लहजे में.
लालच और प्रपंच में डूबे घर के ही कुछ सदस्यों की साजिश और पुलिस की लापरवाही ने एक हँसते---खेलते प्रेमी जोड़े को तबाह करके रख डाला है.बदले निजाम में भी पुलिस की कार्यशैली बदली हो,ऐसा कम से कम इस जिले में तो प्रतीत नहीं हो रहा है.नीतीश बाबू एक बार तो आप को भी पति के इस फर्जी अपहरण की दास्ताँ पर यकीन नहीं होगा लेकिन अब आपको कुछ हटकर ना केवल यकीन करने होंगे बल्कि काम--काज के तौर--तरीके भी बदलने होने.आगे इस अपहरण काण्ड के कैसे परिणाम आयेंगे,फिलवक्त हम तो कुछ भी कहने से रहे.इस लोमहर्षक झूठ के खेल में अभीतक तो एक नवजात की बलि पर चुकी है.

नवंबर 13, 2011

विधायक सहित चार लोग जख्मी

13-11-2011
घायल रत्नेश सदा 
मधुबनी के लोकहा विधानसभा उप चुनाव में जदयू के प्रत्यासी सतीश कुमार के नामांकन में शामिल होकर सहरसा वापिस लौट रहे सोनवर्षा राज के विधायक सह विधानसभा में जदयू के सचेतक और महादलित प्रकोष्ठ के राज्य अध्यक्ष रत्नेश सदा सुपौल जिले के निर्मली के समीप फोरलेन पुल के समीप सड़क हादसे में गंभीर रूप से जख्मी हो गए.विधायक अपनी स्कार्पियो गाड़ी से वापिस लौट रहे थे की अचानक सामने एक भैंस और एक मोटरसाईकिल सवार आ गया जिसे बचाने में स्कार्पियो चालक ने संतुलन खो दिया और गाड़ी कई पलटी खाकर सड़क से बहुत दूर जा गिरी.इस घटना में जहां गाड़ी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त्ब हो गयी है वहीँ विधायक,चालक और विधायक के दो अंगरक्षकों को भी चोट आई है.घटनास्थल से किसी तरह आसपास के लोगों ने दूसरी गाड़ी से लादकर सभी घायलों को सहरसा लाया जहां सभी का इलाज हो रहा है.सदर अस्पताल के ICU में रखकर घायल विधायक का इलाज किया जा रहा है.विधायक के सहरसा पहुँचते ही स्वास्थ्य महकमा सहित जिले के तमाम आलाधिकारियों में खलबली मच गयी और सभी विधायक को बेहतर से बेहतर चिकित्सीय सुविधा मुहैया कराने में जुट गए.फिलवक्त चिकत्सकों ने विधायक का सिटी स्केन कराया है और उन्हें खतरे से पूरी तरह बाहर बताया है.बताना लाजिमी है की खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फोन से विधायक की स्थिति को लेकर सहरसा के सिविल सर्जन से तुरत--तुरत बात कर रहे हैं.
तीमारदारों की लाईन
अब इतने वजनी व्यक्ति हादसे के शिकार हुए हों तो अफरातफरी लाजिमी है.यहाँ पर तीमारदारों की लाईन लगी हुई है.सिविल सर्जन साहब बता रहे हैं की वे खुद मोनेटरिंग कर रहे हैं.सिटी स्केन कराया गया है जिसमें विधायक जी का सभी कुछ नार्मल है और वे खतरे से बाहर हैं.सिविल सर्जन साहब यह भी बता रहे हैं की मुख्यमंती जी उनसे लगातार फोन पर घायल विधायक के स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे हैं.पुलिस अधीक्षक ने भी तमाम घायलों के साथ--साथ   विधायक  जी को भी खतरे से पूरी तरह बाहर बताया.
विधायक जी हादसे में बाल--बाल बचे.उनके स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कोशी की चीख़ भी ईश्वर से कामना करता है लेकिन विधायक जी की तीमारदारी में स्वास्थ्य महकमा सहित तमाम अधिकारियों के इस तरह जुटे रहने से कई तरह के सवाल जरुर खड़े हो रहे हैं,गरीब--गुरबों और आमलोगों के लिए ऐसी तत्परता कभी नहीं दिखती है.काश!ऐसी संजीदगी सभी के लिए दिखाई जाती तो पहले मिशाल फिर मिशाल दर मिशाल कायम होता.

नवंबर 12, 2011

एक और कोशी आतंक का खात्मा

12-11-2011
मृत संतोष यादव  
 सदर थाना क्षेत्र के सपटियाही गाँव के समीप पुलिस के साथ हुए अपराधियों की मुठभेड़ में मारे गए अपराधी की शिनाख्त पुलिस ने कर ली है.मारा गया शातिर खून चटोरा कॉन्ट्रेक्ट किलर संतोष यादव था जो बीते 21 अक्तूबर को अपने तीन साथियों के साथ सहरसा कोर्ट हाजत की पिछली दीवार को छेदकर फरार हुआ था.महज 25 वर्षीय इस सिरफिरे अपराधी पर ह्त्या,लूट,डकैती,फिरौती के लिए अपहरण सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा संगीन मामले सहरसा सहित सीमावर्ती विभिन्य जिलों के थानों में दर्ज हैं.इस मुठभेड़ में अपराधियों की गोली से सदर एस.डी.पी.ओ राजकुमार कर्ण घायल हो गए थे.उन्हें बाएं हाथ में गोली लगी थी.उनका इलाज सदर अस्पताल में चल रहा है जहां उनकी स्थिति खतरे से पूरी तरह बाहर है.बीती रात करीब साढ़े नौ बजे मुठभेड़ उस समय शुरू हुई जब एक मिशन पर सुपौल जा रहे एस.डी.पी.ओ ने मोटरसाईकिल पर सवार होकर जा रहे तीन युवकों को रोककर उनकी तलाशी लेनी चाही.पुलिस तलाशी शुरू कर पाती इससे पहले ही अपराधियों ने पुलिस पर गोलीबारी शुरू कर दी.जबाबी कारवाई में पुलिस ने भी फायर किये जिसमें एक अपराधी ढेर हुआ जबकि दो अपराधी भागने में कामयाब हो गए.पुलिस अधीक्षक ने घटना को पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी और आमलोगों के लिए सुकून और राहत की बात कही.
पुलिस अधीक्षक
पुलिस की गोलियों से आतंक के एक बड़े अध्याय का खात्मा हो गया.संतोष यादव एक खूंखार दहशतगर्द था जिससे कोसी इलाके में दहशत का माहौल कायम था.पुलिस के अपराध की फाईल में इसपर पहला मामला 2009 में लूट की एक बड़ी वारदात को लेकर सलखुआ थाने में दर्ज हुआ था.उसके बाद इसने अपराध के क्षेत्र में कभी भी रुकने का नाम नहीं लिया और एक से बढ़कर एक बड़े अपराध को अंजाम देता चला गया.ठेके पर हत्या करना इसका शगल था.लूट और फिरौती के लिए अपहरण इसकी ख़ास आदतों में शुमार था.पूरी तरह से यह अपराध की दुनिया में रम चुका था और हर वक्त बड़ी घटना को अंजाम देने की ताक में रहता था.सलखुआ थाना क्षेत्र के मुंदीचक गाँव के महज 25 वर्षीय इस अपराधी के खौफ से ना केवल कोसी इलाका बल्कि सीमावर्ती कई जिले के लोग भी थर्राते थे.यह रेल लूट की घटना को भी अंजाम देता था. बताना लाजिमी है की सहरसा पुलिस ने इसे पिछले माह अक्तूबर के पहले सप्ताह में गिरफ्तार कर लिया था लेकिन यह बीते 21 अक्तूबर को ही अपने दो अन्य साथियों कौशल यादव और अमित पासवान के साथ कोर्ट हाजत की पिछली दीवार में छेदकर फरार हो गया था.हद की इन्तहा देखिये की इसने अपने फरारी के दिन ही सलखुआ प्रखंड से ठीक सटे बनमा इटहरी प्रखंड के बनमा के समीप एक दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार राजेश रंजन को गोली मार दी थी जिनका इलाज अभी PMCH में चल रहा है.जाहिर सी बात है की यह एक ऐसा अपराधी था जो की गोलियां चलाकर एक तरह से सुकून बटोरता था.पुलिस अधीक्षक ने इस घटना को पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी बताते हुए इस अपराधी के पूरे अपराधिक चरित्र के बारे में खुलकर बताया.

मुठभेड़ जायज है या की नाजायज,हमें इसमें फिलवक्त नहीं पड़ना.इस अपराधी के मार गिराए जाने से इलाके के लोगों के लिए राहत की बात जरुर है.पुलिस की तफ्तीश जारी है.अभी इतना तो तय है की इस घटना से अपराधियों के बढे हुए मनोबल को करारा धक्का लगेगा जिससे वे अब अपराध करने से पहले सौ बार नहीं सही कम से कम ईकाई से लेकर दहाई तक तो जरुर सोचेंगे.

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पुलिस अपराधी मुठभेड़

SAHARSA:  12-11-2011
बुधवार की रात करीब साढ़े नौ बजे सदर थाना क्षेत्र के सपटियाही गाँव के सपीप मोटरसाईकिल पर सवार तीन अपराधियों ने पुलिस के रोके जाने पर पुलिस पर अंधाधुन फायरिंग शुरू कर दी.पुलिस ने भी जबाबी कारवाई में फायरिंग की जिसमें एक अपराधी मौके पर ही ढेर हो गया जबकि दो अपराधी भागने में कामयाब हो गए.घटनास्थल पर से पुलिस ने एक नाईन एम.एम का विदेशी पिस्टल,एक देशी पिस्टल,चार जिन्दा कारतूस,तीन खोखे और एक मोटरसाईकिल बरामद किया है.इस मुठभेड़ में सदर एस.डी.पी.ओ राजकुमार कर्ण को बांह में गोली लगी है जिनका सदर अस्पताल में इलाज किया जा रहा है.वे खतरे से बाहर हैं.एस.डी.पी.ओ सुपौल जिले के किसी जगह पर एक अपराधी को दबोचने के लिए दल--बल के साथ जा रहे थे की यह घटना घटी.घटना की सूचना मिलते ही आनन्--फानन में मौके पर पुलिस अधीक्षक मोहम्मद रहमान पहुँचे जिन्होनें कमान अपने हाथों लेते हुए भागे अपराधियों को दबोचने के लिए जिले की सीमा सील करते हुए छापामारी शुरू कर दी है.फिलवक्त मृत अपराधी की पहचान नहीं की जा सकी है
 
यह नजारा है सदर थाना क्षेत्र के मत्स्यगंधा झील और सपटियाही गाँव के समीप का.देखिये पुलिस मुठभेड़ में मार गिराए गए एक अपराधी की लाश यहाँ पड़ी हुई है.रात करीब साढ़े नौ बजे एस.डी.पी.ओ राजकुमार कर्ण,सदर थानाध्यक्ष रविन्द्र यादव,प्रशिक्षु दारोगा चन्दन कुमार सहित पुलिस के कई जवान एक अपराधी को पकड़ने के लिए बगल के जिला सुपौल जा रहे थे.जैसे ही ये घटनास्थल पर पहुँचे की देखा की एक मोटरसाईकिल पर सवार तीन युवक तेजी से जा रहे हैं.एस.डी.पी.ओ ने ओवर टेक करके उनकी गाड़ी को वहाँ रोककर उनकी तलाशी लेनी चाही की इतने में उन मोटरसाईकिल सवारों की तरफ से गोलीबारी होने लगी.सबसे पहले गोली एस.डी.पी.ओ राजकुमार कर्ण के हाथ में लगी. एस.डी पी.ओ ने भी जबाबी कारवाई करते हुए अपने पिस्टल से फायरिंग शुरू कर दी.उसके बाद सुरक्षा गार्डों ने भी फायेंग शुरू कर दी.दोनों तरफ से करीब आधे घंटे तक गोलियां चलती रही.इस दौरान एक अपराधी गोली लगने से वहीँ ढेर हो गया जबकि दो अपराधी रात के अँधेरे और ईख की खेत में छुपते--छुपाते निकल भागे.देखिये यह पड़ी है अपराधी की लाश.उसके बगल में एक विदेशी पिस्टल और एक देशी पिस्टल रखे हुए हैं.कुछ दूरी पर ही जिन्दा कारतूस और खोखे हैं.सड़क किनारे औंधे गिरी यह मोटरसाईकिल अपराधियों की है जिसे छोड़कर दो अपराधी भाग निकले हैं.घटना की सूचना के बाद मौके पर पहुँचे पुलिस अधीक्षक ने जिले की सीमा को सील करते हुए सघन छापामारी शुरू कर दी जिससे भागे अपराधियों को दबोचा जा सके..
बेलगाम अपराध के बीच मुठभेड़ में एक अपराधी का मारा जाना पुलिस के लिए एक बड़ी कामयाबी कही जा सकती है लेकिन सहरसा जिला मुख्यालय या की पूरे जिले भर में मुठभेड़ की यह पहली घटना है जिससे लोग ना केवल सकते में हैं बल्कि बहुत कुछ सोचने पर भी विवश हैं.जाहिर तौर पर यह घटना अपराधियों में दहशत पैदा करेगी जिससे अपराध पर लगाम लगने की संभावना अब बढ़ेगी.आगे इस मुठभेड़ मामले में क्या कुछ निकल कर सामने आएगा,यह देखने वाली बात होगी

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।