अक्तूबर 30, 2011

कालाबाजारी के अनाज बरामद

रिपोर्ट : मुकेश सिंह  30-10-11
आज फिर जिला प्रशासन को कालाबाजारी के हजारों क्विंटल अनाज बरामद करने में सफलता मिली.सदर थाना क्षेत्र के विश्वकर्मा ढाला के समीप माईक्रो इंडस्ट्री (बाल भोग फ्लावर मील)पर फोन पर मिली गुप्त सूचना पर सहरसा के जिलाधिकारी देवराज देव और सदर एस.डी.ओ राजेश कुमार सहित कई और अधिकारियों ने मिलकर छापा मारा जिसमें तीन हजार क्विंटल से ज्यादा कालाबाजारी के गेहूं बरामद किये गए.अधिकारियों ने मौके पर मौजूद दो मजदूर और मील के मुंशी को हिरासत में ले लिया है.हांलांकि मील मालिक हेमंत कुमार ठाकुर जो की पेशे से वकील हैं,फरार होने में कामयाब हो गए.अनाज को बरामद करते हुए अधिकारियों ने मील को तत्काल सील कर दिया है.बताना लाजिमी है की इसी माह जिला प्रशासन ने एक मुहीम चलाकर करीब 25 हजार क्विंटल कालाबाजारी के अनाज बरामद किये थे.एक तरफ जहां कालाबाजारी के अनाज के थोक में बरामदगी से जिला प्रशासन की बांछें खिली हुई है वहीँ यह प्रश्न भी खड़ा हो रहा है की आखिर गरीबों के मुंह के निवाले को इस तरह से छीनकर कालाबाजारी करने वाले चांदी काट रहे थे तो इतने लम्बे समय से जिला प्रशासन खामोस और तमाशबीन क्यों था.
जिलाधिकारी देवराज देव
जिला प्रशासन ने फिर से आज कालाबाजारी के तीन हजार क्विंटल से ज्यादा कालाबाजारी के गेहूं बरामद किये हैं.जाहिर सी बात है की यह प्रशासन के लिए एक बड़ी कामयाबी है.हम आपको सदर थाना क्षेत्र के विश्वकर्मा ढाला के समीप माईक्रो इंडस्ट्री (बाल भोग आटा)में हुई छापामारी का नजारा दिखा रहे हैं.देखिये यहाँ पर जिलाधिकारी देवराज देव,एस.डी.ओ राजेश कुमार,जिला आपूर्ति पदाधिकारी सुभाष झा सहित कई अन्य अधिकारी छापामारी में जुटे हैं,यहाँ पर तीन हजार क्विंटल के करीब कालाबाजारी के गेहूं बरामद किये गए हैं.गेहूं की बरामदगी के साथ--साथ अधिकारियों ने यहाँ पर गेहूं को ठिकाने लगा रहे दो मजदूरों और मील के मुंशी अर्जुन कुमार को भी हिरासत में लिया है.हिरासत में लिए गए मजदूर को कुछ भी पता नहीं है की यह गेहूं कैसे और कहाँ से यहाँ लाये गए और यह मील किसका है.

अक्तूबर 29, 2011

गोवर्धन पूजा

29-10-2011
देश के कई हिस्सों में गोवर्धन पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया.सहरसा जिले में भी यह पर्व काफी उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया.जिले के सुदूर ग्रामीण इलाके से लेकर शहरी इलाके के पशुपालकों ने गोवर्धन की पूजा--अर्चना करते हुए जहां अपने पशुओं को रंगों से सजाया--संवारा वहीँ उसकी गर्दन में नयी रस्सी और घंटी भी बांधे.गाय और भैंस के सिंग में जहां लाल रंग से श्रृंगार किये गए वहीँ गाय और बैल के शरीर पर विभिन्य रंगों की छाप भी लगाई गयी.खासकर के बैल को विभिन्य चीजों के मिश्रण की घुंटी भी पिलाई गयी.पशुपालकों की मान्यता है है की इस पूजा--अर्चना से उनके दूध देने वाले पशु ज्यादे दुधारू होते हैं वहीँ बैल खेतों में खूब जुताई करते हैं.इस पूजा--अर्चना से उनके पशु एक तरफ जहाँ स्वस्थ्य और निरोग होते हैं वहीँ उनके लिए वे ज्यादा से ज्यादा उपयोगी भी साबित होते हैं.
बदलते परिवेश और जीवन की आपाधापी में आज भी पशुओं को लेकर चिंता की जाती है.अपने पशुओं के बेहतर स्वास्थ्य और उनके ज्यादा से ज्यादा उपयोगी बने रहने के लिए आज पशुपालकों ने गोवर्धन की पूजा की.बानगी भर को हम आपको सहरसा के बरसम गाँव में हुई गोवर्धन पूजा का नजारा दिखा रहे हैं.वैसे हम आपको बता दें की पूरे जिले में आज भर दिन यही नजारा रहा.आज जहां इंसानों ने इंसानों का ख़याल छोड़ दिया है वहीँ यहाँ पशुओं की भलाई और उसके बहुरंगे दिन के लिए पूजा--अर्चना की जा रही है.हांलांकि यहाँ भी इंसान उन्हें खुद के लिए बेहतर साबित करने के लिए ऐसा कर रहे हैं लेकिन जाहिर तौर पर इन मवेशियों का हित भी उसमे जरुर जुड़े हुए हैं.इंसान का जानवरों के लिए चिंतित रहना,ऐसा नजारा है जो भारत छोड़कर विश्व के किसी भी देश में देखने के लिए नहीं मिलेगा.

अक्तूबर 28, 2011

आग लगने से सहरसा के एक गाँव में तबाही

 २८-१०-११
अनूठे प्रकाश पर्व दीपावली में ख़ुशी और उल्लास में सने रौशनी के लिए जलने वाला दीया सहरसा के एक गाँव में तबाही और बर्बादी का दीया बन गया.बीती रात सहरसा जिले के बलबा ओपी क्षेत्र के मदनपुर गाँव में एक दीये से एक घर में आग लग गयी और फिर देखते ही देखते कई घरों से आग की लपटें उठने लगीं.दीपावली के जश्न में डूबे गाँव वाले अचानक आई इस विपदा से पहले तो किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए लेकिन फिर आग बुझाने की कोशिश में जुट गए.ग्रामीणों के अथक प्रयास के बाद आग पर तो काबू पा लिया गया लेकिन दस घर फिर भी पूरी तरह से जलकर ख़ाक हो गए.दस परिवार की ना केवल कुल जमापूंजी,अनाज, गहने और कपडे बल्कि एक दर्जन मवेशी भी जलकर पूरी तरह से ख़ाक हो गए.हद की इंतहा देखिये की घटना बीते कल रात की है लेकिन आज सुबह जब मीडिया के लोग घटनास्थल पर पहुँचे तो उस समय तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी ना तो घटना की जानकारी लेने वहाँ पहुंचे थे और ना ही किसी ने पीड़ितों का हाल--चाल लेना मुनासिब समझा था.मीडिया की पुरजोर दखल के बाद दोपहर बाद प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. VO दीपावली की खुशियों के बीच एक गाँव मातम में डूबा हुआ है. 
इस गाँव में दिवाली का दीया खुशियों का दीया नहीं बल्कि बड़ा मनहूस और मातमी दीया संबित हुआ.दीये से आग की एक लपट उठी और दस घर जलखर ख़ाक हो गए.गाँव वालों के साहस को लाख--लाख धन्यवाद है की उन्होनें आनन्--फानन में संगठित होकर आग बुझाने की शुरुआत कर दी जिससे आग पर काबू पाया जा सका.लेकिन तमाम कोशियों के बाद भी दस घर जलकर ख़ाक हो गए.जाहिर सी बात है की इस भीषण आगजनी में जहां एक दर्जन मवेशी की जान गयी वहीँ लाखों की संपत्ति का नुकसान भी हुआ.आग की तेज लपटों में लोग ना घर में रखे गहने--जेवर,नकदी,कपड़े और अनाज निकाल पाए और ना ही घर में बांधे मवेशी को ही खोल पाए.इस हादसे में हांलांकि एक भी इंसानी जान का नुकसान नहीं हुआ लेकिन चार गायें और आठ बकरी जलकर जरुर मर गयी.पीड़ित रो रहे हैं और तड़प रहे हैं.गाँव के लोग उन्हें संभालने में जुटे हुए हैं लेकिन एक भी प्रशासनिक अधिकारी या क्षेत्र के बड़े जनप्रतिनिधि घटना के दूसरे दिन दोपहर तक पीड़ितों को वक्ती राहत पहुंचाने या फिर कम से कम उनका हाल-चाल जानने भी यहाँ नहीं पहुँचे.मीडिया ने पीड़ितों की आवाज बनकर सहरसा के जिलाधिकारी देवराज देव से बड़े तल्ख़ अंदाज में बात की और प्रशासन की इस लापरवाही को लेकर कई सवाल खड़े किये.
लापरवाह जिला और प्रखंड प्रशासन दिवाली के जश्न की खुमार में था.रात में लोगों के घर जलकर ख़ाक हुए.एक बड़ी तबाही हुई लेकिन प्रशासन के किसी हाकिम को यहाँ आकर इन पीड़ितों को देखने की फुर्सत नहीं हुई.
एक बार फिर संवेदनहीन बने जिला और प्रखंड प्रशासन को मीडिया ने झंकझोर कर आम लोगों के हक़ की आवाज उठायी है.

अक्तूबर 15, 2011

कोशी की दर्द गाथा

कोशी की दर्द गाथा  
 15-10-2011
 बनना बिगरना टूटना उजरना ये शौगात हमे तो उपरवाले ने हमारे भाग्य में लिखा जिसे में नहीं मिटा सकता. बचने की लाख मशकत कर ले फिर भी हमें कोशी के उफनती धाराओं में  हर वर्ष हमे विलीन हो जाना हमारी फेहरिश्त सी है.. कोशी हर साल अपनी विनाश की कहानी लिखती तो है महज ये कहानी  सरकार के आँखों से कोशो दूर रह जाती है.. एसे में हम सिर्फ ओर सिर्फ कोशी के रहमो करम पर अपने को छोड़ देते है.. कोशी के उफनती धाराओं में जब पूरा का पूरा गावं विलीन हो जाता है तब सरकारी बाबु का कुभ्करना नींद टूटता है... तब जाके शुरू हो जाती है सिर्फ जाँच ओर जाँच बन जाती है एक नई जाँच समिति.. जी हाँ मधेपुरा सहरसा और सुपौल ये तीन एसे जिले है जहा कोशी हर साल अपनी नई कहानी गडती है गांव का गांव कोशी के आगोश में शमा जाता है.. उसके बाद हम अपनी तबाही का वो मंजर धीरे धीरे अपने दिलो दिमाग से भुलाने लगते है मगर दुखो का बादल नहीं छटता है. बढ़ तांडव के बाद फिर शुरू होती है बीमारी का तांडव जो कोशी के रहमो करम से बचा उसे बीमारी ने डंश मरना शुरू किया.. फिर क्या था देखते ही देखते शैकरो जिन्दगी बेसमय काल के गाल में समां गया.. परन्तु हमारी सरकार की संवेदना इनके मदद के लिए नहीं जग पाई..
  NDA -2 यानि की हम बेजुवानो की सरकार पेट की भूख मिटाने वाली सरकार महादलितों की सरकार की संज्ञा जिसे हमने दी वो भी हमारे लिए सिर्फ झूटी सपने दिखा के हमे एक जून की रोटी  के लिए मुहताज कर दिया.. हमारी किश्मत कोशी के रहमो करम से लिखी जाती है..
  2008 की कुशहां की त्राश्दी से विश्थापित हुए कई गांव इसे है जो दाने दाने को मोहताज है. तीन वर्षो के बाद भी सरकार के नुमाइंदे उनके दुखो को कम नहीं कर पाया. . खैर सरकार के लिए ये तो तीन साल पुरानी बात हो गई..मधेपुरा ,सहरसा और सुपौल के लगभग 65 लाख की आवादी कोशी के रहमो करम पे टिकी रहती है  मगज बानगीभर के लिए हम आपको सहरसा के उन गांव के बारे में बता रहे जहा कोशी के उफनती धाराओ ने इनकी तक़दीर में दुखो का सैलाब ला दिया.. नवहट्टा प्रखंड के केदली पंचायत  के रामपुर छातवन अशई बरियाही पहाडपुर सहित दर्जनों गांव कोशी के धार में कब का समां चूका  है. इस इलाके में हजारो परिवार बेघर होकर ना केवल खानावादोश की बेमकसद जिन्दगी जी रहे है बल्कि दोजख की यातना भी भोग रहे  है. इस इलाके के सेकड़ो  परिवार ने बलवा स्थित पूर्वी कोशी तटबंध दे एक रिंग बांध पर शरण ले रखा है. यंहा पर जिन्दगी लाचार, बेबश और लोगो की कृपा - दया पर टिकी है. क्या बच्चे ओर बूढ़े , महिलाये ओर जवान लोग भी कातर भाव लिए किशी फरिस्ते के आने की बाट जोह रहे है की कोई आसमानी ताकत उनके बीच आये ओर उनकी तक़दीर बदल दे.. भूखे लोग बीमारी के चंगुल में फसता जा रहा है .. जब पेट की फिक्र किसी सरकारी महकमो को नहीं है तो भला उनके इलाज के लिए कौन फिक्रमंद हो सकता है. सरकारी फाएलो में बंद  राहत की अटारी से कुछ छीटे तो बाढ़ विश्थापितो परे लेकिन वो ऊंट के मुह में जीरा वाली कहावत सी थी . एक तरफ जहा पेट की भूख से लोग त्राहिमाम कर रहे है वही दूसरी तरफ रिंकी कहती है की पडने का इच्छा है लेकिन ये इच्छा पेट की भूखा के साथ ही दफ़न हो जाती है. 
ये दर्द से भरी ऐसी बस्ती है जहा भूख मज़बूरी बेबशी बीमारी और सिर्फ टिस पलती है.. यंहा किसी का बड़ा सपना नहीं है हर साल उजरने और फिर से बसने में ही जिन्दगी कट जाती है .. इनकी दास्ताँ पूछने पर जुबान लड़खड़ाने लगती है जिससे दर्द खुद ब खुद टपकने लगता है. अगर आपको भी कभी इनके दुखो को कम करने का दरकार परे तो आप इस क्षत्रो में जाकर इनके दुखो को कम करने  का कोशिश जरुर करे. क्योंकी हमारी संवेदना अभी मरी नहीं है.
बड़ी सवाल ये है की सरकारी महकमा एसी कमरे में बैठे बैठे बाढ़ क्षेत्र का मुआइना कर रिपोर्ट तैयार कर देते है ओर जब इनसे जवाब तलब किया जाता है तो जा के क्षेत्रो का भ्रमण करते है. नीतीश जी को जिस तरह से जनता ने   चुनकर फिर से सत्ता में वापसी कराया उस पर ये सरकार खड़ी नहीं उतर रही है .. फिर से आवाम को जंगल राज की याद ताज़ा होने लगी है... संवेदनहिन्  सरकार के नुमाएंदे आखिर कब इनके दर्दो को कम करता है ये बड़ी सवाल है.                

अक्तूबर 08, 2011

लाखों की दवाएं सड़क किनारे

08-10-11 

भूख,बेकारी और बीमारी की मार झेल रहे इस इलाके पर एक तो रूहानी ताकतों की मेहरबानी नहीं बरसती है उस पर इंसानी ताकतों की बदमिजाजी ने लोगों का जीना मुहाल करके रख दिया है.समय पर इलाज के अभाव और दवा नहीं मिलने की वजह से हर साल इस इलाके में अनगिनत मौतें होती हैं जिसका कोई सरकारी आंकड़ा तक तैयार नहीं होता है.सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के नाम पर एक तरह से सरकारी खजाने का मुंह पूरी तरह से खोल दिया है लेकिन दूसरी तरफ स्वास्थ्य महकमे से जुड़े अधिकारी और कर्मी सरकार के प्रयासों को ना केवल पलीता लगाने पर तुले हैं बल्कि आमलोगों की जिन्दगी से वे खेल भी रहे हैं.सहरसा जिला मुख्यालय के डूमरैल मुहल्ले में उस समय खलबली मच गयी जब इस मुहल्ले की कई जगहों पर लाखों की दवाएं सड़क किनारे या फिर सड़क पर यत्र--तत्र फेंकी हुई मिली.इन फेंकी गयी दवाओं में से अधिकांश दवाएं एक्सपायर हैं लेकिन बहुत सारी ऐसी दवाएं भी हैं जो 2012 और 2013 में एक्सपायर करेंगी.गरीब मरीजों को अस्पताल में बेड मयस्सर नहीं होते तो समय पर दवाएं भी नहीं मिलती है.इस कारण से थोक में गरीब मरीज काल--कलवित होते हैं.लेकिन यहाँ की बदमिजाजी देखिये की गरीबों की जान बचाने में इस्तेमाल की जाने वाली इन दवाओं को किस तरह से बेरहमी से बर्बाद करके यहाँ पर फेंक दिया गया है. स्थानीय मीडिया ने  इस वाकये को गंभीरता से लिया और फ़ौरन आलाधिकारियों से इस बाबत बात करी.आनन्--फानन में फिर एस.डी.ओ आये जिन्होनें इस नंगे सच को अपनी मजबूर आँखों से देखा.तत्काल उन्होनें सारी दवाएं सीज करते हुए इस बाबत जिलाधिकारी को जानकारी दे दी है.यानि आगे उन्होनें जांच और कारवाई की बात कही गयी है
राजेश कुमार,एस.डी.ओ,सदर,सहरसा.
आज हम आपको गरीबों के साथ लगातार हो रहे अन्याय और मजाक की तस्वीर दिखाते हैं.यह नजारा है सहरसा के डूमरैल मुहल्ले का.देखिये इस मुहल्ले के सड़क किनारे करीब दस जगहों पर लाखों की दवाईयां एक्सपायर कराकर या फिर बिना एक्सपायर कराये ही फेंके गए हैं.एक तरफ गरीब मरीज दवा के बिना फ़रियाद करते और हाथ जोड़ते--जोड़ते इस दुनिया से विदा हो जाते हैं तो दूसरी तरफ दवाईयों को यूँ ही बर्बाद कर फेंक दिया जाता है.आखिर इस तरह दवाईयों की बर्बादी से किसको फायदा हो रहा है.यह लापरवाही और बदमिजाजी की तासीर है जो लोगों की जिन्दगी से मुहब्बत करने से परहेज करना सिखाता है.सहरसा का स्वास्थ्य विभाग आम लोगों यानि गरीबों के लिए कितना फिक्रमंद है यह उसी की बानगी है.देखिये दवाएं किस तरह फेंकी हुई सुशासन की सरकार को ना केवल मुंह चिढ़ा रही है बल्कि करारा तमाचा भी लगा रही है.इलाके के लोग दवाओं को यूँ फेंका देखकर बीमार हो रहे हैं.दवाएं सड़क किनारे यत्र--तत्र फेंकी हुई हैं.बच्चे सड़कों पर इन फेंकी गयी दवाओं से खेल रहे हैं.आप खुद से इन तमाम तस्वीरों का नजारा कीजये और फिर तय कीजिये की इस जिले में पहले आम मरीजों का इलाज जरुरी है या फिर बीमार तंत्र का इलाज कराना ज्यादा जरुरी है. इलाके के लोगों के दर्द को जो कह रहे हैं की अस्पताल जाने पर उन्हें एक तो दवाएं नहीं मिलती है और उन्हें झिडकियों के साथ भगा दिया जाता है और यहाँ पर दवाएं फेंकी जा रही हैं.अस्पताल में उनसे दवा के बदले पैसे भी मांगे जाते हैं. 
कहते हैं की हमाम में सारे नंगे हैं लेकिन यहाँ तो नंगे होने के साथ--साथ बेशर्म और बदमिजाज भी हैं.सेवा यात्रा पर निकलने वाले सुशासन बाबू नीतीश जी देख रहे हैं की आपके अधिकारी--कर्मी लोग यहाँ क्या--क्या गुल खिला रहे हैं.बिहार में सहरसा जिला स्वास्थ्य इंतजामात और बेहतर सेवा के लिए नंबर वन पर है.अरे नीतीश बाबू हम आप से पूछना चाहते हैं क्या इसी करिश्में की वजह से सहरसा को अव्वल नंबर दिए हैं.अरे नीतीश बाबू अभी भी वक्त है,जागिये और देखिये कैसे आपके सुशासन को चीरा--फाड़ा जा रहा है.

अक्तूबर 04, 2011

माँ के भक्त कर रहे हैं अजीबो--गरीब तरीके से हठयोग

   SAHARSA : 04-10-11   


देश भर में नवरात्र की धूम है.हर कोई अपने--अपने तरीके से माँ की पूजा--अर्चना में जुटा है.माँ के दरबार में बस जयकारे की गूंज है.घंटे--घड़ियाल बजाने से लेकर नांच--गाकर लोग माँ को अपनी कृपा बरसाने के लिए विवश करने को आतुर हैं.ऐसे भक्तिमय अवसर पर सहरसा के दो भक्त माँ को रिझाने--मनाने के लिए अजीबो--गरीब तरीके से हठयोग कर रहे हैं.एक भक्त ज़मीन के अंदर समाकर अपनी छाती पर कलश रखे हुए है तो दूसरा भक्त ज़मीन पर सोकर अपनी छाती पर जयंती उगा रहा है.माँ उनकी पुकार सुन लें इसलिए ये दोनों हठयोग से जतन कर रहे हैं.घर--परिवार और  समाज से लेकर विश्वकल्याण के लिए ये हठयोग कर रहे हैं.
 दशहरे के इस पावन अवसर पर सहरसा टाईम्स आज आपको सहरसा जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर महिषी प्रखंड के दो गाँव का नजारा कराने लाये हैं जहां दो हठयोगी अपने हठयोग से माँ की तपस्या कर रहे हैं.सबसे पहले हम आपको लहुआर गाँव के मुसहरी टोला लेकर आये हैं.देखिये ज़मीन के भीतर पूरी तरह से समाकर माँ की अराधना कर रहा यह हठयोगी श्री प्रसाद सदा है.ज़मीन के भीतर इसने अपनी छाती पर माँ के नाम का कलश बिठा रखा है.पिछले पाँच वर्षों से यह इसी तरह से इस टोले में स्थित माँ शीतला के इस छोटी सी कुटिया में हठयोग करता आ रहा है.मुसहरी टोले की शान्ति--समृधि और महादलितों के दिन बहुरंगे हों इसके लिए यह इस तरह से माँ को मनाने में जुटा है.पूरे विश्व का कल्याण हो यह भी इसकी इच्छा है.देखिये किस तरह से यह योगी ज़मीन के भीतर साधना में लगा है.उसके दो बच्चे बाहर बैठे उसे पंखा झल रहे हैं.टोले के निवासियों का कहना है की पिछले पाँच सालों से यह इसी तरह से पहली पूजा से लेकर विजयादशमी तक बिना कुछ खाए--पिए योग करता आ रहा है.महादलितों के शुख--शान्ति और विश्व के कल्याण के लिए यह योग कर रहा है.

अब हम आपको लेकर आये हैं बलुआहा गाँव.माँ दुर्गा के इस मंदिर में रंजीत भगत नाम का यह भक्त पिछले तीन वर्षों से अपनी छाती पर जयंती उगाता आ रहा है.यह भी अपने परिवार की समृधि और विश्व कल्याण के लिए इस तरह से माँ की अराधना करने की बात करते हैं.देखिये किस तरह से ये लेटे हुए हैं और इनकी छाती पर मिट्टी के साथ जौ रखी हुई है.अपनी छाती पर ये माँ के नाम की जयंती उगा रहे हैं.इनका प्रण है की ये लगातार नौ वर्षों तक इसी तरह से माँ के नाम की जयंती अपनी छाती पर उगाते रहेंगे.जयंती उगाने का यह उनका तीसरा वर्ष है यानि आने वाले छः वर्षों तक यह इसी तरह से जयंती उगाते रहेंगे.बिना कुछ खाए--पिए इनकी साधना भी चल रही है.ये खुद बता रहे हैं की गाँव,समाज और अपने परिवार के सुख--समृधि और विश्व शान्ति के लिए वे यह कठिन तप कर रहे हैं.गाँव के लोग भी इनके सूर में ही सूर मिला रहे हैं.

माँ की महिमा अपरम्पार है और भक्त अपने--अपने तरीके से माँ को रिझाने में जुटे हैं.माँ करुणामयी हैं वे भक्तों के द्वारा सच्चे मन से की गयी पुकार को जरुर सुनेंगी और भक्तों की झोली को उनकी मुरादों से भर देंगी.आईये मिलाकर जयकारा लगाएं--------------------जय माता दी.

अक्तूबर 03, 2011

दबंगों के कहर से थर्राया महादलित टोला

 ०३-१०-२०११            

बदले निजाम में भी दबंगों पर लगाम कसना मील का पत्थर साबित हो रहा है.रात के अंधेरों से लेकर दिन के उजाले में दबंग अपनी दबंगई दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं. बीते कल सहरसा जिले के सौर बाजार थानान्तर्गत सहुरिया पश्चिमी गाँव के राम टोला में दबंगों का ऐसा कहर बरपा जिससे यमराज की रूह भी थर्रा उठे.दिन के करीब नौ बजे उसी गाँव के संपन्न और रसूखदारों ने एक साथ करीब सौ की संख्यां में इस महादलित टोले पर हमला बोल दिया और एक तरफ से डेढ़ दर्जन से ज्यादा महादलितों के घरों को तोड़--फोड़ कर जमीनदोज कर दिया.घर के जिन लोगों ने इस आक्रमण का विरोध किया उनकी जमकर धुनाई की गयी.पुरे टोले में यकायक दबंगों की सुनामी आ गयी.घर की महिलायें अस्मत बचाने के लिए इधर से उधर भागती रहीं.किसी की साड़ी खिंची गयी तो किसी के साथ इससे भी बुरा बर्ताव हुआ.इस बर्बर हमले के दौरान दबंगों ने ना केवल घर को भारी नुकशान पहुंचाए बल्कि इनके घर में लूटपाट भी मचाई.आभी आलम यह है की महादलित के अनगिनत परिवार बेघर होकर दहशत और खौफजदा हैं की आगे उनके साथ ना जाने क्या होगा.इतनी बड़ी घटना के कारण की बात करें तो इस महादलित टोले के लोग दुर्गा पूजा में इन दबंगों के घर जाकर माँ दुर्गे को खुश करने के लिए हर साल ढोल बजाते थे जिसके बदले उन्हें कुछ अनाज दिए जाते थे.लेकिन इस बार इन महादलितों ने कुछ ज्यादा पैसे और अनाज की मांग की.दबंगों ने इन्हें पुराने तौर तरीके से ही ढोल बजाने के लिए विवश किया जिसका इन महादलितों ने ना केवल प्रतिकार किया बल्कि वे ढोल बजाने नहीं गए.बस इसी वजह से आज यह ग़दर मचाया गया.घटना के बाद जिले के पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति को और बिगड़ने से रोका.अधिकारी ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और 34 लोगों पर नामजद के अलावे करीब 75 अज्ञात के विरुद्ध काण्ड दर्ज करवाकर उसकी गिरफ्तारी के लिए छापामारी शुरू करवा दी है.इतना ही नहीं इस टोले में एक मेजिस्ट्रेट और दो दर्जन जवानों की भी तैनाती कर दी गयी है.
आज हम आपको लेकर ऐसे टोले में आये हैं जहां महादलितों का करीब 50 परिवार बसता है.यह सौर बाजार प्रखंड के सहुरिया पश्चिमी गाँव स्थित एक टोला है.आज सुबह करीब नौ बजे इस टोले पर गाँव के ही दबंगों का कहर बरपा.दबंगों ने यहाँ करीब सौ की संख्यां में आकर ना केवल जमकर उत्पात मचाया बल्कि डेढ़ दर्जन से ज्यादा इन गरीबों के आशियानों को ज़मीन पर धराशायी भी कर दिया.जो जिधर मिला उसकी जमकर धुनाई की.महिलाओं और बच्चियों के साथ छेड़छाड़ करते हुए इन बहशी दरिंदों ने इन गरीबों के घर जमकर लूटपाट भी मचाया.करीब ढाई से तीन घंटे तक इन खूंखार भेड़ियों का कहर यहाँ बेदर्दी से बरपता रहा.आप खुद ही देखिये यहाँ गरीबों के  मामूली से घर किस तरह ज़मीन दोज होकर सत्तासीनों को मुंह चिढ़ा रहे हैं.विकास से कोसो दूर इस टोले में आज इन महादलितों का सबकुछ छिन चुका है.देखिये बच्चे--बूढ़े सभी अपने टूटे और बिखड़े आशियानें को कितनी कातर आँखों से निहार रहे हैं.तस्वीर खुद ब खुद यहाँ मचे कोहराम की कहानी बयाँ कर रहे हैं.इस नवरात्र में घर--घर जाकर ढोल नहीं बजाने की इन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है जिसे ये आने वाली कई पीढ़ी तक नहीं भूल पायेंगे. 
देखिये इस बूढी अम्मा को किस तरह से अपनी मामूली घर की इस बड़ी तबाही को अपनी कातर निगाहों से बस निहारे जा रही है.टोले में हर तरह घर गंवाने वाले बच्चे से लेकर बूढ़े तक अपने सपनों के इस महल को खोने का मातम मना रहे हैं.
राजेश कुमार,एस.डी.ओ,सदर,सहरसा.

अमेरिका देवी पीड़ित
घटना बड़ी थी.पुलिस अधीक्षक जिले से बाहर हैं.ऐसे में एस.डी.पी.ओ और एस.डी.ओ ने भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचकर स्थिति को और बिगड़ने से रोका.जाहिर तौर पर गाँव में दहशत और तनाव दोनों माहौल है.गाँव पुलिस छावनी में तब्दील है.पुलिस जवान गस्त लगा रहे हैं. मौके पर पहुँचे अधिकारी जहां घटना के कारण का खुलासा कर रहे हैं वहीँ आरोपियों पर कठोर कारवाई किये जाने का भरोसा भी दिला रहे हैं.इनकी माने तो घटना बड़ी है.अधिकारी गहराई से अभी जांच में जुटे हैं.इस मामले में 34 नामजद आरोपियों के साथ--साथ करीब 75 अज्ञात लोगों पर सौर बाजार थाना में न्याय सम्मत धाराओं में काण्ड दर्ज कर लिया गया है.मौके पर एक मैजिस्ट्रेट और दो दर्जन जवान तैनात किये गए हैं.आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी होगी.यहाँ पर हुई तबाही में क्षति का आंकलन किया जा रहा है.सरकारी स्तर पर जैसी और जितनी मदद इन पीड़ितों को मिलनी चाहिए वे फौड़ी तौर पर इन्हें देने की कोशिश की जा रही है.

इस घटना को लेकर पूरे गाँव में तनाव और दहशत का माहौल है.अभी पूजा का समय है.जिला मुख्यालय से लेकर पूरे जिले में शान्ति और अमन कायम रखना पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है.ऐसे में इस वाकये ने पुलिस--प्रशासन की नींद उड़ा के रख दी है.मामला गाँव के दबंग यादवों से जुड़ा है जाहिर तौर पर आगे खूब सियासत भी होगी.पुलिस और प्रशासन के लिए इस मामले का पटाक्षेप जल्द और सही तरीके से कर पाना कहीं से आसान नहीं होगा.पूजा के ढोल ने बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है.

अक्तूबर 02, 2011

चोर की जमकर धुनाई


02-10-2011   
सहरसा
आज अहले सुबह सदर थाना क्षेत्र के रिफ्यूजी कोलोनी में एक घर में घुसकर चोरी की घटना को अंजाम दे रहे एक युवक को मुहल्ले के लोगों ने ना केवल धर दबोचा बल्कि लोहे के खम्भे में उसे बांधकर और दौड़ा--दौड़ा कर के बेरहमी से उसकी पिटाई भी की.लोडेड पिस्तौल से लैस यह आधुनिक चोर स्थानीय बटराहा मुहल्ले के एक लॉज में रहकर पढाई भी करता था.सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने लहुलुहान और खून से लथ--पथ हुए चोर को अपने कब्जे में ले लिया.गंभीर रूप से जख्मी हुए चोर को तत्काल पुलिस सदर अस्पताल ले गयी है जहां उसकी हालत नाजुक बतायी जा रही है.-
एक बार फिर भीड़ ने कानून को अपने हाथों में लेकर एक चोर को खम्भे से बांधकर और दौड़ा-दौड़ा कर तबतक पीटा जबतक की वह लहुलुहान होकर बेदम नहीं हो गया.हम आपको शहर के रिहायशी इलाके रिफ्यूजी कोलोनी का नजारा दिखा रहे हैं.पप्पू यादव नाम के इस चोर को देखिये लोग किस तरह से धुनाई कर रहे हैं.मुहल्ले के एक घर में यह पौ फटने से ठीक पहले चोरी की घटना को अंजाम दे रहा था.अचानक घर के लोगों की नींद खुल गयी और उन्होने हल्ला मचाया.उसके बाद फिर क्या हुआ यह हमें बताने की जरुरत नहीं है.देखिये इस आधुनिक चोर को,किस तरह से इसकी कमर में लोडेड पिस्तौल खोंसी हुई है.इसके पास से तीन जिन्दा कारतूस भी अलग बरामद किये गए हैं.हद बात तो यह है की यह चोर शहर के ही एक मुहल्ले बटराहा के एक लॉज में रहकर पढाई भी कर रहा था.यह बीएससी पार्ट वन का छात्र भी है.सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची सदर थाना की पुलिस ने चोर को लोगों की गिरफ्त से मुक्त कराके उसे अपने कब्जे में ले लिया.थाना लाने के क्रम में बेरहमी से हुई पिटाई की वजह से अचानक चोर बेहोश हो गया.आनन्--फानन में पुलिस चोर को इलाज के लिए सदर अस्पताल ले गयी है जहां उसकी हालत नाजुक है.

रविन्द्र यादव,थानाध्यक्ष,सदर थाना,सहरसा.
कानून को हाथ में लेकर भीड़ के द्वारा चोर की इस तरह से बेरहमी से पिटाई करने को कभी भी जायज नहीं ठहराया जा सकता है.जाहिर तौर पर यह पुलिस की नाकामियों का ही नतीजा है की अब पुलिस पर से लोगों का भरोसा उठने लगा है और लोग खुद कानून हाथ में लेकर इन्साफ करने में जुट गए हैं.दशहरे का समय है इस समय तो पुलिस को खासकर के और ज्यादा चौकस और सतर्क रहके ना केवल गस्त लगानी होगी बल्कि असामाजिक तत्वों पर पैनी नजर भी रखनी होगी.

अक्तूबर 01, 2011

बच्चों ने किया बड़ा जाम



 ०१-१०-2011

वर्षों से सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित महादलित बच्चों और उनके परिजनों का गुस्सा आज एक साथ ही फुटकर सड़क पर पसर गया.सौर बाजार प्रखंड के करीब आधा दर्जन उत्क्रमित मध्य विद्यालय के सैंकड़ों बच्चे और उनके साथ उससे भी बड़ी संख्यां आये उनके परिजनों ने ना केवल जमकर बबाल काटे बल्कि बैजनाथपुर से होकर गुजरने वाली NH--107 को करीब पाँच घंटे तक जाम कर यातायात को पूरी तरह से ठप्प कर दिया.इस दौरान गाड़ियों की लम्बी कतार लग गयी और आमलोग खासे हलकान और परेशान रहे.हद की इन्तहा देखिये की सहरसा जिले के सबसे महत्वपूर्ण सड़क पर घंटों से यातायात ठप्प था लेकिन इस दौरान जिले के किसी बड़े प्रशासनिक अधिकारी ने मौके पर जाकर आंदोलित लोगों को समझाने का प्रयास नहीं किया.सुबह ग्यारह बजे से लगा जाम शाम के चार बजे जाकर समाप्त हुआ.आन्दोलनकारी बच्चों और उनके परिजनों का कहना था की सरकार उनके और उनके बच्चों के लिए तो अनगिनत योजनायें चला रही है लेकिन उन्हें इसका कतई लाभ नहीं मिल रहा है.बच्चों को स्कूल में एक तो कभी ढंग से मिड डे मिल नहीं मिलता है और उसपर आजतक ना तो छात्रवृति और ना ही पोशाक की राशि ही उन्हें मिली है.सरकार ने उन्हें महादलित बनाकर दूसरे को मालामाल करने का काम किया है.आखिरकार जाम सौर बाजार के बीडीओ के समझाने--बुझाने पर खत्म हुआ.

यह नजारा है सहरसा के बैजनाथपुर के NH--107 का.देखिये यहाँ सरकारी योजनाओं के लाभ से पूरी तरह वंचित ना केवल महादलित बच्चों का कुनबा उमड़ा है बल्कि इन बच्चों के साथ इनके परिजन भी है.बच्चे और उनके परिजनों ने मिलकर बैजनाथपुर के NH--107 को पूरी तरह से जामकर के यातायात को बाधित कर दिया है.सुबह ग्यारह बजे ये सभी यहाँ हंगामा कर रहे हैं लेकिन इनको सुनने के लिए यहाँ कोई प्रशासन का अधिकारी नहीं आ रहा है.बैजनाथपुर शिविर के प्रभारी ने इन्हें समझाने का काफी प्रयत्न किया लेकिन उनकी एक ना चली और जाम जारी रहा.जाम के दौरान मधेपुरा,पुर्णिया,कटिहार से लेकर सोनवर्षा राज और निकट के कई हिस्सों के लिए जाने वाली गाड़ियां यूँ  ही सड़क के किनारे लगी रहीं.जाम के दौरान कई पुलिस अधिकारियों को भी जाम में फंसे रहने को विवश रहना पड़ा.मधेपुरा के डीएसपी को सहरसा जाना था लेकिन उन्हें जाने की इजाजत जाम खत्म होने पर ही मिल सकी.आईये सुनते हैं बच्चों और उनके परिजनों को.
अब जरा इस बुजुर्ग महादलित के गुस्से को देखिये.इनका कहना है की नीतीश कुमार ने इन्हें महादलित बनाकर ठगने का कामं किया है.ना तो इन्हें और ना ही इनके बच्चों को सरकार की किसी योजना का लाभ मिल रहा है.देखिये ये हाथ में पत्थर लेकर कह रहे हैं की अगर अभी नीतीश कुमार उनके सामने आ जाएँ तो वे उनका सर फोड़ देंगे.

दिनभर बैजनाथपुर शिविर के प्रभारी लोगों को मनाने की कोशिश करते रहे लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी.सबके सब बीडीओ और डीएम को मौके पर बुलाने की जिद पर अड़े थे.आईये सुनते हैं इनको..
सुनील कुमार भगत,बैजनाथपुर शिविर प्रभारी.
चार बजे शाम में जाम तो खत्म हो गया लेकिन इस जाम ने कई सवाल खड़े किये हैं.एक तो महादलितों के साथ किस तरह से छलावा हो रहा है और दूसरा प्रशासन के अधिकारी कितने बिगडैल और लापरवाह हैं,इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।