अप्रैल 30, 2013

महाविद्यालय में अनिश्चितकालीन धरना और तालाबंदी


सहरसा टाइम्स: आज राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय में जीव विज्ञान के चयनित छात्र---छात्राओं ने उनके अभीतक महाविद्यालय में नामांकन नहीं किये जाने को लेकर ना केवल जमकर बबाल काटे बल्कि महाविद्यालय में तालाबंदी कर अनिश्चितकालीन धरने पर भी बैठ गए।इस धरना और तालाबंदी में खास बात यह भी रही की कौंग्रेस के छात्र संगठन NSUI,छात्र राजद और AISF के छात्र नेताओं ने भी इसमें ना केवल बढ़---चढ़कर हिस्सा लिया बल्कि महाविद्यालय में तालाबंदी और धरने पर बैठने में वे ही सबसे आगे थे।बारह बजे से महाविद्यालय में हंगामा शुरू हुआ जो दोपहर बाद तीन बजे तक अनवरत चलता रहा।
छात्र नेताओं ने यहाँ पर ना केवल जमकर बबाल किये बल्कि इस दौरान छात्र नेताओं ने प्रभारी प्राचार्य से वार्ता भी की लेकिन उसका तत्काल कोई भी फलाफल नहीं आया।करीब तीन घंटे तक प्राभारी प्राचार्य को इनलोगों ने बंधक बनाकर रखा।यही नहीं ये प्रदर्शनकारी छात्र नेता प्राचार्य पर घूसखोरी सहित कई गंभीर आरोप भी लगाए। महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉक्टर राणा जयराम सिंह का कहना है की जीव विज्ञान में एक चयनित बच्ची की वजह से अड़चन आ गयी है जिसका चयन एक अन्य संकाय में भी है।उन्होनें राज्य मुख्यालय में बैठे विभाग के निदेशक को इस बाबत पत्र प्रेषित कर दिशा निर्देश माँगा है।जैसे ही दिशा निर्देश मिलता है सभी चयनित छात्र--छात्राओं का नामांकन हो जाएगा।
आज पुरे दिन महाविद्यालय में तालाबंदी की वजह से पूरा काम--काज ठप्प रहा।इन छात्र--छात्राओं की जिद को देखकर लगता है की महाविद्यालय में कल भी तालाबंदी रहेगी और किसी तरह का काम--काज यहाँ पर नहीं होगा।ऐसे में विभाग से तत्क्षण निर्देश प्राप्त कर जो न्याय सम्मत है उसे कर लिया जाना चाहिए।जाहिर तौर पर सभी विषयों की पढ़ाई शुरू हो गयी हो और सिर्फ एक विषय की पढाई बंद हो तो इन चयनित छात्र--छात्राओं में कोफ़्त होना और उनका बौखलाना लाजिमी है।

MLT कॉलेज में हंगामा

सहरसा टाइम्स: आज एक बार फिर छात्रों का गुस्सा फूटा।NSUI के कार्यकर्ताओं ने स्थानीय MLT कॉलेज में ना केवल घंटों हंगामा और प्रदर्शन किया बल्कि कॉलेज में तालाबंदी कर कॉलेज कर्मी और कॉलेज के प्रिंसीपल को घंटों बंधक भी बनाए रखा। आंदोलित छात्र प्रदर्शन और नारेबाजी कर रहे थे  और बगल में पुलिसवाले खड़े होकर महज इस तमाशे को देख भर रहे थे ।इसी दौरान छात्रों ने कॉलेज के प्राचार्य को भी बंधक बना लिया।तीन घंटे से ज्यादा प्राचार्य इन छात्रों के बीच बंधक बने रहे जिस दौरान उन्होनें इन छात्रों से ढेरों मान--मनौव्वल किये और समस्या के त्वरित समाधान के आश्वासन भी दिए।ये छात्र इंटरमिडीएट साइंस में 128 नयी सीट बढाने को लेकर आंदोलित थे।
इनकी मानें तो यह काम कम से कम सात माह पूर्व ही हो जाना चाहिए लेकिन कॉलेज प्रिंसीपल की मनमानी की वजह से आजतक ये काम अधर में लटका रहा।बंधक बने कॉलेज कर्मी सच्चाई बयान करते हुए खुद के बंधक बनाए जाने और काम--काज के ठप्प होने की बात कर रहे हैं।जहां तक कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव रंजन सिन्हा का सवाल है तो उनका भी कहना है की छात्रों ने सीट बढाए जाने को लेकर उन्हें बंधक बनाया है।वे फिलवक्त विवश हैं लेकिन विश्वविद्यालय के अधिकारियों से वार्ता कर शीघ्रता से इस समस्या का वे समाधान करवा लेंगे।
सहरसा का सबसे पुराना

और गौरवशाली कॉलेज  इनदिनों राजनीति का अखाड़ा बन गया है जिसका खामियाजा छात्र और छात्राएं भुगत रहे हैं।जो काम महीनों पूर्व आसानी से कर लिए जाने चाहिए उसे उलझा कर रखा जा रहा है।कॉलेज प्रशासन को छात्र--छात्राओं के हित से इतर कुछ भी नहीं करना चाहिए लेकिन यहाँ हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर काम करने की रिवायत है।

अप्रैल 29, 2013

सुरों की बही दरिया


जिला मुख्यालय स्थित स्टेडियम परिसर में एक शाम विकलांग बच्चों के नाम कार्यक्रम के तहत मशहूर लोक सह पार्श्व गायिका देवी और रत्ना प्रिया ने बहाई सुरों की दरिया
सहरसा टाइम्स: 28 अप्रैल की शाम जिला मुख्यालय स्थित स्टेडियम परिसर में वीना वेलफेअर ट्रस्ट  द्वारा आयोजित 'एक शाम विकलांग बच्चों के नाम" कार्यक्रम के तहत मशहूर लोक सह पार्श्व गायिका देवी और रत्ना प्रिया ने ऐसी सुरों की दरिया बहाई की लोगों ने अपना आपा किसी तरह से खोने से बचाया। कार्यक्रम रात के नौ बजे से शुरू हुआ जो देर रात के दो बजे तक चलता रहा जिसमें लोग बस झूमते और थिरकते रहे।यूँ इस कार्यक्रम को मशहूर गायक लोकेश सिंह और पार्श्व गायिका श्रृष्टि सरगम ने भी अपनी जादुई आवाज से चार चाँद लगा दिए।कार्यक्रम में जानी लीवर ने अपने अलग अंदाज से लोगों को खूब गुदगुदाया।
भारी पुलिस बल की मौजूदगी में पुलिस--प्रशासन के आलाधिकारी पुरे कार्यक्रम के दौरान चौकस रहे।देवी ने इस मौके पर आगामी 31 मई को रिलीज होने वाली उनकी पहली फिल्म "जलसा की देवी"जिसमें उन्होनें ना केवल गीत गाये हैं बल्कि फिल्म में नायिका का किरदार भी निभाया है को लेकर भी चर्चा की।देवी ने इस फिल्म के  एक गीत को गाकर भी सुनाया जिसे सुनकर लोगों ने जमकर तालियाँ बजाई।कुलमिलाकर लोगों के लिए यह एक बेहद रोमांचक और यादगार रात थी जिसमें सिर्फ और सिर्फ मदहोशी और नाचने का दिलकश शमां था।हांलांकि थोड़ी देर के लिए कार्यक्रम को ग्रहण जरुर लगा जब अनियंत्रित भीड़ को शांत करने के लिए पुलिस को लाठियां भाजनी पड़ी जिसमें दो युवक जख्मी हुए जिन्हें ईलाज के लिए एस.डी.ओ की गाड़ी में लादकर तुरंत सदर अस्पताल पहुंचाया गया।दोनों युवकों की स्थिति गंभीर मगर खतरे से बाहर है।

अप्रैल 27, 2013

सेक्स रैकेट का पर्दाफ़ाश

सहरसा टाइम्स: सदर एस.डी.पी.ओ अशोक कुमार दास के नेतृत्व में सदर थाना के रेड लाईट इलाके में जबरदस्त छापामारी हुयी जिसमें देह व्यापार कराने के लिए अपने महबूब द्वारा बेचीं गयी बलिया उत्तर प्रदेश की दो नाबालिग लड़की को पुलिस ने बड़ी सफलता के तौर पर बरामद किया.यही नहीं पुलिस नेदेह व्यापार कराने वाले एक दंपत्ति के साथ---साथ दो महिला और देह व्यापार में संलिप्त चार लड़कियों को भी गिरफ्तार किया है.सूत्रों की मानें तो पुलिस को इस इलाके में बड़े पैमाने पर बाहर की लड़कियों को खरीदकर देह व्यापार कराये जाने की सूचना मिली थी लेकिन इस छापामारी की सूचना देह मंडी के दलालों को पहले ही हो गयी जिससे उन्होनें सभी लड़की को पुलिस के आने से पहले ही कहीं अन्यत्र शेफ जोन में शिफ्ट कर दिया.बताते चलें की सहरसा के भारतीय नगर स्थित इस रेड इलाके में 500 से ज्यादा ऐसे परिवार रहते हैं जिन्होनें दिखाने के लिए तो नाच--गाने का लाईसेंस ले रखा है लेकिन उसकी आड़ में खुलकर देह की दुकानें सजती है.
यह नजारा है सहरसा के भारतीय नगर स्थित नांच-गानों का लाईसेंस लेकर देह का कारोबार करने वाले लोगों की बस्ती का जिसे लोग रेडलाईट इलाके के नाम से जानते हैं.इस धंधे से जुड़े लोगों के 500 से ज्यादा परिवार यहाँ बसते हैं.यूँ कहने को यहाँ नांच और गाने होते हैं लेकिन सच यह है की इसकी आड़ में यहाँ खुलकर देह का खेल चलता है.सहरसा पुलिस पूरे आव-लस्कर के साथ D.S.P की अगुवाई में यहाँ छापामारी करने में जुटी थी.
यह दोनों बलिया की रहने वाली सादिका और संध्या है.प्रेम में बाबली हुयी ये दोनों नाबालिग बच्चियां अपने महबूब के साथ अपने--अपने घर से कुछ दिन पूर्व फरार हुयी थी.पहले तो इनके महबूब ने इनके जिश्म से खेला फिर उन्होनें इन्हें सहरसा के रेड लाईट इलाके के दलाल रंजीत उर्फ़ आलम के हाथों बेच दिया. सादिका को उसके महबूब नीरज सिंह और संध्या को उसके आशिक सुरेश कुमार ने इस नरक में धकेल दिया.दोनों बच्चियों के माता---पिता को सहरसा पुलिस ने सूचना दे दी है. इस पूरी फिल्म के यही मुख्य खलनायक और नायक रंजीत उर्फ़ आलम है.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ इसके तार बिहार से बाहर के कई प्रान्तों से जुड़े हैं और ये बाहर की लड़कियों को मोटी कीमत अदा कर खरीदते हैं और फिर उनसे उनसे देह का धंधा करवाते हैं.
इस पुरे मामले में सहरसा पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी का कहना है की सहरसा का भारतीय नगर जिसका एक हिस्सा रेड लाईट इलाके के नाम से जाना जाता है वहाँ पर लम्बे समय से देह की दूकान सजती है.नाच--गाने का लाईसेंस लेकर उसकी आड़ में देह व्यापार होता है।इस बार उत्तर प्रदेश के बलिया की रहने वाली दो नाबालिग लड़कियों को इस मंडी से बरामद किया गया है जिसे यहाँ पर खरीदकर लाया गया है.जाहिर सी बात है की खरीद--फरोख्त का यह धंधा पुराना है.गिरफ्त में लिए गए लोगों से पूछताछ जारी है.आगे बड़े खुलासे की संभावना है जिसमें कई लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है जो इस धंधे में ना केवल जुड़े हुए हैं बल्कि उनके तार बिहार के बाहर दुसरे प्रान्तों से भी जुड़े हुए हैं शरीर की भूख को शांत करने के लिए ना जाने कबतक बहू-बेटियाँ इसी तरह बिकती रहेंगी.चमरी से धनकुबेर बनने वालों पर एक दिन जरुर आसमानी कहर बरपेगा. अब इंसान की शक्ल में जिश्म के भूखे भेड़िये घूमते हैं इससे बचने के लिए मासूम बच्चियों और महिला जात को चट्टान की तरह मजबूत होना होगा.

अप्रैल 24, 2013

एक बूढी महिला का दर्द देखो सरकार

  85 साल की एक बूढी महिला बीते दो वर्षों से वृद्धा पेंशन के लिए लगा रही है अधिकारियों के चक्कर /जनप्रतिनिधि और नौकरशाहों के अलमस्त रवैये से यह बुजुर्ग महिला आजतक महरूम है पेंशन से /////मुकेश कुमार सिंह ////
सरकार के तमाम दावों के बाबजूद गरीब--मजलूमों से लेकर जरुरतमंदों का कहीं से भी भला होता नहीं दिख रहा है। आज हम आपको एक बुजुर्ग महिला की ऐसी दुखती तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जो सरकार से लेकर उसके पुरे तंत्र को ना केवल तमाचे लगा रहा है बल्कि उसे सिद्दत से कटघरे में खड़े भी कर रहा है.जिला मुख्यालय के सपटियाही गाँव की एक 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला बीते दो वर्षों से वृद्धा पेंशन के लिए हर संभव जतन कर रही है लेकिन उसे पेंशन नहीं मिल रहा है.जिला से लेकर प्रमंडल के सभी वरीय अधिकारियों के जनता दरबार में यह अपनी फ़रियाद सूना चुकी है लेकिन कहीं से भी इसे वृद्धा पेंशन दिलाने की पहल नहीं हुयी.थक---हारकर यह बूढी महिला समाहरणालय के ठीक सामने भूख हड़ताल पर बैठ गयी है.इस वृद्धा का कहना है की वह मर जायेगी लेकिंन अनशन स्थल से वह किसी भी सूरत में घर नहीं जायेगी. सहरसा टाईम्स ने इस गंभीर मामले को सिद्दत से उठाया और जिलाधिकारी से जबाब---तलब किया.हमारी पहल के बाद जिलाधिकारी ने हमें इस बुजुर्ग महिला की पेंशन दिलाने का पक्का भरोसा दिलाया.
जिलाधिकारी  सहरसा
जिसकी हकमारी होती है और जिसे इन्साफ नहीं मिल रहा होता है,सहरसा टाईम्स सदैव उसके लिए मजबूती से ना केवल आवाज बुलंद करता है बल्कि उसे उसकी वाजिब मंजिल तक भी पहुंचाता है।सहरसा टाईम्स ने सहरसा के जिलाधिकारी से इस महिला को अभीतक पेंशन नहीं मिलने को लेकर तल्खी से सवाल किये।जिलाधिकारी ने कहा की उन्हें सहरसा टाईम्स के द्वारा ही इस मामले की जानकारी हुयी है।उन्होनें कहा की वे ना केवल तुरंत इस मामले को दिखवाते हैं बल्कि इस बुजुर्ग महिला को पेंशन मिले इसकी व्यवस्था भी करवाते हैं।सुनिए इनको।
एक बुजुर्ग महिला की इस कहानी ने यह साफ़ कर दिया है की इस जिले में वृद्धा पेंशन योजना कतई सही तरीके से जमीन पर आजतक नहीं उतर पायी है।इस जिले में युवाओं को वृद्धा पेंशन और सधवा को विधवा पेंशन पहले से ही बाहेआम मिल रहे हैं जिसे देखने--सुनने वाला कोई नहीं है। अधिकारी,जनप्रतिनिधि से लेकर बिचौलियों की बस बल्ले--बल्ले और जय--जय है।सहरसा टाईम्स की पहल से एक बुजुर्ग महिला का तो आज भला होता दिख रहा है लेकिन ऐसे हजारों कैली देवी हैं जिनतक सहरसा टाईम्स का पहुँच पाना मुमकिन नहीं है।ऐसे में उनका क्या होगा,यह अल्लाह पर निर्भर करता है।
इस बुजुर्ग महिला को बानगी बनाकर सहरसा टाईम्स सरकार और उसके तंत्र से कर रहा है कुछ सवाल------------------- सवाल नंबर एक--------80 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को वृद्धा पेंशन मद में 500 रूपये दिए जाने का प्रावधान है लेकिन इस जिले में थोक में ऐसे बुजुर्ग हैं जिनकी उम्र 90 वर्ष से ज्यादा है लेकिन उन्हें अभीतक 300 रूपये ही दिए जा रहे हैं।क्या ऐसे बुजुर्गों को चिन्हित करके इन्हें कम दी गयी राशि आगे जोड़कर दी जायेगी? सवाल नंबर दो-------पेंशन आयु स्पष्ट रूप से तय रहने के बाद भी कम उम्र के लोगों को आखिर कैसे वृद्धा पेंशन मिल रहे हैं।इसे रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठाना चाहेगी?
सवाल नंबर तीन-------सधवा (सुहागन) को विधवा पेंशन कैसे मिल रहा है।इसमें सुधार और इसे रोकने के लिए सरकार के पास कौन सी योजना है?
सवाल नंबर चार--------नयी योजनाओं के सृजन की जगह पुरानी योजनाओं को सही तरीके से धरातल पर लाने के लिए सरकार आखिर क्यों नहीं गंभीर होती है?
सवाल नंबर पांच----------बड़ी योजनायें जाहिर तौर पर गरीबों के कल्याणार्थ ही बनायी जाती है।आजादी के दशकों बाद भी गरीबों के जीवन स्तर में आशातीत बदलाव नहीं हो सका है।क्या यह मानकर चलें की गरीब महज सियासी वस्तु भर हैं? 

अप्रैल 23, 2013

पहली बारिश में ही बाढ़ का खौफनाक मंजर

 उफ़ इस मुसीबत को क्या नाम दें
सहरसा टाइम्स यूँ तो बारिश हर साल बिहार की राजधानी पटना के साथ--साथ झारखण्ड की राजधानी रांची के नगर निगम के तमाम इंतजामों की पोल खोलकर रख देती है लेकिन आज हम आपको सहरसा का नजारा दिखा रहे हैं.एक तो पहले से ही यह जिला कोसी के कहर को झेल रहा है.इस जिले के कई इलाके ऐसे हैं जो हर साल बाढ़ की चपेट में आकर डूबते और तरते हैं.लेकिन इससे इतर बेमौसम की झमाझम पहली बारिश में सहरसा जिला मुख्यालय के लगभग तमाम सड़कों से लेकर मुहल्ले तक सिर्फ पानी ही पानी का नजारा है.चहुँदिश बाढ़ का मंजर है.सड़कों पर पानी है तो लोगों के घरों में पानी है.इस शहर को बारिश ने अपनी पहली धमक में ही ना केवल पानी से तर कर दिया है बल्कि शहर को नरक में तब्दील करके रख दिया है.आम जनजीवन बेहाल है.एक तरह से लोगों की जिन्दगी ठहर सी गयी है.
सहरसा की लगभग तमाम जगहें पानी से तर हैं.शहर का चप्पा--चप्पा पानी--पानी है.शहर के तमाम मुहल्ले मसलन गौतम नगर, गंगजला, बटराहा,कायस्थ टोला,हटियागाछी सहरसा बस्ती,भवानीनगर, संतनगर, न्यूकोलोनी, रिफ्यूजी   कोलोनी बारिश के पानी से इसकदर लबालब हैं गोया बाढ़ का कहर हो.बानगी भर को हम आपको हटियागाछी सहरसा बस्ती, न्यू कोलोनी और गौतम नगर मुहल्ले का नजारा दिखा रहे हैं.लोग परेशान--हलकान हैं.बारिश में हुए इस जल-जमाव से लोगों का जीना मुहाल है.बच्चे भी हद से परेशान हैं.जिन्दगी में जैसे जंग लग गयी हो.जिन्दगी की रफ़्तार थम सी गयी है.नगर परिषद् पंगु और लाचार है.पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है जिसका नतीजा हमारे सामने है.
कोसी के कहर के साथ सहरसा वासी बारिश का कहर भी झेलने को मजबूर हैं. तौर पर इस इलाके के लोगों को कुदरत के कहर के साथ--साथ सरकारी लापरवाही का जुल्म भी सहना पर रहा है.इन्हें ना जाने इस मुसीबत से कब और कैसे निजात मिलेगी.

अप्रैल 16, 2013

पूर्व सांसद आनंद मोहन सहरसा जेल में हुए बीमार

ईलाज के लिए जेल से लाये गए सदर अस्पताल///// सहरसा टाईम्स की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-- 
मुकेश कुमार सिंह//-- गोपालगंज के तत्कालीन डी.एम जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन आज सहरसा जेल में गंभीर रूप से बीमार हो गए।बीमार आनंद मोहन को ईलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने उनकी गहन जांच की। आनंद मोहन को छाती,पेट और पीठ की मांसपेसियों में जानलेवा दर्द की शिकायत है।डॉक्टर ने उनके किडनी के आसपास गड़बड़ी की आशंका जताते हुए उन्हें कई तरह की जांच की सलाह दी है।फिलवक्त जांच कराई जा रही है और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल सकेगा की मर्ज कितना बड़ा है।यूँ बताते चलें की आनंद मोहन पिछले तीन दिनों से जेल के भीतर बीमार थे।
अपने मर्ज को लेकर पूर्व सांसद आनंद मोहन तफसील से सहरसा टाईम्स को जानकारी देते हुए कहते हैं की तीन दिन पहले अचानक उन्हें पेट और पीठ दोनों में एक साथ असाध्य दर्द हुआ।जेल के डॉक्टर ने तत्काल उन्हें दर्द की सुई लगा दी जिससे दर्द थोड़ा कम हुआ लेकिन आज सुबह से दर्द बेहिसाब हो है।इसीलिए वे चेक उप कराने के लिए सदर अस्पताल आये हैं।इधर आनंद मोहन के बीमार होने की खबर लगते ही लोग हुजूम की शक्ल में अस्पताल पहुँचने लगे।जहांतक उनके समर्थकों का सवाल है तो वे कह रहे हैं की आनंद मोहन को दिखाने के लिए वे उन्हें अस्पताल लाये हैं जहां उन्हें कई तरह की जांच कराने को कहा गया है।सदर अस्पताल में किसी तरह की जांच की व्यवस्था नहीं है इसीलिए वे उन्हें प्राईवेट जगह पर जांच करवाने लेकर जा रहे हैं।जांच की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे सब कुछ साफ़ हो सकेगा।

अप्रैल 15, 2013

कैदियों से मिलने जेल पहुंचे अधिकारी

सहरसा मंडल कारा में बंद कैदियों से मिलने पहुंचे कोसी प्रमंडल के आयुक्त,सहरसा के डी.एम और कई वरीय अधिकारी
सहरसा टाईम्स: सहरसा जेल में बंद करीब पांच सौ बंदियों ने कैदियों को मिलने वाली सुविधाओं में लगातार हो रही कटौती से आजिज आकर बीते 12 अप्रैल को जिला प्रशासन को 15 अप्रैल से सामूहिक रूप से सभी कैदियों के एक साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर जाने का अल्टीमेटम दिया था।इसी आलोक में कोसी प्रमंडल के आयुक्त विमलानंद झा,सहरसा के डी.एम सतीश चन्द्र झा सहित कई अन्य वरीय अधिकारी  ना केवल सहरसा जेल पहुंचे बल्कि कैदियों से मुलाक़ात करके उनकी परेशानियों को गंभीरता से सूना भी।प्रमंडलीय आयुक्त के आश्वासन और भरोसे के बाद कैदियों ने अपनी भूख हड़ताल की घोषणा को वापिस ले लिया है।कैदियों से वार्ता करके और तत्काल कैदियों को शांत कराके जेल से बाहर आये प्रमंडलीय आयुक्त ने सहरसा टाईम्स के सामने स्वीकार किया की जेल में कैदियों के साथ कमी बरती जा रही है।जेल में कैदियों को पीने  के पानी की दिक्कत है।जेल के भीतर सफाई का अभाव है।भीषण गर्मी का दौर शुरू है और जेल के 28 पंखे खराब पड़े हैं।बिजली के तार लुंज--पुंज हैं।इन तमाम दिक्कतों को त्वरित गति से समाधान के लिए उन्होनें सम्बंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।कुछ दिक्कतों का समाधान सरकार के स्तर से सम्भव है जिसके लिए वे सरकार को लिखेंगे। करीब दो घंटे तक कैदियों से मैराथन वार्ता की।

बस दुर्घटना में एक की मौत,तीन PMCH रेफर

सहरसा टाइम्स बीते दोपहर बाद सहरसा प्रभारी जिला पदाधिकारी सतीश चन्द्र झा के सरकारी आवास के ठीक सामने हुयी मिनी बस दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी चार यात्रियों में से पुर्णिया के रहने वाले होम्योपैथिक चिकित्सक कमल प्रसाद साह की मौत हो गयी।बताते चलें की इस बस दुर्घटना में एक दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हुए थे जिसमें से चार लोगों की हालत अत्यंत नाजुक थी।इसी चार में से एक की मौत हो गयी है जबकि शेष तीन लोगों को बेहतर ईलाज के लिए PMCH रेफर किया गया है।

अप्रैल 14, 2013

चार शातिर अपराधी गिरफ्तार

  मुकेश कुमार सिंह: बेखौफ अपराधियों के द्वारा लगातार बड़ी से बड़ी घटनाओं के अंजाम देने से हलकान और खासी परेशान सहरसा पुलिस ने थोड़ी राहत और सुकून की सांस ली है। सहरसा पुलिस ने सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र से चार शातिर अपराधियों को एक कारबाईन,एक पिस्तौल,10 गोली,चार मोबाइल,पांच सिमकार्ड के साथ गिरफ्तार किया है।ये सभी अपराधी सिमरी बख्तियारपुर के एक बड़े व्यवसायी से लूट करने के लिए एक जगह जमा हुए थे।गिरफ्तार अपराधियों में शातिर लुटेरा और लम्बे समय से पुलिस लिए सरदर्द बना मोहम्मद फिरोज और पुर्णिया रिमांड होम से फरार नागमणि और संतोष दो अपराधी हैं जबकि एक और शातिर अपराधी भरत यादव है जो जेल में बंद खूंखार अपराधियों के इशारे पर बाहर के अपराधियों को इकट्ठा करके अपराध करवाता था शामिल है।

  १. भरत यादव :
 खगड़िया के रहने वाले भरत यादव सहरसा जेल में बंद खूंखार अपराधी कौशल यादव के लिए काम करता है। भरत बाहर के क्रिमिनल को बुलाकर एक जगह जमा करता है और फिर विभिन्य तरह के बड़े अपराध की घटना को अंजाम देता है।

 2 .  मोहम्मद फिरोज:
यह सहरसा जिले के बरियाही का रहने वाला है।
हर तरह की लूट की घटना को अंजाम देना इसका मूल पेशा है।

 ३. नागमणि सिंह:
छपरा का रहने वाला लूट की कई घटना का यह छपरा में आरोपी है।
यह पुर्णिया रिमांड होम से फरार हुआ अपराधी है।
४. संतोष :
नन्हें अपराध सरगना संतोष यह पुर्णिया जिले के बनमनखी का रहने वाला है।इसकी उम्र महज सोलह साल है।ह्त्या के एक मामले का यह मुख्य आरोपी है और पुर्णिया रिमांड होम बंद था।लेकिन नागमणि के साथ यह भी दो महीने पहले फरार हो गया और फिर एक से बढ़कर एक संगीन अपराध को अंजाम देने लगा।
सहरसा पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी :  इस कामयाबी को लेकर सारी जानकारी देते हुए कहते हैं की इन अपराधियों के गिरफ्त में आने से अंतर जिला अपराधिक गिरोह के अपराध में शामिल होने का तो खुलासा हुआ ही है,एक और खास बात का खुलासा हुआ है की सहरसा जेल से अपराध की घटनाओं को घटित करवाने की पृष्ठभूमि तैयार की जाती है।
पुलिस को एक बड़ी कामयाबी जरुर मिली है लेकिन इस कामयाबी को नजीर मानकर उसे और बेहतर परिणाम देने के लिए आगे कोशिश जारी रखनी होगी।ऐसा ना हो की एक बड़ी कामयाबी के बाद आदतन उनकी पुरानी सुस्ती फिर से उनपर हावी होकर उन्हें छीछालेदार करे।

बस पलटी कई लोग हुए जख्मी

सहरसा टाईम्स:  आज दोपहर बाद करीब डेढ़ बजे सहरसा से सुपौल के लिए जा रही एक तेज रफ़्तार मिनी बस(मैक्सी)सहरसा के प्रभारी जिला पदाधिकारी सतीश चन्द्र झा के आवास के ठीक सामने पलट गयी। इस हादसे में एक दर्जन से ज्यादा लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं जिसमें चार की हालत अत्यंत नाजुक है।सभी जख्मियों का ईलाज सदर अस्पताल सहरसा में किया जा रहा है।बताना लाजिमी है की सभी घायलों को खुद जिला  पदाधिकारी सतीश चन्द्र झा ने अपनी मौजूदगी में और अपनी गाड़ी से सदर अस्पताल पहुंचवाया। इधर अस्पताल में अफरातफरी मची हुयी है। कई गंभीर रूप से घायल है तो एक  के हाथ और पाँव दोनों उड़ गए हैं। एक बूढी महिला और एक पुरुष  दोनों की भी हालत नाजुक है।एक दर्जन से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं जिनमें चार की हालत नाजुक है।जिला  पदाधिकारी सतीश चन्द्र झा अस्पताल में खुद मौजूद हैं और जख्मियों के ईलाज की मोनेटरिंग कर रहे हैं।
जिला  पदाधिकारी सतीश चन्द्र झा, इनका कहना है की पूरी तरह से ड्राईवर की लापरवाही की वजह से यह घटना घटी है।लगता है की ड्राईवर ने शराब पी रखी थी।इनके द्वारा हर संभव बेहतर ईलाज के प्रयास किये जा रहे हैं।फिलवक्त घायलों को लेकर यह जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी है की ये लोग कहाँ के रहने वाले हैं।

10 एकड़ में लगी गेहूं की फसल जलकर हुयी खाक

सहरसा टाइम्स: बीते दोपहर बाद करीब एक बजे सदर थाना के रिहायशी मोहल्ला रिफ्यूजी कोलोनी की एक खेत में गेहूं की लगी फसल में अचानक आग लग गयी। जलती हुयी फसल को देखकर आसपास के लोगों ने अपने-अपने घर से बाल्टी--बाल्टी पानी भरकर किसी तरह से आग पर काबू पाया। सुचना के डेढ़ घंटे के बाद मौके पर पहुंचे अग्निशमन दस्ते ने राख पर पानी की बौछार करके अपनी ड्यूटी निभायी। भला हो स्थानीय लोगों का,की वे मौके पर एन वक्त पर मदद के लिए आगे आये वर्ना अगर आसपास के घरों को आग ने अपनी चपेट में ले लिया होता तो एक बड़ी तबाही का मंजर सामने होता।
 स्थानीय लोगों ने एक बड़ी तबाही को निसंदेह रोका है।इस घटना को लेकर पीड़ित किसान बिन्देश्वरी साह जहां त्राहिमाम कर रहा है वहीँ जिलाधिकारी आग से बचने को लेकर दार्शनिक की तरह नसीहत दे रहे हैं।यूँ इनकी माने तो क्षति का आंकलन किया जा रहा है और जो सरकारी सुविधा है वह पीड़ित को दिया जाएगा।

छीन ली आँखों की रौशनी

मोतियाबिंद का ऑपरेशन /सौ से अधिक लोग हुए सूरदास /मुफ्त में ऑपरेशन कराना पड़ा मंहगा //// मुकेश कुमार सिंह ////
बीते 23---24 फ़रवरी 2013 को एक एन.जी.ओ बलभद्र स्मृति सेवा संस्थान द्वारा सदर अस्पताल में लगाए गए नेत्र शिविर में सहरसा जिले के विभिन्य इलाके के सैंकड़ों लोगों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था जिसमें से हमारे पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक़ सौ से अधिक लोगों ने अपनी आँखों की रौशनी गंवा दी है। स्वास्थ्य जानकारों के साथ---साथ पुरे जिले में खलबली मची है।यूँ तो जिले के कई इलाके के लोगों ने इस नेत्र शिविर में मुफ्त ऑपरेशन कराया था लेकिन सिर्फ बनगांव के करीब पचास लोगों ने ऑपरेशन कराया था जिनकी आँखों की रौशनी पूरी तरह से जा चुकी हैं और वे सूरदास बने त्राहिमाम कर रहे हैं।
हम आपको लेकर बनगांव आये हैं।देखिये यह बजरंग बली चौक का नजारा है।देखिये इन गरीब---मजलूमों को।बलभद्र स्मृति सेवा संस्थान द्वारा लगाए गए नेत्र शिविर में इनलोगों ने ऑपरेशन कराकर अपनी जिन्दगी में मुकम्मिल अन्धेरा कर लिया है।इस टोले के कुसाय साह,सुखदेव साह,नागो मिश्र ,प्रदीप राम,मलैय कामत,दाय जी देवी,नथिया देवी,सबिया देवी,अहिल्या देवी सहित कुछ और लोगों ने अपनी आँखें गंवाई है।महज बनगांव के पचास लोगों ने अपनी आँखें गंवाई है वहीँ बगल के गाँव बलहा,गढ़िया,बैरो सहित कुछ और गाँव की बात करें तो वहाँ कुल मिलाकर पचास से अधिक लोगों ने अपनी आँखें गंवाई है।
सहरसा सिविल सर्जन डॉक्टर भोला नाथ झा और सहायक चीफ मेडिकल ऑफिसर यू.सी मिश्रा के आदेश से सदर अस्पताल में लगाए गए इस नेत्र शिविर को लेकर बनगांव के लोगों का कहना है की उस शिविर में लोगों की भीड़ जमा करके गरीब लोगों की आँखों की चिर--फार तो कर दिया गया लेकिन उनका उचित देख--भाल नहीं किया गया जिसका नतीजा सामने है की ये लोग अब अंधे हो गए हैं।आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इन अंधों में से कुछ लोगों ने महाजन से कर्ज लेकर नेपाल के लहान और भारत के चर्चित शंकर नेत्रालय जाकर अपनी आँखों को दिखलाया लेकिन वहाँ भी इनकी आँखों की रौशनी फिर से नहीं लौटाई जा सकी।उम्र के चौथे पड़ाव पर अब ये लोग सूरदास होकर त्राहिमाम कर रहे हैं।जिन्दगी से खिलवाड़ करने वाले इस गंभीर मसले पर हमने सहरसा के जिलाधिकारी सतीश चन्द्र झा से बातचीत की।उन्होनें कहा की इस बात की जानकारी उन्हें सहरसा टाईम्स के द्वारा ही मिली है।अभीतक कोई पीड़ित या उनके कोई परिजन उनतक लिखित या मौखिक शिकायत लेकर नहीं आये हैं।सहरसा टाईम्स से साक्ष्य सहित पूरी जानकारी लेने के बाद उन्होने इस मामले को बेहद गंभीर बताए हुए कहा की वे एक एडीएम के नेतृत्व में पांच विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम बनाकर जांच करायेंगे और इसके लिए जो भी जिम्मेवार होंगे उनपर बेहिचक कठोर और बड़ी कारवाई होगी।
इधर दुनिया को डूबकर सिद्दत से देखने की चाहत ने इन गरीब---गुरबों को एक फरेबी शिविर में पहुंचा दिया जहां इन्होनें अपनी आँखें गंवा दी।बिना आँख के गैर और अपनों का अब इनके लिए कोई मायने नहीं।अब तो ये सूरदास बने बस औरों के मोहताज हैं।इतने बड़े और गंभीर मामले में स्वास्थ्य अधिकारी फिलवक्त कुछ भी बोलने से कन्नी काट रहे हैं।

लाखों की दवाओं को एक्सपायर कराके किया बर्बाद

गरीब इलाज और दवा के अभाव में दम तोड़ रहे और यहाँ दवाओं को एक्सपायर कराके किया जा रहा है बर्बाद-----  एक्सक्लूसिव रिपोर्ट////मुकेश कुमार सिंह///
ऐसा नहीं है की दवा को एक्सपायर कराके बर्बाद करने की खबर लेकर हम पहली बार हाजिर हुए हैं। इस खबर से पहले भी हमने स्वास्थ्य महकमा की लापरवाही और बदमिजाजी की अनेकों बदरंग तस्वीरों को लेकर हाजिर होते रहे हैं।इसी कड़ी में आज हम सहरसा जिले के बरियाही स्वास्थ्य केंद्र की बेशर्मी की तस्वीर लेकर आपसे रूबरू हो रहे हैं।लाखों की दवा इस स्वास्थ्य केंद्र में एक्सपायर कराके बर्बाद कर दिए गए लेकिन मजबूर गरीब--मजलूमों की बिमारी के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया गया।
सहरसा टाइम्स  ने एक बार फिर अपनी जान जोखिम में डालकर अस्पताल में चल रहे गोरख खेल की काली तस्वीरें कैद की है। देखिये यह है सहरसा का बरियाही स्वास्थ्य केंद्र।यहाँ गरीब मरीज आते तो इलाज के लिए हैं लेकिन एक तो उनका इलाज नहीं होता है।अगर गलती से कभी किसी डॉक्टर ने उनका इलाज कर भी दिया तो इनको दवाएं नहीं मिलती है।यानी यहाँ पर इलाज करने वाला और दवा वितरण को लेकर कोई भी संजीदा नहीं है।हमने अपनी जान जोखिम में डालकर चार कमरे की तस्वीरें उतारी हैं जिसमें लाखों की जीवन रक्षक दवाएं एक्सपायर कराके बर्बाद कर दी गयीं।यही नहीं डीडीटी पाउडर को भी एक्सपायर कराके बर्बाद कर दिया गया।हमने बड़े मुश्किल हालात में इन तस्वीरों को कैद किया है।इस बाबत हम स्वास्थ्य महकमे के कई बड़े अधिकारी को कैमरे पर लेने की भरपूर कोशिश की लेकिन किसी ने हमसे मिलने की हिमाकत तक नहीं की।सिविल सर्जन साहब भोला नाथ झा बस मोबाइल पर अभी जिला मुख्यालय में नहीं है बोलते रहे।थक--हारकर हमने जिलाधिकारी सतीश चन्द्र झा से इस विनाशलीला को लेकर जबाब---तलब किया।इनका कहना है की उनको इस बात की जानकारी सहरसा टाईम्स के द्वारा ही मिली है।वे इस बात की जांच एक तीन सदस्यीय टीम के द्वारा करवाते हैं और इसके लिए जो जिम्मेवार होंगे उनपर कठोर कारवाई की जायेगी।इस स्वास्थ्य केंद्र पर हमने मोहम्मद अजीज,बीबी अनीशा,महेंद्र पासवान जैसे कुछ मरीजों को भी।इनलोगों का कहना है की वे पिछले कई दिनों से इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आ रहे हैं लेकिन उन्हें दवा नहीं मिल रही है।
एक्सपायर दवा: जहां तक एक्सपायर दवाओं का सवाल है तो हमें सिल्वेज,डाय़सायक्लोमीन हाईड्रोक्लोराईड,ओ.आर. एस, जेंटालेब,इन्प्रयुजन सेट,यूरिन ड्रेनेज बैग,इथर,हेलोजन टैबलेट,मेफ़ेज स्पास,हाईड्रो कोर्टियोसोन सोडियम सूक्योनेट इंजेक्शन सहित कई दवाएं मिली जो एक्सपायर हैं।  हमारी तमाम कोशिशों के बाद हद बात है की आखिर राज्य मुख्यालय, सरकार और मंत्री को बर्बादी की ये तस्वीरें क्यों नहीं दिखती है। सुशासन में मनमौजी डॉक्टर और सरकार के कागजी दावों में लाखों की लूट का खेल भर चल रहा है। जमीनी सच्चाई दोजख की है बस जो लूट सके सो लूट। बीते तीन वर्षों में सहरसा जिले भर में छः मामले दवा को एक्सपायर कराके जलाने और यत्र--तत्र फेंकने के सामने आये लेकिन सभी कुछ जांच और कारवाई करने के तकिया कलाम में ही सिमट कर रह गया।

अप्रैल 11, 2013

अद्दभुत बच्चे को देखने के लिए उमड़ रही भीड़

 सदर अस्पताल में एक विचित्र बच्चे के जन्म से हैरान है स्वास्थ्य महकमा, ईश्वरीय बच्चा समझ जत्थे में देखने पहुँच रहे हैं लोग
सहरसा टाईम्स सदर अस्पताल सहरसा में चिकित्सकों के द्वारा एक महिला का ऑपरेशन करके उसके पेट से एक अद्दभुत बच्चे को निकाला गया।बच्चे का का मुंह काफी बड़ा है और उसके मुंह और उसकी आँखें आम बच्चों से ना केवल बिल्कुल अलग हैं बल्कि विचित्र हैं।अस्पताल महकमा इस बच्चे को देखकर जहां अचंभित और सकते में है वहीँ ईश्वरीय रूप में बच्चे की जन्म की बात सुनकर लोगों का हुजूम बच्चे को देखने के लिए अस्पताल पहुँच रहा है। अस्पताल की सीनियर नर्स वीणा देवी भी भौचक है।अपनी नजरों के सामने इन्होनें हजारों बच्चों के जन्म को देखा है जिसकी यह गवाह हैं लेकिन यह कह रही हैं की ऐसा अजूबा बच्चा उन्होनें अपने जीवन में कभी भी नहीं देखा था।लोगों के हुजूम को लेकर यह कहती हैं की इस बच्चे को ईश्वरीय चमत्कार या फिर प्रकोप समझकर लोग उसे एक नजर देखने के लिए यहाँ पहुँच रहे हैं।
आम से हटकर यह बच्चा भगवान का कोई रूप है की नहीं यह तो हम नहीं जानते लेकिन इतना तय है की इस बच्चे की आड़ में अंधविश्वास एक बार फिर कुलाचें भर रहा है।लोग न केवल आस्था में गोते लगाते हुए यहाँ पहुँच रहे हैं बल्कि बच्चे की पुजा-अर्चना करने के लिए भी वे बाबले हो रहे हैं।लेकिन इससे इतर इस बच्चे की जान बचानी सब से बड़ी चुनौती है। स्वास्थ्य महकमा इस बच्चे को लेकर कितने गंभीर उपाय और जतन कर पाता है,सहरसा टाईम्स की इसपर पैनी नजर बनी रहेगी।आखिर में हम इतना जरुर कहेंगे की आस्था की वजह से इस बच्चे के इलाज में भीड़ को कोई अड़चन पैदा नहीं करना चाहिए।

अप्रैल 10, 2013

अतिक्रमण हटाओ अभियान

सहरसा टाइम्स:  डी.एम के नेतृत्व में सहरसा के मुख्य बाजार से अतिक्रमण हटाओ अभियान की शुरुआत की गयी।सड़क के दोनों किनारे पर कब्जा जमाये फुटकर दुकानदारों को अभियान में जहां थोड़ी सख्ती दिखाते हुए हटाया गया वहीँ तमाम अतिक्रमणकारियों को तीन दिनों की मोहलत दी गयी की वे अपनी--अपनी दुकानों को स्थायी तौर पर हटा लें वर्ना जिला प्रशासन ना केवल उन दुकानों को हटाएगा बल्कि  दुकानदारों पर कानूनी कारवाई भी की जायेगी। सहरसा डी.एम सतीश चन्द्र झा के नेतृत्व में सदर एस.डी.ओ राजेश कुमार और मेजिस्ट्रेट अशोक कुमार सिंह किस तरह से अतिक्रमण हटाने में जुटे हैं। 
जिला मुख्यालय के थाना चौक,डी.बी.रोड,शंकर चौक,महावीर चौक और शब्जी मंडी में शाम करीब पांच बजे तक अतिक्रमण हटाने का यह अभियान चला।डी.एम सतीश चन्द्र झा ने सड़क किनारे विभिन्य तरह के फुटकर कारोबार करने वाले दुकानदारों को हटाने के अलावे मुख्य रूप से शब्जी मंडी में यत्र---तत्र पोलीथिन बिछाकर और टोकरी में शब्जी बेचने वालों को हटाया। जिन अतिक्रमणकारियों ने स्थायी तौर पर कब्जा जमाकर अपना कारोबार चला रखा है उन्हें तीन दिनों की मोहलत दी गयी है की वे अपनी--अपनी दूकान स्वेच्छा से हटा लें वर्ना जिला प्रशासन सख्ती से अतिक्रमण तो हटाएगा ही उक्त दुकानदारों पर कानूनी कारवाई भी करेगा।इस अतिक्रमण हटाने को लेकर स्थानीय लोगों की अपनी ही राय है।
अतिक्रमण हटाना बेहद जरुरी है।अतिक्रमण की वजह से एक तरफ जहां लोग रोजाना जाम की समस्या से जूझते हैं वहीँ दूसरी तरफ सड़क हादसे भी होते रहते हैं।हर बार जिला प्रशासन अतिक्रमण हटाने के बाद खामोश हो जाता है।जरुरत इस बात की है एक तो इन फुटकर दुकानदारों को विकल्प के तौर पर व्यवसाय के लिए कहीं पर स्थायी जगह मिले,दूजा ये फिर से पुरानी जगह पर दूकान ना लगा पायें,इसकी पुख्ता व्यवस्था हो। 

शिष्या को ले भागे गुरूजी

शिक्षा दान की जगह प्रेम के पाठ पढ़ाने वाले दिलफेंफ गुरूजी ले भागे नाबालिग शिष्या को......
मुकेश कुमार सिंह: अगर आप अपनी मासूम बच्ची को किसी प्राईवेट गुरूजी से ट्यूशन पढवा रहे हैं, तो सावधान हो जाईये।शिक्षा दान की जगह ऐसे गुरूजी पहले तो प्रेम के पाठ पढ़ाते हैं फिर मासूम बच्ची को बहला--फुसलाकर कहीं लेकर चम्पत हो जाते हैं।ऐसी ही दास्तान लेकर के आज हम हाजिर हुए हैं।मामला सहरसा सदर थाना के गौतम नगर मोहल्ले की है।बीते 2 अप्रैल को एक दिलफेंफ गुरूजी इस साल मैट्रिक की परीक्षा देने वाली अपनी  नाबालिग शिष्या को ले भागे।पिछले दो साल से लड़की के घर जाकर ट्यूशन पढ़ाने वाले गुरूजी की इस नापाक हरकत से जहां लड़की के परिजन सदमें में हैं वहीँ पुरे इलाके के लोग भी हतप्रभ और सकते में हैं।
इधर लड़की के परिजन के आवेदन पर सदर थाना में काण्ड दर्ज कर पुलिस लड़की की बरामदगी में जुटी हुयी है।तमाम गतिविधि के बीच कयासों बाजार गर्म है की अविवाहित गुरूजी ने शादी की नीयत से लड़की को अगवा किया है।जाहिर तौर पर यह वाकया गुरु--शिष्य की पौराणिक विशिष्ट रिश्ते की धज्जियां उड़ा रहा है।इस साल मैट्रिक की परीक्षा देने वाली महज 16 साल की लक्ष्मी अपने गुरूजी राजेंद्र साह के साथ बीते 2 अप्रैल से फरार है।सदर थाना के गौतम नगर में रहने वाली लक्ष्मी गौतम नगर में ही भाड़े के मकान में रहकर ट्यूशन पढ़ाने वाले राजेन्द्र साह से  पिछले दो साल से ट्यूशन पढ़ती थी।बताना लाजिमी है की राजेन्द्र साह लक्ष्मी को विभिन्य विषयों की शिक्षा देने की जगह उसे प्रेम का पाठ पढ़ाते थे।शिक्षा लेने और देने के नाम पर प्रेम की पींगें बढ़ रही थी।प्रेम अगन में गुरु और शिष्या दोनों जलने लगे और हालात इसकदर बेकाबू हुए की राजेन्द्र मर्यादा की सारी दीवारें गिराकर लक्ष्मी को लेकर फरार हो गया। लक्ष्मी के पिता उमेश दास लक्ष्मी की सकुशल बरामदगी के लिए पुलिस के अधिकारियों को ना केवल लिखित आवेदन दिया है बल्कि उनके सामने खूब गिरगिराया भी है।लक्ष्मी के पिता उमेश दास सहरसा टाईम्स को ना केवल पूरी घटना से अवगत करा रहे हैं बल्कि सहरसा टाइम्स उनकी मदद करे इसकी वे फ़रियाद भी कर रहे हैं।
राजेन्द्र ने अपनी शिष्या लक्ष्मी को भगाकर एक ऐसा गुनाह किया है जो एक विशिष्ट परम्परा की धज्जियां उड़ा रहा है।भविष्य के बड़े--बड़े सपने बुनना किसे अच्छा नहीं लगता है लेकिन इन सपनों को साकार करने में जिनके आशीर्वाद और संबल के साथ--साथ जिनके मार्गदर्शन की जरुरत होती हो अगर वही छीछालेदार घृणित कृत्य कर जाए तो आखिर भरोसा किसपर और कैसे हो।क्या लड़कियां और औरतें कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं?तमाम कवायद के बाद आज मानव मूल्यों का ह्रास आखिर क्यों हो रहा है।एक बड़ी बहस और विमर्श की जरुरत है,जहां क्रान्ति के स्पंदन मौजूं हों। 

अप्रैल 09, 2013

सहरसा टाईम्स की पहल से महादलितों को मिला रास्ता

बीते एक महीन से अपने ही घरों में कैद 25 से ज्यादा महादलित परिवार को घर से निकलने का मिला रास्ता
वार्ता करते डी.एम सतीश चन्द्र झा
सहरसा टाईम्स: सहरसा टाईम्स की पहल ने एक बार फिर बेहतर परिणाम दिया है। सहरसा टाईम्स ने यह जाहिर कर दिया है की वह ना केवल खबरें लिखता---दिखाता है बल्कि हक़ की लड़ाई में वह पीड़ितों के साथ तबतक खडा रहता है जबतक उनको पूरा का पूरा इन्साफ ना मिल जाए।दबंगों के द्वारा रास्ता बंद कर दिए जाने के बाद बीते एक महीन से अपने ही घरों में कैद 25 से ज्यादा महादलित परिवार कोसहरसा टाईम्स की पहल से आज उन्हें घर से निकलने का रास्ता मिल गया। सहरसा के डी.एम सतीश चन्द्र झा ने सहरसा टाईम्स की मौजूदगी में पीड़ित के गाँव पहुंचकर दोनों पक्षों को बिठाकर मामले का सुखद पटाक्षेप किया।हांलांकि अभी तल्कालिक तौर पर आने--जाने के लिए चार फिट रास्ता निकाला गया है।आगे जमीन अधिग्रहण कर जिला प्रशासन स्थायी तौर पर सरकारी सड़क बनाएगा।
सहरसा टाईम्स की पहल और सहरसा डी.एम की गंभीर कारवाई ने त्राहिमाम करते महादलितों के लिए रास्ता खोल दिया है।इस सुखद पटाक्षेप के बाद एक बार फिर हम निकल पड़े हैं किसी दूसरी समस्या का समाधान तलाशने और किसी के हक़ की आवाज बुलंद करने के लिए।सहरसा टाईम्स का यह सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा।

महादलितों की भूख हड़ताल में बंधक बने अधिकारी

अनशन स्थल पर पहुंचे डी.एम
आजादी के बाद से गरीब---मजलूमों और दलित---महादलितों के नाम पर न केवल जमकर सियासत हुयी है बल्कि इनके नाम पर थोक में लोग बड़े कुर्सीदार और धनवान भी हुए हैं।ये असहाय लोग तो आजतक बस निरीह और दया के पात्र ही बने रहे।सत्तर कटैया प्रखंड के बिहरा गाँव के करीब सवा सौ महादलित परिवार के लोगों का दबंगों ने घर से निकलने का रास्ता बंद कर दिया।पीड़ितों ने सभी अधिकारीयों के दर पर माथा टेका लेकिन किसी ने इनकी फ़रियाद नहीं सुनी।रास्ते के लिए त्राहिमाम कर रहे ये महादलित कोई इन्साफ की पहल होती नहीं देख बीते 3 अप्रैल से सत्तर कटैया प्रखंड कार्यालय के सामने भूख हड़ताल पर बैठ गए।कुल अठारह लोग भूख हड़ताल पर बैठे जिसमें एक बच्ची और चार महिलायें भी शामिल थी।सहरसा टाईम्स ने इस मामले को काफी गंभीरता से लिया और अनशन स्थल पर पहुंचा।इधर हम अनशनकारियों से बात कर रहे थे की उधर स्थानीय लोगों ने प्रखंड कार्यालय में ना केवल ताला जड़ दिया बल्कि सी.ओ सहित कई कर्मचारियों को बंधक भी बना लिया। सी.ओ ने खुद फोन से डी.एम को अपने बाधक बनाए जाने की जानकारी दी।जिले के कई अधिकारी एक के बाद एक करके पहुँचते रहे लेकिन बंधकों को लोगों की चंगुल से आजाद नहीं कराया जा सका। सहरसा टाईम्स की पहल के बाद डी.एम अनशन स्थल पर पहुंचे। डी.एम के आने के बाद एक तरफ जहां बंधक बने अधिकारी आजाद हुए वहीँ डी.एम ने अनशनकारियों को तत्काल घर से निकलने के रास्ते का इंतजाम और पंद्रह दिनों के भीतर स्थायी रास्ता दिलाने का भरोसा देकर  अनशनकारियों का अनशन खत्म कराया। अगर वायदे के मुताबिक़ पंद्रह दिनों के भीतर स्थायी रास्ता दिलाने में जिला प्रशासन कामयाब नहीं हुआ तो जिला प्रशासन की बड़ी फजीहत होगी जो किसी की मध्यस्थता से आगे टालना नामुमकिन होगा।एक बार फिर से सहरसा टाईम्स ने ना केवल अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन किया है बल्कि मजलूमों के हक़ के लिए पुरजोर आवाज भी बुलंद की है।

अप्रैल 06, 2013

यहाँ गुंडाराज है

सहरसा टाइम्स: सहरसा जिले में यूँ तो लूट,राहजनी,चोरी और अपहरण जैसे संगीन अपराध से आमलोगों के साथ-साथ पुलिस भी हलकान--परेशान है लेकिन जमीन विवाद में होने वाली बड़ी से बड़ी घटना इनदिनों पुलिस के लिए ना केवल जी का जंजाल बन गयी है बल्कि उसके लिए यह एक बड़ी चुनौती भी है।बताना लाजिमी है की इस इलाके का इतिहास गवाह है की यहाँ जमीन विवाद में अक्सर ना केवल लाठी---फरसे चलते रहे हैं बल्कि बंदूकें भी जमकर धुआं  उगलते रही है।जमीनी विवाद से मुतल्लिक खुनी वारदातों में कोसी का पानी और यहाँ की मिट्टी वर्षों से लाल होती रही है।इसी तरह की घटना जिले के सोनवर्षा कचहरी थाना क्षेत्र के खड़गपुर गाँव में घटी। जमीन विवाद में गाँव के ही कुछ दबंगों ने एक परिवार पर हरबे---हथियार से हमला बोल दिया।इस हमले में एक महिला सहित पांच लोग जख्मी हुए हैं।तमाम जख्मियों को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां दो जख्मियों की हालत काफी नाजुक है जिसे PMCH रेफर कर दिया गया है। पुलिस के अधिकारी सूर्यकांत चौबे, इन्स्पेक्टर सदर अन्य घटनाओं की तरह गंभीरता की जगह घटना को महज कहानी के लहजे में बता रहे हैं।इनके बयान से लग रहा है गोया यह कोई बड़ी घटना नहीं बल्कि बच्चों के गिल्ली--डंडे के खेल में कोई नोंकझोंक हुयी हो।इस मामले में में पुलिस आखिरकार जैसी भी कारवाई करे लेकिन इस तरह की घटनाओं ने यह जाहिर कर दिया है की यहाँ गुंडाराज है जिसमें आम से लेकर खास कोई भी सुरक्षित नहीं है।

अप्रैल 04, 2013

महादेव का कच्छप अवतार

सहरसा टाइम्स कहते हैं की आस्था के अकूत और अनगिनत रंग होते हैं।ठीक उसी का नजारा अभी सहरसा में देखने को मिल रहा है।जिला मुख्यालय के शंकर चौक स्थित शिव मंदिर परिसर के सूखे तालाब से दो कछुए निकले हैं जिसकी पीठ पर गुमर निकले हैं जो बिल्कुल शिव लिंग के समान दिख रहे हैं।दोनों कछुए को शिव का अवतार मानकर लोग ना केवल निहाल हो रहे हैं बल्कि दोनों कछुए को टब के भीतर जाली से तोपकर  शिव मंदिर में रख दिया गया है जहां उसकी पूजा--अर्चना हो रही है।लोगों का साफ़--साफ़ कहना है की यह शिव का कच्छप अवतार है।

शंकर चौक स्थित शिव मंदिर में देखिये लोगों का हुजूम।यहाँ आस्था का जन--सैलाब उमड़ा है।पुरे इलाके में आस्था की यह लहर जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी है और दूर--दराज इलाके से क्या महिला और क्या पुरुष थोक में बच्चे भी यहाँ पहुंचकर ना केवल शिव के इस अवतार को एक नजर देखने को आतुर हैं बल्कि लोग बड़ी आस्था और विश्वास से पूजा अर्चना भी कर रहे हैं।जाहिर तौर पर यह यह नजारा यह जाहिर कर रहा है की लोग सिर्फ इसे शिव की महिमा भर नहीं मान रहे हैं बल्कि लोगों की नजर में यह महादेव का कच्छप अवतार है।
लोग भक्ति--भाव और आस्था में गोते लगाते हुए कह रहे हैं की यहाँ शिव स्वयं आये हैं,उनके जिले की बुराई को खत्म करने और लोगों का कल्याण करने के लिए।मंदिर परिसर में भजन---कीर्तन और महादेव का जयकारा लग रहा है।लोग इन दोनों कछुओं की ना केवल पूजा--अर्चना कर रहे हैं बल्कि चढ़ावा भी चढ़ा रहे हैं।बताना लाजिमी है की इस दौरान एक और खास बात हुयी है।जिस सूखे तालाब से ये दोनों कछुए निकले हैं उस तालाब के जीर्णोधार का काम जनसहयोग से बड़े जोर--शोर से शुरू हो गया है।विकास गुप्ता,शिव शंकर विक्रांत,रतन कुमार,प्रिया कुमारी स्वेता कुमारी जैसे कई  श्रद्धालु इन दोनों कछुओं के गुणगान करते नहीं थक रहे हैं।
आस्था के लहराते परचम के नीचे श्रद्धालु अपनी सुध--बुध गंवाए दिख रहे हैं।इनदोनों कछुए को शिव का अवतार मानकर लोग पूजा में जुटे हुए हैं।अब ये शिव हैं की नहीं यह तो हम नहीं कह सकते लेकिंन इन दोनों कछुओं के बहाने मंदिर और तालाब दोनों के दिन बहुरने के पुख्ता इंतजाम जरुर शुरू हो गए हैं।

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।