दिसंबर 31, 2012

ये जीना भी कोई जीना है : भिखमंगों की एक बस्ती जहां सिसक रही है जिन्दगी

खास रिपोर्ट----- 
मुकेश कुमार सिंह : ये जीना भी कोई जीना है। भिखमंगों की एक ऐसी बस्ती जहां पोर--पोर जिन्दगी ना केवल सिसक रही है बल्कि सरकारी दावों की कलई भी खोल रही है। सहरसा जिला प्रशासन द्वारा वर्ष 1987 में शहरी क्षेत्र में यत्र-तत्र रह रहे भिखमंगों को समेटकर पटुआहा गाँव के एक छोर पर विभिन्य तरह की सरकारी सुविधाएं देने का शब्ज्बाग दिखाकर बसाया गया।  लेकिन इनके बसने के करीब ढाई दशक बाद भी 135 परिवार वाली इस बस्ती में आजतक विकास की कोई किरण नहीं पहुंची है। ये बसे तो हैं सरकारी जमीन पर लेकिन इन्हें वासगीत पर्चा भी आजतक मयस्सर नहीं हुआ है। इनके बीपीएल और लाल--पीले कार्ड जरुर बने हैं लेकिन इन्हें आजतक उसपर राशन और किरासन कभी भी नहीं मिला है। 
 ये भिखारी चाहते थे की इनके बच्चे भी पढ़े--लिखें और समाज की मुख्य धारा से जुड़ें लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया। सब के सब बस भीख मांगने को ही विवश रहे। कड़ाके की ठंढ से पूरा बिहार दहल रहा है लेकिन इन अभागों के लिए जिला प्रशासन ने ना तो अलाव की व्यवस्था की है और ना ही इनके बीच कम्बल का वितरण ही किया है। प्लास्टिक और मामूली छप्पर से बनी इनकी झोपड़ी में इनकी दुनिया बसती है, इनके तमाम  सपने पलते हैं।
 दोजख में पड़ी यहाँ की बेस्वादी और बेईमान जिन्दगी को आज भी किसी फरिस्ते के आने का इन्तजार है जो आकर इनकी बेरंग जिन्दगी में बहुतेरे रंग भर जाए। कड़ाके की इस ठंढ में इनकी जिन्दगी बचनी मुश्किल लग रही है। बस्ती के लोग कहते हैं की अभीतक इस ठंड में दो लोगों की जान     भी जा चुकी है,    आगे भगवान जाने की क्या होगा।
  
ये समाज के उनलोगों की बस्ती जिनका कोई पायदान नहीं होता। इस बस्ती में 135 परिवार हैं। हर उम्र के लोग हैं यहाँ पर। मासूम नौनिहाल की किलकारियां भी यहाँ गूंजती है लेकिन उसमें किसी तरह की हनक नहीं होती।
 देखिये इस बस्ती के लोगों को। जिला मुख्यालय से सटे इस बस्ती में आजतक विकास की कोई किरण नहीं पहुंची है। अभी खून को जमा देने वाली कड़ाके की ठंढ पर रही है लेकिन ठंढ से लड़ने के लिए इनके पास कोई मजबूत हथियार नहीं है। 
इस बस्ती में प्रशासन की तरफ से ना तो अलाव की व्यवस्था की गयी है और ना ही कम्बल का ही वितरण किया गया है। मासूम बच्चे लकड़ियाँ चुनकर लाते हैं तो आग का इंतजाम होता है। 
यहाँ के दर्द बेशुमार हैं। यहाँ के लोगों का कहना है की कभी भी कोई अधिकारी उनका हाल--चाल देखने या पूछने नहीं आते हैं। यहाँ जिन्दगी से जंग लड़ रहे भीम सदा, विजय ऋषि, मंजुला देवी सहित तक़रीबन सभी लोग चाहते थे की उनके बच्चे पढ़ें और अच्छा संस्कार पायें लेकिन पेट की आग बुझाने में ही इनके सारे सपने दफ़न होकर रह जाते हैं।
मुकेश सिंह, सहरसा टाइम्स 
आखिर सरकार की बड़ी योजनायें किधर और कहाँ हैं। जरूरतमंद हाय--हाय और उफ़।। उफ़ कर रहे हैं। टीस और दर्द के सैलाब में जिन्दगी यहाँ गुमनामी के अँधेरे में फना हो रही है। नीतीश बाबू कंप्यूटर की भाषा और जमीनी सच का अंतर समझना होगा। नौकरशाहों के दिए चश्मे से विकास की बड़ी--बड़ी इमारतों को मत देखिये। अगर संभव हो तो निरीह और असहाय लोगों तक आपकी कालजयी योजनायें सही ढंग से उनतक पहुंचे इसके लिए बेहद ठोस उपाय करें।

आग सेंकने में 9 महिला और 3 पुरुष झुलसे

रिपोर्ट सहरसा टाईम्स : पिछले एक पखवाड़े से कड़ाके की ठंढ झेल रहे लोगों का एक तो पहले से ही जीना दूभर था दूजा आग सेंकने के दौरान लोगों के बुरी तरह से झुलसने का सिलसिला अलग से शुरू हो गया है। बीती रात सहरसा के शहरी इलाके में जानलेवा ठंढ से मुकाबला करने के लिए लोगों का आग सेंकना मंहगा साबित हुआ। शहर के विभिन्य जगहों पर आग सेंकने के दौरान कई लोग आग से गंभीर रूप से झुलस गए जिन्हें इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जख्मियों में जहां 9 महिलायें हैं वहीँ 3 पुरुष भी जख्मी हुए हैं। इनमें से चार महिला की स्थिति काफी गंभीर है। एक महिला की स्थिति अत्यंत नाजुक देखते हुए चिकित्सकों ने उसे बेहतर इलाज के लिए PMCH रेफर कर दिया है। हद की इंतहा देखिये की कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले इस सदर अस्पताल में बर्न केश के उपचार के लिए ना तो अलग से कोई वार्ड है और ना ही अलग से कोई पुख्ता स्वास्थ्य व्यवस्था। यहाँ मरीजों को इन्फेशन का खतरा है। यानी कह सकते हैं की इस अस्पताल में आग से झुलसे लोगों की जान अगर बच जाती है तो यह भगवान की अतिरिक्त मेहरबानी होगी। 
 अस्पताल के महिला वार्ड में देखिये आग में झुलसी इन युवती और महिलाओं को। इस अस्पताल में वर्न केश के लिए कोई अलग से ना तो इलाज के लिए कोई विशेष कक्ष है और ना ही मरीजों को रखने के लिए अलग से कोई वार्ड।जेनेरल वार्ड में इन झुलसी महिलाओं का नर्स उपचार कर रही है।आप खुले मैदान में भी आग से झुलसी महिलाओं को देखिये।चार महिलाओं की स्थिति गंभीर है जिसमें से एक की स्थिति अत्यंत नाजुक देखते हुए उसे PMCH भेजा जा रहा है।यहाँ की व्यवस्था से मरीज के परिजन रीतलाल कुमार,मोहम्मद इजहार और मोहम्मद सलाउद्दीन सहित कई अन्य काफी दुखी हैं और कहते हैं अगर उनका मरीज इस अस्पताल में अगर बच गया तो भगवान का लाख-लाख शुक्र होगा।
जानकी सिंह,सीनियर नर्स
झुलसी महिलाओं का उपचार कर रही जानकी सिंह,सीनियर नर्स भी बता रही है की इस अस्पताल में वर्न केश के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं है।मरीजों को इन्फेक्शन का खतरा है लेकिन वे क्या कर सकती हैं।बेड--बेड घूमकर वे इन महिलाओं की मरहम---पट्टी कर रही हैं जो कहीं से भी जायज नहीं है।यानी जो बची सो बची और जो मरी सो मरी।इतने बड़े अस्पताल में आग से जले---झुलसे मरीजों के इलाज लिए कोई आम से लेकर खास इंतजाम ना हो इसे आप क्या कहेंगे।
यह मुसीबत जाहिर तौर पर ठंढ की यह दोहरी मार है। इस ठंढ में बेहद सावधानी की जरुरत है। जो लोग आग में झुलसकर इस अस्पताल में आये हैं, सहरसा टाईम्स उनकी जिन्दगी बच जाए इसके लिए दिल से दुआ करता है।

दिसंबर 28, 2012

एक उद्योगपति का दर्द

 सहरसा टाईम्स की एक EXCLUSIVE रिपोर्ट---
मुकेश कुमार सिंह : आज हम आपको एक ऐसे एक उद्योगपति के दर्द से रूबरू कराने जा रहे हैं जो मुम्बई से आकर कोसी इलाके में उद्योग लगाना चाहते हैं लेकिन यह उद्योगपति प्रमंडल के अधिकारियों के रवैये से अब उद्योग लगाने के पहले ही यहाँ से भागने के मुड में है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आग्रह पर  400 करोड़ की लागत से मक्का आधारित उद्योग लगाने आये यह उद्योगपति यहाँ के अधिकारियों के रवैये से आजिज आ चुके हैं।
प्रशांत कुमार सिन्हा उद्योगपति
इनसे मिलिए : ये जनाब हैं प्रशांत कुमार सिन्हा। पेशे से इस इंजीनियर उद्योगपति को 35 साल का तजुर्बा है जिसके दम पर ये यहाँ उद्योग लगाने आये हैं।बिहार के मधेपुरा जिले के पुरैनी गाँव के ये रहने वाले हैं लेकिन तीन दशक से ज्यादा हो गए इनका पूरा परिवार मुम्बई में ही बस गया है।दो वर्ष पूर्व मुम्बई में इनकी मुलाक़ात बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हुयी थी।नीतीश जी ने इनसे बिहार में उद्योग लगाने का आग्रह किया था।इनको भी अपने गृह क्षेत्र की याद आई और इन्होनें कोसी में उद्योग लगाने का मन बना लिया।  400 करोड़ की लागत से मक्का आधारित उद्योग लगाने के लिए इन्हें बिहार सरकार के संबध विभाग से तमाम तरह की स्वीकृति मिल चुकी है। 95 एकड़ भूमि भी इन्हें आवंटित करने की राज्य सरकार ने अनुशंसा कर दी है।
आयुक्त कार्यालय में मुरघटी सन्नाटा छाया
लेकिन ये बीते आठ दिसंबर से कोसी प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय का चक्कर लगाकर अब उब से गए हैं।इन्हें एक तो यहाँ कोई अधिकारी नहीं मिलते दूजा कोई कर्मी इनसे भर मुंह बात भी करना मुनासिब नहीं समझता। इनकी नजर में आयुक्त कार्यालय में मुरघटी सन्नाटा छाया रहता है और एक भी अधिकारी और कर्मी यहाँ कभी भी समय से अपने कार्यालय नहीं आते। इन्हें इस कार्यालय से अब डर लगता है।ये इतने परेशान हो चुके हैं की कहते हैं की अब वे वापिस मुम्बई लौट जाना चाहते हैं।यहाँ पर उद्योग लगा पाना कतई मुमकिन नहीं है।ये दो टूक लहजे में कहते हैं की बिहार को चाहे विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए या फिर केंद्र रूपये की बारिश कर दे,इस राज्य में उद्योग लगाना मुमकिन नहीं है। यहाँ नौकरशाह कुछ भी नहीं होने देंगे। खिन्न होकर उद्योगपति कह रहे हैं की चाहे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाए और केंद्र इसे लाख पैसा दे दे लेकिन नौकरशाहों की वजह से बिहार में उद्योग लगाना नामुमकिन है। पूरी तरह से तंत्र की कार्य संस्कृति से ऊबे ये उद्योगपति अब उद्योग लगाने की अपनी इच्छा को दफ़न करके बिना उद्योग लगाए ही यहाँ से वापिस मुम्बई लौट जाना चाहते हैं।  
CPI नेता ओमप्रकाश ना 0 के साथ  उद्योगपति
जिस वक्त उद्योगपति बेचैन थे उसी समय वहाँ CPI के कद्दावर नेता ओमप्रकाश नारायण पहुँच गए। उद्योगपति ने इन्हें भी ना केवल खुलकर अपना दुखड़ा सुनाया बल्कि उद्योगपतियों को यहाँ ना आने की नेक सलाह भी दे डाली। नेताजी भौचक होकर इनकी पीड़ा सुनते रहे और इनके लिए आन्दोलन तक करने की बात कह डाली। सहरसा टाईम्स ने घूम---घूमकर आयुक्त के इस पुरे आलिशान भवन को खंगाल डाला।लेकिन हद की इंतहा देखिये की दिन के एक बजे हमें एक भी अधिकारी नहीं मिले।आयुक्त गायब,आयुक्त के सचिव गायब।सब के सब गायब।बड़ी मुश्किल से हमने एक कर्मी आयुक्त के प्रधान आप्त सचिव महेश चन्द्र चौधरी को ढूंढ़ निकाला।इनसे हमने यह जानने की बड़ी कोशिश की,की आखिर सारे अधिकारी गए कहाँ।लेकिन चौधरी जी ने कसम खा ली थी की वे कुछ भी नहीं बतायेंगे सो वे कुछ नहीं ही बताये।वे बोले की हम कुछ भी नहीं बोलेंगे। 

 एडिटर इन चीफ के साथ उद्योगपति
नौकरशाहों की ऐसी बदमिजाजी से आखिर क्या होगा इस सूबे का।नीतीश बाबू ये हाकिम बड़े बेलगाम हो गए हैं।बिहार का भला इन अधिकारियों के दम से कहीं भी होता नहीं दिख रहा है।अच्छी सोच और  अच्छी पहल के लिए बेहतर कार्य संस्कृति की दरकार है जो इस सूबे में फिलवक्त दूर--दूर तक नजर नहीं आ रहा है।जाहिर तौर पर अगर कुछ भी  बेहतर की गुंजाइश बनेगी तो वह अल्लाह  के फजल से ही संभव है।

दिसंबर 27, 2012

सर कटी लाश का बेशर्म सच


मुकेश कुमार सिंह: बीते 25 दिसम्बर को सदर थाना के रहुआ नहर के बगल में एक ईख की खेत से बरामद हुयी सर कटी लाश का बेशर्म सच अब जमाने के सामने आ चुका है। दामाद से अवैद्य सम्बन्ध ने एक पत्नी को ऐसा हैवान बनाया की उसने अपने दामाद और उसके एक सहयोगी के साथ मिलकर न केवल अपने पति की बेरहमी से ह्त्या कर दी बल्कि उसके सर को भी गायब कर कहीं छुपा दिया। एस.पी ने इस मामले का खुलासा करते हुए कहा की मृतक की पत्नी,दामाद और दामाद के एक दोस्त को इस जघन्य ह्त्या की घटना का आरोपी बनाया गया है।जहां हत्यारिन पत्नी अंशु देवी को पुलिस ने सौर बाजार थाना के कचरा गाँव से गिरफ्तार कर लिया है वहीँ हत्यारा दामाद राजेश यादव और उसका दोस्त चन्दन यादव अभी पुलिस की पकड़ से बाहर है।पुलिस ने बनगांव थाना के बेलहा गाँव स्थित मृतक के दामाद के घर से ह्त्या में इस्तेमाल किया गया कटार भी बरामद कर लिया है।लाश का सहरसा में पोस्टमार्टम नहीं हुआ जिससे परिजनों को खासी परेशानी हुयी।लाश को पोस्टमार्टम के लिए DMCH भेजा गया है।इस जघन्य वारदात में महज एक व्यक्ति की ह्त्या नहीं हुयी है बल्कि कई रिश्ते एक साथ हलाक हुए हैं।
 हत्यारिन अंशु देवी
इनसे मिलिए: अब हम आपको सदर थाना सहरसा में कचरा गाँव से गिरफ्तार कर लायी गयी बेरहम हत्यारिन से मिलवाने लाये हैं। देखिये यह है अंशु देवी।पति--पत्नी के पाक रिश्ते का सर कलम करने वाली यह कलयुगी हत्यारिन पत्नी है। पापी रिश्ते ने इसे इस कदर अंधा बना दिया की पिछले डेढ़ वर्ष से हरियाणा में रहकर मजदूरी करने वाला दिलीप जब घर लौटा तो इस क्रूर पत्नी ने अपने सगे दामाद और उसके एक दोस्त के साथ मिलकर उसे परलोक पहुंचा दिया। सात जन्मों तक साथ निभाने के सारे वायदे यहाँ पापी रिश्ते की बलि चढ़ गया।
पति की दरिंदगी की आपने ढेरो कहानियां सुनी होगी लेकिन एक पत्नी इस कदर हैवान होकर ना केवल अपने पति की ह्त्या में शामिल रहती है बल्कि उसके सामने उसके पति का सर धड़ से अलग कर दिया जाता है और वह पाप के रिश्ते को सींचने के लिए इस खुनी तमाशे का गवाह बनती है।शायद ही आपने ऐसा कभी देखा और सूना होगा।इस क्रूर महिला को कानून आखिर जैसी सजा दे लेकिन जहां रिश्तों में गर्माहट है और जहां रिश्ते की मर्यादा आज भी कायम है वह समाज इसे कभी भी माफ़ नहीं करेगा।




दिसंबर 26, 2012

एक बुजुर्ग का दर्द देखो सरकार

खास रिपोर्ट 
सरकार के तमाम दावों के बाबजूद गरीब--मजलूमों से लेकर जरुरतमंदों का कहीं से भी भला होता नहीं दिख रहा है। आज हम आपको एक बुजुर्ग की ऐसी दुखती तस्वीर दिखाने जा रहे हैं जो सरकार से लेकर उसके पुरे तंत्र को ना केवल तमाचे लगा रहा है बल्कि उसे सिद्दत से कटघरे में भी खड़े कर रहा है। जिले के सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के सिमरी उत्तरी पंचायत के रानीबाग के रहने वाले एक 92 वर्षीय बुजुर्ग पिछले सात महीने से वृद्धा पेंशन नहीं मिलने की वजह से जिले के आलाधिकारी से फ़रियाद करने आज जिला समाहरणालय पहुंचे हैं। ये सिर्फ फ़रियाद करने पहुँचते तो बात कोई खास नहीं होती। आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की महीने के हर बृहस्पतिवार को डी.एम साहब का जनता दरबार लगता है। पिछले सप्ताह यह बुजुर्ग डी.एम साहब को अपनी फ़रियाद सुनाने आये थे लेकिन अधिक भीड़ की वजह से ये साहब को अपनी फ़रियाद नहीं सूना पाए। यही वजह है की ये आज बुधवार को ही जिला समाहरणालय पहुँच गए क्योंकि कल बृहस्पतिवार को ये जिले के हाकिम को अपना दुखड़ा सूना सकें।
 जिला समाहरणालय के चक्कर लगाते--लगाते जब ये थक गए तो इन्होनें डी.एम कार्यालय के बरामदे पर फिक्स कुर्सी को ही अपना बिछौना बना डाला। सहरसा टाईम्स ने इस बुजुर्ग की पीड़ा देखी तो इस बुजुर्ग के हक़ के लिए बिना वक्त गंवाए तुरंत आवाज उठायी। यह हमारी पहल का ही नतीजा था की जिले के कई अधिकारी आनन्--फानन में एक साथ ना केवल संजीदा हुए बल्कि बुजुर्ग को पेंशन दिए जाने की फ़ौरन पहल भी शुरू हुयी। हम इतने पर ही बस नहीं करने वाले,इस बुजुर्ग को एक बानगी बनाकर आज सहरसा टाईम्स कई सवाल उठा रहा है।
जिसकी हकमारी होती है और जिसे इन्साफ नहीं मिल रहा होता है,सहरसा टाईम्स सदैव उसके लिए मजबूती से ना केवल आवाज बुलंद करता है बल्कि उसे उसकी वाजिब मंजिल तक भी पहुंचाता है। डी.एम साहब किसी कार्य से मुख्यालय से बाहर थे। सहरसा टाईम्स ने जिले के अन्य आलाधिकारी से लेकर सम्बंधित विभाग के अधिकारी से इस बुजुर्ग के बाबत तल्खी से जबाब---तलब किया। सहरसा टाईम्स के पुरजोर दखल के बाद जिले के कई अधिकारी  ना केवल एक साथ गंभीर हुए बल्कि इस बुजुर्ग को पेंशन मिल सके इसकी ठोस पहल भी शुरू कर दी। पेंशन देने वाले विभाग सामाजिक सुरक्षा विभाग के अधिकारी मोहम्मद मंजूर आलम से हमने जमकर सवाल किये। इस अधिकारी ने तुरंत इन्हें पेंशन मिल सके इसके लिए सिमरी उत्तरी पंचायत के पंचायत सचिव को विभागीय पत्र भेजा। उम्मीद है की तीन दिनों के भीतर इन्हें पेंशन की राशि मिल जायेगी।
मुकेश कुमार सिंह
सहरसा टाईम्स


अब हम एक बड़े सवाल से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं। सरकार के निर्देश के मुताबिक़ 80 वर्ष से अधिक उम्र वाले बुजुर्ग को 500 रूपये बतौर पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। हमने सम्बंधित अधिकारी से यह सवाल किया की आखिर किस वजह से 92 वर्ष के इस बुजुर्ग को महज 3 सौ रूपये दिए जाते रहे हैं। साथ ही इन्हें आजतक जो पेंशन के रूप में कम राशि मिली है तो क्या जो वाजिब में पेंशन की राशि है वह सारा जोड़कर विभाग इन्हें आगे देगा। इसके जबाब में अधिकारी ने स्वीकार किया की इन्हें 500 रूपये मिलने चाहिए। वे इसको लेकर ऊपर से निर्देश प्राप्त करेंगे जिससे इनको पूरी की पूरी वाजिब पेंशन की राशि मिल सके।यह सबकुछ सहरसा टाईम्स की पहल का नतीजा है।
एक बुजुर्ग की इस कहानी ने यह साफ़ कर दिया है की इस जिले में वृद्धा पेंशन योजना कतई सही तरीके से जमीन पर आजतक नहीं उतर पायी है। इस जिले में युवाओं को वृद्धा पेंशन और सधवा को विधवा पेंशन पहले से ही बाहेआम मिल रहे हैं जिसे देखने--सुनने वाला कोई नहीं है। अधिकारी,जनप्रतिनिधि से लेकर बिचौलियों की बस बल्ले--बल्ले और जय--जय है। सहरसा टाईम्स की पहल से एक बुजुर्ग का तो भला होता दिख रहा है लेकिन ऐसे हजारों सीताराम हैं जिनतक सहरसा टाईम्स का पहुँच पाना मुमकिन नहीं है। ऐसे में उनका क्या होगा,यह अल्लाह पर निर्भर करता है।
इस बुजुर्ग को बानगी बनाकर सहरसा टाईम्स सरकार और उसके तंत्र से कर रहा है कुछ सवाल------------
सवाल नंबर एक--------80 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को 500 रूपये दिए जाने का प्रावधान है तो आखिर 92 वर्ष के बुजुर्ग को 300 रूपये किस आधार पर अभीतक दिए जा रहे थे।क्या ऐसे बुजुर्गों को चिन्हित करके इन्हें बांकी राशि आगे दी जायेगी?
सवाल नंबर दो-------पेंशन आयु स्पष्ट रूप से तय रहने के बाद भी कम उम्र के लोगों को आखिर कैसे वृद्धा पेंशन मिल रहे हैं।इसे रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठाना चाहेगी?
सवाल नंबर तीन-------सधवा (सुहागन) को विधवा पेंशन कैसे मिल रहा है।इसमें सुधार और इसे रोकने के लिए सरकार के पास कौन सी योजना है?
सवाल नंबर चार--------नयी योजनाओं के सृजन की जगह पुरानी योजनाओं को सही तरीके से धरातल पर लाने के लिए सरकार आखिर क्यों नहीं गंभीर होती है?

सवाल नंबर पांच----------बड़ी योजनायें जाहिर तौर पर गरीबों के कल्याणार्थ ही बनायी जाती है।आजादी के दशकों बाद भी गरीबों के जीवन स्तर में आशातीत बदलाव नहीं हो सका है।क्या यह मानकर चलें की गरीब महज सियासी वस्तु भर हैं? 

सर कटी लाश मिली

मुकेश कुमार सिंह के साथ चन्दन  सिंह की रिपोर्ट:  बीते दोपहर बाद जिले के रहुआ नहर के समीप ईख की एक खेत से एक शख्स की लाश मिलने से पुरे इलाके में सनसनी फ़ैल गयी। घटना की सुचना के बाद मौके पर सदर थाना और बनगांव थाना दोनों थाने की पुलिस पहुंची। यह मामला सदर थाना या फिर बनगांव थाने का है यानि कुछ समय के लिए क्षेत्र विवाद में फंस गया जिससे पुलिसिया जांच पूरी तरह से रुक सी गयी। मामले की गंभीरता को भांपकर मौके पर पुलिस के आलाधिकारी पहुंचे जिससे पुलिस ने तत्काल तफ्तीश शुरू कर दी। अब इस मामले को सदर थाना क्षेत्र का मामला मानकर अनुसंधान हो रहा है। कुछ लोग लाश की पहचान कर मृतक की न केवल पहचान का दावा कर रहे हैं बल्कि मृतक की पत्नी के अपने दामाद के साथ अवैद्य सम्बन्ध को ह्त्या की वजह भी बता रहे है। हांलांकि पुलिस के आलाधिकारी मृतक की पहचान और ह्त्या की वजह को लेकर कुछ भी खुलकर नहीं बोल रहे लेकिन छोटे पुलिस अधिकारी ने कहा की मृतक की ना केवल पहचान हो चुकी है बल्कि अवैद्य सम्बन्ध की वजह से ह्त्या की इस घटना को अंजाम दिया गया है। सहरसा पुलिस के काम करने का तरीका बड़ा अजूबा है साहेब। 
देखिये यह नजारा है कहरा प्रखंड के रहुआ नहर के ठीक बगल के ईख खेत का।ईख खेत के भीतर यह पड़ी है एक शख्स की सर कटी लाश। देखिये कितने खौफनाक तरीके से इसकी ह्त्या की गयी है। बेरहमी से इसके सर को इसके जिश्म से जुदा कर दिया गया है।दोपहर करीब दो बजे जब ईख खेत का मालिक अपनी फसल को देखने ईख के बीच में गया तो एक सर कटी लाश को देखकर उसके होश उड़ गए।उसने तुरंत हल्ला मचाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते आसपास लोगों की भीड़ जमा हो गयी।किसी ने बनगांव थाना को फोन किया तो किसी ने सदर थाना को। चूँकि यह क्षेत्र दोनों थाने के बीच में पड़ता है इसलिए लोगों ने दोनों जगह इसकी सुचना दे दी। वहीँ एक शख्स खुद को मृतक का रिश्तेदार बताकर मृतक को सौर बाजार थाना के कचरा गाँव का बताते हुए कहता है की मृतक दिलीप यादव है इसकी पत्नी का अवैद्य सम्बन्ध अपने दामाद से है।इसकी ह्त्या इसकी पत्नी और दामाद ने मिलकर की है।
ASHOK KUMAR DAS,S.D.P.O
पुलिस के छोटे अधिकारी मृतक के रिश्तेदार की सुर में सुर मिला रहे हैं और वही बयान दुहरा रहे हैं जो बयान मृतक के तथाकथित भतीजे ने दिया है। लेकिन इससे इतर मौके पर पहुंचे पुलिस के बड़े अधिकारी अभी कुछ और लोगों के आने का इन्तजार कर रहे हैं। इनकी मानें तो पुलिस ने लाश की पहचान के लिए पहले तो मृतक के कटे सर की खूब तलाश की लेकिन कटा हुआ सर नहीं मिला। अब जो लोग इस शव की शिनाख्त कर रहे हैं उनके माध्यम से उस महिला को बुलाया जा रहा है जिसे इसकी पत्नी बताया जा रहा है। यानि अधिकारी महोदय फिलवक्त ना तो मृतक की पहचान होने का दावा कर रहे हैं और ना ही घटना के कारण को लेकर ही कुछ साफ़ कर रहे हैं।  

मुकेश कुमार सिंह
सहरसा टाइम्स
जब भी कोई बड़ी घटना घटती है सहरसा में सबसे पहले एक बड़ी समस्या आती है की यह मामला किस क्षेत्र का है। बीते 23 दिसंबर को सहरसा स्टेशन के समीप रेलवे ट्रैक के किनारे से एक झाड़ी से बरामद हुयी करीब दस वर्षीय अज्ञात बच्चे की लाश को लेकर भी रेल पुलिस और सहरसा पुलिस के बीच तनातनी हुयी थी। यही नहीं बीते 19 नवम्बर को इंजीनियरिंग के छात्र दीपक की ह्त्या हुयी थी। इस मामले में भी सहरसा पुलिस और रेल पुलिस के बीच क्षेत्र विवाद की वजह से जांच में देरी हुयी थी और नतीजतन दीपक की ह्त्या हो गयी। आखिर यह क्षेत्र विवाद का खेल कबतक चलेगा? एक सप्ताह के भीतर ह्त्या की यह तीसरी घटना है जिसने न केवल पुरे जिले को हिलाकर रख दिया है बल्कि इस जिले में पुलिस और कानून नाम की कोई चीज नहीं है इसकी पोल--पट्टी भी खोलकर रख दी है। इसी महीने 18 दिसंबर को सिमरी बख्तियारपुर थाना के बेलवारा पुनर्वास गाँव की दस वर्षीय सुधा कुमारी की सामूहिक बलात्कार के बाद ह्त्या,23 दिसंबर को सहरसा रेलवे स्टेशन के समीप रेलवे ट्रैक के किनारे दस वर्षीय बच्चे की ह्त्या और आज एक शख्स की ह्त्या करके सर को गायब करने की घटना।सुशासन बाबू आप खुद तय कीजिये सहरसा में कानून का या फिर गुंडों का राज है।

दिसंबर 19, 2012

सामूहिक दुष्कर्म के बाद मासूम बच्ची की ह्त्या

मुकेश कुमार सिंह जिश्म की भूख मिटाने के लिए दरिंदगी की इन्तहा का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। जिले के सिमरी बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर बसे बेलवारा पुनर्वास गाँव में बीते 17 दिसंबर की शाम में महज दस साल की बच्ची को पहले तो अगवा किया गया और फिर इस मासूम से जिश्म की आग शांत कर के इसे हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया। घटना के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ मासूम बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद साक्ष्य छुपाने की गरज से इसकी ह्त्या करके उसकी लाश को नदी के किनारे उगे जलकुम्भी के भीतर छुपा दिया गया। बच्ची की लाश कल 18 दिसंबर की सुबह को ग्रामीणों ने बरामद किया और इसकी सुचना सिमरी बख्तियारपुर पुलिस को दी। पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर इसे पोस्टमार्टम के लिए बीती रात सहरसा भेजा जहां आज 19 दिसंबर को लाश का पोस्टमार्टम कराया गया। इस घटना से जहां पुरे इलाके में सनसनी फैली हुयी है वहीँ पुलिस के अधिकारी फिलवक्त इसे बलात्कार की घटना मानने से परहेज करते हुए कह रहे हैं की उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने का इन्तजार है। वैसे ह्त्या को लेकर अनुसंधान शुरू कर दिया गया है।
सहरसा में सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद ह्त्या का दौर बदस्तूर जारी है। इसबार देखिये एक नन्ही सी जान के जिश्म से ना केवल जीभर के खेला गया है बल्कि इसे दूसरी दुनिया भी पहुंचा दिया गया है। पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर टेम्पो में दस वर्षीय सुधा कुमारी की लाश पड़ी है। इसके जिश्म जहां ठंढे पड़े हैं वहीँ इसकी दोनों आँखें बंद है। नन्ही सी बिटिया खामोश है लेकिन जमाने से वह कई बड़े सवाल कर रही है। आखिर उसका क्या गुनाह था। वह लड़की थी,शायद यही उसका गुनाह था। बच्ची के परिजन बता रहे हैं की सुधा 17 दिसंबर की शाम में खेलते----खेलते अचानक गायब हो गयी। कुछ गुंडे उसे उठा ले गए और पहले उसके साथ बलात्कार किया फिर उसकी ह्त्या कर दी। परिजनों को बच्ची के कपड़े और उसके शरीर पर बलाताकर के पुख्ता लक्षण मिले हैं जिसके आधार पर वे इस बात को बता रहे हैं। उसकी चप्पल और चादर नदी किनारे फेंकी मिली जिसे देखकर नदी में उगे जलकुम्भी के भीतर से ग्रामीणों ने उसकी लाश को निकाला। इनकी मानें तो पुलिस की तरफ से अभीतक कोई ख़ास कारवाई होती नहीं दिख रही है।
 जिले के एस.पी तत्काल इसे सामूहिक दुष्कर्म की बात तो छोडिये दुष्कर्म के मामले को मानने से भी इनकार कर रहे हैं। इनकी मानें तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही वे किसी नतीजे पर पहुंचेंगे।वैसे यह सुदूर ग्रामीण इलाके में घटी घटना है। पुलिस तत्काल ह्त्या को लेकर अनुसंधान करने में जुटी हुयी है। डी.एस.पी को जांच के लिए आज उन्होनें घटनास्थल पर भेजा है। इस घटना को अंजाम देने वाले की न केवल गिरफ्तारी होगी बल्कि उनपर कठोर कारवाई भी होगी।
महानगर दिल्ली में चलती बस में गेंगरेप की घटना से पूरा देश अभी जहां मर्माहत है वहीँ कस्बाई इलाके में गेंगरेप के बाद ह्त्या की इस जघन्य घटना ने सभ्य समाज को जद से छलनी करके रख दिया है। आखिर पल भर की काम तृष्णा की तृप्ति के लिए लोग इतने हैवान बनकर जिन्दगी और इंसानियत को एक साथ क्योंकर लील रहे हैं।

बेबसी में धरने को मजबूर

मुकेश कुमार सिंह : काडा (कोसी कमांड क्षेत्र विकास अभिकरण)विभाग में अनुकम्पा पर नौकरी पाने के लिए बीते 14 दिसंबर से नौ अभ्यर्थी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। वर्ष 2008 में ही सेवा के दौरान अपने पिता को गंवाने वाले ये अभ्यर्थी अभीतक विभागीय लाल--फीताशाही की वजह से नौकरी नहीं पा सके हैं। हद की इन्तहा तो यह है की सरकार के बारबार निर्देश के बाद भी अभीतक इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। आगामी 25 दिसंबर तक अगर इनकी नियुक्ति नहीं हुयी तो काडा सहित अन्य कर्मचारी संघ इनके समर्थन में न केवल हड़ताल करेंगे बल्कि काडा के सभी कक्षों में तालाबंदी कर काम--काज को भी पूरी तरह से ठप्प भी कर देंगे। 
 धरनार्थी कहते है:  इन लोगों का कहना है की कोसी प्रमंडल के आयुक्त विमलानंद झा के टालू रवैये की वजह से सरकार के कई बार लिखित निर्देश के बाबजूद इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल रहा है। आयुक्त महोदय बिना मतलब के उनकी फाईल को विमर्श के नाम पर विभागीय अधिकारियों को भेजते रहते हैं। नियुक्ति के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही पूरी कर ली गयी है लेकिन नियत में खोंट की वजह से उन्हें नियुक्ति पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। 2008 से वे संघर्षरत हैं लेकिन उनकी फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं है। उनके घर में जहां चुल्हा जलना मुश्किल है वहीँ बच्चों की पढाई भी छुट रही है। अब वे अपने घर के लोगों से आँख मिलाने की स्थिति में भी नहीं हैं। इस बार वे या तो नौकरी लेकर घर लौटेंगे या फिर यहीं पर जान दे देंगे। 
सहरसा टाइम्स: हमने इस बाबत पहले कोसी प्रमंडल के आयुक्त विमलानंद झा से जबाब---तलब करना चाहा लेकिन वे हमें अपने कार्यालय में नहीं मिले।हमने सोचा चलिए उनकी जगह उनके सचिव से बात कर लेते हैं। लेकिन हद की इंतहा देखिये आयुक्त महोदय की तरह ये साहब भी अपने कक्ष से गायब थे। यह अलग बात है की उनका कक्ष खुला हुआ था जहां खाली कुर्सियां अपनी बेबसी की कहानी बयां कर रही थी।
वर्ष 2008 से अपने पिता को गंवाकर बड़ी तकलीफ झेलने वाले इन जरुरतमंदों पर नौकरशाहों को आखिर क्यों तरस नहीं आ रहा है।सूत्रों की माने तो इन नौ अभ्यर्थियों से नौकरी के नाम पर मोटा नजराना बटोरने की गरज से इन्हें लटका--कर रखा जा रहा है।आगे किस तरह से बीच का रास्ता निकलता है और इनकी आस किस रास्ते पूरी होती है,इसे देखना दिलचस्प होगा। 

दिसंबर 18, 2012

नामी ब्रांड पर काला खेल

चन्दन सिंह:  बीती रात में सहरसा पुलिस को एक बड़ी कामयाबी मिली।गुप्त सुचना के आधार पर एस.पी अजीत सत्यार्थी और एस.डी.पी.ओ अशोक कुमार दास के संयुक्त छापामारी में विभिन्य नामी ब्रांड के चावल के बोड़े में लोकल चावल भरकर उसे दूसरी जगह खपाने के खेल का भंडाफोड़ हुआ। पुलिस के इन आलाधिकारियों ने सदर थाना के रिफ्यूजी चौक के समीप एक गोदाम में चल रहे इस काले और गोरख खेल का भंडाफोड़ करते हुए जहां ट्रक पर लदे राजा बाबू ब्रांड के साढ़े चार सौ बोड़े चावल बरामद किये वहीँ कई अन्य नामी ब्रांडों के खाली बोड़े भी गोदाम से बरामद किये। इस रहस्य को बेपर्दा करने के बाद चावल सहित ट्रक जब्त कर सदर थाना लाया गया और उक्त गोदाम को सील कर दिया गया है। इस काले खेल को अंजाम देने वाला गोदाम मालिक जहां मौके से फरार होने में कामयाब हो गया वहीँ मौके से छः लोग हिरासत में लिए गए हैं जिनसे पूछताछ की जा रही है।
पुलिस के लिए यह निसंदेह एक बड़ी कामयाबी है।आगे जिला प्रशासन के अधिकारियों को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एक तरफ जहां पुलिस को मदद करनी होगी वहीँ दूसरी तरह उन्हें यह पता लगाना होगा की यह खेल आखिर कब से चल रहा है और इस खेल में और कितने काले जादूगर लगे हुए हैं। यूँ बताना लाजिमी है की पिछले आंकड़े इस बात के गवाह रहे हैं की ऐसे मामले का फलाफल महज अधिकारियों को मोटा नजराना दिलवाने में कामयाब हुआ है, इस तरह के आरोपियों पर कभी कोई कठोर कारवाई नहीं हुयी है।अब इस मामले में आगे कैसा गुल खिलता है,यह देखना वाकई काफी दिलचस्प होगा।

दिसंबर 17, 2012

बाप के लिए बेटा लोगों से मांग रहा आशिर्वाद

मुकेश कुमार सिंह
तत्कालीन गोपालगंज डी.एम जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन के बड़े बेटे चेतन आनंद इनदिनों कोसी की जनता से ना केवल आशिर्वाद मांग रहे हैं बल्कि लोगों के बीच जाकर अपने बाप को बेकसूर भी बता रहे हैं। चेतन आनंद जनता की अदालत में अपने बाप को न्याय दिलाने के लिए अर्जी लगा रहे हैं और जनता से लामबंद होकर उनके पिता के लिए आवाज बुलंद करने की अपील भी कर रहे हैं। सहरसा जिले के धवौली गाँव स्थित मध्य विद्यालय में एक आशीर्वाद सभा का आयोजन हुआ था जहां चेतन आनंद अपने पिता आनंद मोहन के समर्थकों के बीच पहुंचे जहां पहले तो उनका भव्य स्वागत हुआ फिर वे बड़े आहत लहजे में जनता की अदालत को सबसे बड़ी अदालत बताकर जनता को उसके बाप को न्याय दिलाने के लिए आगे आने की अपील की। जाहिर तौर पर इस सभा में आशीर्वाद की बारिश हो रही थी। चेतन ने आगामी 23 जनवरी को सहरसा में उसके पिता को न्याय दिलाने के लिए आहूत न्याय मार्च में आने का लोगों को न्योता भी दिया। जनता के बीच चेतन का इस तरह से आना यह जाहिर कर रहा है की एक युवराज का राजनीति में आने का यह सारा तामझाम है।
यहाँ की अपार भीड़ में क्या बच्चे और क्या जवान और क्या लडकियां।बूढ़े--बुजुर्ग भी चेतन को दिल से आशीर्वाद दे रहे थे।बूढी औरतें तो बड़े दुखी मन से कह रही हैं की उन्होनें लम्बे समय से आनंद मोहन को नहीं देखा है। मोहन सबके लिए खडा होता था। आज वह साजिश का शिकार होकर जेल में बंद है। वे सभी उनके बेटे चेतन को दिल से आशीर्वाद दे रही हैं की उसका बाप जरुर जेल से आजाद होगा। आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की ये सभी दलित और महादलित परिवार की गरीब महिलायें हैं जो आनंद मोहन के लिए दुआ कर रहे हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने आनंद मोहन के आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। आनंद मोहन की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में इस सजा को लेकर पुनर्याचिका दायर की गयी है की वे बेकसूर हैं उन्हें इस सजा से मुक्त किया जाए। अब माननीय न्यायालय आगे जो फैसला सुनाये,इधर लोगों को लामबंद कर जनता की अदालत में बेटे ने बाप को न्याय दिलाने की एक मुहीम जरुर छेड़ दी है। आगे देखना दिलचस्प होगा की इन सारे तामझाम के कैसे नतीजे आते हैं। अभी तो हम इसे एक बेटे की तड़प और छटपटाहट के साथ--साथ राजनीति में एक युवराज के प्रवेश का एक पुख्ता संकेत भर मान रहे हैं।

दिसंबर 13, 2012

इंजीनियरिंग छात्र की हत्या के मुख्य आरोपी का आत्मसमर्पण

चन्दन सिंह : बीते 20 दिसंबर को सहरसा के सदर थाना के मुरली वसंतपुर गाँव के रहने वाले इंजीनियरिंग छात्र दीपक को अगवा कर ह्त्या करने मामले का मुख्य आरोपी विजेंद्र चौधरी ने आज सहरसा न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। दीपक की ह्त्या ने जहां पुरे इलाके में सनसनी फैला दी थी वहीँ सहरसा पुलिस को उसकी लापरवाही को लेकर बेपर्दा भी किया था। मृतक के परिजनों ने इस ह्त्या काण्ड का मुख्य आरोपी पेशे से शिक्षक विजेंद्र चौधरी को बनाया था जो मृतक दीपक का रिश्ते में फुफेरा बहनोई है। हत्या के 25 दिन बाद तक सहरसा पुलिस विजेंद्र को गिरफ्तार करने में नाकामयाब रही। 
मुख्य आरोपी  विजेंद्र चौधरी
आज विजेंद्र ने पुलिस को करारा तमाचा लगाते हुए सहरसा न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। सहरसा टाईम्स ने रिश्ते को शर्मशार करने वाले आरोपी विजेंद्र से न्यायालय में EXCLUSIVE बातचीत की। विजेंद्र खुद को साजिश का शिकार बताते हुए बड़े साफ़ लहजे में कह रहा है की उसे अपने शाले की ह्त्या का काफी दुःख है।
इंजीनियरिंग छात्र दीपक
उसने अपने शाले की ह्त्या नहीं की है। वह पूरी तरह से बेकसूर है। विजेंद्र की मानें तो दीपक के नाजायज सम्बन्ध गीता नाम की लड़की से था। उसने गीता का ऑवर्शन भी कराया था। गीता ने ही उसकी ह्त्या करवाई है। दीपक इंजीनियरिंग में एडमिशन कराने के नाम पर ठगी करता था इस वजह से उसकी दीपक और उसके घरवालों से कहा--सुनी भी हुयी थी। उनके रिश्तेदारों ने ही उसे साजिश के तहत उसे फंसा दिया है। 1994 में बीपीएससी के माध्यम से शिक्षक की नौकरीपाने वाले विजेंद्र अभी सहरसा के परमानपुर मध्य विद्यालय में पदस्थापित हैं। विजेंद्र को न्यायालय पर पूरा भरोसा है।
अब आगे पुलिस विजेंद्र को रिमांड पर लेकर पूछताछ करने वाली है की आखिर दीपक की ह्त्या के पीछे का रहस्य क्या है। वैसे विजेंद्र के आत्मसमर्पण कर देने से सहरसा पुलिस ने राहत की सांस ली है। आगे इस काण्ड में कौन--कौन से रहस्य छुपे हुए हैं,उसपर से पर्दा उठना अभी बांकी है। 
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दिसंबर 12, 2012

दारोगा के घर भीषण चोरी

मुकेश कुमार सिंह: बीते दिन एक दारोगा के घर भीषण चोरी की घटना का हैरतंगेज मामला प्रकाश में आया है।घटना सदर थाना के कायस्थ टोला मोहल्ले की है।एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए पूरा परिवार पटना गया था,उसी दौरान चोरों ने मौक़ा ताड़कर इस बड़ी घटना को अंजाम दिया।पीड़ित परिवार के मुताबिक़ चोरों ने साढ़े सात लाख से अधिक के गहने और कीमती सामान के साथ डेढ़ लाख से ज्यादा की नकदी उड़ाई है।वैसे पूरी तरह से चोरी गए सामानों को खंगाला नहीं जा सका है।आगे यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है।बीती रात परिवार के कुछ सदस्य शादी में शामिल होने के उपरान्त जब वापिस अपने घर पहुंचे तो घर का नक्सा ही पूरी तरह से बदला पाया।घर का सारा सामान छितराया हुआ था जो यह बता रहा था की चोरों ने बाखूबी अपना काम कर दिया है।तमाम के बाद हद की इंतहा देखिये,इस घटना की जानकारी बीती रात ही पुलिस के अधिकारी को दी गयी लेकिन घटना की सूचना के बाद पैन्थर पुलिस के तीन जवान को मौके पर तहकीकात के लिए भेज दिया गया लेकिन कोई पुलिस अधिकारी ने वहाँ जाना मुनासिब नहीं समझा।एक पुलिस वाले के घर चोरी की घटना घटी,बाबजूद इसके इस मामले को पुलिस अधिकारियों ने गंभीरता से नहीं लिया।आज दोपहर बाद सहरसा टाईम्स की पहल और दखल के बाद पुलिस के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे और तहकीकात शुरू की।पुलिस की हीला--हवाली की एक और जिन्दा मिशाल। 
शादी में शामिल कुछ लोग बीती रात ही करीब साढ़े बारह बजे अपने इस घर में वापिस हो गए।जब कुछ लोग घर वापिस लौटे तो घर का पूरा नक्सा ही बदला हुआ था।सभी कमरे के ताले टूटे हुए थे और घर में चारों तरफ सामान छितराए हुए थे।दारोगा श्याम सुन्दर सिंह की छोटी बेटी सुरुचि भी घर लौट आई थी।वह तो इस नज़ारे को देखकर हैरान---परेशान होकर बेसुध हो गयी थी।उसने गहने वाले बॉक्स को देखा तो सारे गहने गायब थे,नयी एलसीडी टीवी गायब थी और नकदी एक लाख पचपन हजार जो एक जगह वह रखकर गयी थी वह भी गायब था।देखते ही देखते पूरी दुनिया ही उजड़ गयी थी। इस घटना की सूचना तुरंत सदर थाने को दी गयी।दारोगा के घर चोरी हुयी थी पुलिस तुरंत आई भी लेकिन वे महज तीन पैन्थर  जवान थे,कोई पुलिस अधिकारी साथ नहीं आया।रात में ये जवान यह कहकर गए की कल सुबह बड़े अधिकारी आयेंगे,आपलोग किसी सामान के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे,वर्ना जांच में दिक्कत होगी।लेकिन पुलिसिया बेशर्मी देखिये की आज दोपहर तक एक भी पुलिस अधिकारी यहाँ जांच के लिए नहीं पहुंचे। सहरसा टाईम्स दोपहर बारह बजे से चार बजे शाम तक घटनास्थल पर इसलिए डटा रहा की पुलिस की लापरवाही और उसकी हीला--हवाली को अपने कैमरे में कैद कर सकें। सहरसा टाईम्स ने इस बेशर्मी को लेकर एस.पी अजीत सत्यार्थी से मोबाइल पर जबाब-तलब किया।
हमारे दखल के बाद क्राईम मीटिंग में व्यस्त एस.पी अजीत सत्यार्थी ने सदर इन्स्पेक्टर सह थानाध्यक्ष को घटनास्थल पर भेजा।आप भी देखिये की किस तरह हमारी मौजूदगी में दल-बल के साथ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर पहुँच रहे हैं।सेवानिवृत दारोगा श्याम सुन्दर सिंह अपनी पत्नी के साथ पटना में ही हैं।आज देर रात उनके सहरसा पहुँचने की संभावना है। लेट--लतीफी के मारे अधिकारी सदर इन्स्पेक्टर सह थानाध्यक्ष सूर्यकांत चौबे की दलीलों की माने तो चोरी कहीं भी हो सकती है।अपराधी किसी भी सूरत में पुलिस पर भारी नहीं हैं।अगर भारी होते तो वे सामने आकर पुलिस से मुकाबला करते।
यह जिला पूरी तरह से चोर,मवाली और अपराधियों की गिरफ्त में है।यहाँ पुलिस की नहीं बल्कि अपराधियों की समानांतर सरकार चलती है।इस इलाके के लोगों की जानमाल की सुरक्षा पुलिस के भरोसे नहीं बल्कि अपराधियों की रहमो-करम पर है।अगर आप सलामत बच रहे हैं तो समझिये अपराधी आपपर मेहरबान हैं।

दिसंबर 11, 2012

एलजेपी का विशाल प्रदर्शन

रिपोर्ट चन्दन सिंह: लोजपा सुप्रीमो राम विलास पासवान के निर्देश पर  सहरसा में एलजेपी ने न केवल विशाल प्रदर्शन किया बल्कि प्रदर्शन के दौरान जिला प्रशासन और पुलिस के साथ--साथ बिहार सरकार पर भी जमकर बरसे। लोजपा के सैंकड़ों कार्यकर्ताओं ने जिला मुख्यालय के शंकर चौक पर पहले लामबंदी की फिर वहाँ से शहर के विभिन्य मार्ग से मार्च करते हुए जिला समाहरणालय पहुंचे जहां उन्होने पहले तो जमकर नारेबाजी की फिर भाषण का दौर चला। इस प्रदर्शन में वक्ताओं ने सरकारी योजनाओं का लाभ गरीबों तक नहीं पहुँचने और लगातार बिगडती कानून व्यवस्था को लेकर जिला पुलिस--प्रशासन और सरकार को खूब कोसा।लोजपा के इस लामबंदी का आगे क्या फलाफल आयेगा यह तो बाद की बात है लेकिन लोगों का विरोध सड़कों पर खुले तौर पर दिख रहा है,इसे सरकार के लिए कहीं से भी शुभ संकेत नहीं माना जा सकता है।   
यूँ तो लोजपा सुप्रीमों के निर्देश पर राज्य के सभी जिला मुख्यालय पर ऐसा प्रदर्शन चल रहा है लेकिन यहाँ का प्रदर्शन कुछ हटके और खास है।सरकार की विभिन्य योजनाओं का लाभ गरीब--गुरबों तक नहीं पहुँच रहा है। इंदिरा आवास,मनरेगा और लगभग सभी कल्याणकारी योजनायें वाजिब लाभुकों की जगह अधिकारी,बाबू--हाकिम से लेकर बिचौलियों को फायदा पहुंचा रहे हैं। कानून--व्यवस्था पूरी तरह से लचर है। यहाँ पर प्रदर्शनकारियों ने इन तमाम मुद्दों के अलावे खासकर के सहरसा पुलिस के रवैये पर बड़े--बड़े प्रश्न खड़े किये। सहरसा में हत्या,लूट सहित बड़े अपराधों का दौर लगातार है लेकिन पुलिस उसे रोक पाने में पूरी तरह से विफल है। प्रदर्शनकारी नेता विगत दिनों सहरसा में हुयी चार हत्याओं पर खूब उबले जिस मामले में पुलिस के हाथ अभीतक खाली हैं। डॉक्टर संतोष भगत,करोड़पति विधवा महिला सहनी देवी, पान व्यवसायी शम्भू चौरसिया और इंजीनियरिंग छात्र दीपक कुमार की ह्त्या की गुत्थी,ह्त्या के महीनों बाद भी पुलिस आजतक नहीं सुलझा सकी है। जाहिर तौर पर प्रदर्शनकारी जिला पुलिस--प्रशासन और सरकार पर एक साथ हमला बोल रहे थे।

दिसंबर 10, 2012

दबंगों ने बरपाया कहर

रिपोर्ट चन्दन सिंह: बीते शाम सदर थाना के सपटियाही बस्ती में दबंगों ने नंगा नाच करते हुए जहां महादलित परिवार की एक झोपड़ी को आग में झोंककर ख़ाक कर दिया वहीँ महादलितों पर जमकर पत्थरबाजी भी की। पीड़ितों का कहना है की जमीन विवाद में दबंगों ने करीब पचास की संख्या में यहाँ पहुंचकर जमकर उत्पात मचाये और लूटपाट भी की। पीड़ित परिवार का कहना है की जमीन विवाद में गाँव के दबंग राधे भगत,अरुण भगत,संतोष भगत सहित करीब पचास की संख्यां आये गुंडों ने यहाँ पर जमकर उत्पात मचाये। इनलोगों ने न केवल जमकर लाठियां बरसाई बल्कि पत्थरबाजी भी की। यह सारा उपत्पात उस समय हो रहा था जब घर के लगभग पुरुष गाँव में मौजूद नहीं थे। पीड़ितों का कहना है की उपद्रवी तत्व उनका सारा सामान,कपड़े और कम्बल भी अपने साथ लेकर चले गए। अब उनका इस जाड़े में भगवान जाने क्या होगा।
पुलिस कहती है--- पुलिस के अधिकारी इस पुरे मामले को साजिश बता रहे हैं। इनकी माने तो जिनलोगों ने उक्त जमीन पर झोपड़ी बनाए हैं वह बिलकुल गलत है। इस जमीन पर महादलितों का मालिकाना हक़ नहीं है। जिनलोगों पर इस घटना को अंजाम देने का आरोप लग रहा है उन्हें इस जमीन का मालिकाना हक़ प्राप्त है। 1953 में ही उनलोगों को यह जमीन भूदान से मिली हुयी है। यानी ये साफ़--साफ़ लहजे में कह रहे हैं की खुद इनलोगों ने अपने घर में आग लगाकर इस घटना की पूरी पटकथा लिखी है। वैसे इस घटना की तह से जांच होगी फिर आगे जो उचित होगा,वैसी कारवाई होगी।
अब इस मामले का असल सच क्या है यह तो बड़े अधिकारियों की हस्तक्षेप और उनकी जांच से ही स्पष्ट हो पायेगा। लेकिन अभी ये महादलित डरे--सहमे दिख रहे हैं। आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की इन महादलितों के पास भी भूदान से जमीन हासिल के कागजात हैं। अब ये कागजात इनके पास कैसे आये और इन महादलितों को पीछे से कौन उकसा रहा है इसे खंगालना भी पुलिस के लिए चुनौती होगी।

दो मुन्ना भाई हुए गिरफ्तार

रिपोर्ट चन्दन सिंह: केन्द्रीय चयन पर्षद पटना के द्वारा आज पुरे बिहार में आयोजित हुयी सिपाही भर्ती लिखित परीक्षा में एक तरफ जहां गेटिंग--सेटिंग और कदाचार का बोलबाला रहा वही कई फर्जी परीक्षार्थी और फर्जी वीक्षक भी दबोचे गए। सहरसा में भी ऐसे ही दो मुन्ना भाई दबोचे गए। एक मुन्ना भाई अपने मौसरे भाई की जगह परीक्षा में शामिल हो कांपी पर अपने जौहर दिखा रहा था तो दुसरा मुन्ना भाई वीक्षक बनकर अपने संपर्क के परीक्षार्थियों की नैया पार लगाने में जुटा था। धर्मेन्द्र कुमार वीक्षक की भूमिका में तो नीरज कुमार परीक्षार्थी की भूमिका में रंगे हाथ दबोचे गए। ये दोनों सहरसा के इवनिंग कॉलेज से गिरफ्तार किये गए। इस तरह के कदाचार से बिहार में आयोजित होने वाले कई परीक्षा को रद्द तो कर दिया जाता है लेकिन जो विद्यार्थी कड़ी मेहनत कर के सफलता को प्राप्त करना चाहता है उस विद्यार्थी के लिए यह दुर्भाग्य है। सहरसा जैसे परीक्षा केंद्र पर इस तरह की घटना को अंजाम देनेवाले ये मुन्ना भाई यंहा के विधि व्यवस्था को अंगूठा दिखा रहा है।गिरफ्त में आये ये दोनों मुन्ना भाई पटना के रहने वाले हैं। पुलिस अधिकारी का कहना है की इनपर विधि सम्मत कारवाई की जायेगी।
थोड़े से लालच में लोग अपने भविष्य को दाँव पर लगा देते हैं। ना जाने फर्जीवाड़े के इस जड़वत खेल से कब निजात मिलेगी।

दिसंबर 09, 2012

मेरा बाप बेकसूर है चेतन आनंद

आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद
रिपोर्ट मुकेश कुमार सिंह,सहरसा टाइम्स:  मेरा बाप बेकसूर है।तत्कालीन गोपालगंज डी एम जी कृष्णैया ह्त्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद ने आज जनता की अदालत में न केवल अर्जी लगाई बल्कि मंच से सभा को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर हुंकार भी भरी। सहरसा के सोनवर्षा राज के महाराजा हरिवल्लभ नारायण उच्च विद्यालय प्रांगण में प्रतिपक्षी दलों की संयुक्त सभा के बैनर तले चेतन आनंद ने अपनी माँ पूर्व सांसद सह कौंग्रेस नेत्री लवली आनंद के साथ एक महती सभा को संबोधित किया।अपने भाषण में उसने कहा मेरा बाप बेकसूर है,उन्हें बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने साजिश के तहत फंसाकर सजा कराई है।आगे वह पढाई करके या फिर कुछ भी ऐसा करेगा जिससे वह अपने बाप को न्याय दिलाकर रहेगा।इस दौरान लवली आनंद ने भी नीतीश कुमार पर जमकर भड़ास निकाली और कहा की आनंद मोहन और उन्होनें मिलकर नीतीश को लोकसभा तक पहुंचाया।यही नहीं उन्हें बिहार की गद्दी पर भी बिठाया।लेकिन नीतीश कुमार दगाबाज निकले और उन्होने पटना हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपने वकीलों को खड़ा करके आनंद मोहन जी को सजा कराई जिससे आनंद मोहन का बिहार में वर्चस्व ही खत्म हो जाए।लवली आनंद ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे पर भी नीतीश को घेरा और कहा की नीतीश जी पहले कोसी क्षेत्र को विशेष क्षेत्र का दर्जा दें फिर बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की बात करें।अपने भाषण के आखिर में आनंद मोहन के बेटे ने आगामी 23 जनवरी को सहरसा के पटेल मैदान में आनंद मोहन के लिए आयोजित न्याय मार्च में शामिल होने का लोगों को न्योता दिया।बताना लाजिमी है की आनंद मोहन की सर्वोच्च न्यालय से आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखे जाने के बाद अब पुनः विचार का एक मौक़ा बच  रहा है जिसे आनंद मोहन के परिजन और समर्थक हर--हाल में भुनाना चाहते हैं।जाहिर तौर पर इस बहाने एक और युवराज के राजनीति में प्रवेश का संकेत मिल रहा है।
 सबसे पहले देखिये सोनवर्षा राज की सड़कों पर बाहुबली आनंद मोहन के समर्थकों के कारवां को।देखिये यह है सहरसा के सोनवर्षा राज के महाराजा हरिवल्लभ नारायण उच्च विद्यालय प्रांगण का नजारा।हाथी पर शाही अंदाज में आनंद मोहन का बेटा चेतन आनंद सवार होकर सभा स्थल की और बढ़ रहा है।इसी प्रांगण में प्रतिपक्षी दलों की संयुक्त सभा के बैनर तले पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद और उनकी पत्नी पूर्व सांसद सह कौंग्रेस नेत्री लवली आनंद एक महती सभा को संबोधित कर रहे हैं।
 सभा में काफी भीड़ है जो गंभीरता से माँ--बेटे को सुन रही है।  आगामी 23 जनवरी को आनंद मोहन को न्याय मिल सके इसके लिए न्याय मार्च होगा।आगे देखना दिलचस्प होगा की जनता के सामने गुहार लगाने पहुंचे माँ--बेटे की फ़रियाद का कितना असर बिहार सरकार और न्यायपालिका को होता है।साथ ही न्याय मार्च का कैसा फलाफल आता है।अभी तो हम इतना जरुर कर सकते हैं की एक बेटे की बाप के लिए कितनी तड़प होती है इस को जनता के बीच उद्देलित कर रहे चेतन आनंद का राजनीति में प्रवेश का यह श्री गणेश है।आगे जनता उसपर कितना भरोसा करती है और उसे जनता का कितना प्यार मिलता है,यह देखना लाजिमी होगा।

सुशासन में शराब पीकर टुन्न मासूम बच्चे

रिपोर्ट चन्दन सिंह  : अब छुपके शराब पीने का ज़माना ना केवल लद गया है बल्कि अब लोग आपको हर गली और चौक--चौराहे पर दिन के उजाले से लेकर रात के अँधेरे में नशे में टुन्न कहीं भी पड़े मिल जायेंगे।बात इतने पर ही खत्म नहीं होती,अब तो आपको नौजवान और बुजुर्गों के अलावे छोटी उम्र के मासूम बच्चे भी शराब पीकर नशे में मस्त और बेहोश दोनों हालात में मिल जायेंगे। जी हाँ,हम कोई फ़िल्मी डायलॉग नहीं बोल रहे बल्कि सच की एक काली और ऐसी स्याह तस्वीर आपको दिखाने जा रहे हैं जिसे देखकर आपका कलेजा मुंह को आ जाएगा। सहरसा जिले का बिल्कुल रिमोट इलाका बसनही थाना के मंगल बाजार में एक नाबालिग बच्चा शराब के नशे में सड़क पर बेहोश पडा था जिसे ग्रामीणों ने उठाकर एक बांस के मचान पर लिटा दिया। जाहिर तौर पर यह तस्वीर इस बात की पुष्टि करती है की सुशासन में मासूम बच्चे भी छंककर शराब पी रहे हैं। यह नाबालिग बच्चा शराब के नशे में टुन्न हो कर व्यवस्था को तमाचा लगा रहा है।
सहरसा के सुदूर ग्रामीण इलाके मंगला बाजार की तस्वीर। देखिये इस मासूम बच्चे को।बामुश्किल इसकी उम्र दस वर्ष की होगी। इस बच्चे ने जीभर के शराब पी रखी है। पहले यह बीच सड़क पर नशे में धुत्त होकर पडा था। ग्रामीणों को इसपर तरस आया तो इसे यहाँ पर लिटा दिया गया है। देखिये इस बच्चे की हालत को। लगता है की अब इसकी जान निकलने वाली है। अभीतक यह पता नहीं चल सका है की यह किस गाँव का रहने वाला है और इसने किस दूकान से शराब लेकर पी है। ग्रामीण इतना जरुर कह रहे हैं की इस स्थिति के लिए सरकार जिम्मेवार है। गाँव--गाँव में शराब की दूकान खुल गयी है। बड़ों को पीता देख बच्चे भी पियक्कड़ हो रहे हैं।
सुशासन के शराब शास्त्र को लेकर हम कुछ भी नहीं कहेंगे।इस तस्वीर को देखकर आप खुद ही तय करें की यह क्या हो रहा है।जिन मासूम नौनिहालों के हाथों कल का हिन्दुस्तान होगा वे मदिरा में इस कदर डूबे जिन्दगी से खेल रहे हों,तो आगे सबकुछ फकत भगवान के हाथों है।

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।