दिसंबर 15, 2014

मासूम की हत्या


सहरसा टाईम्स रिपोर्ट: बीते चार दिसम्बर से लापता बारह वर्षीय अंकुर कुमार की लाश सदर थाना के गांधी पथ स्थित एक जल जमाव वाली जगह पर जल कुम्भी के अंदर से मिली.लोगों को इस लाश की भनक तब मिली जब कुत्ते उसे नोंच रहे थे.फिलवक्त लाश को कब्जे में लेकर पुलिस जहां तफ्तीश में जुट चुकी है वहीँ हत्या की आखिर वजह क्या हो सकती है,इसको लेकर परिजन कुछ भी बताने में असमर्थ हैं.बड़ा सवाल यह है की आखिर इस मासूम से किसकी दुश्मनी थी जिसने उसे असमय दुनिया से कूच करा दिया.
सदर थाना के गांधी पथ का यह रिहायशी इलाका.जलकुम्भी वाली जगह के अंदर छुपा कर रखी गयी थी.कुत्ते ने नोंच--नोंचकर लोगों को इस लाश की सच्चाई से रूबरू कराया.बच्चा बीते चार दिसंबर से लापता था.परिजनों ने उसकी तलाश में हर संभव कोशिश की,लेकिन वह नहीं मिला.मृतक अंकुर गांधी पथ की महिला वार्ड पार्षद रेशमा शर्मा का भतीजा है.मृतक के परिजन को आखिर इतनी बड़ी वारदात को किसने अंजाम दिया होगा को लेकर कुछ भी जानकारी नहीं है.सारे लोगों का यही कहना है की पुलिस अब हत्यारे को ढूंढे और हत्या की वजह को खंगाले.
पुलिस के अधिकारी प्रेम सागर,एसडीपीओ,सदर लाश को कब्जे में लेकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज रहे हैं. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही यह पता चल सकेगा की हत्या कैसे की गयी है.वैसे बच्चे के जिश्म पर तेज़ाब से जलाये जाने के निशाँ हैं.पुलिस के अधिकारी विभिन्य विन्दुओं पर जांच को आगे बढाकर ह्त्या की वजह और हत्यारे को ढूंढ निकालने की बात कर रहे हैं.
फिलवक्त इलाके में सनसनी है.लोगों के मन में एक ही सवाल है आखिर इस मासूम से किसकी और कैसी दुश्मनी थी.इस मासूम ने किसका क्या बिगाड़ा था की उसकी ईहलीला ही खत्म कर डाली.इस मामले की आगे जैसी तफ्तीश हो लेकिन अभी तो इतना साफ़ है की दुश्मनी अथवा किसी भी वजह को लेकर मासूम नौनिहाल की भी जिंदगी लील ली जा सकती है.

और वह सती हो गयी

मुकेश कुमार सिंह की कलम से------
जहाँ हम इक्कीस वी सदी में चाँद पर पहुँच चुके है वही अभी भी कुछ एसे गांव है जहाँ पत्थर से लिखी हुई संस्कृति से जिंदगी के मायने गढ़े जाते है.जी हाँ सहरसा शहर से महज 10 किमी दूर परविनिया गांव में पति की मौत के बाद पत्नी ने उसी चिता में कूद कर जान दे दी जो चिता उसके पति के नहीं होने की आग उगल रहा था.परिवार सहित गाँव वाले उन्हें सती का नाम दे रहे है.:---

चिता जल--जल कर अब खामोश हो चुकी है लेकिन सवालों के धुंएँ अब भी उठ रहे हैं.जाहिर तौर पर यह कोई आम चिता नहीं है.इस चिता में दो लोग जले है..एक की मौत बीमारी से हुई और दुसरे ने उसके प्रेम में जान दे दी.राम चरित्र मंडल की तबियत काफी दिन से ख़राब थी.ईलाज के दौरान कल सुबह उनकी मौत हो गई मगर इनकी मौत का गम पत्नी दिवा देवी सहन नहीं कर पाई.परिवार वालों ने राम चरित्र मंडल के अंतिम संस्कार करने के लिए तैयारी की लेकिन दिवा देवी सभी कुछ अपनी सुनी आँखों से बस देखती रही.तब इस दुःख की घडी में बिल्कुल खामोश थी.बीती देर शाम राम चरित्र मंडल का अंतिम संस्कार कर परिजन घर लौट गए लेकिन राम चन्द्र मंडल की चिता अब भी जल रही थी.घर लौटे परिजन विधि--विधान में जुट गए और दूसरी तरफ हल्ला हुवा की चिता में किसी ने छलाग लगा दी है.
जब तक परिवार वाले और गाँव वाले कुछ समझ पाते उससे पहले ही दिवा देवी पूरी तरह से जल चुकी थी.ग्रामीणों में इस घटना को लेकर चर्चा बनी हुई है.लोग इस प्रेमी जोड़े की प्रेम कथा को शुरू से ही जानते थे लेकिन इस उम्र में इतना प्रेम किसी ने सोचा न था. शिवपुराण में सती होने की कथा या कहानी लोगो ने तो सुनी थी.
मगर लोगो ने इस घटना को सहरसा के अपने गांव में देख लिया.बेटा रमेश कुमार मंडल,पुतोहु रेनू देवी,ग्रामीण दीपक कुमार गुप्ता सहित परिवार के सभी सहित और अन्य ग्रामीण कह रहे हैं की दिवा देवी सती हो गयी हैं.उनलोगों को इस मौत से दुःख है लेकिन चूँकि वे सती हुयी हैं इसलिए पूरा गाँव आज खुद को धन्य समझ रहा है. इधर पुलिस के अधिकारी डी.एस.पी.प्रेम सागर इस मामले को लेकर कह रहे हैं की यह मामला सती की जगह ख़ुदकुशी का है. मध्यकालीन भारत की सती प्रथा की याद ताजा होते ही आज भी रूह थर्रा जाती है.कुछ साल पहले राजस्थान की रूपकंवर ने सती होकर आदमजात को हिला कर रख दिया था.प्रेम में अंधी हुयी एक बुजुर्ग महिला ने अपनी जान देकर प्रेम को नए सिरे से ना केवल परिभाषित किया है बल्कि तमाम कुंद पड़ चुकी किवदंतियों को एक बार फिर से हवा दे दी है.लेकिन यह वाकया खुश और गौरवान्वित कराने की जगह मातम और अंधविश्वास की पटकथा लिख रहा है.

दिसंबर 04, 2014

मर गया संजय-----

न्यूज़ अपडेट :-
बनमा ईटहरी थाना के बथनाही गाँव में आज सुबह खेत जोतने से पहले रंगदारी नहीं देने से हुयी गोलीबारी में जख्मी संजय यादव की मौत हो गयी.संजय की स्थिति सहरसा सदर अस्पताल में बेहद नाजुक थी.डॉक्टर ने उसे बेहतर ईलाज के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया था.जख्मी संजय के परिजन एम्बुलेंस से संजय को डीएमसीएच ले जा रहे थे लेकिन उसकी मौत रास्ते में सुपौल में ही हो गयी.

खेत जोतना है तो रंगदारी दो

पुलिस के अधिकारी अरविन्द कुमार मिश्रा
रिपोर्ट सहरसा टाईम्स:  खेत जोतकर फसल लगानी है तो एक लाख रूपये रंगदारी दो वर्ना जान से मार डालेंगे.मामला बनमा ईटहरी थाना के बथनाही गाँव का है जहां खेत को जोत रहे एक परिवार को अपराधियों ने पहले तो रोका और फिर एक लाख रूपये की रंगदारी मांगी.रंगदारी से इंकार करने पर अपराधियों ने ना केवल जमकर खुनी तांडव किया बल्कि खुलकर फरसे चलाये और गोलियां भी बरसाई।  इस खूनी वारदात में एक शख्स के गले में गोली मार दी गयी जबकि दो अन्य को फरसे से हमला कर जख्मी कर दिया गया.
                 तीनों जख्मी को सदर अस्पताल लाया गया है.गोली से जख्मी हुए शख्स की हालत काफी नाजुक है, उसे बेहतर ईलाज के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया गया है. इस मामले में पुलिस के अधिकारी अस्पताल पहुंचकर जांच में जुट चुके है.  पुलिस के अधिकारी अरविन्द कुमार मिश्रा, पीड़ित के सूर में सूर मिलाते हुए अग्रतर कार्रवाई की बात कर रहे हैं. बताते चलें की पीड़ित ने विजेंद्र यादव,दुलारचंद यादव,सिंहेश्वर यादव सहित नौ लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया है.

दिसंबर 03, 2014

सहरसा पुलिस की बेशर्मी देखो सरकार

मुकेश कुमार सिंह की कलम से----- विगत कई वर्षों से अपनी बिगड़ैल और काली करतूतों के लिए खासा बदनाम रही सहरसा पुलिस ने एक बार फिर हैरतअंगेज और चौंकाने वाली घटना को अंजाम दिया है.ताजा वाक्या सहरसा जिले के नवहट्टा थाना का है, जहां के पुलिस अधिकारी ने जमीन विवाद के एक मामले में चार मासूम बच्चे और एक सौ वर्ष के बीमार और अपाहिज बने बुजुर्ग के खिलाफ 107 का नोटिस भेजा है.पुलिस के अधिकारी को इस बुजुर्ग और इन मासूमों से ना केवल बलवा का अंदेशा है बल्कि उन्हें लग रहा है की ये सभी मिलकर बड़ी से बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं.इस वाकये से पीड़ित परिवार जहां सदमें में और परेशान हाल है वहीँ सहरसा टाईम्स की दखल के बाद पुलिस के आलाधिकारी इस बड़ी गलती की सुधार का भरोसा दिला रहे हैं.
मामला नवहट्टा थाना के बेहद करीब पश्चिमी टोला का हैं.मुहम्मद जुबेर का अपने गोतिया से जमीन का विवाद है.इसी मामले में नवहट्टा पुलिस अधिकारी एस.आई मनोज शर्मा ने चार मासूम नौनिहाल और एक बुजुर्ग के खिलाफ धारा 107 का नोटिस भेजा है.पुलिस अधिकारी ने चार नौनिहालों को मुजरिम समझकर नोटिस भेजा है.ये बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन पुलिस का खौफ इन्हें सता रहा है.रात में इन्हें नींद नहीं आती है और ये डरे--सहमे रहते हैं

.इन बेबसों में तीन बच्चियां शाजदा खातून,जुरेदा खातून और रिफत खातून हैं जिनकी उम्र सात से दस साल के भीतर है.एक लड़का मोहम्मद परवेज है जिसकी उम्र करीब दस साल है.हद की इंतहा तो यह है की पुलिस अधिकारी ने सौ वर्ष के मोहम्मद इदरीस को भी नहीं बख्सा है.लाचार और बेबस बुजुर्ग बिना सहारे के चल भी नहीं पाते हैं.पुलिस अधिकारी को इनसे भी बड़ा खतरा है.हद की इंतहा है और सारे बच्चे और बुजुर्ग अब सहरसा टाईम्स से इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं. घर का मुखिया मोहम्मद जुबेर भी खासा परेशान है.पूरी घटना को तफ्सील से बताते हुए वह कह रहे हैं की पुलिस के अधिकारी उनकी एक नहीं सुन रहे हैं.उनके परिवार के सभी लोग डरे--सहमे हैं.पुलिस के खौफ से रात में कोई सोता नहीं है.सहरसा टाईम्स से ये मदद और इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं.
पुलिस के बड़े अधिकारी मृत्युंजय कुमार चौधरी,ए.एस.पी,सहरसा इस गंभीर मसले को बड़ी चूक मान रहे हैं.सहरसा टाईम्स को ये इस वाकये पर अपनी सफाई देने के साथ--साथ इस भूल को सुधारने का भी भरोसा दिला रहे हैं. 
जाहिर तौर पर यह हैरतअंगेज और चौंकाने वाली घटना है.इसमें कोई शक नहीं है पुलिस के अधिकारी मौक़ा ए वारदात पर जाने की जगह अपने कार्यालय,या फिर अपने आवास से तफ्तीश करते हैं,यह उसी की बानगी है.आगे देखना दिलचस्प होगा की पुलिस के बड़े अधिकारी इस बड़ी भूल का किस तरह से सुधार कराते हैं और जांच अधिकारी पर कैसी कार्रवाई करते हैं.वैसे सहरसा टाईम्स इस मामले में पीड़ित को इन्साफ मिलने और जांच अधिकारी पर कार्रवाई होने तक,इस मामले को सिद्दत से उठाता रहेगा.

दिसंबर 01, 2014

साढ़े तीन घंटे का ग्रहण

आज सुबह करीब आठ बजे प्लेटफॉर्म संख्यां दो पर बड़ी लाईन की एक इंजन पटरी से उत्तर गयी.इंजन के पटरी पर से उतरने की वजह से करीब आधा दर्जन गाड़ियों का परिचालन साढ़े तीन घंटे तक ठप्प रहा.इस दौरान यात्रियों को काफी परेशानी हुयी और वे काफी हलकान रहे.रेल प्रशासन के लाख मशक्कत के बाद इंजन को फिर से पटरी पर चढ़ाया गया और रेल परिचालन को फिर से से शुरू किया जा सका.
मुफ्त का तेल लूटते रहे लोग 
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आज अहले सुबह रलवे के तेल भण्डार का तेल भीतर बिछी पाईप के फट जाने की वजह से बाहर बहने लगा.तेल बहकर बगल के एक जल--जमाव वाले हिस्से में जाने लगा.आसपास के लोगों को जैसे ही इस बात की भनक लगी वे भीड़ की शक्ल में वहाँ पहुंचे और विभिन्य तरह के बर्तनों से तेल को वहाँ से उठाकर अपने-अपने घर ले जाने लगे.बाद में पता चला की सैंकड़ों लीटर डीजल  डीजल बहे थे जो आमलोग लूट कर ले गए.जाहिर तौर पर रेल प्रशासन को एक तो देरी से सूचना मिली दूजा फटे पाईप की खोज करने में उन्हें वक्त लगा.तक़रीबन चार घंटे तक इलाके के लोग इस दौरान मनमाफिक तरीके से तेल लूट कर ले गए.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।