जुलाई 08, 2012

तंत्र की बेइंतहा लापरवाही और ससुराल वालों के जुल्म की दास्ताँ

मुकेश सिंह,सहरसा टाइम्स   
एक बार फिर तंत्र की बेइंतहा लापरवाही ने इंसानियत का ना केवल सीना चाक किया है बल्कि बदले निजाम में भी जुल्म और सितम का दौर बदस्तूर जारी है इसका खुलासा भी किया है.बुरी तरह से जलाई गयी एक अबला को जिन्दा इलाज के लिए सस्दर अस्पताल में बीते 25 जून को एडमिट कराया गया था लेकिन जबतक वह पीड़िता अपने साथ हुए जुल्म की दास्ताँ को अपनी जुबानी बताने में समर्थ थी तबतक पुलिस ने उसका उसका बयान लेना मुनासिब नहीं समझा.बेहतर इलाज के अभाव में तड़प---तड़प उसकी मौत कल 07 जून को हो गयी. जाहिर सी बात है की पति और ससुराल वालों के द्वारा जलायी गयी यह युवती जब तक जिन्दा थी तब तक पुलिस को वह अपने साथ हुए हर जुल्म का बयान देने की स्थिति में थी लेकिन अस्पताल तंत्र की बेइंतहा लापरवाही देखिये की ओडी (ऑफिसर ऑन ड्यूटी) स्लिप 25 जून को ही उसे सदर थाना को भेजना चाहिए लेकिन अस्पताल ने ओडी स्लिप समय से नहीं भेजा.07 जुलाई यानि कल जब युवती की इलाज के दौरान मौत हो गयी तो अस्पताल से ओडी स्लिप भेजा गया.हद की इंतहा देखिये इस दौरान
 बेटी को इन्साफ मिले इसके लिए कई बार युवती की माँ सदर थाना गयी की किसी तरह उसकी बेटी का बयान हो जाए और उसके खूनी ससुराल वालों पर मुकदमा दर्ज हो जाए लेकिन थाने में किसी ने उसकी एक ना सुनी और वहाँ से उसे फटकार कर भगा दिया गया.एक बेबस माँ की गुहार और फ़रियाद प़र तंत्र की बेरहम लाठी पड़ती रही और आँखों के सामने तड़प--तड़प कर बेटी असमय काल के गाल में समा गयी.सहरसा के सौर बाजार की रहने वाली 20 वर्षीय मधु की शादी तीन साल पहले मुजफ्फरपुर के कटरा गाँव के विक्रम मिस्त्री के साथ हुई थी.पति द्वारा दो लाख रूपये दहेज़ में और देने की मांग की पूर्ति मधु अपने मायके वालों से नहीं करा पायी.लिहाजा 19 जून को उसे जलाकर मारने की कोशिश की गयी.स्थानीय लोगों की दखल के बाद मधु के ससुरालवालों के द्वारा मधु को इलाज के लिए मुजफ्फरपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया.लेकिन उस अस्पताल में मधु को भर्ती करके ससुराल वाले फरार हो गए.24 जून को मधु के मायके वालों को फोन से सूचना मिली की मधु अस्पताल के बाहर लावारिश पड़ी हुई है.मायके वालों ने वहाँ जाकर 25 जून को मधु को सहरसा ले आये और उसी दिन मधु को सदर अस्पताल में भर्ती करा दिया.मधु अब इस दुनिया में नहीं रही.
 मधु की मौत जुल्म की पहली कहानी नहीं है लेकिन इस मौत ने तंत्र की लापरवाही की पोल--पट्टी पूरी तरह से खोलकर रख दी है.इस मामले में अस्पताल महकमा और पुलिस अधिकारी दोनों कटघरे में खड़े दिख रहे हैं.आगे देखना दिलचस्प होगा की दहेज लोभी मधु के ससुराल वालों को पुलिस किस तरह से कानूनी फंदे में घेरती है और उन्हें किस तरह की सजा और कितने समय में दिलाती है.फिलवक्त मधु को इन्साफ मिलेगा,ऐसा कहीं से भी नहीं दिख रहा है.

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