अगस्त 30, 2012

29 अगस्त सहरसा के छः शहीद वीर सपूत

चर्चित गायिका कृतिका गौतम
भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर वीर सपूतों में बिहार का गौरवशाली इतिहास है.यूँ कहें तो बिहार की धरती ही अमर बलिदानियों की रही है.लेकिन इस कड़ी में सहरसा की भी अग्रणी भूमिका रही है.29 अगस्त 1942 को भारत छोडो आन्दोलन के दौरान सहरसा के छः वीर सपूतों ने भी अपनी जान देश प़र न्योछावर कर देश को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका निभायी थी.सहरसा के धीरो राय,केदारनाथ तिवारी,हीराकांत झा,पुलकित कामत,कालेश्वर मंडल और भोला ठाकुर ने भारत छोडो आन्दोलन के दौरान अंगेजों की गोली खाकर भी सहरसा के शहीद चौक प़र हिन्दुस्तानी तिरंगा लहरा दिया.इन छः वीर सपूतों के शरीर गोलियों से छलनी थे और इनके प्राण ने इनका शरीर त्याग दिया था लेकिन इनके हाथों में तिरंगा लहरा रहा था.आज उन्हीं अमर शहीद की याद में दि सेन्ट्रल को--ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाईटी लिमिटेड के सौजन्य से एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन हुआ.राज्य सरकार के विधि,योजना और विकास मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्दघाटन किया.इस पावन कार्यक्रम में छातापुर के जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू,कई राजनीतिक हस्तियों के अलावे सामाजिक विषयों के जानकार--विद्वान् और प्रबुद्धजन शामिल हुए.इस मौके प़र आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में क्षेत्रीय कलाकारों ने सूरों का ऐसा अदभुत जलवा बिखेड़ा की शाम में शुरू हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा.
 कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.शाम करीब सात बजे शुरू हुआ देशभक्ति गीतों का दौर रात बारह बजे के बाद तक चलता रहा.नृत्य और एक से बढ़कर एक भक्ति गीत से क्षेत्रीय कलाकारों ने ऐसा समां बांधा की लोग बस झूमते और थिरकते चले गए.स्वारांजलि संगीत अकादमी की बच्चियों के द्वारा प्रस्तुत एक से बढकर एक नृत्य ने लोगों को खूब झुमाया.उसके बाद गीतों के क्या कहने.खासकर के रामेश्वर पाठक,देश के कई बड़े मंचों प़र बड़े पार्श्व गायकों के साथ अपने फन का लोहा मनवा चुकी चर्चित गायिका कृतिका गौतम और अमरेन्द्र मिश्र आगा को लोगों ने खूब सराहा.
अमर बलिदानियों की याद में ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम दिल को ना केवल छू लेते हैं बल्कि रूह तक उतर जाते हैं.लेकिन ऐसे कार्यक्रमों से सीख लेकर अमर बलिदानियों के अधूरे और बड़े सपने जो आज के दौर में कहीं पीछे छुट गए हैं उन्हें पूरा करने का सरे--पाँव शपथ लेना चाहिए.आज बलिदानियों का बलिदान बेजा और बेमानी लगने लगा है. आईये आप भी देश प्रेम के रंगों में सरबोर होकर खूब झूमिये,नाचिये और गाईये.

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इतनी आक्रोश क्यों ? जो किसी मासूम की जान ले ले .....

रिपोर्ट चन्दन  बीते मंगलवार को बेलगाम अपराध से कराहते सहरसा में एक बड़ी वारदात ने लोगों की आँखों की नींद छीन ली है.सदर थाना क्षेत्र के पोलिटेक्निक मैदान के समीप दो युवकों ने एक किशोर को चाक़ू मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया और वहाँ से उड़न छू हो गए.खून से लथ--पथ किशोर को स्थानीय लोग और जख्मी किशोर के कुछ मित्रों ने आनन्--फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.मृतक विकास कुमार झा सहरसा जिले के लगमा गाँव का रहने वाला था और जिला मुख्यालय के एक लौज में रहकर इंटर की पढाई कर रहा था.वह राजेन्द्र मिश्रा कॉलेज का छात्र था.पुलिस और अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पोलिटेक्निक मैदान पर क्रिकेट खेल के दौरान कुछ लड़कों के साथ उसका विवाद हुआ था.इसी विवाद को लेकर अभिनव और प्रणव नाम के दो लड़कों ने विकास को चाक़ू मारकर जख्मी कर दिया जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी.अभिनव और प्रणव दोनों सगे भाई हैं जो सहरसा जिले के शाहपुर गाँव के रहने वाले हैं.ये दोनों भी सहरसा में किसी लौज में रहकर पढाई करते हैं. 
पूर्व भाजपा विधायक संजीव कुमार झा ने इस घटना को लेकर बड़े साफ़ लहजे में कहा की बिगड़ती कानून व्यवस्था की वजह से आज भय नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है.इसी का नतीजा है की अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ गया है.आवश्यकता है की ऐसे तत्वों से शख्ती से निपटा जाए. 
नव निर्माण मंच के युवा अध्यक्ष मो लुकमान अली ने कहा सूबे के मुखिया कहते है की कानून अपना काम कर रही है लेकिन ऐसा इस जिले में दिख नहीं रहा है अपराधी खुली चुनैती देते हुए अपने मकसद में कामयाब हो रहे है लेकिन सहरसा प्रशासन के कानों में जू भी नहीं रेंगती...
जाहिर तौर पर सहरसा पुलिश के ऊपर लगातार सवाल तो दागे जाते है लेकिन इनकी कार्यशैली की प्रणाली क्या है इससे हम भी नहीं वाकिफ़ है. फ़िलहाल तो पुलिस ने जाँच की शुरुआत क्रिकेट में हुए विवाद को सामने रखकर की है.आगे देखना दिलचस्प होगा की इस चाकूबाजी और ह्त्या के पीछे की वजह सिर्फ यही है या फिर कुछ और.फिलवक्त इस घटना से चारों ओर सनसनी फ़ैल गयी है.इसमें कोई शक नहीं है की इस घटना की एक बड़ी वजह सहरसा पुलिस की नाकामियों की लम्बी फेहरिस्त और उसकी सुस्ती भी है.
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अगस्त 28, 2012

बड़ी अनहोनी का संकेत

रिपोर्ट चन्दन सिंह  सहरसा में इनदिनों मासूम नौनिहालों की जान से खेलने की पुरजोर कोशिश की जा रही है.गैर--सरकारी स्कूलों से लेकर सरकारी स्कूलों के बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुचाने वाले वाहन डीजल और पेट्रोल की जगह धड़ल्ले से गैस से चलाये जा रहे हैं. आलम यह है की छोटे--छोटे बच्चे और बच्चियां गैस सिलेंडर पर बैठकर जानलेवा सफ़र करने को मजबूर हैं.आँखों में भविष्य के कई रंगों से सने सपने लिए बच्चे रोजाना अपनी जिन्दगी को दाँव प़र लगाकर घर से स्कूल फिर स्कूल से घर तक की यात्रा कर रहे हैं.जाहिर तौर प़र यहाँ का नजारा जानलेवा है जो किसी दिन बड़ी घटना का गवाह बनेगा.जान जोखिम में डालकर चलने वाले इस खतरनाक सफ़र को जिला प्रशासन और स्कूल प्रबंधन ख़ामोशी से तमाशबीन बना महज टुकुर--टुकुर देख रहा है.इस मामले में स्कूल प्रबंधन जहां तरह--तरह की सफाई दे रहा है वहीँ जिला प्रशासन के जिम्मेवार पदाधिकारी सहरसा टाइम्स  से सूचना मिलने की बात बता ना केवल तुरंत जांच शुरू करने की बात कर रहे हैं बल्कि दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कारवाई की भी बात कर रहे हैं.
यहाँ गैर--सरकारी स्कूलों से लेकर सरकारी स्कूलों के बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुचाने वाले वाहन डीजल और पेट्रोल की जगह धड़ल्ले से गैस से चलाये जा रहे हैं.मासूम बच्चों को पता नहीं है की वे कितनी खतरनाक यात्रा कर रहे हैं.बच्चों के लिए यह यात्रा महज खेल भर है.हद की इंतहा तो यह है की किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से बेखबर ये बच्चे गाड़ी में रखे गैस सिलिंडर प़र बैठकर यात्रा करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं.देखने में यह तस्वीर बच्चों को डरावनी नहीं लग रही हैं लेकिन यह किसी बड़ी अनहोनी को खुला न्योता है.सहरसा में गैर सरकारी स्कूल की बात करें तो इसकी संख्यां पूरे जिले में 120 है.इसी तर्ज का एक सरकारी विद्यालय केन्द्रीय विद्यालय के रूप में भी है.
ऐसा नहीं है की सहरसा टाइम्स  सिर्फ तबाही और बर्बादी की ही तस्वीरें दिखाता है.
सहरसा टाइम्स  तबाही और बर्बादी से पहले की तस्वीरें भी दिखाकर ना केवल जिम्मेवार तंत्र को बल्कि सरकार को भी आगाह और खबरदार करता है की नींद से जागिये बड़ी घटना सिद्दत से दस्तक लगा रही है,उसे घटित होने से रोकिये.उम्मीद है की तंत्र के साथ--साथ सुशासन बाबू को भी सहरसा टाइम्स  की यह पहल पसंद आएगी. 


अगस्त 26, 2012

रमेश झा महिला कॉलेज के लड़कियों की जान जोखिम में

                                                             COLLEGE CAMPUS


रिपोर्ट चन्दन सिंह:- कोसी प्रमंडल के एकलौते अंगीभूत रमेश झा महिला कॉलेज में इनदिनों लड़कियों की जान से खेलने की तैयारी चल रही है.इतने बड़े कॉलेज में जहां साढ़े चार से पाँच हजार लड़कियाँ पढ़ रही है वहाँ बिजली के खम्भे की जगह पेड़ प़र नंगे बिजली तार को बांधकर बिजली की सप्लाई की जा रही है.बारिश का मौसम है और यह बड़ी लापरवाही किसी बड़ी घटना का गवाह बनने के लिए मुकम्मल तैयार दिख रही है.कॉलेज में एक अदद बिजली का खम्भा भी है लेकिन वह बिजली के तार उसपर बांधे जाएँ इसके लिए वह तरस रहा है.कॉलेज आ रही लड़कियाँ पेड़ प़र रेंगते बिजली के इस करेंट से डरी--सहमी हैं लेकिन भविष्य के सपनों को साकार करने की चाहत में ये अपनी जान को जोखिम में झोंके रहने के लिए विवश हैं.
श्यामा रॉय,प्राचार्या,रमेश झा महिला कॉलेज,सहरसा
कॉलेज की प्राचार्या श्यामा रॉय भी मानती है की पेड़ प़र तार को बांधकर बिजली दौडाना बड़े खतरे की घंटी बजा रहा है लेकिन वे बिजली विभाग से गुहार लगाते--लगाते थक गयी हैं.इनकी नजर में बिजली विभाग किसी बड़ी घटना का इन्तजार कर रहा है.   इस केम्पस में कई ऐसे वृक्ष है जिसपर बिजली के नंगे तारों को बांधकर बिजली सप्लाई की जा रही है.हद की इंतहा है यह.कॉलेज आ रही लडकियां इससे डरी--सहमी हैं और इस जानलेवा खेल के लिए कॉलेज प्रशासन को जिम्मेवार ठहरा रही है तो दूसरी तरफ लड़कियों के परिजन भी इस तस्वीर को देखकर काफी चिंतित हैं. एक बड़ी लापरवाही की वजह से थोक में लडकियां मौत के मुहाने पर खड़ी है.आजतक बड़ा हादसा सिर्फ ऊपरवाले के रहम से नहीं हुआ है.इस कॉलेज में लड़कियों की जान से खेलने की पूरी तैयारी है.अगर बड़ा हादसा हुआ तो इसकी जबाबदेही कौन लेगा.सोये तंत्र को आखिर घटना से पहले जागने की आदत क्यों नहीं है.

अगस्त 23, 2012

जुल्म की इंतहा प़र पुलिस की बेहयाई

मुकेश सिंह की रिपोर्ट  पुलिस की नाकामी और उसकी दादागिरी के आपने कई मामले देखे और हो सकता है की झेले भी होंगे लेकिन आज हम पुलिस की बदमिजाजी की ऐसी तस्वीर दिखाने लाये हैं जिसे देखकर आपका पुलिस प़र से बचा थोड़ा भरोसा भी खत्म होता प्रतीत होगा.बीती रात सदर थाना के कायस्थ टोला स्थित एक घर प़र दबंगों का कहर बरपा.कहने को सगे रिश्तेदारों ने कुछ गुंडों को साथ लेकर रात करीब दस बजे पीड़ित रविन्द्र सिन्हा के घर में घुसे और पहले तो घर के सभी सदस्यों की जमकर धुनायी की फिर घर में रखे 5 लाख कैश सहित जेवरात और कीमती सामान लूटकर चलते बने.इतना ही नहीं इन कलयुगी दानवों ने घर की लड़कियों के साथ ना केवल छेड़छाड़ किया बल्कि उन्हें गंभीर रूप से जख्मी भी कर दिया.
दो लड़कियों के सर प़र गंभीर रूप से चोट आई है.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की रात में ही पुलिस ने जख्मी लड़कियों का बयान लिया लेकिन जख्मी के बयान के बाद भी पुलिस ने दोपहर बाद तक कोई कारवाई नहीं की.सुबह होने प़र जो कोई कारवाई होती नहीं दिखी तो जख्मी लड़कियों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ सड़कों पर लोगों और मीडिया से इन्साफ की गुहार लगानी शुरू कर दी.पीड़ित जख्मी लड़कियों का कहना है की पुलिस इस मामले में कारवाई करने की जगह आरोपियों को थाने में बिठाकर चाय पिला रही है और नास्ते करा रही है.जहां तक पुलिस अधिकारी का सवाल है तो वे इसे पारिवारिक मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.
सहरसा टाइम्स के साथ पीड़ित लड़की
सहरसा टाइम्स  ने इस मामले को चुनौती के तौर प़र लिया है और वह जबतक पीड़ितों को इन्साफ नहीं मिल जाता तबतक वह पीड़ितों के साथ ना केवल खड़ा रहेगा बल्कि सिद्दत से हक़ और इन्साफ के लिए आवाज भी उठाता रहेगा. इस मामले में दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है.इस मामले में पुलिस ने न्यायपालिका के किसी माननीय जज की तरह त्वरित स्व-विवेक अनुसंधान और एक तरह से फैसला सुना दिया है.सहरसा पुलिस के कामकाज का क्या तरीका है,यह घटना उसी की बानगी है. सहरसा टाइम्स  इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाकर रहेगा,आखिर में उसे इसके लिए जिस हद तक जाना पड़े.

अगस्त 22, 2012

सहरसा के लोगों की एक बड़ी मुसीबत

चन्दन सिंह की रिपोर्ट : कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल में महिला मरीजों,उनके परिजनों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों की जान प़र बनी है.इस अस्पताल में प्रसव कराने के लिए गर्भवती महिलाओं की यहाँ मेले की शक्ल में भीड़ उमड़ रही है.लेकिन इस भीड़ के आलम में आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की महिला मरीजों,उनके परिजनों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यहाँ शौचालय,बाथरूम और पानी का इंतजाम नहीं है.यही नहीं प्रसव कक्ष और प्रसव वार्ड से ठीक सटे नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में भी शौचालय,बाथरूम और पानी का इंतजाम नहीं है.खासकर यहाँ शौचालय और बाथरूम नहीं होने से महिलाओं को कैसी दिक्कत हो रही होगी,इस दर्द को समझने वाला कोई नहीं है.आज सहरसा टाइम्स एक बड़ी और दुख:दायी पीड़ा का सनसनीखेज खुलासा करने जा रहा है.   
* सबसे पहले हम आपको लेकर सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में आये हैं.देखिये यहाँ प़र बेसिन और नल तो लगे हुए हैं लेकिन उससे पानी नहीं निकल रहा है.बड़ी मुश्किल से अगर इससे कभी पानी टपकता भी है तो वह बिल्कुल गन्दा होता है.सारे नल बेकार पड़े हुए हैं.प्रसव के दौरान स्वच्छ पानी की कितनी दरकार होगी,आप समझ सकते हैं.आप प्रसव वार्ड में भी प्रसव के लिए आई गर्भवती महिलायें अपनी बारी आने के इन्तजार में हैं.उनके साथ उनके परिजन भी हैं.अब हम आपको यहाँ की सबसे बड़ी समस्या से आपको रूबरू करा रहे हैं. महिला मरीजों,उनके परिजनों के साथ--साथ प्रसव कक्ष और वार्ड के लिए तैनात महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए शौचालय और बाथरूम का कोई इंतजाम नहीं है.आप समझने की कोशिश करें की महिला जात रात और दिन अपने नैसर्गिक क्रिया से आखिर कहाँ और कैसे कैसे फारिग होती होंगी.इस अव्यवस्था से सबके सब दुखी,परेशान और आहत हैं.हम आपको सिर्फ इस साल इस प्रसव कक्ष में हुए प्रसव के आंकड़ों से वाकिफ कराना चाहते हैं जिसको देखकर आप यहाँ की भीड़ को समझ सकते हैं और फिर आपको यहाँ कितनी बड़ी मुसीबत को महिलायें झेल रही हैं,इसे भी आपको समझने में सहूलियत होगी.इस साल जनवरी माह में 633,फ़रवरी में 581,मार्च में 578,अप्रैल में 495,मई में 502,जून में 531,जुलाई में 689 और इस माह में अगस्त में आजतक 378 शिशुओं ने जन्म लिए हैं. 
सिविल सर्जन
यहाँ प़र जब किसी नवजात शिशु की तबियत बिगड़ती या नाजुक होती है तो उसे नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती कराया जाता है.यही समस्या वहाँ प़र भी मौजूद है.
इस गंभीर समस्या को लेकर सहरसा टाइम्स  ने जब सिविल सर्जन सह चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर भोला नाथ झा से बात की तो उन्हौनें जल्द ही इस दिशा में काम होने की बात कही.उन्हौनें कहा की वे खुद इसको लेकर बेहद चिंतित और गंभीर हैं.प्रमंडलीय आयुक्त ने पचास लाख रूपये अस्पताल को दिए हैं.वे PHED से इसके लिए DPR बनाने को कहा है.जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जायेगी.

अगस्त 19, 2012

सहरसा में ट्रैफिक नियम है ठेंगे प़र

मेरी मर्जी मै चाहे जो करू .........
रिपोर्ट चन्दन सिंह : आखिर उस नियम का क्या करेंगे जिसको लोग ठेंगे प़र रखते हैं.तमाम नियम--कायदों को ना केवल धता बताकर बल्कि पूरी तरह से जान को जोखिम में डालकर यहाँ प़र लोग मोटरसाईकिल का सफ़र कर रहे हैं.सुनसान गलियों या सड़कों की बात तो छोड़िये सबसे भीड़ वाले इलाके से मोटरसाईकिल प़र तीन चार नहीं बल्कि छः--छः लोगों को लादकर लोग सफ़र कर रहे हैं.आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की लोग एक मोटरसाईकिल को टेम्पो बनाकर पूरा परिवार उस प़र लादकर बेधड़क सफ़र कर रहे हैं लेकिन उसे रोकने वाला कोई नहीं है.ऐसा नहीं है की यहाँ ट्रैफिक व्यवस्था नहीं है.यहाँ प़र हर चौक-चौराहे प़र ट्रैफिक पुलिस और अधिकारी मौजूद हैं लेकिन सबकुछ टाँय--टाँय फिस्स.जाहिर तौर पर यहाँ लोग जिन्दगी को खुद मुसीबत में डाल रहे हैं और हादसों को खुला निमंत्रण दे रहे हैं.
 
डॉक्टर पंडित नागेश्वर झा,चालक,
देखिये यहाँ लोग किस तरह से ना केवल खुद अपनी जिन्दगी भर को बल्कि कई जिंदगियों को एक साथ जोखिम में डालकर सफ़र कर रहे हैं.मोटरसाईकिल पर लोग महिलाओं को और सामान को इस कदर लादकर चल रहे हैं गोया यह मोटरसाईकिल ना होकर टेम्पो या कोई और बड़ा वाहन हो.सुनसान गलियों या सड़कों की बात तो छोड़िये सबसे भीड़ वाले इलाके से मोटरसाईकिल प़र तीन चार नहीं बल्कि छः--छः लोगों को लादकर लोग सफ़र कर रहे हैं.आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की लोग एक मोटरसाईकिल को टेम्पो बनाकर पूरा परिवार उस प़र लादकर बेधड़क सफ़र कर रहे हैं लेकिन उसे रोकने वाला कोई नहीं है.हमने जोखिम से भरे इस सफ़र की कई तस्वीरें उतारीं हैं जिसमें से कुछ खास तस्वीरों से आपको रूबरू करा रहे हैं.जब इस साहब की बीबी से सहरसा टाइम्स ने बात की तो उनके जबाब ने हमारे ज्ञान चक्षु खोल डाले.मोहतरमा बता रही हैं की वे सभी लम्बे समय से इसी तरह से यात्रा कर रही हैं.उन्हें कभी डर नहीं लगता.भगवान के ये शुक्रगुजार हैं की अभीतक सबकुछ शुभ रहा है.
मैं चाहे ये करूँ,मैं चाहूँ वो करूँ---मेरी मर्जी.सबकुछ ताख पर और जानलेवा सफ़र बीच बाजार में जारी.ये सरफिरे खुद की जिन्दगी के साथ--साथ औरों की जिन्दगी को भी मुसीबत में डालकर सफ़र कर रहे हैं.जबतक ट्रैफिक नियम को कड़ाई और शख्ती से पालन कराते हुए कठोर दंड नहीं दिए जायेंगे ऐसे नज़ारे बड़ी घटना को बदस्तूर खुला निमंत्रण देते रहेंगे.

अगस्त 18, 2012

नहीं हुआ ऑन लाईन जमीनी दस्तावेज

रिपोर्ट चन्दन सिंह सरकार एक तरफ जहां अपराधिक घटनाओं को कम करने के लिए भगीरथ प्रयास कर रही है वहीँ सहरसा जिला प्रशासन अपराधिक घटनाओं को अधिक से अधिक संख्यां में घटित होने का खुला निमंत्रण दे रहा है.बताना लाजिमी है की सहरसा में होने वाले अधिकांश अपराधों की जड़ में ज़मीन विवाद रहा है.ऐसे में ज़मीन से जुड़े कागजातों को जहां संजीदगी के साथ जिला प्रशासन को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर और मजबूत प्रयास करने चाहिए.वहाँ जिला प्रशासन ज़मीन से जुड़े तमाम कागजात और अभिलेखों को संभाल कर रखने में पूरी तरह से उदासीन और लापरवाह दिख रहा है.जिला समाहरणालय स्थित जिला अभिलेखागार में रखे ज़मीन के इन तमाम महत्वपूर्ण कागजात के ना केवल चिथड़े उड़ रहे हैं बल्कि दीमकों ने भी इसे पूरी तरह से अपने निशाने पर ले रखा है.आलम यह है की बहुतों महत्वपूर्ण दस्तावेज एक तरफ जहां अभीतक नष्ट हो चुके हैं वहीँ दूसरी तरफ जो बचे हैं वे लगातार नष्ट हो रहे हैं.ऐसे मैं ज़मीन के वाजिब मालिकों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गयी है.जाहिर तौर पर दस्तावेज के नहीं उपलब्ध रहने से ज़मीन मालिकों को जहां कोई कागजात नहीं मिल पा रहा है वहीँ ज़मीन किसी की और खतियान किसी और नाम का तो रशीद किसी और के नाम पर काटे जाने का गोरखधंधा खूब जोर--शोर से चल रहा है.हालत ऐसे हों तो समझा जा सकता है की ज़मीन का विवाद इस इलाके में कितना गंभीर होगा.आज ज़मीन विवाद में शहर से लेकर गाँव तक जमकर लाठियां भांजी जा रही है और बंदूकें खूब धुंआ उगल रही है.शायद जिला प्रशासन को खून के छींटों से ज़मीन का रंग मटमैला और कोसी के पानी का रंग लाल देखने का पूरा मंसूबा है.यहाँ यह भी बताते चलें की अगर बिहार के सभी जिलों के न्यायालय की बात करें तो 60 लाख से ज्यादा ज़मीन विवाद के मामले इन न्यायालयों में वर्षों से लंबित हैं.सरकार ने जमीनी दस्तावेजों को संभालकर रखने के लिए इन दस्तावेजों को ऑन लाईन करने की बात की लेकिन ढाई वर्ष गुजर जाने के बाद भी इन दस्तावेजों को ऑन लाईन नहीं किया जा सका.

Sbi Associate CLERK ANSWER KEY 07-10-12 AND 14-10-2012

sbi associate CLERK ANSWER KEY 07-10-12 AND 14-10-2012

अगस्त 17, 2012

महिला तस्कर अपने महबूब के साथ गिरफ्तार

शातिर लेडी डॉन उसके सहयोगी युवक
रिपोर्ट चन्दन सिंह  एक सप्ताह के भीतर सहरसा पुलिस को आज दूसरी बड़ी कामयाबी हाथ लगी.गुप्त सूचना के आधार प़र आज शाम सहरसा पुलिस ने एक शातिर लेडी डॉन को उसके सहयोगी युवक के साथ सदर थाना के चांदनी चौक से 22,500 नकली नोट के साथ गिरफ्तार कर लिया.सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ गिरफ्त में आये ये तस्कर जाली नोट कुंदन सिंह गिरोह से लेकर जनकपुर और अन्य जगहों प़र खपाते थे.बताना लाजिमी है की कुंदन सिंह इसी साल अपने तीन अन्य सहयोगियों के साथ करीब दो लाख जाली नोट के साथ सहरसा के एक होटल से गिरफ्तार हुआ था.यहीं नहीं शातिर तस्कर कुंदन सिंह पहले भी 2009 में एक लाख ग्यारह हजार जाली नोट के साथ गिरफ्तार हुआ था.कुंदन सिंह फिलवक्त सहरसा जेल में बन्द है.पुलिस सूत्रों की मानें तो आज गिरफ्त में आई लेडी डॉन के तार बंगाल और नेपाल से जुड़े होने की संभावना है.जाहिर तौर प़र पुलिस को मिली यह एक बड़ी कामयाबी है. -सदर थाने में मुंह ढंके यह महिला शातिर लेडी डॉन पुष्पा है.लम्बे समय से यह जाली नोट के तस्करी का कारोबार कर रही है.यह विधवा है लेकिन कमसिन और हसीन है.इसने संतोष यादव नाम के एक युवक को पिछले तीन साल से अपने प्रेमपाश में फांसकर,इसके साथ मिलकर जाली नोट का कारोबार कर रही है.आज शाम को सहरसा पुलिस ने इस तस्कर जोड़े को चांदनी चौक के एक होटल से खाते वक्त गिरफ्तार कर लिया.पूछने प़र यह लेडी डॉन बताती है की यह जाली नोट कुंदन सिंह गिरोह के लोगों से लेती थी और उसे जनकपुर ले जाकर खपाती थी.उसकी मानें तो यह धंधा उसने महज दो महीने से शुरू किया है वह भी अपने आशिक संतोष यादव के कहने प़र.अभीतक वह महज सत्तर हजार रूपये का ही कारोबार कर सकी है.इधर संतोष यादव खुद को बेकसूर और पुष्पा को सरगना बता रहा है.सच्चाई यह है की पुष्पा यह कारोबार पिछले कई वर्षों से कर रही है और यह कुंदन सिंह गिरोह की सक्रिय सदस्या नहीं बल्कि कुंदन सिंह के जेल जाने के बाद उसके जाली नोट का पूरा कारोबार यही चलाती है.इस महिला के संपर्क बंगाल और नेपाल के शातिर जाली नोट के कारोबारियों के साथ हैं.
पुलिस के लिए यह बड़ी कामयाबी है.एक सप्ताह के भीतर सहरसा पुलिस ने दो बड़े कारनामे कर दिखाए हैं.बीते 14 अगस्त को एक किराना स्टोर से चोरी हुए तीन लाख रूपये में से पुलिस ने ना केवल करीब पौने दो लाख रूपये बरामद किये थे बल्कि दो शातिर चोर को भी गिरफ्तार किया था.जाली नोट के तस्कर को गिरफ्तार करने से पुलिस की छाती और चौड़ी हो गयी है.

रात की झमा - झम वर्षा से धान के खेतों में हरियाली

 रिपोर्ट  चन्दन सिंह  रात की झमा-झम वर्षा से धान की फसल हरा भरा दिखने लगा  है बीते कई दिनों से वर्षा नहीं होने से किसान के चहरे पर उदासी के बादल मंडरा रहे थे  खेतों में लगे धान का फसल बर्वाद होने के कगार पर जा चूका था लेकिन अचानक रात से सुबह तक लगातार हो रहे वर्षा से धान की खेतों में पानी भर गया जिससे खेत में लगे धान के पोधे में हरियाली दिखने लगी है. काफ़ी जद्दोजहद करने के बाद भी किसान के साथ कई समस्याए बनी रहती है जिसको लेकर सरकार के दावे सिर्फ और सिर्फ हवाई दिखती है. आज कोशी के किसान पूरी तरह से बदहाल है इसे देखने वाला कोई भी सरकारी नुमाइन्दे  नहीं है. नहरे और तालाब  पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. अधिकतर नहर में पानी नहीं है यदि पानी इस में छोड़ा भी जाता है तो इससे किसान को लाभ तो नहीं मिलता  है लेकिन खेतों में लगे फसल बर्वाद जरुर हो जाता है . नहर सफाई के लिये फंड भी आते है लेकिन ये सरकारी हुक्मरानों के खाऊ - पकाऊ में है ख़त्म हो जाती है. किसी भी सरकारी योजना का लाभ सुदूर क्षेत्र के किसान को नहीं मिलता यदि मिलता भी है तो उन नामचीन किसान को मिलता है जो किसी जनप्रतिनिधि के सगे सम्बन्धी होते है या तो दबंग. इस क्षेत्र में खेती के लिये सिमित उपजाऊ जमीन है जिससे गरीब किसानों का पेट भरता है अधिकतर खेतिहर  जमीन कोशी मैया के प्रतिवर्ष भेट चढ़ जाती है इन सभी समस्याओं से कोशी के किसान जूझ रहे है.
सवाल और समस्याए कई है, किसान बदहाल है , नेता खुशहाल है, खाद  के कालाबाजारी करने वाला सेठ धान का पौधा बड़ा होने के  इंतजार में है,  सरकारी योजना मुख्यालय में फाइल की रौनक बढ़ा रही है. लेकिन किसान भाई को इन सभी
समस्याओं से कब मुक्ति मिलती है ये उपरवाला ही जानता है.

अगस्त 16, 2012

६६ वीं स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन

६६वीं  स्वतंत्रता दिवस पर लगमा के श्री नव कुमार उच्च माध्यमिक विद्यालय स्कूलों में बच्चों ने देशभक्ति नाटक और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया. प्रभात फेरी के बाद स्कूल के प्रधानाचार्य ने झंडोतोलन किया. विद्यालय में पुरे दिन कार्यक्रम का दौर चलता रहा. स्कूल के बच्चों द्वारा वाद- विवाद देशभक्ति नाटक का आयोजन हुआ. इस आयोजन के दौरान बच्चो ने वाद विवाद प्रतियोगिता ''क्या हम वास्तव में स्वतंत्र है'' में भाग लिया. बच्चों के द्वारा देशभक्ति गानों का गायन के साथ साथ नाटक कारगिल विजय का मंचन किया गया. कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति नृत्य विधा थी जिसमे करिश्मा कुमारी अदिति मुस्कान राजकुमार पंकज और सोनू ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोहते रहा और पुरे कार्यक्रम का निर्देशन विद्यालय के सहायक शिक्षक विक्रमादित्य जी ने किया. 
जाहिर तौर पर जिस सरकारी स्कूल में बच्चे कभी जाते तक नहीं थे और जाना भी हुआ तो मिड डे के नाम पर लेकिन आज की जो तस्वीर है शायद उसकी कल्पना हम सिर्फ निजी स्कूल के चारदिवारी तक हीं नहीं कर सकते बल्कि सरकारी स्कूल भी परिवर्तन के दौर में है और हमे गर्व है की शिक्षा की जो व्यवस्था है वो निरंतर सुधरती नजर आ रही है. जय हिंद जय भारत   

अगस्त 14, 2012

सहरसा में खाऊ पकाऊ कम्प्यूटर शिक्षा

रिपोर्ट चन्दन सिंह: बेहतर शिक्षा के नाम पर पानी की तरह पैसा बहा रही सरकार को यहाँ की शिक्षा व्यवस्था लगातार पलीता लगा रही है.पिछले कई वर्षों से लाखों खर्च करके विभिन्य तरह के सामान महज खरीदकर स्कूल में जमा किये जा रहे हैं लेकिन उन सामानों का उपयोग बच्चों द्वारा नहीं किया जा रहा है.जाहिर तौर पर बच्चों के चहुंमुखी विकास के लिए ये आवश्यक सामान फकत शोभा की वस्तु बनकर रह गया है.खासकर कम्प्यूटर तो बिना उपयोग में लाये ही हो रहे हैं बर्बाद. सहरसा के नरियार स्थित मध्य विद्यालय में एक हजार सात छात्र-छात्राएं नामांकित हैं.इस विद्यालय में कम्प्यूटर सेटों को धूल फांकने को विवश कर दिया गया है .तीन वर्ष पूर्व इसकी खरीददारी बड़े अरमान और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की गरज से किया गया था लेकिन ये तमाम सेट संचालक के अभाव में ना केवल शोभा की वस्तु बनकर रह गए हैं बल्कि बिना इस्तेमाल किये ही इसकी वारंटी अवधि भी ख़त्म हो गयी है.बच्चों को एक तरह से इन कम्प्यूटर सेट को छूने तक से मनाही है.
वही दूसरी तरफ जिला मुख्यालय के जिला गिर्ल्स स्कूल में भी वर्षों से एक कमरे में लाखों के कंप्यूटर सेट बंद कर रखे हुए हैं लेकिन मीडिया को स्कूल प्रशासन वहाँ तक यह कहकर पहुँचने नहीं देते की यह व्यस्क होती बच्चियों का स्कूल है वहाँ परबेधरक ना जाएँ.हमने तो महज बानगी के तौर पर कुछ तस्वीरें ही बर्बाद होते कम्प्यूटर की दिखाई है.पुरे जिले का आलम यह जाहिर करने में सक्षम है की इस जिले में कम्प्यूटर शिक्षा पूरी तरह से ना केवल खाऊ--पकाऊ बनकर रह गयी है बल्कि पूरी तरह से बर्बाद और चौपट भी है. यहाँ कम्प्यूटर शिक्षा मदारी का खेल बनकर रह गया है.बच्चों को नैतिकता के पाठ पढाये जाने के साथ-साथ शिक्षकों और अधिकारियों को भी उनके कर्तव्यों का पाठ पढाया जाना आज नितांत आवश्यक हो गया है.

अगस्त 10, 2012

प्यार के पंछी

रिपोर्ट चन्दन सिंह : दिल दे दिया है,जान तुझे देंगे,दगा नहीं करेंगे सनम.जब--जब प्यार प़र पहरा हुआ है,प्यार और भी गहरा,गहरा हुआ है.सहरसा रेल थाना में पुलिस की कैद में पड़े दो प्रेम दीवाने को देखकर बरबस ये तराने लव प़र तैरने लगे हैं.मासूम प्यार की गिरफ्त में आये किशोर वय के दो प्रेमी जोड़े दिल्ली से भागकर सहरसा तो आये लेकिन इनके प्यार प़र किसी की काली नजर लग गयी और ये रेल पुलिस के हत्थे चढ़ गए. दिल्ली के विकासपुरी की रहने वाली अन्नू को सहरसा के राजू से बेपनाह मुहब्बत थी.बीते सात अगस्त को अन्नू ने मर्यादा की सारी दीवारें और रिवायतों की सारी बंदिशें तोड़ डाली और वह अपने घर से राजू के साथ फरार हो गयी.कल रात यह प्रेमी जोड़ा पटना पहुंचा लेकिन पटना में इनके पीछे कुछ गुंडे लग गए.किसी तरह जान छूटी तो वे पटना से कोसी एक्सप्रेस से सहरसा के लिए रवाना हुए.पटना से पुलिस वालों की की बद्नाजर भी इनपर टिकी रही और वे इस जोड़े प़र खूब फब्तियां कसते रहे.आधे रास्ते में बेगुसराय रेल पुलिस ने इन्हें सहरसा रेल पुलिस के हवाले कर दिया.इस प्रेमी जोड़े की मानें तो जब ये सहरसा पहुँचे तो सहरसा रेल पुलिस ने उनके साथ ना केवल बदतमीजी की बल्कि उनके साथ छेड़छाड़ भी की.खासकर लड़की तो एक तरह से पुलिस को वर्दी वाला गुंडा बता रही है.सहरसा टाइम्स ने इस आरोप को गंभीरता से लिया और आलाधिकारियों से बात कर इस लड़की को तत्काल यहाँ से हटवाकर महिला थाना में रखने का इंतजाम कराया.लड़की के पिता दिल्ली से सहरसा के लिए रवाना हो चुके हैं.इस प्रेमी जोड़े ने सांई मंदिर दिल्ली में शादी भी रचा ली है.रब जाने आगे इनका क्या होगा.
प्रेम गुनाह नहीं है लेकिन सामाजिक मर्यादा और कानूनी दायरा अपने तरीके से प्रेम को अनुशासित करता है.विकासपुरी थाने में लड़की के पिता ने अपहरण का मामला दर्ज करा रखा है.लड़की के परिजन दिल्ली से सहरसा आ रहे हैं.आगे इस प्रेम का क्या हस्र होगा कयास लगाना फिलवक्त मुमकिन नहीं है.लेकिन इस मामले में पुलिस के रवैये ने कई सवाल जरुर खड़े किये हैं जिससे शख्ती से निपटने की जरुरत है.

नवोदय के छात्र ने जहर खाकर दी अपनी जान

रिपोर्ट चन्दन सिंह:  बीती रात सहरसा के बरियाही स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय के दशवीं कक्षा के एक छात्र ने जहर खाकर अपनी जान दे दी. दशमी के छात्र सुमन ने आज रात्रि के खाना खाने के बाद जहर खा ली थी.अचानक उसकी तबियत बिगड़ी और वह बेहोश हो गया.स्कूल प्रबंधन ने आनन्--फानन में इलाज के लिए उसे सदर अस्पताल लाया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.सुमन कुमार नाम का यह मृतक छात्र जिला मुख्यालय के आजाद चौक का रहने वाला था.इस बड़ी घटना से मृतक के घर कोहराम मचा है और उसके परिजन का रो--रो कर के बुरा हाल है.फिलवक्त मृतक के परिजन.इस घटना के कारण को लेकर कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं हैं.हांलांकि सूत्रों की मानें तो प्रेम--प्रसंग में सुमन के जान देने की आशंका व्यक्त की जा रही है.बताना लाजिमी है की माईग्रेशन के आधार प़र सुमन को एक साल के लिए कोलकाता नवोदय विद्यालय भेजा गया था जहां से वह इसी साल अप्रैल में लौटा था.उसी दौरान उसे किसी लड़की से मुहब्बत हो गयी.बीच में किसी बात को लेकर आपस में उसकी कहा--सुनी हुई और यह नौबत आ गयी.मोटे तौर प़र यह मामला प्रेम--प्रसंग का है लेकिन स्कूल प्रबंधन,मृतक के परिजन और उसके सहपाठी घटना का खुलासा करने से परहेज कर रहे हैं.पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर जहां उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है वहीँ सदर थाना में आत्महत्या का मामला दर्ज कर तहकीकात भी शुरू कर दी है

अगस्त 08, 2012

बेबस,मजबूर जिन्दगी और सिसकियों में कोशी के विस्थापित

रिपोर्ट चन्दन सिंह: कोसी इलाके में जिन्दगी का फलसफा जंग से शुरू और जंग प़र खत्म है.यहाँ प़र साँसे किसी तरह से चल सके बस इसकी जंग है.ना साबूत घर हैं और ना ही हसीन सपनों की बड़ी खेप.दो रोटी के जुगाड़ में ही हिज्र और खलिस में जिन्दगी कब दामन छोड़ जाए कहना मुमकिन नहीं.पूर्वी कोसी तटबंध के भीतर पिछले साल मची तबाही से जो लोग बेघर हुए थे उसमें से बहुत सारे परिवार आजतक नवहट्टा प्रखंड के पहाडपुर के समीप रिंग बाँध प़र अपना आशियाना बनाकर जिन्दगी के दिन काट रहे हैं.ना रोजी,ना रोजगार,बस किसी तरह मांग--चांगकर या छोटा--मोटा कोई काम मिला तो उसे करके जो कुछ मिला उससे घर--परिवार की गाड़ी खींच रही है.यहाँ दर्जनों परिवार ऐसे हैं जहां की जिन्दगी सिसक--सिसक कर व्यवस्था को तमाचे लगा रहा है.बांस--बल्ले प़र टिकी झोपडी,टिन--कनस्तर में जीवन की कुल ज़मा पूंजी.यहाँ बेबस और मजबूर जिन्दगी आह और सिसकियों में बस छटपटा रही है.
बानगी भर के लिये आज हम आपको नवहट्टा प्रखंड के पहाडपुर गाँव के समीप स्थित रिंग बाँध पर बसे ये दर्जनों किस्मत के मारे परिवार की तस्वीर दिखा रहे है जो पिछले साल से दर्द से सराबोर होकर किसी तरह से जीवन जीने को लाचार और बदहाल है. सेकड़ों विस्थापित परिवार नवहट्टा प्रखंड के तटबंध के भीतर रामपुर,छतवन,केदली और असई गाँव के हैं कोसी ने पिछले साल इनका सबकुछ छिनकर इन्हें बेघर कर दिया था.ये सभी और लोगों की तरह पुनः अपने गाँव नहीं लौट सके.इनकी मज़बूरी औरों से भारी थी.ये उजड़ने और फिर बसने का सामर्थ्य नहीं रखते थे सो अभीतक बस यहीं के होकर रह गए हैं.इनलोगों को उम्मीद थी की सरकार और समृद्ध तंत्र उनपर मेहरबान होगा और राहत की उनपर बारिश होगी.इनकी कठिन जिन्दगी में भी सुकून के क्षण मयस्सर होंगे.लेकिन इनकी बदकिस्मती देखिये हाकिमों के हवाई यात्रा के दौरान किसी की इनपर नजर नहीं गयी और ए.सी कमरे में बैठ कर बन रही योजनाओं में भी इन्हें नहीं रखा गया.बेचारे बेदम और सिर्फ बेदम ही रहे.इन फटेहालों के दिन बहुराने के आजतक किसी ने जतन नहीं किये.
सरकार इन पीड़ितों को राहत पहुंचाने के लाख दावे कर ले लेकिन सहरसा टाइम्स ये आपको बताता है की राहत इनतक नहीं पहुंची है.इस सच को तस्वीरें बयां कर रहीं हैं.सरकार के दावों से इतर सरजमीनी सच्चाई कुछ और है.कागज़ पर आंकड़ों की बाजीगिरी होती है लेकिन सच आखिर सच होता है.कोसी के बाढ़ विस्थापितों की ईमानदार चिंता आजतक किसी भी सरकार ने नहीं की है.हर साल बाढ़ के समय अनगिनत लखपति तैयार होते हैं लेकिन ये पीड़ित बस पीड़ित ही रहते है.इनकी झोली पहले से ही खाली थी और अभीतक खाली ही है.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।