अक्टूबर 26, 2013

टेम्पो हादसे में दो मरे

टेम्पो पलटकर जलकर में गिरी,तीन को बचाया गया /एक महिला सहित दो मरे /पतरघट ओपी के पस्तपार के समीप घटी घटना
सहरसा टाईम्स रिपोर्ट: कल शाम 25 अक्तूबर को पतरघट ओपी के पस्तपार से धवौली गाँव जा रही एक टेम्पो पस्तपार के समीप ही पलटकर एक जलकर में जा गिरी.टेम्पो पर ड्राइवर सहित छः लोग सवार थे.इस हादसे में तीन को तो लोगों ने किसी तरह से बचा लिया लेकिन एक महिला सहित दो की मौत हो गयी.हांलांकि इस हादसे में टेम्पो चालक लापता है.अब इस हादसे में उसकी मौत हो चुकी है या फिर वह भागा हुआ है,इसको लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पा रही है,यानि संसय बरकरार है.देर रात तक जलकर में जाल डालकर शव निकालने का प्रयास होता रहा लेकिन दोनों शवों को आज सुबह निकाला जा सका जिसे पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल सहरसा लाया गया.
मौके पर मौजूद पतरघट ओपी अधिकारी राजेश कुमार रंजन ने घटना की जानकारी देते हुए कहा की वे जाल डालकर डूबे दो लोगों को निकालने की कोशिश में जुटे हुए हैं. अभीतक एक और शख्स के मरने की आशंका बनी हुयी है और ग्रामीण अभी भी जाल डालकर लाश ढूंढने में लगे हुए हैं.किसी का कहना है की ड्राईवर है तो कोई कह रहा है की एक और दूसरा शख्स है.

6 शातिर लुटेरे गिरफ्तार

पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी /एक पिस्टल,एक देशी कट्टा,पांच जिन्दा कारतूस,चार मोबाइल और तीन लूट की मोटरसाईकिल बरामद

सहरसा टाइम्स: बीते कल सहरसा पुलिस के लिए बड़ी कामयाबी का दिन था.सहरसा पुलिस ने बाईक लुटेरे गिरोह के दो सरगना सहित छः लुटेरों को एक पिस्टल,एक देशी कट्टा,पांच जिन्दा कारतूस,चार मोबाइल और तीन लूट की मोटरसाईकिल के साथ गिरफ्तार कर लिया.दोनों सरगना शशि मेहता और मुन्ना दास की गिरफ्तारी सदर थाना के मत्स्यगंधा मंदिर के समीप हुयी और फिर उनकी निशानदेही पर बांकी चारों लुटेरे की गिरफ्तारी हुयी.
पुलिस अधीक्षक के कक्ष में ये छः लुटेरे बड़े शातिर हैं.इस गिरोह का संचालन सुपौल जिले का रहने वाला शशि मेहता और मधेपुरा जिले का रहने वाला मुन्ना दास करता था.ये दोनों मोटरसाईकिल लूटते थे और बांकी चार मुकेश कुमार,पंकज सिंह, मिथिलेश यादव और भुट्टो यादव सभी सहरसा जिले के रहने वाले मोटरसाईकिल का ग्राहक तलाशकर उसे खपाते थे.पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी ने आज प्रेस वार्ता कर पूरी जानकारी देते हुए कहा की इलेक्ट्रानिक सर्विलांस से इनकी गिरफ्तारी सम्भव हो पायी.इनकी गिरफ्तारी से सहरसा,मधेपुरा,सुपौल और पुर्णिया जिले में वाहन लूट और चोरी की घटना में काफी कमी आएगी.
जाहिर तौर पर पुलिस के लिए यह बड़ी कामयाबी है.पुलिस के साथ---साथ आमलोगों के लिए भी यह राहत की बात है.

अक्टूबर 24, 2013

करोड़ों के धान की बर्बादी देखो सरकार

 इधर अनाज सड़े उधर गरीब मरे /एक तरफ गरीबों को निवाला नहीं मिल रहा,दूसरी तरफ बेशर्म लापरवाही से अनाज की हो रही है बर्बादी
मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: एक तरफ सहरसा जिले में गरीब--मजबूर और मुफलिस--फटेहालों को रोजाना मुंह का निवाला नहीं मिल रहा है तो दूसरी तरफ बेशर्म सरकारी लापरवाही से हजारो क्विंटल अनाज की बर्बादी हो रही है.आज हम जिले के पतरघट प्रखंड के जेम्हरा गाँव की ऐसी सच की तस्वीर लेकर हाजिर हो रहे हैं जो ना केवल नौकरशाहों की बदमिजाजी को बेनकाब करता है बल्कि सरकार के तमाम दावों की पोल---पट्टी को भी खोलकर रखता है.जेम्हरा में SFC का साढ़े बारह हजार क्विंटल से ज्यादा धान सड़कर पूरी तरह से बर्बाब हो गए हैं लेकिन जिला प्रशासन उसकी जांच और उचित कारवाई के तकिया कलाम से लीपा--पोती करने में जुटा हुआ है.काश!यह अनाज बर्बाद होने की जगह गरीबों के हाथों चला जाता तो कितने गरीबों की जिन्दगी को असमय खत्म होने से बचाया जा सकता था.लेकिन यहाँ तो कुएं में ही भंग पडा है.करोड़ों के धान की बर्बादी देखो सरकार.
हम आपको जेम्हरा गाँव लेकर आये हैं.देखिये यहाँ पर हजारों क्विंटल धान को खुले में एक गड्ढ़े में रखा गया है.ये सारे धान पेक्स के माध्यम से SFC ने किसानों से खरीदा था लेकिन अब ये बर्बाद होकर सिर्फ बदबू दे रहे हैं.अब ये धान आमलोगों के किसी काम के तो नहीं रहे लेकिन लोगों को भय है की यहाँ पड़े--पड़े कहीं ये महामारी का सबब ना बन जाएँ.इलाके के लोग यह भी कह रहे हैं की इसे बर्बाद कराने की जगह अगर गरीबों के बीच बाँट दिया जाता तो कितने गरीबों का भला हो जाता.लोगों ने इस तरह से धान को यहाँ पर नहीं रखने की पहले  आलाधिकारियों से गुजारिश भी की थी.यही नहीं लोगों ने धान को किसी तरह बचाया जाए इसके लिए जिला के बड़े अधिकारियों से आग्रह--अनुग्रह भी किये थे लेकिन सब कुछ ढ़ाक के तीन पात साबित हुए.
SFC के कार्यपालक सहायक कुमार गौरव साफ़--साफ़ कह रहे हैं की पैक्स के माध्यम से विभाग ने उस इलाके में किसानों से 24 हजार 7 सौ 64 क्विंटल धान की खरीददारी की थी.17 हजार 500 सौ क्विंटल धान का SIO कटा लेकिन वहाँ से 12 हजार 500 क्विंटल धान का ही उठाव किया जा सका.बांकी 12 हजार 500 क्विंटल से ज्यादा धान वहीँ रह गए.इनके मुताबिक़ जिलाधिकारी ने खुद धान को खुले में देखा था और उन्हीं के निर्देश पर धान वहाँ खुले में रखे हुए थे.जिलाधिकारी ने जगह नहीं होने का हवाला दिया था. इन्होनें धान के सड़ने की आशंका को लेकर बड़े अधिकारियों को पत्र भी लिखे थे.लेकिन इससे इतर जब हमने जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार से जबाब--तलब किया तो पहले तो उन्होने सरकारी धान सड़ने की बात से एक तरह से इनकार किया.इन्होनें यह बताना चाहा की यह धान SFC का है ही नहीं.फिर ये जांच और कारवाई की बात कर मौजूं सच से पल्ला झाड़ गए.
हमाम में सारे नंगे है यह कमो--बेस सारे लोग जानते हैं.लोग नंगे हैं तो उसके पीछे कोई ना कोई बड़ा मतलब है.लेकिन यह नंगापन किस काम का जिसमें अनाज को सड़ा दिया गया.आखिर इस नासमझी और लापरवाही से किसका भला होगा.सरकार को लफ्फाजी की जगह इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करते हुए बड़ी कारवाई करनी चाहिए.

अक्टूबर 22, 2013

सुशासन की शराब पीकर टल्ली हुयी महिलाएं

 जहां भूख,बेकारी,बीमारी और मज़बूरी कुलाचें भरती हैं वहाँ महिलायें शराब पीकर कर रही हैं तमाशा >>> मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट<<<<
कहते हैं की शराब पीनी ना केवल बुरी लत और बुरी बला है बल्कि एक बड़ा गुनाह भी है.लेकिन सहरसा का आलम कुछ और ही कह रहा है.यहाँ ना केवल पुरुष बल्कि महिलायें भी छंककर शराब पी रही हैं.हद की इन्तहा तो यह है की ये शराबी महिलायें नशे में धुत्त होकर नाच---गाने के साथ---साथ भरपूर तमाशे भी कर रही हैं.सदर अस्पताल सहरसा में घंटों तमाशा कर रही दो महिलाओं की बेशर्म और एक्सक्लूसिव तस्वीर और खबर लेकर सहरसा टाईम्स आज हाजिर है.
महानगर में महिलायें हाई प्रोफाईल बड़ी पार्टी अटेंड करने वाली होती हैं.सर्वे और जानकारी के मुताबिक़ बड़े शहरों में महिलाओं के शराब पीने को सोसल स्टेटस से जोड़कर देखा जाता है.लेकिन ऐसा इलाका जहां भूख,बेकारी,बीमारी और मज़बूरी कुलाचें भरती हैं वहाँ अगर महिलायें शराब पीकर तमाशा कर रही हैं तो आश्चर्य होना लाजिमी है.आज हम आपको सदर थाना के सराही मोहल्ले की रहने वाली दो महिलाओं की तस्वीर दिखा रहे हैं जो करीब चार घंटे तक नशे में धुत्त होकर सदर अस्पताल में ना केवल झूमती, नाचती--गाती रही बल्कि खूब तमाशे भी करती रही.जिस इलाके में एक रोटी के लिए जंग लड़ी जा रही हो वहाँ महिलायें हाथ में देशी शराब की पाउच लेकर अपनी अदाएं दिखा रही हैं.
हद तो यह है की महिला की इस दुर्दशा को लोग तमाशे की शक्ल में ना केवल देख रहे हैं बल्कि जमकर मजे भी ले रहे हैं.सहरसा टाईम्स ने ना केवल इन शराबी महिलाओं की बेशर्म और बेहया तस्वीरें उतारी बल्कि उन्हें शराब ना पीने के लिए उन्हें झंकझोड़ने का भागीरथ प्रयास भी किया.अपने सामाजिक दायित्व और कर्तव्य की वजह से सहरसा टाईम्स ने इन शराबी महिलाओं को भरपूर समझाने का जतन किया लेकिन उसका नतीजा फकत सिफर आया.इस पुरे प्रकरण में शराबी महिला ने सहरसा टाईम्स की ना केवल फजीहत की बल्कि सहरसा टाईम्स को शराब पीने के लिए मजबूर भी किया.चार घंटे तक चले इस शराब तमाशे में महिला ने ए राजा जी और मुझे पीने का शौक नहीं गीत गाये और खूब नाच किये.पूछने पर एक शराबी महिला कतिपय जोर देकर कहती रही की उसे शराब पीने के लिए सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छूट दे रखी है और उन्होनें ने ही उसे पीने को कहा है.
हमारा मकसद शराब में धुत्त नशेड़ी महिलाओं की तस्वीर भर दिखाने का नहीं है.बिहार के गली--मोहल्ले से लेकर गाँव के चौपाल तक खुली शराब की दूकान के नतीजे अब हमारे सामने हैं.सुशासन बाबू इन जलती हुयी सच की तस्वीर को देखिये.महिलाओं को पुरुष के बराबर करने के लिए क्या ऐसे बदरंग हालात की जरुरत है.साहेब,भारत विश्व का ऐसा एकलौता देश है जहां नारी को पुरुष के बराबर नहीं बल्कि पुरुष से ऊपर और बहुत बड़ा दर्जा मिला हुआ है और जहां नारी की पूजा की जाती है.रब जाने यह कौन सा विकास है.

अक्टूबर 21, 2013

हुआ रावण दहन : पाईलीन की कहर की वजह से समय से नहीं हुआ था रावण दहन

सहरसा टाईम्स: MLT कॉलेज परिसर में भारी भीड़ की मौजूदगी में रावण दहन का कार्यक्रम काफी उत्साह और उमंग के साथ संपन्न हुआ.इस दहन कार्यक्रम में रावण के साथ--साथ मेघनाद और कुम्भकरण का भी दहन किया गया.सदर एस.डी.ओ.प्रशिक्षु आई.ए.एस. अधिकारी पंकज दीक्षित और ए.एस.पी.दिलीप कुमार मिश्रा ने पहले तो फीता काटकर इस कार्यक्रम का उद्दघाटन किया फिर आग लगी तीर चलाकर बारी--बारी से रावण सहित तीनों आतातायियों का दहन किया.
यहाँ पर अशोक वाटिका के साथ--साथ लंका और रावण का महल भी बनाया गया .पहले इस दहन कार्यक्रम का उद्दघाटन सदर एस.डी.ओ. प्रशिक्षु आई.ए.एस.अधिकारी पंकज दीक्षित और ए.एस.पी.दिलीप कुमार मिश्रा ने विधिवत फीता काटकर किया.भारी भीड़ की मौजूदगी में फिर हुआ रावण दहन का कार्यक्रम.सबसे पहले सदर एस.डी.ओ.प्रशिक्षु आई.ए.एस.अधिकारी पंकज दीक्षित ने मेघनाद का,ए.एस.पी. दिलीप कुमार मिश्रा ने कुम्भकरण और दोनों ने मिलकर अंत में फिर रावण के पुतले का आग लगी तीर चलाकर दहन किया.इस दौरान वानरी सेना ने लंका दहन भी किया.अपार भीड़ के बीच यह कार्यक्रम शाम  शुरू हुआ जो शाम करीब साढ़े आठ बजे संपन्न हुआ.बुराई पर अच्छाई की जीत के इस महान मौके पर अधिकारियों ने कहा की जिस तायदाद में लोग यहाँ ऊफोआष्टःईट होकर इस दहन के  हैं उनका यह दायित्वही की वे समाज में व्याप्त बुराई के खात्मा का जिम्मा लें और हर तरह की बुराई का कात्मा करें जिससे हमारे सामने बेहतर भारत की बेमिशाल तस्वीर ताकयामत मौजूं रहे.
असमय रावण दहन का कार्यक्रम काफी हर्षौल्लास से आज संपन्न हो गया.इस पावन मौके पर सहरसा टाईम्स यह दुआ करता है की बुराई का इस जिले में इस रावण दहन के साथ इस तरह से खात्मा हो की अगले वर्ष रावण दहन की जरुरत ही ना पड़े.

अक्टूबर 20, 2013

कुदरत का करिश्मा : एक महिला ने एक साथ जनने चार बच्चे

सहरसा टाईम्स: बीती रात सदर अस्पताल सहरसा में एक महिला ने एक बाद एक कुल चार बच्चों को जन्म दिया.य़े चारो बच्चे सामान्य प्रसव से इस दुनिया में आये.खास बात यह है की जहां चारो बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं वहीँ इसकी माँ भी बिल्कुल ठीक--ठाक है. जिले के बनमा इटहरी प्रखंड के मकदमपुर गाँव की रहने वाली वीणा देवी के पति पंजाब में मजदूरी करते हैं.एक साथ चार--चार बच्चो के जन्म की खबर जैसे--जैसे लोगों को हो रही है वे बच्चों को देखने के लिए अस्पताल पहुँच रहे हैं.बच्चे के रिश्तेदार के साथ---साथ दूसरे लोग भी इसे भगवान् का चमत्कार मान रहे हैं.सभी इस बात से बेहद खुश हैं की चारो बच्चे और प्रसूता पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं.
चार बच्चों को जनने वाली वीणा देवी इसे मालिक का चमत्कार मानकर खुश है.उसका कहना है की भगवान् ने यह किया है तो उसे ना केवल यह मंजूर है बल्कि उसे बेहद ख़ुशी है.आगे सभी कुछ भगवान् पर निर्भर है.चार बच्चों में दो बेटे और दो बेटियाँ हैं.
चारों बच्चे स्वस्थ्य हैं यह बेहद ख़ुशी की बात है लेकिन आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की वीणा देवी को पहले से ही पांच बच्चे हैं और अब ये चार.कुल नौ बच्चे हुए जिसकी परवरिश आखिर वीणा आगे किस तरह से और कितना बेहतर ढंग से कर पाएगी,यक्ष प्रश्न सामने खड़ा है.

ह्त्या या फिर हादसे में हुयी मौत

सहरसा टाईम्स: बीती रात बिहरा थाना पुलिस के द्वारा एक पैंतीस वर्षीय जख्मी युवक को ईलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया लेकिन ईलाज शुरू होने से पहले ही उसकी मौत हो गयी.मृतक वीरेंदर मुखिया जिले के महिषी थाना के नहरवार गाँव का रहने वाला है और उसे बीती रात बिहरा थाना के सिहौल पेट्रोल पम्प के पास से जख्मी अवस्था में सदर अस्पताल लाया गया था.इस मामले में जहां पुलिस कह रही है की ट्रैक्टर की चपेट में आकर इस युवक की मौत हुयी है वहीँ मृतक के पिता का कहना रूपये की लेन--देन में उसकी ह्त्या सिहौल गाँव के रहने वाले भगवान् जी नाम के व्यक्ति ने की है.फिलवक्त पुलिस लाश का पोस्टमार्टम कराकर आगे की तफ्तीश में जुटी हुयी है.ह्त्या या फिर हादसे में हुयी इस युवक मौत,इसपर रहस्य बरकरार है.
सहरसा के ए.एस.पी. दिलीप कुमार मिश्रा का कहना है की इस युवक की मौत ट्रैक्टर की चपेट में आकर हुयी है.बिहरा पुलिस ने उस ट्रैक्टर को भी बरामद कर लिया है.हांलांकि ट्रैक्टर ड्राईवर फिलवक्त फरार है.वैसे मृतक के पिता के आरोप को लेकर इनका कहना है की वे इस बिंदु पर भी जांच करवाएंगे.
आगे इस मामले में पुलिस जिस तरह से भी तफ्तीश करे लेकिन अभी यह रहस्य पूरी तरह से गहराया हुआ है की यह ह्त्या है या फिर सड़क हादसा.हमारी समझ से पुलिस को इस मामले में गहराई से जांच करने की जरुरत है.

दबंग विधायक का प्रचंड गुस्सा देखो सरकार

छातापुर जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू
बैंक कैश वेन लूटकांड और कैश वेन के ड्राईवर ह्त्या मामले में चालीस दिनों तक कटिहार जेल में बंद रहने के बाद अठारह अक्तूबर को बाइज्जत बरी होने के बाद आज अपने जिला मुख्यालय के गंगजला स्थित आवास पर सुपौल जिले के छातापुर जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू ने सहरसा टाईम्स से खास बातचीत की.बातचीत की दौरान नीरज कुमार बबलू ना केवल अगिया-बेताल थे बल्कि रह--रहकर अपना आपा भी खो रहे थे.नीरज कुमार बबलू पुलिस की कार्यशैली से खासे खफा थे और कह रहे थे की उन्हें झूठे मुकदमें में फंसाकर चालीस दिनों तक जेल के भीतर बंद रखा गया.वे इस मामले को हल्के में लेकर खामोश बैठने वाले नहीं हैं.वे इस मामले में पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा करेंगे.दबंग विधायक बबलू दैनिक हिन्दुस्तान अखबार के रवैये से भी काफी आहत दिख रहे थे.उन्होनें कहा की जबसे उन्होने न्यायालय में समर्पण किया तभी से यह अखबार भ्रामक ख़बरें छाप रहा है.अखबार ने लिखा की वे चुपके से जेल चले गए.उन्होनें अखबार पर सवाल खड़े करते हुए कहा की क्या उन्हें गाजे---बाजे के साथ जेल जाना चाहिए.और क्या वे चूहे थे जो सुरंग बनाकर जेल चले गए.
अखबार द्वारा कोर्ट से बरी होने के पूर्व यह छापने पर की इस मामले में न्यायालय से उन्हें फांसी तक की सजा मिल सकती है पर वे काफी बिफरे और कहा की इस खबर से उन्हें,उनके परिवार के लोगों के साथ--साथ उनके लाखों समर्थकों को काफी मानसिक यंत्रणा झेलनी पड़ी.अगर अखबार ने अपनी ख़बरों का खंडन पंद्रह दिनों के भीतर नहीं छापा तो वे अखबार के सम्पादक से लेकर मालिक तक पर मुकदमा करेंगे.नीरज इतने पर ही नहीं रुके और कहा की इस झूठे मुकदमें में उन्हें चार दिनों में ही बरी कर दिया जाना चाहिए था लेकिन उन्हें चालीस दिनों तक जेल में रखा गया.उन्होनें अदालत को झूठे मुकदमें में निर्दोषों को ना घसीटने की सलाह दी और कहा की इस तरह के कानून में बदलाव के लिए वे आगे बड़ी लड़ाई लड़ेंगे जिससे निर्दोषों को बड़ी मुसीबत का सामना न करना पड़े.
इस तमाम बयानबाजी के बाद विधायक के बरी होने की ख़ुशी में विधायक के घर बेमौसम की होली और दिवाली एक साथ मनाई गयी.विधायक के समर्थक उन्हें ना केवल जमकर गुलाल लगा रहे थे बल्कि पटाखे चलाकर अपनी ख़ुशी का इजहार भी कर रहे थे.
नीरज बबलू के इस तेवर का आगे क्या हस्र होगा उसपर हमारी गिद्ध दृष्टि तो लगी रहेगी ही लेकिन अभी के उनके इन तल्ख़ बयानों ने कोसी--सीमांचल इलाके के सियासी गलियारे में नयी गर्मी जरुर ला दी है.

ईलाज के लिए शराब चाहिए

सहरसा टाईम्स: सदर अस्पताल के संक्रामक कक्ष में देखिये पैसठ वर्षीय टिटनस के मरीज गोहल बढ़ई अब इस दुनिया में नहीं हैं.जिले के सलखुआ प्रखंड के सहुरिया बसाही गाँव के रहने वाले गोहल के परिजन  अठारह अक्तूबर की सुबह उन्हें सदर अस्पताल लेकर आये.गोहल को टिटनस था.गोहल का ईलाज कल शुरू हुआ लेकिन उन्हें बीती रात दो इंजेक्शन जो उनकी जान बचाने के लिए अत्यावश्यक थे और उन्हें दिए जाने थे.गोहल के परिजन इंजेक्शन दिलवाने के लिए आपातकालीन कक्ष में नर्स और कंपाउंडर से खूब मनुहार किये लेकिन कोई वहाँ से आना नहीं चाह रहा था.आखिरकार दो कंपाउंडर आये और उन्होनें ताबड़तोड़ तीन इंजेक्शन गोहल को ठोंक डाले.लेकिन वह दो इंजेक्शन जो सब से आवश्यक थे मरीज को नहीं लगाए.उन दोनों इंजेक्शन को लगाने के लिए इन दोनों कंपाउंडर ने गोहल के परिजन से शराब की मांग की.मरीज के परिजन ने पैसे सुबह में देने की बात कही लेकिन बिना शराब के वे इंजेक्शन नहीं लगाने की जिद पर अड़े थे. आखिरकार वे वहाँ से बिना इंजेक्शन लगाए लौट गए.गोहल को इंजेक्शन नहीं दिए जा सके.इस घटना के बाद अस्पताल के दो सुरक्षाकर्मी आये और गोहल के परिजन को लेकर आपातकालीन कक्ष लेकर गए और स्वास्थ्यकर्मियों के साथ मिलकर उनकी जमकर धुनाई की.हद की इन्तहा देखिये की मरीज को इंजेक्शन शराब नहीं देने के कारण नहीं दिया गया और इधर मरीज के परिजन की पिटाई भी हुयी.इस बेरहमी और लोमहर्षक वारदात के दौरान अहले सुबह बिना ईलाज के गोहल की मौत हो गयी..इस दौरान हमारी दखल के बाद अस्पताल प्रशासन की नींद टूटी और वह हरकत में आया.हमारी पहल के बाद पहले तो अस्पताल उपाधीक्षक डॉक्टर रविन्द्र मोहन ने संक्रामक कक्ष पहुंचकर पहले तो मृतक की लाश को देखा फिर परिजनों को गंभीरता से से सूना.उपाधीक्षक ने अपने कक्ष में उन दोनों आरोपी जवानों को बुलाकर जमकर उनका क्लास लगाया.वे दोनों कंपाउंडर जिन्होनें बीती रात शराब मांगी थी फिलवक्त अस्पताल से फरार हैं.उपाधीक्षक ने हमको भरोसा दिलाया है की दोषियों पर शख्त से शख्त कारवाई होगी.
 क्या शराब के लिए किसी का ईलाज नहीं होगा?क्या शराब लेकर मरीज के परिजनों को अस्पताल जाना होगा?यह सुनकर भी आश्चर्य होता है.क्या अस्पताल में ईलाज करने के लिए स्वास्थ्यकर्मी की जगह गुंडे--मवाली और शराबियों को ईलगाया गया है.आखिर इस अस्पताल में क्या चल रहा है सरकार.

अक्टूबर 13, 2013

मौत का कोलाहल: एक ही परिवार के छः लोग मरे

विवेक सिंह सहरसा टाईम्स:  ट्रैक्टर हादसे में यूँ तो बारह लोग मारे गए हैं लेकिन हम आपको उस अभागे हरिलाल यादव के घर लेकर आये हैं जिनके घर दर्द की सुनामी आई है.हरिलाल की पत्नी सहित उनके घर के छः लोग इस हादसे में मारे गए हैं.खुद हरिलाल भी उस हादसे वाले ट्रैक्टर पर सवार थे लेकिन उनकी जान बच गयी.इस घर में दर्द की सुनामी आई है.पीड़ित के घर अधिकारियों का तांता लगा हुआ है. ये सभी सरकारी कागजात दुरुस्त करने में जुटे हुए हैं. हरिलाल के घर एक तरफ जहां सरकारी बाबू सरकारी कागजात बनाने में मशगूल हैं वहीँ छः लाश को एक जगह रखकर रोदन और कन्द्रण हो रहा है.घर के शेष बचे लोगों का कलेजा फट रहा है.इस घर की तीन बच्चियां और तीन महिलायें इस दुनिया से अचानक विदा हुयी हैं.घर के लोग तो दर्द में डूबे हुए हैं ही पड़ोस और गाँव के लोग भी मातम में डूबे हुए हैं.इस अभागे परिवार पर दुर्गा पूजा के पावन मौके पर गम का ऐसा पहाड़ टूटा है जिसकी कल्पना मात्र से ही रूह थर्रा जाती है.इस हादसे में इक्कीस लोग जख्मी हुए हैं जिनमें से तीन की स्थिति अभीतक नाजुक बनी हुयी है जिसमें से दो जख्मियों को बेहतर ईलाज के लिए PMCH रेफर किया गया है.
सरकारी बाबू  अभी पीड़ित परिवार को दाह संस्कार के लिए सभी मृतकों के लिए कबीर अन्तियेष्टि योजना से अलग-अलग डेढ़ हजार और पारिवारिक सुरक्षा योजना से बीस हजार रूपये दिए जा रहे हैं.चूँकि मृतकों को राज्य सरकार ने डेढ़--डेढ़ लाख रूपये मुआवजे के तौर पर देने की भी घोषणा उसी रात ही कर दी थी इसलिए उसके मुताल्लिक भी कागजात तैयार किये जा रहे हैं.पीड़ित के घर अधिकारी भी खासे दुखी हैं और सरकारी प्रक्रिया की जानकारी देने के अलावे वे यह भी कह रहे हैं की इस घटना से वे भी काफी मर्माहत हैं.
एक तरफ जहां दुर्गा पूजा की वजह से चहुँदिश हर्षौल्लास और ख़ुशी का माहौल है वहीँ एक परिवार का सबकुछ पल में खत्म हो चुका है.जिन्दगी से ऐसा दर्द आ लगा है जिससे उबर पाना हरिलाल के लिए पहाड़ खोदकर दूध निकालने के समान है.माँ दुर्गा मौत की ईबारत लिख चुकी है.अब हरिलाल को कम से कम वह इतनी ताकत बख्से जिससे वह इस दर्द को ना केवल सह सके बल्कि उससे उबार भी सके.

अक्टूबर 12, 2013

ट्रैक्टर पलटी,बारह मरे और इक्कीस घायल

रिपोर्ट- विवेक सिंह: बीती शाम करीब साढ़े सात बजे सहरसा सदर थाना के भेलवा---सुखासन गाँव के समीप एक ट्रैक्टर सड़क के नीचे एक गड्ढ़े में पलट गयी जिसमें बारह लोगों की मौत हो गयी.इस घटना में इक्कीस लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए हैं जिन्हें ईलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां तीन की हालत नाजुक है.मरने वालों में पांच बच्ची,चार महिलायें और तीन पुरुष शामिल हैं.सभी मरने वाले बग़ल के ही गाँव आरण और नंदलाली के रहने वाले थे.ये सभी महिषी थाना के बाबा कारू--खिरहरी मंदिर से पूजा--अर्चना कर के वापिस अपने घर लौट रहे थे की यह घटना घट गयी. हादसा को देख ट्रैक्टर ड्राईवर वहाँ से फरार हो गया. इस हादसे में दस लोगों की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी जबकि दो की मौत अस्पताल ले जाने के दौरान हो गयी.
मौके पर जिला के सभी वरीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी
मौके पर जिला के सभी वरीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंचे और पहले तो एम्बुलेंस से घायलों को सदर अस्पताल भेजवाया फिर लाश को एक गाड़ी पर लादकर अस्पताल भेजवाया.अस्पताल में भी अफरातफरी का माहौल था जहां खुद जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार और पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी सिविल सर्जन भोला नाथ झा के साथ घायलों के बेहतर ईलाज के लिए मोनेटरिंग कर रहे थे. पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी ने बारह लोगों की मौत और इक्कीस लोगों के घायल होने की पुष्टि की. इस घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को सरकार ने जहां डेढ़--डेढ़ लाख रूपये बतौर मुआवजा देने की घोषणा की है वहीँ घायलों के ईलाज का पूरा इंतजाम राज्य सरकार के निर्देश पर जिलाधिकारी और सिविल सर्जन सरकारी कोष से कर रहे हैं.दुर्गा पूजा के समय घटी इस भीषण घटना से पुरे इलाके में ना केवल सनसनी फैली हुयी है बल्कि चारो तरह चीख--पुकार और कोहराम मचा हुआ है.

अक्टूबर 09, 2013

बस हादसा

सहरसा टाईम्स: सहरसा से पूर्वी कोसी तटबंध के समीप राजहनपुर गाँव जा रही एक बस आज दोपहर बाद महिषी थाना के गेमरहो के समीप एक खायी में पलट गयी जिसमें एक पांच वर्षीय बच्ची और पैंतालिस वर्षीय एक शख्स की मौके पर ही मौत हो गयी जबकि सत्रह लोग जख्मी हो गए.जख्मियों को ईलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया हैं जहां तीन बच्चे सहित पांच की हालत नाजुक है.मृतक और सभी जख्मी महिषी थाना के राजहनपुर गाँव के रक्सा टोला के रहने वाले हैं.घायलों में से कुछ लोग दुर्गापूजा में लगने वाले मेले को देखने सहरसा आये थे तो कुछ लोग दुसरे काम से.
डॉक्टर रविन्द्र मोहन,अस्पताल उपाधीक्षक,सदर अस्पताल,सहरसा.: अस्पताल उपाधीक्षक के मुताबिक़ सत्रह लोग जख्मी हैं जिनमें से दो--तीन की स्थिति गंभीर है.सभी का उपचार किया जा रहा है.
एक बार फिर रफ़्तार और असावधानी ने एक बड़ी घटना की पटकथा लिख ही डाली.

छः दिनों से जारी भूख हड़ताल हुयी खत्म

सहरसा टाईम्स : जिला मुख्यालय के कुंवर सिंह चौक पर पिछले छः दिनों से जारी भूख हड़ताल आज जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों के साथ--साथ स्थानीय बीजेपी विधायक की पहल पर खत्म हो गयी.दुर्गापूजा में बेबस बने पुलिस--प्रशासन पर एक तरह से तरस खाते हुए और एक महीने के इस अल्टीमेटम पर की तय अवधि में ब्रिज का निर्माण कार्य अगर शुरू नहीं हुआ तो इस बार न केवल उग्र आन्दोलन होगा बल्कि अनशनकारी रेल परिचालन को पूरी तरह से ठप्प कर देंगे के फरमान पर अनशन खत्म हुआ.
 अनशन स्थल पर स्थानीय बीजेपी विधायक आलोक रंजन,पुलिस अधीक्षक अजीत कुमार सत्यार्थी,ए.एस.पी दिलीप मिश्रा और एस.डी.ओ.(ट्रेनी आई.ए. एस.)पंकज दीक्षित अनशन स्थल पर अनशनकारियों से वार्ता करने के लिए पहुंचे
दुर्गा पूजा में अपाड़ भीड़ को संभालने में पुलिस--प्रशासन को हर साल खासी मशक्कत करनी पड़ती है.ऐसे में अनशन के छठे दिन लोक गायक सह सिने अभिनेता सुनील छैला बिहारी के इस अनशन में शामिल हो जाने से इस अनशन का स्वरुप काफी विशाल हो गया.यही नहीं तमाम विरोधी दल सहित कई संगठनों का इस अनशन को समर्थन प्राप्त था जो पुलिस--प्रशासन के गले में हड्डी बन रही थी.सभी ने मिलकर अनशनकारियों को समझाया.स्थानीय विधायक ने ब्रिज को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता की.मुख्यमंत्री ने उन्हें ब्रिज निर्माण का आश्वासन देते हुए कहा की जैसे ही उनके हाथ रेलवे का पत्र आता है वे ब्रिज निर्माण के लिए सरकारी राशि देने की स्वीकृति दे देंगे.वार्ता में यह तय किया गया की आगामी अठारह अक्तूबर को अनशनकारी प्रवीण आनंद और ऑस्कर महेंद्र त्यागी, लोक गायक सह सिने अभिनेता सुनील छैला बिहारी,मीडिया के दो लोग स्थानीय भाजपा विधायक के नेतृत्व में रेलवे का पत्र लेकर मुख्यमंत्री से मिलने जायेंगे और राशि की स्वीकृति हाथो--हाथ करवाएंगे.इसी बात पर अनशन को खत्म कराया गया.वैसे अनशनकारियों ने इस तमाम प्रयास के लिए एक महीने की मोहलत दी है.अगर इस अवधि के भीतर ब्रिज निर्माण का रास्ता पूरी तरह से साफ़ नहीं हुआ तो वे ना केवल रेल की पटरी पर भूख हड़ताल कर रेल परिचालन पूरी तरह से ठप्प कर देंगे बल्कि सम्पूर्ण कोसी में उग्र आन्दोलन करेंगे.यही नहीं जनता आगामी चुनाव में अपने वोट का बहिष्कार भी करेगी.
अनशन खत्म कराने आये अधिकारियों पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी,पंकज दीक्षित,एस.डी.ओ(ट्रेनी आई ए एस) और ए.एस.पी दिलीप मिश्रा ने जान पर बनी इस अनशन खत्म करवाने के लिए आमलोगों के साथ--साथ मीडिया को दिल से बधाई दी.
तमाम प्रयास के बाद आज अनशन को तो खत्म करा लिया गया है लेकिन अनशनकारियों ने घोषणा कर दी है की उन्होनें अनशन खत्म नहीं किया है बल्कि अनशन में एक ब्रेक लिया है.अगर तय अवधि में ब्रिज निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ तो आगे वे ऐसा आन्दोलन करेंगे की इसकी गूंज राज्य सहित देश के कोने--कोने में सुनाई देगी. नीतीश बाबू,या मुलाहिजा होशियार---------

भूख हड़ताल में आई गर्मी

प्रसिद्ध लोक सह भोजपुरी गायक और सिने अभिनेता सुनील छैला बिहारी भी रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण के लिए बैठे भूख हड़ताल पर वहीँ आम आदमी पार्टी की बिहार प्रदेश इकाई ने भी अनशन को दिया अपना समर्थन
सुनील छैला बिहारी
सहरसा टाईम्स:  रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण के लिए स्थानीय वीर कुंवर सिंह चौक पर जारी भूख हड़ताल के पांचवें दिन निसंदेह अप्रत्यासित गर्मी आ गई है .इस आमरण अनशन के समर्थन में जहां प्रसिद्ध लोक सह भोजपुरी गायक और सिने अभिनेता सुनील छैला बिहारी भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं वहीँ आम आदमी पार्टी की बिहार प्रदेश इकाई ने भी अनशन को अपना समर्थन दिया है.पार्टी के प्रदेश नेता नन्द कुमार आजाद भी भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं और उन्होनें घोषणा की है की जबतक ब्रिज के निर्माण का रास्ता साफ़ नहीं हो जाएगा वे भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे.इस समर्थन से पांच दिनों से भूखे--प्यासे बैठे अनशनकारियों में ना केवल अकूत ऊर्जा का संग्रहण हुआ है बल्कि अनशन के फलाफल को लेकर उम्मीद भी बंधी है.
आम आदमी पार्टी के प्रदेश नेता नन्द कुमार आजाद ने भी अनशन को पार्टी के समर्थन की बात करते हुए कहा की वे भी अनशन पर बैठ रहे हैं.जबतक ओवर ब्रिज निर्माण की हरी झंडी मिल नहीं जाती,वे अनशन पर बैठे रहेंगे.
अब यह आन्दोलन अपने परवान पर है.शासन--प्रशासन को अविलम्ब इसका हल निकाल लेना चाहिए वर्ना आगे स्थिति विस्फोटक हो सकती है जो कहीं से भी शुभ संकेत देने वाला साबित नहीं होगा.

अक्टूबर 05, 2013

शरद यादव ने लांच किया अपना वेबसाईट

सहरसा टाईम्स: जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने आज सहरसा परिसदन में अपना वेबसाईट लांच किया.इस मौके पर शरद यादव खासे उत्साहित थे और उन्होनें कहा की वे अब सीधे जनता से जुड़े रहेंगे और जनता की ज्यादा सेवा करेंगे.यूँ वे बीते पैंतालिस वर्षों से जनता की सेवा ही करते आ रहे हैं.जाहिर सी बात है की आज से शरद जी भी हाईटेक हो गए.वेबसाईट लांच करने वाले इंजीनियर संदीप शांडिल्य का कहना है की इस वेबसाईट के माध्यम से शरद जी देश के किसी भी कोने से अपने संसदीय क्षेत्र की जनता से ना केवल रूबरू होते रहेंगे बल्कि कहीं की जनता की समस्याओं से भी वे रूबरू हो सकते हैं.शरद जी के संसदीय क्षेत्र की तमाम योजनाओं के साथ--साथ उसमें व्यय राशि का ब्यौरा भी वेबसाईट में होगा.

कांग्रेस से कई मुद्दों पर हमारा मतभेद- शरद यादव

कांग्रेस से कई मुद्दों पर हमारा मतभेद/कांग्रेस से गठबंधन का नीतीश अकेले नहीं ले सकते फैसला--
सहरसा टाईम्स अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा के ग्यारह दिवसीय दौरे पर आये जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव वापिस दिल्ली लौट गए.जाते--जाते शरद ने जबर्दस्त बयान दिए.सहरसा टाईम्स से खास बातचीत में पूछे गए एक सवाल के जबाब में शरद यादव ने कहा की कांग्रेस से कई मुद्दों पर उनका मतभेद है और कांग्रेस से गठबंधन का नीतीश अकेले कभी भी फैसला नहीं ले सकते हैं.यह फैसला पार्टी करेगी.शरद ने अपने वर्तमान संसदीय क्षेत्र मधेपुरा से आगामी चुनाव लड़ने की ईच्छा जताई और कहा की ना केवल चारा मामले में बल्कि सभी मामले में नीतीश कुमार पूरी तरह से बेदाग़ हैं.शरद ने लालू प्रसाद पर आये फैसले पर दुःख जताते हुए कहा की उन्हें लालू को सजा मिलने का अफ़सोस है.सहरसा टाईम्स के साथ बेबाकी से अपनी राय रख रहे शरद ने आगे कहा की मेरा कहना है जैसे--जैसे देश में आबादी बढ़ी वैसे--वैसे भ्रष्टाचार भी बढ़ा.राजनीति से लेकर सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार बढ़ा.इस फैसले का यही मतलब है की देश में कानून है.और जिनलोगों पर जनता बड़ी जिम्मेवारी सौंपती है वो सेवा के लिए सौंपती है.इस फैसले से दिल्ली से लेकर गाँव तक लोगों को सबक लेना चाहिए.शरद ने आगे कहा की कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद पार्टी हमारे हाथ में थी.हमने बड़ी मिहनत करके लालू जी को अपोजिशन लीडर बनाया फिर मुख्यमंत्री बनाया और नीतीश जी को वहाँ राज्य मंत्री बनाया.उस समय के राजनीतिक वेक्यूम को भरने के लिए इनदोनों को हमने आगे बढ़ाया लेकिन नीतीश जी पर तो कोई ऊँगली आजतक नहीं उठी लेकिन लालू जी ने अपना रास्ता बदल लिया और सरकार में जो सतर्कता बरतनी चाहिए वह नहीं बरती.आज लालू पर जो चार्ज लगे हैं वह बेहद अफसोसनाक हैं.सभी को इससे सबक लेने की जरुरत है.कोर्ट के इस फैसले का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा  के जबाब में उन्होने कहा की अभी यह वक्त इस सवाल के जबाब का नहीं है.

चार शातिर अपराधी गिरफ्तार

सहरसा टाईम्स तीन देशी कट्टा,तेरह कारतूस,एक लूट की बाईक और एक मोबाइल बरामद ह्त्या,लूट,अपहरण सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा संगीन अपराधों में शामिल अपराध सरगना संजय यादव आखिरकार अपने तीन साथियों के साथ गिरफ्तार हो ही गया.इनके पास से पुलिस ने तीन देशी कट्टा,तेरह कारतूस,एक लुट की बाईक और एक मोबाइल बरामद किया है.मधेपुरा और सहरसा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में आतंक का पर्याय समझे जाने वाले इन अपराधियों की गिरफ्तारी से एक तरफ जहां पुलिस ने राहत की सांस ली है वहीँ यह आमलोगों के लिए भी सुकून की बात है.इनकी गिरफ्तारी एक टास्क फ़ोर्स के गठन के बाद संभव हो पायी.
पुलिस अधीक्षक अजीत कुमार सत्यार्थी के कक्ष में खड़े ये चारों बड़े अपराधी हैं.ह्त्या,लूट,अपहरण जैसे अपराध करना इनकी आदत बन चुकी थी.संजय यादव मुख्य सरगना है जिसपर बीस मामले दर्ज हैं.संजय के साथ उसका खासमखास विलास यादव,सूरज यादव और मृत्युंजय यादव भी गिरफ्तार किये गए हैं.पुलिस अधीक्षक ने इस कामयाबी को एक बड़ी कामयाबी बताते हुए कहा की संजय यादव गिरोह के छः सदस्य तीन महीने पहले ही गिरफ्तार किये गए थे.अब इनकी गिरफ्तारी से यह गिरोह टूट चुका है इसलिए अपराध में आगे निसंदेह कमी आएगी.इनकी गिरफ्तारी एक टास्क फ़ोर्स के गठन के बाद संभव हो पायी है.सभी पुलिस अधिकारियों और जवानों को पुरस्कृत किया जाएगा.
अपराध की मार से कराह रहे सहरसा वासियों को इन अपराधियों की गिरफ्तारी से जरुर थोड़ी राहत मिलेगी.आगे पुलिस और कितने अपराधियों को वह भी त्वरित गति से पकड़ने में सफल हो पाती है,आगे देखना दिलचस्प होगा.

ओवर ब्रिज निर्माण के लिए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल

समाजसेवी प्रवीण आनंद के नेतृत्व में चार लोग बैठे भूख हड़ताल पर

काल्पनिक ओवर ब्रिज
चन्दन कुमार सिंह :- बीते सत्रह साल से तीन शिलान्यास का तोहफा लिए और पूरी तरह से सियासी ठगी के शिकार बने सहरसा वासी अब ओवर ब्रिज निर्माण के लिए पूरी तरह से आर--पार की लड़ाई के लिए कमर कस चुके हैं.इसी कड़ी में आज समाजसेवी प्रवीण आनंद के नेतृत्व में चार लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. अनशनकारियों का साफ़ कहना है की इसबार किसी बात से समझौता नहीं होने वाला.या तो ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू होगा या फिर अनशन स्थल पर ही उनकी समाधि बनेगी.कोसी क्षेत्र के स्थापित कलाकारों ने भी इस अनशन को अपना समर्थन देते हुए बड़े नायाब अंदाज में विभिन्य तरह के गीत गायन करके इस अनशन का आगाज किया.
स्थानीय कुंवर सिंह चौक के समीप देखिये शामियाना गिराकर समाजसेवी प्रवीण आनंद के नेतृत्व में चार लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं.क्षेत्रीय कलाकार देशभक्ति गीत गाकर जहां अनशनकारियों में भरपूर ऊर्जा भरने की कोशिश कर रहे हैं वहीँ गीतों के माध्यम से ये कलाकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी ललकार रहे हैं.इस ओवर ब्रिज की थोड़ी कहानी जानिये.विगत कई वर्षों से जिला मुख्यालय के बंगाली बाजार में रेलवे ओवर ब्रिज के निर्माण के लिए अनवरत आंदोलनों का दौर बदस्तूर जारी है.पिछले आन्दोलन का जरुर असर हुआ और नतीजतन रेलवे ने ओवर ब्रिज निर्माण की ना केवल अपनी सहमति दे दी बल्कि ब्रिज निर्माण में व्यय होने वाली आधी राशि लेकर भी वह खड़े हैं.आधी राशि जो करीब चालीस करोड़ है वह बिहार सरकार को देनी है.लेकिन बिहार सरकार ना जाने किस दबाब और राजनीति के तहत उक्त राशि नहीं दे रही है और इस ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहा है.इसी बात से खफा लोगों ने अब आरपार की लड़ाई का मन बना लिया है. चारो अनशनकारी हैं प्रवीण आनंद,आस्कर त्यागी,मोहन मंडल और सुभाष गांधी.
बिना ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हुए यह भूख हड़ताल इस बार खत्म होने वाली नहीं है.सरकार को तुरंत पूर्वाग्रह से मुक्त होकर ऐसा करना चाहिए जिससे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू हो जाए.सरकार ने अबकी अगर लापरवाही बरती तो इसका खामियाजा उसे निसंदेह भुगतना पडेगा.चार जन तो भूख हड़ताल पर हैं और सैंकड़ों की संख्यां में लोग अलग से समर्थन में धरने पर हैं.स्थिति विकट और नाजुक है.आगे क्या होता है इसपर हमारी नजर सिद्दत से बनी रहेगी.

अक्टूबर 01, 2013

मौत के मुहाने पर खड़े भोला को बचाओ सरकार

EXCLUSIVE REPORT:
मुकेश कुमार सिंह : --- भूख से जंग लड़ते--लड़ते नाथो स्वर्णकार तो आखिरकार तड़प--तड़प कर मर गए लेकिन अब भूख से तड़प--तड़प के मरने के कगार पर है अस्सी वर्षीय भोला मिंयाँ।महीनों से अनाज के लिए तरसते इस बुजुर्ग का कोई अपना सगा नहीं है।पेट भीतर धंसा हुआ और जिश्म बेजान सुखी लकड़ी में तब्दील है।जाहिर तौर पर अकेला अपनी जिन्दगी से लड़ता हुआ अब यह दुनिया को अलविदा कहने वाला है।शासन और प्रशासन को सहरसा टाईम्स एक बड़े सच से आज रूबरू करा रहा है। नाथो स्वर्णकार की भूख से हुयी मौत पर पर्दा डालने में एड़ी चोटी का जोर लगाने वाले ये सरकारी लोग सरकारी योजनाओं के लाभ से महरूम नाथो के ही गाँव बैजनाथपुर के रहने वाले भोला मियाँ के मामले में कैसे संजीदगी दिखाते हैं और भोला मियाँ बच पाते है की नहीं यह आगे देखना बड़ा दिलचस्प होगा।

हम आपको वही बैजनाथपुर गाँव लेकर आये हैं जहां बीते चौबीस सितम्बर को भूख से तड़प--तड़प पचपन वर्षीय नाथो स्वर्णकार की मौत हुयी थी।गाँव वही है लेकिन तस्वीर आज हम बिल्कुल उलट लेकर हाजिर हुए हैं।आज हम अपने सामाजिक दायित्व के निर्वहन की ज़िंदा तस्वीर लेकर हाजिर हो रहे हैं।आज हम आपको एक ऐसे बुजुर्ग के दर्द से रूबरू करा रहे हैं जो सरकारी योजनाओं के लाभ से ना केवल महरूम हैं बल्कि कई महीनों से दाने--दाने को तरसते हुए मौत के मुहाने पर खड़े हैं।देखिये अस्सी वर्षीय भोला मियाँ को।इनका पूरा शरीर सुखी लकड़ी की तरह हो गया है।पेट पूरी तरह से भीतर धंसा हुआ है।पत्नी,बेटा और पुतोहू सभी की मौत हो चुकी है।अकेले जीवन के बचे दिन को किसी तरह से खींच रहे हैं।घर में महीनों से अनाज नहीं है।नाम का एक घर है जिसके भीतर अनाज रखने के लिए एक कोठी भी है लेकिन उसमें अनाज नहीं है।एक चुल्हा भी जो जलने की बजाय अक्सर खामोश ही रहता है।घर में कुछ बर्तन भी हैं जो बिना इस्तेमाल के भोला की बेबसी पर मायूस दिख रहे हैं।भोला बता रहे हैं की महीनों से उनके पास अनाज नहीं है।कहीं से मांग कर कुछ मिला तो खाते हैं वर्ना भूखे ही सो जाते हैं।भूख की वजह से उनका पेट मरोड़ता हैं।लगता है की वे बच नहीं पायेंगे।आँख दर्द के आंसूओं से तर और कलेजा मुंह को आ रहा है।
पड़ोस के लोगों  का कहना है:
पड़ोस के लोग खुलकर बता रहे हैं की भोला मियाँ का कोई अपना सगा नहीं है।इनके घर में महीनों से अनाज नहीं है।कभी किसी का दिल दरिया हुआ तो लोग उनको कुछ खाने के लिए दे दते हैं.लेकिन कई दिनों से ये अक्सर भूखे ही सो रहे हैं।भोला मियाँ के पास पैसे भी नहीं हैं।पड़ोसियों का कहना है की इन्हें कोई सरकारी मदद भी नहीं मिल रही है।लगता है की ये ज्यादे दिनों तक जी नहीं सकेंगे।
बीडीओ का कहना है:
मौत के मुहाने पर खड़े इस बुजुर्ग को लेकर हमने सौर बाजार प्रखंड के बीडीओ जगदीश झा से जबाब--तलब किया।उनको सहरसा टाईम्स से ही जानकारी मिल रही थी।उनका कहना है की भोला को अनाज के साथ--साथ और मदद पहुंचाई जायेगी,उन्हें मरने नहीं दिया जाएगा।हमने बीडीओ साहेब से यह भी पूछा की कहीं प्रशासन भोला की मदद की जगह उसके दाह--संस्कार की तैयारी में तो नहीं जुट जाएगा।
नाथो की मौत भूख से हो चुकी है लेकिन इस मामले की प्रशासन ने एक तरह से लीपा--पोती में भगीरथी चतुराई और कोशिशें की है।लेकिन इस बार हम अपने सामाजिक सरोकार और सामाजिक दायित्व को निभाते हुए एक बुजुर्ग की वेदना दिखा रहे हैं की भूख से वे किस तरह से लड़ रहे हैं।हम इस खबर के माध्यम से शासन--प्रशासन को खबरदार कर रहे हैं की समय रहते वह जागें और भोला को बचाने लिए आगे आयें।डर बना हुआ है की कहीं भोला मियाँ,नाथो की तरह भूख से तड़प--तड़प कर इस दुनिया को अलविदा ना कह दे।

दोहरे हत्याकांड का अभीतक नहीं हुआ खुलासा : सुस्ती भरी पुलिस की मुर्दा तफ्तीश

अमित अमर की रिपोर्ट-------
17 अगस्त की सुबह सहरसा वासियों के लिए दहशत भरी एक काली सुबह बनकर आई थी.16 अगस्त की रात में सदर थाना के बेंगहा गाँव के एक आवसीय परिसर में दो दोस्तों की बेरहमी से गर्दन रेतकर ह्त्या कर दी गयी थी.पौ फटते ही जब इस बात की भनक आसपास के लोगों लगी तो लगा की आसमान फट पडेगा.धीरे---धीरे इस नृशंस ह्त्या की खबर जंगल में आग की तरह इलाके में फ़ैल गयी.फिर हत्यास्थल के आसपास हजारों की भीड़ जमा हो गयी जो अपने---अपने तरीके से घटना की भर्त्सना और घटना के कारणों को लेकर कयासबाजी करने लगी.लोगों ने इस बड़ी वारदात की सूचना पुलिस को दी.मौके पर पुलिस के अधिकारी पुरे आव--लस्कर के साथ पहुंचे और दोनों लाश को अपने कब्जे में लेकर तफ्तीश की शुरुआत की.ह्त्या दो दोस्तों की हुयी थी.मरनेवालों में एक विष्णु प्रभाकर उर्फ़ युगल किशोर यादव सहरसा जिले के सलखुआ थाना क्षेत्र के अफजलपुर गाँव का रहने वाला था जबकि दुसरा शम्भू साह बेंगहा गाँव का ही रहने वाला था.घटना की शुरूआती जानकारी के मुताबिक़ मृतक युगल किशोर यादव मैकनिकल इंजीनियर था लेकिन उसने नौकरी नहीं की.जिले के बसौना गाँव में मृतक युगल की इंट भट्ठे की चिमनी है.इसके अलावा वह करोड़ों के ठेके का काम भी करता था.यही नहीं उसे प्रापर्टी डीलिंग का भी शौक था और वह जमीन खरीद--बिक्री का भी धंधा करता था.दूसरा मृतक शम्भू साह बेंगहा गाँव का रहने वाला था और उसे भी जमीन--खरीद बिक्री का चस्का लगा हुआ था.लेकिन शम्भू की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और यही वजह थी की युगल से उसकी मित्रता हुयी.युगल की एक बहन की शादी बेंगहा गाँव हुयी है जिस कारण युगल अक्सर बेगहा गाँव आता था.अब जबकी मौत हो चुकी थी तो सबसे पहले थाने में मामला दर्ज करना आवश्यक था.मृतक युगल के पिता रामदेव यादव के लिखित बयान पर सदर थाना में कमलेश यादव,किशोर शर्मा,मदन शर्मा,मोहम्मद वासिम,रामचंद्र यादव और उमेश साह कुल 6 लोगों के खिलाफ नामजद काण्ड अंकित किया गया.पुलिस ने इन आरोपियों में से दो कमलेश यादव और किशोर शर्मा को घटनास्थल पर से ही गिरफ्तार कर के जेल भेज दिया जबकि मोहम्मद वासिम की गिरफ्तारी बाद में हुयी.बांकी के तीन आरोपी अभीतक फरार हैं.पुरे घटनाक्रम की तटस्थ पड़ताल में सबसे पहले दोनों मृतकों की पारिवारिक पृष्ठभूमि को जान लेना आवश्यक है.जिले के अफजलपुर गाँव का रहने वाला विष्णु प्रभाकर उर्फ़ युगल किशोर यादव की शादी करीब डेढ़ वर्ष पूर्व खगड़िया जिले के चौथम थाना अंतर्गत सिसवार गाँव में दिवंगत विजय यादव की पुत्री निधि कुमारी से हुयी थी.निधि से युगल को आठ माह की एक बच्ची भी है.
युगल के स्वसुर विजय यादव अपने इलाके के दबंद माने जाते थे.वर्ष 2007 में जिला पुलिस और एस.टी.एफ के संयुक्त इनकाउंटर में विजय यादव मारे गए थे.मृतक विजय यादव पूर्व में मुखिया थे और अभी उनकी बेबा लीला देवी मुखिया हैं.युगल किसान परिवार से आता है और वह दो भाई था.उसके बड़े भाई खेतीबाड़ी करते हैं.बेंगहा का रहने वाला शम्भू साह साधारण परिवार का था.उसे छः बेटियाँ हैं जो अभीतक क्वांरी हैं.शम्भू इलाके में बिक्री की जमीं तलाशता था और उस जमीन को सहरसा के प्रापर्टी डीलरों के माध्यम से बिक्री करवाता था.इस धंधे में उसे जीने लायक कमीशन मिल जाता था.हालिया दिनों में वह जो बिक्री की जमीन तलाशता था उसकी खरीददारी में युगल पैसे लगाता था.सूत्र बताते हैं की इस जमीन बिक्री में शम्भू की सक्रियता की वजह से इलाके की जमीन की कीमत भी आसमान छूने लगी थी जिससे बहुतों को चिढ थी.इधर जिस आवासीय परिसर में दोनों  दोस्तों की ह्त्या हुयी है वह आवासीय परिसर मुंगेर के एस.पी नवीन चन्द्र झा की है.नवीन चन्द्र झा जिले के दिघिया गाँव के रहने वाले हैं.बताना लाजिमी है की उस आवासीय परिसर को लेकर भी बड़ा विवाद था लेकिन कुछ माह पूर्व सहरसा पुलिस की भागीरथी मदद और उसकी मौजूदगी में उस विवादित जमीन की चाहरदीवारी डाली गयी थी और उसके भीतर दो छोटे--छोटे कमरे बनाए गए थे.यहाँ आपको यह भी बताना जरुरी है की इस आवासीय परिसर का मृतक शम्भू साह केयर टेकर भी था.
सुस्त पुलिस पानी पर मार रही है डंडे
विभिन्य मामलों में लकीर का फ़क़ीर बनी और हवा में तीर मारने वाली सहरसा पुलिस की कारस्तानी की लम्बी फेहरिस्त है.सहरसा पुलिस के बारे में कहा जाता है की वह सनसनीखेज हत्याकांडों की फायलों को ठन्डे बसते में डालने में माहिर है.बेंगहा के दोहरे हत्याकांड मामले में वक्त बीतते चले जा रहे हैं लेकिन पुलिस की जांच दो कदम भी आगे नहीं बढ़ पायी है.पुलिस ने अभीतक ना तो शम्भू साह की बेबा और उनकी बेटियों के बयान लिए हैं और ना ही अफजलपुर गाँव जाकर मृतक युगल की बेबा निधि,युगल के बड़े भाई और अगल--बगल के लोगों का बयान लेना ही मुनासिब समझा है.खासकर के युगल का पूरा परिवार अभी तक सदमे में और असुरक्षित है लेकिन उसकी सुरक्षा को लेकर भी पुलिस कहीं से भी गंभीर नहीं है.पुलिस इस मामले में कितना गंभीर और मुस्तैद है यह इस बात से जाहिर हो जाता है की अभीतक इस मामले में महज तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हो पायी है लेकिन तीन अन्य आरोपी अभीतक फरार हैं.गौरतलब है की पुलिस की गिरफ्त में आये तीन आरोपियों में से दो आरोपी पुलिस की गिरफ्त में घटना के के दुसरे दिन ही आये हैं वे घटना की सुबह मौके पर ही मिल गए थे.पुलिस की जांच की रफ़्तार ना केवल अत्यंत धीमी है बल्कि पुलिस इस मामले के पटाक्षेप में उदासीन बनी दिख रही है.
काहिल पुलिस की अलमस्त तफ्तीश
पुलिस ने अभीतक इस हत्याकांड में इस्तेमाल हथियार को बरामद करने में भी सफलता नहीं पायी है.ह्त्या की रात हत्यास्थल से महज कुछ फलांग पर और्केस्टा का आयोजन किया गया था.और्केस्टा के आयोजन के पीछे किसका हाथ था.कहीं और्केस्टा का आयोजन इसलिए तो नहीं किया गया था की अपराधी शोर के बीच आसानी से ह्त्या की इस घटना को अंजाम दे सकें.मृतक युगल के पिता रामदेव यादव कहते हैं की पुलिस की कार्यशैली से वे हैरान--परेशान हैं.अगर पुलिस फरार तीन आरोपियों को गिरफ्त में ले पाती तो उनसे पूछताछ के बाद ह्त्या का खुलासा हो जाता.लेकिन कुछ भी नहीं हो रहा है.पुलिस पर से उनका भरोसा उठता जा रहा है.बेटे की ह्त्या से पूरी तरह से टूट चुके रामदेव यादव यह भी बताते हैं की मृतक युगल बसौना के पास चिमनी चलाता था.युगल का कई लोगों के पास करीब पंद्रह लाख इंट का बकाया भी था.
कुछ बिंदु जिसपर पुलिस की तफ्तीश जरुरी
इस दोहरे हत्याकांड में पुलिस को कुछ खास विन्दुओं पर भी गौर करने चाहिए। (पहला)----युगल के द्वारा इंट की उधारी देना कहीं ह्त्या की वजह तो नहीं ?
(दूसरा)----इस ह्त्या के पीछ प्रेम--प्रसंग या नारी देह तो नहीं ?
(तीसरा)-----जमीन खरीद--बिक्री में इलाके की जमीन की अप्रत्यासित बढ़ रही कीमत कहीं ह्त्या की वजह तो नहीं ?
(चौथा)------रूपये का उलट--फेर,लेन--देन कहीं हत्या की वजह तो नहीं ?
(पांचवां)----युगल के ससुराल पक्ष की विरासत और युगल की पारिवारिक पृष्ठभूमि कहीं इस ह्त्या की वजह तो नहीं ?
(छठा)-----मुंगेर एस.पी का विवादित आवासीय परिसर कहीं ह्त्या की वजह तो नहीं ?
जाहिर तौर पर दो दोस्तों की ह्त्या अचानक आक्रोश का प्रतिफल नहीं है.इस ह्त्या के पीछे जमा हुआ आक्रोश है.इस ह्त्या के तरीके से यह साफ़ जाहिर हो रहा है की इस ह्त्या की तैयारी पहले से थी और ह्त्या के लिए बस बेहतर मौके का इन्तजार था.ह्त्या के कई दिन बीत जाने बाद भी पुलिस के हाथ अभीतक खाली हैं.पुलिस की जांच पूरी तह से मंथर और सुस्त है.आखिर यहाँ की पुलिस को कितनी बड़ी घटना का इन्तजार है जिसमें उसकी जांच  त्वरित गति से वह भी पारदर्शिता के साथ होगी.इस घटना के बाबत सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी का कहना है की इस हत्याकांड के पटाक्षेप के लिए अनुसंधान की दिशा में काम हो रहा है.पटना से आई ए.एफ़.एस.एल की टीम घटनास्थल से फिंगर प्रिंट लेकर गयी है.वैज्ञानिक अनुसंधान के साथ स्थानीय पुलिस भी इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने में जुटी हुयी है.बहुत जल्द हत्याकांड के रहस्य पर से पर्दा उठ जाएगा.
लोगों का भरोसा खोकर,कटघरे में खड़ी पुलिस
लगातार कई सनसनीखेज ह्त्या मामलों की फाईलों को ठंडे बस्ते में डालकर जम्हाई लेने में माहिर सहरसा पुलिस पर अब लोगों को मुकम्मिल तौर पर भरोसा कर पाना लगभग नामुमकिन हो गया है.आगे हम इस खबर के माध्यम से कुछ हत्याकांड का जिक्र कर रहे हैं जिस मामले में पुलिस आजतक ना केवल बस हवा में तीर मार रही है बल्कि मामले का पटाक्षेप करने में पूरी तरह से नाकामयाब साबित हुयी है.
(पहला)----25 दिसम्बर 2011 की रात अगवा करके पान व्यवसायी शम्भू चौरसिया की ह्त्या.इस मामले में नो क्लू करके पुलिस ने अपनी जांच पूरी करके अपराध फाईल को बंद कर दिया है.
(दूसरा)----21 दिसंबर 2012 को महिषी थाना के बेलवारा गाँव की बारह वर्षीय सुधा की सामूहिक दुष्कर्म के बाद गर्दन मरोड़कर निर्शंस ह्त्या।.इस मामले में आजतक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
(तीसरा)----21 जून 2012 को डॉक्टर संतोष भगत को अगवा कर उसकी ह्त्या कर लाश को मानसी के रेलवे ट्रैक पर फेंकने मामले में आज तक किसी भी दोषी को चिन्हित करने तक में भी यहाँ की पुलिस कामयाब नहीं हुयी.
(चौथा)-----6 फ़रवरी 2013 को सदर थाना के महावीर चौक स्थित एक घर में करोडपति विधवा सहनी देवी की गर्दन में फंदा लगाकर बेरहमी से ह्त्या मामले में अपराधियों को आजतक ढूंढ पाने में पुलिस कामयाब नहीं हो सकी.
(पांचवां)----5 जून 2013 को सदर थाना के हक़पाड़ा गाँव के रहने वाले तीस वर्षीय अनिल यादव की बेरहमी से ह्त्या कर लाश को रेलवे ट्रैक के समीप फेंकने मामले में भी पुलिस ने आजतक किसी की भी गिरास्फ्तारी नहीं की है.
बानगी के तौर पर पुलिस की सुस्ती के ये कुछ उदाहरण भर हैं.यूँ पुलिस की सुस्ती की मोटी फाईल है जो पुलिस को नकारा और बेजा साबित करने के लिए काफी हैं.इतने के बाद भी हम पुलिस से ये उम्मीद कर रहे हैं की पिछली नाकामियों से पुलिस सबक और सीख लेते हुए आगे त्वरित जांच और उचित कारवाई की नयी पटकथा लिखेगी जिसमें उसकी उपयोगिता पर कम से कम प्रश्न खड़े होंगे.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।