अक्टूबर 05, 2013

कांग्रेस से कई मुद्दों पर हमारा मतभेद- शरद यादव

कांग्रेस से कई मुद्दों पर हमारा मतभेद/कांग्रेस से गठबंधन का नीतीश अकेले नहीं ले सकते फैसला--
सहरसा टाईम्स अपने संसदीय क्षेत्र मधेपुरा के ग्यारह दिवसीय दौरे पर आये जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव वापिस दिल्ली लौट गए.जाते--जाते शरद ने जबर्दस्त बयान दिए.सहरसा टाईम्स से खास बातचीत में पूछे गए एक सवाल के जबाब में शरद यादव ने कहा की कांग्रेस से कई मुद्दों पर उनका मतभेद है और कांग्रेस से गठबंधन का नीतीश अकेले कभी भी फैसला नहीं ले सकते हैं.यह फैसला पार्टी करेगी.शरद ने अपने वर्तमान संसदीय क्षेत्र मधेपुरा से आगामी चुनाव लड़ने की ईच्छा जताई और कहा की ना केवल चारा मामले में बल्कि सभी मामले में नीतीश कुमार पूरी तरह से बेदाग़ हैं.शरद ने लालू प्रसाद पर आये फैसले पर दुःख जताते हुए कहा की उन्हें लालू को सजा मिलने का अफ़सोस है.सहरसा टाईम्स के साथ बेबाकी से अपनी राय रख रहे शरद ने आगे कहा की मेरा कहना है जैसे--जैसे देश में आबादी बढ़ी वैसे--वैसे भ्रष्टाचार भी बढ़ा.राजनीति से लेकर सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार बढ़ा.इस फैसले का यही मतलब है की देश में कानून है.और जिनलोगों पर जनता बड़ी जिम्मेवारी सौंपती है वो सेवा के लिए सौंपती है.इस फैसले से दिल्ली से लेकर गाँव तक लोगों को सबक लेना चाहिए.शरद ने आगे कहा की कर्पूरी ठाकुर की मौत के बाद पार्टी हमारे हाथ में थी.हमने बड़ी मिहनत करके लालू जी को अपोजिशन लीडर बनाया फिर मुख्यमंत्री बनाया और नीतीश जी को वहाँ राज्य मंत्री बनाया.उस समय के राजनीतिक वेक्यूम को भरने के लिए इनदोनों को हमने आगे बढ़ाया लेकिन नीतीश जी पर तो कोई ऊँगली आजतक नहीं उठी लेकिन लालू जी ने अपना रास्ता बदल लिया और सरकार में जो सतर्कता बरतनी चाहिए वह नहीं बरती.आज लालू पर जो चार्ज लगे हैं वह बेहद अफसोसनाक हैं.सभी को इससे सबक लेने की जरुरत है.कोर्ट के इस फैसले का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा  के जबाब में उन्होने कहा की अभी यह वक्त इस सवाल के जबाब का नहीं है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।