अक्तूबर 24, 2013

करोड़ों के धान की बर्बादी देखो सरकार

 इधर अनाज सड़े उधर गरीब मरे /एक तरफ गरीबों को निवाला नहीं मिल रहा,दूसरी तरफ बेशर्म लापरवाही से अनाज की हो रही है बर्बादी
मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: एक तरफ सहरसा जिले में गरीब--मजबूर और मुफलिस--फटेहालों को रोजाना मुंह का निवाला नहीं मिल रहा है तो दूसरी तरफ बेशर्म सरकारी लापरवाही से हजारो क्विंटल अनाज की बर्बादी हो रही है.आज हम जिले के पतरघट प्रखंड के जेम्हरा गाँव की ऐसी सच की तस्वीर लेकर हाजिर हो रहे हैं जो ना केवल नौकरशाहों की बदमिजाजी को बेनकाब करता है बल्कि सरकार के तमाम दावों की पोल---पट्टी को भी खोलकर रखता है.जेम्हरा में SFC का साढ़े बारह हजार क्विंटल से ज्यादा धान सड़कर पूरी तरह से बर्बाब हो गए हैं लेकिन जिला प्रशासन उसकी जांच और उचित कारवाई के तकिया कलाम से लीपा--पोती करने में जुटा हुआ है.काश!यह अनाज बर्बाद होने की जगह गरीबों के हाथों चला जाता तो कितने गरीबों की जिन्दगी को असमय खत्म होने से बचाया जा सकता था.लेकिन यहाँ तो कुएं में ही भंग पडा है.करोड़ों के धान की बर्बादी देखो सरकार.
हम आपको जेम्हरा गाँव लेकर आये हैं.देखिये यहाँ पर हजारों क्विंटल धान को खुले में एक गड्ढ़े में रखा गया है.ये सारे धान पेक्स के माध्यम से SFC ने किसानों से खरीदा था लेकिन अब ये बर्बाद होकर सिर्फ बदबू दे रहे हैं.अब ये धान आमलोगों के किसी काम के तो नहीं रहे लेकिन लोगों को भय है की यहाँ पड़े--पड़े कहीं ये महामारी का सबब ना बन जाएँ.इलाके के लोग यह भी कह रहे हैं की इसे बर्बाद कराने की जगह अगर गरीबों के बीच बाँट दिया जाता तो कितने गरीबों का भला हो जाता.लोगों ने इस तरह से धान को यहाँ पर नहीं रखने की पहले  आलाधिकारियों से गुजारिश भी की थी.यही नहीं लोगों ने धान को किसी तरह बचाया जाए इसके लिए जिला के बड़े अधिकारियों से आग्रह--अनुग्रह भी किये थे लेकिन सब कुछ ढ़ाक के तीन पात साबित हुए.
SFC के कार्यपालक सहायक कुमार गौरव साफ़--साफ़ कह रहे हैं की पैक्स के माध्यम से विभाग ने उस इलाके में किसानों से 24 हजार 7 सौ 64 क्विंटल धान की खरीददारी की थी.17 हजार 500 सौ क्विंटल धान का SIO कटा लेकिन वहाँ से 12 हजार 500 क्विंटल धान का ही उठाव किया जा सका.बांकी 12 हजार 500 क्विंटल से ज्यादा धान वहीँ रह गए.इनके मुताबिक़ जिलाधिकारी ने खुद धान को खुले में देखा था और उन्हीं के निर्देश पर धान वहाँ खुले में रखे हुए थे.जिलाधिकारी ने जगह नहीं होने का हवाला दिया था. इन्होनें धान के सड़ने की आशंका को लेकर बड़े अधिकारियों को पत्र भी लिखे थे.लेकिन इससे इतर जब हमने जिलाधिकारी शशि भूषण कुमार से जबाब--तलब किया तो पहले तो उन्होने सरकारी धान सड़ने की बात से एक तरह से इनकार किया.इन्होनें यह बताना चाहा की यह धान SFC का है ही नहीं.फिर ये जांच और कारवाई की बात कर मौजूं सच से पल्ला झाड़ गए.
हमाम में सारे नंगे है यह कमो--बेस सारे लोग जानते हैं.लोग नंगे हैं तो उसके पीछे कोई ना कोई बड़ा मतलब है.लेकिन यह नंगापन किस काम का जिसमें अनाज को सड़ा दिया गया.आखिर इस नासमझी और लापरवाही से किसका भला होगा.सरकार को लफ्फाजी की जगह इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करते हुए बड़ी कारवाई करनी चाहिए.

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