दिसंबर 19, 2012

बेबसी में धरने को मजबूर

मुकेश कुमार सिंह : काडा (कोसी कमांड क्षेत्र विकास अभिकरण)विभाग में अनुकम्पा पर नौकरी पाने के लिए बीते 14 दिसंबर से नौ अभ्यर्थी अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। वर्ष 2008 में ही सेवा के दौरान अपने पिता को गंवाने वाले ये अभ्यर्थी अभीतक विभागीय लाल--फीताशाही की वजह से नौकरी नहीं पा सके हैं। हद की इन्तहा तो यह है की सरकार के बारबार निर्देश के बाद भी अभीतक इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। आगामी 25 दिसंबर तक अगर इनकी नियुक्ति नहीं हुयी तो काडा सहित अन्य कर्मचारी संघ इनके समर्थन में न केवल हड़ताल करेंगे बल्कि काडा के सभी कक्षों में तालाबंदी कर काम--काज को भी पूरी तरह से ठप्प भी कर देंगे। 
 धरनार्थी कहते है:  इन लोगों का कहना है की कोसी प्रमंडल के आयुक्त विमलानंद झा के टालू रवैये की वजह से सरकार के कई बार लिखित निर्देश के बाबजूद इन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल रहा है। आयुक्त महोदय बिना मतलब के उनकी फाईल को विमर्श के नाम पर विभागीय अधिकारियों को भेजते रहते हैं। नियुक्ति के लिए सभी आवश्यक कार्यवाही पूरी कर ली गयी है लेकिन नियत में खोंट की वजह से उन्हें नियुक्ति पत्र प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है। 2008 से वे संघर्षरत हैं लेकिन उनकी फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं है। उनके घर में जहां चुल्हा जलना मुश्किल है वहीँ बच्चों की पढाई भी छुट रही है। अब वे अपने घर के लोगों से आँख मिलाने की स्थिति में भी नहीं हैं। इस बार वे या तो नौकरी लेकर घर लौटेंगे या फिर यहीं पर जान दे देंगे। 
सहरसा टाइम्स: हमने इस बाबत पहले कोसी प्रमंडल के आयुक्त विमलानंद झा से जबाब---तलब करना चाहा लेकिन वे हमें अपने कार्यालय में नहीं मिले।हमने सोचा चलिए उनकी जगह उनके सचिव से बात कर लेते हैं। लेकिन हद की इंतहा देखिये आयुक्त महोदय की तरह ये साहब भी अपने कक्ष से गायब थे। यह अलग बात है की उनका कक्ष खुला हुआ था जहां खाली कुर्सियां अपनी बेबसी की कहानी बयां कर रही थी।
वर्ष 2008 से अपने पिता को गंवाकर बड़ी तकलीफ झेलने वाले इन जरुरतमंदों पर नौकरशाहों को आखिर क्यों तरस नहीं आ रहा है।सूत्रों की माने तो इन नौ अभ्यर्थियों से नौकरी के नाम पर मोटा नजराना बटोरने की गरज से इन्हें लटका--कर रखा जा रहा है।आगे किस तरह से बीच का रास्ता निकलता है और इनकी आस किस रास्ते पूरी होती है,इसे देखना दिलचस्प होगा। 

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।