अगस्त 17, 2015

18 अगस्त को पी.एम. मोदी सहरसा में कोसीवासियों को करेंगे संबोधित.....................

* 18 अगस्त 2008 को कुशहा त्रासदी की पट कथा कोशी मैया ने लिखी थी.… 
* 18 अगस्त 2015 को कोसी की धरती पर माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का आगवन……
*  क्या नरेंद्र मोदीजी कुशहा त्रासदी पीड़ितों के जख्मों को भर पाएंगे.....  
* अपने पी.एम. के स्वागत को लेकर कोसीवासी है तैयार……… 
कृष्ण मोहन सोनी की रिपोर्ट:- प्रधान मंत्री जी के आगमन पर जिला प्रशासन सुरक्षा को लेकर एड़ी चोटी एक कर दिया है. कोसी की जनता अपने प्रधानमंत्री के आने का इन्तजार कर रही है ख़ास कर इसलिए की यहाँ की संस्कृति ही यही रही है अतिथि देवो भवः और उनके स्वागत के लिए कोसी का यह इलाका भी पूर्व से ही प्रधानमंत्रीजी के आने पर स्वागत करने के लिए तैयार है. वैसे तो इस क्षेत्र के लोगो के मन में कोसी का विकास को लेकर कई सवालो के हल हो जाने की भी उम्मीदे है.    
18 अगस्त का यह दिन कोशीवासियों के लिए कभी भी अपने जेहन से भूलाने वाला दिन नहीं होगा. इसी दिन कुशहा की त्रासदी की पट कथा कोशी मैया ने लिखी थी. 18 अगस्त 2008 में कोसी की त्रासदी ने देश व दुनिया को झकझोर कर रख दिया था तब से आज तक कोसी का यह इलाका विनाश लीला को भुला नही सका. 2008 की त्रासदी के बाद इस इलाका में नई नई बिमारियों ने यहाँ के गरीबों मजलूमों को निगलना शुरू किया. हजारों लोगों ने असमय काल के गाल में समा गया. त्रासदी बाद कोशी के लोगो को हमेशा झूठा आश्वासन ही मिला. जिसने आया उसने ठका. कोशीवासी माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से उम्मीद कर रहा है कि कोसी में उनके आने से विकास को लेकर नए पैकेज का घोषणा हो सकता है. 
कोसीवासी विकास को लेकर अपने प्रधान मंत्री से आशाए भी रख रहे है देखना यह है कि सामने विधान सभा का चुनाव भी है हर कोई पार्टी के नेता लोक लुभावन नारे दे रहे है. विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ भी कायास लगाया जा सकता है. जो भी हो फिलवक्त मोदी जी को लेकर सुरक्षा चाकचौबंद है. 

अगस्त 15, 2015

सहरसा की बेटी का दर्द देखो सरकार.............

मुकेश कुमार सिंह की कलम से------- सरकार और उसके तंत्र जब गूंगे और बहरे हो जाएँ तो इंसाफ कहीं गुम होने लगता है. आज हम अपने इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सहरसा की एक बेटी के ऐसे दर्द से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपकी ना केवल रूह थर्रा जायेगी बल्कि आपका सीना भी चाक हो जाएगा..........


जब दिल दरक जाए......जब भरी जवानी में हमसफर इस रंग बदलती दुनिया में अकेला छोड़,आसमानी सत्ता के हवाले हो जाए.....जब सारे सतरंगी ख्वाब और अरमानों का जीवन के शुरआती दौर में ही सर कलम हो जाए.......आप समझ सकते हैं उस अभागी का जीवन दोजख में किस तरह से सिसकिया ले रहा होगा....किस तरह से सुबकियां ले रहा होगा.यह कहानी सहरसा जिला मुख्यालय के रिहायशी मुहल्ला बटराहा की रहने वाली अभागी पूजा का है.पूजा की शादी वर्ष 2011 में गुजरात के अहमदाबाद में तैनात कस्टम इंस्पेक्टर राजेश कुमार सिंह के साथ हुयी थी. राजेश कुमार सिंह सहरसा जिले के भरौली गाँव के रहने वाले थे. अपनी ड्यूटी पर अहमदाबाद में तैनात खासे मिलनसार राजेश फुले नहीं समा रहे थे.उन्हें पता था की उनकी पत्नी माँ बनने वाली है.जब प्रसव का समय बिल्कुल निकट आ गया तो वे छुट्टी लेकर 6 अप्रैल को सहरसा चले आये.लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था.11 अप्रैल को पूजा ने बेटे को जन्म दिया.बेटे को गोद में लेकर राजेश बेहद खुश थे.लेकिन यह ख़ुशी कुछ समय की थी.12 अप्रैल 2012 का वह मनहूस दिन.अचानक कुछ लम्हों के लिए बीमार पड़े राजेश कुमार सिंह की मौत ईलाज के दौरान हो गयी.उन्नीस वर्ष की उम्र में शादी हुयी और बीसवें वर्ष में ही पूजा बेबा हो गयी.पूजा अपने पति की मौजूदगी में ही माँ भी बन गयी थी.पेट खोलकर उसे बेटा हुआ था.बेटा महज दो दिन का ही था और वह अस्पताल के बेड पर ही थी की पति गुजर गए.अब आप अनुमान लगाईये की पूजा को मिली यह चोट कितनी गहरी थी और उसका जीवन कितना बोझिल और बेजार हो चुका था.

कहते हैं की जबतक सांस रहती है तबतक आदमजात जीने की कोशिश में जुटा रहता है.पति के गुजरने के बाद,पूजा के रिश्तेदारों ने उससे भरपूर हिम्मत दी और पूजा ने किसी तरह से खुद को सम्भाला.ग्रेजुएट पूजा वर्ष 2012 में ही अहमदाबाद गयी और पति की जगह अनुकम्पा पर नौकरी के लिए विभाग में आवेदन दिया.जाहिर सी बात है की खुद के अकेलेपन को भरने और बेटे के बेहतर भविष्य के लिए नौकरी आवश्यक थी.उस वक्त पूजा को अहमदाबाद में नौकरी मिलने का विभागीय अधिकारियों के द्वारा आस्वासन भी मिला. लेकिन आपको यह जानकार हैरानी होगी की वर्ष 2012 से लेकर अबतक पूजा कई बार अहमदाबाद और दिल्ली का चक्कर लगा चुकी है लेकिन उसे अभीतक नौकरी नहीं मिली है. गुजरात में वह तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने का प्रयास भी किया लेकिन उसे मोदी जी से मिलने नहीं दिया गया.विभागीय अधिकारियों ने उसे फिर से कोरा आस्वासन देकर पहले तो उसका मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी लिया और कहा की आपके फाईल को दिल्ली भेज दिया गया है.अधिकारियों ने पूजा से बड़े तल्ख़ लहजे में यह भी कहा की खाली सीट पर पहले स्थानीय गुजरात के लोगों की बहाली की जायेगी, फिर जब जगह बचेगी तब आपको नौकरी मिलेगी. पूजा को एक तो किस्मत ने पहले ही दगा दिया अब नियम--कायदे,उसे सरकारी तोहफे में तकलीफ परोस रहे हैं. रोटी--बिलखती पूजा सहरसा टाईम्स से गुहार लगा रही है की हम कुछ ऐसी पहल करे,जिससे उसे नौकरी मिल जाए.वह चाहती है की वह अपने पाँव पर खुद से खड़ी हो सके और अपनी बेटे यशस्वी का बेहतर तरीके से परवरिश भी कर सके.पूजा अभी अपने माँ--बाप के साथ रह रही है.आगामी अठारह अगस्त को नरेंद्र मोदी जी की सहरसा के पटेल मैदान में रैली है.पूजा चाहती है की माननीय प्रधानमन्त्री उसकी चिंता करें और उसे फिर से जीने के लिए एक नौकरी दें.इसके रोदन को और इसके अथाह दर्द को देखकर हमारी आँखें भी नम हो गयी.
पिता संजय सिंह
एक बेटी के दर्द से उसके पिता संजय सिंह और माँ रंजना देवी भी आहत और गहरे सदमे में हैं.पेशे से ठेकेदार पिता भी घटना को लेकर तफसील से बताते हुए कहते हैं की अपनी बेटी के जीवन में फिर से खुशियाँ भरने के लिए वे लगातार अपनी बेटी के साथ अहमदाबाद और दिल्ली जाते रहे.लेकिन हद की इंतहा देखिये की उनके दर्द के पारावार के बाबजूद हुक्मरानों से लेकर अफसरानों तक का दिल नहीं पसीजा और वे अभीतक ठगे से हैं.जाहिर तौर पर तमाम प्रयास का नतीजा सिफर निकला.आगामी अठारह अगस्त को नरेंद्र मोदी जी की सहरसा के पटेल मैदान में रैली है.वे कहते हैं की सहरसा टाईम्स कोई ऐसी पहल करे की नरेंद्र मोदी जी मंच से ही पूजा को नौकरी देने की घोषणा कर दें.
पूजा अभी अपने मायके में है.माँ--बाप और भाई का उसे भरपूर प्यार मिल रहा है लेकिन जीवन में पति का एक अलग महत्व होता है.कम उम्र में ही सदियों का सितम यह मासूम झेल रही है.उसे नौकरी लग जाती तो हो सकता है की वक्त के साथ--साथ उसके गहरे और हरे जख्म भर जाते.साथ ही उसकी जिंदगी में भी कुछ ख्वाहिशों और कुछ सपनों को सिद्दत से जगह मिल जाती. बेटियों की हिफाजत और उसके बेहतर भविष्य को लेकर बेहद गंभीर रहने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,क्या सहरसा की इस अभागी बेटी की सुधि लेंगे?क्या पूजा की अँधेरी जिंदगी में फिर से उम्मीद के दिए टिमटिमाएंगे?क्या पूजा की बेपटरी जिंदगी फिर से पटरी पर आकर रफ़्तार पकड़ सकेगी?सहरसा टाईम्स इस बेटी के दर्द को मोदी जी तक पहुंचाने का हर सम्भव प्रयास करेगा.आगे रब जाने इसका क्या होगा.

सुरक्षा को लेकर एसपीजी का कब्ज़ा...........

डी.एम विनोद सिंह गुंजियाल
एसपीजी,आई.जी. वाई.के.जेटुआ
सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट------आगामी अठारह अगस्त को माननीय प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की सहरसा के पटेल मैदान में होने वाली परिवर्तन रैली को लेकर सुरक्षा की कमान आज एसपीजी ने अपने जिम्मे ले लिया है.एसपीजी के आईजी सहित अन्य अधिकारियों के साथ--साथ सहरसा के अधिकारियों ने सहरसा हवाई पट्टी और पटेल मैदान का ना केवल गंभीरता से जायजा लिया बल्कि दोनों जगहों को एसपीजी ने पूरी तरह से अपने कब्जे में भी ले लिया. आप खुद देखिये किस तरह से अधिकारी इस मैदान का जायजा ले रहे हैं.सुरक्षा को लेकर एसपीजी के आई.जी. वाई.के.जेटुआ ने तो मीडिया से कुछ भी शेयर नहीं किया लेकिन सहरसा डी.एम विनोद सिंह गुंजियाल ने हमें तमाम जानकारी जरुर दी

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अगस्त 13, 2015

हमारा भी दर्द सुनो सरकार........

 हड़ताल से R T P S सेवा चरमरायी …
*  सरकार की वैकल्पिक व्यवस्था भी फ़ैल  
*  6 वें दिन हड़ताल को अभी तक किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं ..
* कार्यपालक सहायक के हड़ताल से विभागीय कार्य बाधित.....
*  मांगे नहीं मानी गई तो सभी संविदा कर्मी करेगा वोट का बहिस्कार....

कृष्ण मोहन सोनी की रिपोर्ट:- लगातार आज 6 वें दिन अपनी मांगो को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर कार्यपालक सहायको  के रहने के कारण सरकार के विभिन्न विभागों में ऑफिसियल कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ा है, बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट से संबंद्ध जिला इकाई सहरसा व विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत नियोजित कार्यपालक सहायको का संयुक्त संगठन  बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ के बैनर तले सभी सहायकों ने आंदोलन को तेज कर दिया है.
आज 6 वाँ दिन भी कार्यपालक सहायक का हड़ताल रहा जिससे कार्यालयों में इसका  प्रभाव पड़ा है. जाति,आवासीय, आय बनाने के लिए प्रखंड कार्यालय के RTPS काउंटर बन्द होने के कारण लोगों को काफी परेशानी हो रही है.  नए आवेदन बनाने के बदले पुराने आवेदन दे कर लोगो भीड़ कम करने का इंतजाम किया गया है. इस हड़ताल से सबसे अधिक लोक सेवा का अधिकार आर.टी.पी.एस. से संबंधित सारे कार्य ठप्प है. सहरसा जिले के कहरा, सत्तरकटैया, नवहट्टा, सोनवर्षा, सौरबाजार, महिषी, सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के बनमा इटहरी, सलखुआ आदि प्रखंडो में इस हड़ताल से विभागीय कामो पर प्रभाव पड़ा है.हड़ताली कर्मियों ने सरकार के विरोध में आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन भी निकाला. अपने मुख्य मांगों में वेतनमान में नियमित नियुक्ति, साठ वर्ष की सेवा की गारंटी संविदा, नीति की समाप्ति, नए एकरारनामे आदेश की वापसी, हटाये गए कार्यपालक सहायको की पुनर्नियुक्ति, सरकार द्धारा कम्प्यूटर सिस्टम आपूर्ति देने व अनुबंध समाप्ति करने की धमकी पर रोक की मांग कर रहे थे. कर्मियों ने रोषपूर्ण प्रदर्शन करते हुए जिला समाहरणालय पहुंच कर नारे बाजी भी किया एवं स्थानीय स्टेडियम के निकट धरना दिया.
जो कार्यपालक सहायक हड़ताल में शामिल नहीं होकर कार्यालय के बाबुलोग का चम्चागिरी कर रहे है उनसे निवेदन है कि हड़ताल में शामिल होकर संघ को मजबूती प्रदान करे. आप डरिये मत संघ आपके साथ है. अन्यथा जो कार्यपालक अभी भी सरकारी कार्य कर रहे है उनके विरुद्ध संघ कठोर कार्रवाही करेगी. कुंदन कुमार - अध्यक्ष, बेएसा- सहरसा. 
हड़ताल एवं धरना प्रदर्शन में राकेश कुमार, मनोज कुमार झा, नेता PHED अजित कुमार, संध्या कुमारी,सालू कुमारी, अफसाना प्रवीन, संजीत कुमार, सुनील कुमार, विश्वजीत कश्यप, संतोष रजक, अमित कुमार, अरविन्द कुमार, विजय भूषण,,मृतुन्जय मिश्र, नीरज कुमार,विनोद कुमार,अंकित कुमार, प्रिंस कुमार,एवं राहुल जी (जिला अल्पसंख्यक) उपस्थित रहे. 

अगस्त 11, 2015

कार्यपालक सहायकों का हड़ताल जारी...........

* पटना में आंदोलनकारियों पर पुलिसिया बर्बरता के खिलाफ बढ़ा आक्रोश .......   
* नियमितिकरण को लेकर अनिश्चितकालिन हड़ताल……… 
*  सहरसा में सरकार से भेजे गये एकरारनामे को आंदोलनकारियों ने जला कर जताया विरोध.......     
 हड़ताल से R T P S सेवा ठप …
*  सरकार की मंशा संविदाकर्मियों के आंदोलन को कमजोर करना........... 
कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट:- विभिन्न विभागों में कार्यरत नियोजित कार्यपालक सहायकों ने अपनी सेवा सुरक्षा गारंटी ,नियमितीकरण सम्मानजनक वेतन एवं अन्य मांगो  को लेकर चरणबद्ध आंदोलन को तेज  कर दिया है. धरना प्रदर्शन के अलावे अब ये डीएम का घेराव करेंगे और अपनी मांगो को सामने रखेंगे. सहायको ने बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ एवं बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोपगुट से संबध जिला इकाई सहरसा द्धारा  एक प्रेस ब्यान जारी कर कहा  गया है।
एकरारनामे को आंदोलनकारियों ने जलाया 
बिहार राज्य के सभी विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत नियोजित कार्यपालक सहायको का संयुक्त संगठन के द्धारा यह लड़ाई लड़ी जा रही है जिसमे यह भी कहा गया है कि बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी बिहार सरकार पटना के विभिन्न विभागों में सहायक कार्यरत हैं लेकिन सरकार के नुमाइंदो ने कई बार हमारी मांगो  को अनसुनी कर ठन्डे बस्ते में डाल कर इस पर कभी विचार तक नही किया है. जारी ब्यान में संघ के जिला सचिव संजीव कुमार सिंह ने कहा है कि संघ द्धारा सरकार से कई बार काला  बिल्ला लगाकर सांकेतिक हड़ताल कर धरना, प्रदर्शन कर अपनी मांग को रखता रहा हूँ. लेकिन सरकार के नुमाइंदे इस पर किसी भी प्रकार का कोई नोटिस नही लिया. उन्होंने कहा कि हर बार चुनावी समय नजदीक आने पर आनन फानन में एक उच्च स्तरीय कमिटी का गठन कर संविदा कर्मिओं के नियमितीकरण करने हेतु अनुसंशा तीन माह के अंदर करने को कहा गया था. सरकार की मंशा संविदाकर्मियों के आंदोलन को कमजोर करना है लेकिन हम सभी हारने वाले नही है अब यह और आंदोलन तेज किया जायेगा अब डीएम का घेराव कर अपनी मांगो  को रख कर अधिकार लेना है.इस आंदोलन का फलाफल जो भी हो फिलवक्त बिहार सरकार का सभी  R T P S  काउंटर से लेकर विभाग के तमाम कार्यालय में कंप्यूटर से होने वाले कार्य ठप है. 

अगस्त 10, 2015

सहरसा ग्रुप का मिलन समारोह ........

सोशल मीडिया का ऐतिहासिक होगा मिलन समारोह.....
कई नामचीन हस्तियाँ करेंगी शिरकत....... 
कविता पाठ के साथ-साथ सोशल मीडिया के प्रभाव पर व्याख्यान.......  
कृष्णमोहन सोनी की रिपोर्ट: नए अंदाज में ऐतिहासिक होगा सोशल मीडिया, सहरसा ग्रुप मिलन समारोह कार्यक्रम. इस कार्यक्रम की तैयारी जोरो पर की जा रही है. कार्यक्रम में कई नामचीन हस्तियाँ भी शिरकत करेगी जिन्हे कोसी प्रमंडल के सहरसा की धरती,  इसकी मिट्टी से अगाध प्रेम है. सहरसा जैसे कसवाई क्षेत्रों से लोगो में इस तरह का रुझान सहरसा ग्रुप में इनकी सदस्यों की संख्याँ ही बता रही है. 
समारोह की तैयारी में जुटे सहरसा ग्रुप के एडमिन रवि शंकर जी ने बताया कि सहरसा की धरती पर पहली बार ऐसे कार्यक्रम किये जा रहे है जिसमे सहरसा को जानने वाले यहां की मिट्टी से प्यार करने वाले लोगो के बीच की दूरियां भी खत्म किये जायेंगे. उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम मुख्य रूप से ऐसे लोगो के लिए है जो एक दूसरे को जानते है लेकिन उनसे कोसो दूर है या जो सिर्फ फेसबुक पर अपना आदान प्रदान कम्प्यूटर पर बैठ कर करते है, लेकिन एक दूसरे के बीच आमने सामने बैठ कर दुःख-सुख या समाज के विकास में अपना कैसे योगदान हो ताकि हमारा समाज विकास की रौशनी में जगमगाता रहे.इसके अलावे अन्य कई कार्यक्रम भी है जिसमे मुख्य रूप से कविता पाठ भी होंगे उन्होंने कहा की जो एक दूसरे को जानते है पर मुलाकात नही है वैसे लोगो के लिए यह समारोह में एक दूसरे के बीच की दूरियां भी खत्म होगी. समारोह स्थानीय रेडक्रॉस सोसाइटी सभा भवन में आगामी 16 अगस्त 2015 को दिन दे २ बजे आयोजित किये जायेंगे. इस समारोह में शोशल मिडिया की उपयोगिता, पर भी चर्चा की जाएगी समारोह में क्षेत्रीय लोगो को भी खुलकर मौका दिया जायेगा. समारोह में विभिन्न जगहों से एक से एक विद्धान कवियों की जमघट होगी.
समारोह में शामिल होने लिए अवश्य संपर्क करे.... 08981621430

अगस्त 05, 2015

बड़ी घटना का संकेत............

कृष्ण मोहन सोनी की रिपोर्ट:- शहरवासी हो सावधान इन दिनों शहर में बिजली विभाग द्धारा लगाये जा रहे नए मॉडल के तार व बॉक्स भले ही आप सभी उपभोक्ताओं को सुविधाजनक लग रही हो मगर शहर के रिहायशी इलाको में लगाये जा रहे इस तरह की सुविधा किसी अनहोनी घटना का कोई शिकार न बन जाय इसके लिए विभाग भले सावधान हो या न हो लेकिन सहरसा टाईम्स आपको जरूर सावधान कर रहा है----
इस तस्वीर को देखिये  किस तरह से आग ने बिजली CONNECTION बॉक्स को अपने आगोश में ले लिया है. सहरसा नगर परिषद क्षेत्र के शारदा नगर वार्ड नम्वर 27 स्थित अन्नपूर्णा मंदिर के पास की घटना है. सरकार भले ही बिजली जैसी मूल बहुत सुविधा में अमूल परिवर्तन कर विभागीय स्तर से  सुविधा देने के लिए व्यवस्था की है मगर यह कैसी  व्यवस्था व तकनिकी है अगर लोग सावधान नही रहे तो किसी कि  भी जाने जा सकती है और इसके जिम्मेवार कौन होंगे यह सवाल भी खड़ा होगा तब विभाग तकनिकी गड़बड़ी की जाँच में जुट ने की बात  कर अपनी पल्ला झाड़ लेंगे। 
विभाग द्धारा ठेके पर ऐसे काम कराये जाने से लोग खासे नराज भी है. लोगो का कहना है कि जहां -जहां बिजली के खम्भे गाड़े गए हैं उसमे भी व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है लोगो ने बताया कि बिजली के खम्भे को सिर्फ मिट्टी का गढा बना कर उसमे सिमेंट कंक्रीट  से बना  बिजली का खम्भा डाल दिया गया जो कभी आंधी तो कभी तेज बारिश में टेढ़े हो जाते है तो कभी गिरने लगता है. जिससे लोगो  को हमेशा जानमाल के क्षति का डर बना  रहता है. लोगो ने  कहा कि गाड़े  गए खम्भे में सीमेंट व कंक्रीट से जाम भी नही किया जा रहा है ताकि उसकी मजबूती हो मालूम हो की सोमवार को करीब 10 बजे दिन में अचानक बिजली के खम्भे में लगी बॉक्स में आग लग जाने से लोगो के बीच अफरा - तफरी बनी रही वही लोग दहशत में  रहे और इस घटना की जानकारी बिजली विभाग को दिया लेकिन विभाग ने एक कर्मी को भेजकर घटना की जानकारी लेकर अपना पल्ला झाड़  लिया। 
विभाग की लापरवाही देखिये जब कर्मी घटना स्थल पर पहुंच कर तो हमने आग बुझाने की बात की तो बताया कि बिजली तत्काल काट दिए है लेकिन आग को बुझाने के लिए मेरे पास कोई साधन नही है फिर अपने मोबाईल से  विभाग को फोन करके आग कैसे बुझे इस पर बातें  करने लगे जिस पर उन्हें उत्तर मिला कि जिनको गाड़ी का जिम्मा दिया गया है उनसे सम्पर्क करे गाड़ी भेजना विभाग के वरीय अधिकारी काम है इस तरह की विभागीय व्यवस्था से आप खुद समझ सकते है की यह कैसी  व्यवस्था है अगर ऐसी कोई घटना आपके आस पड़ोस में कही घटे तो आप सावधान रहे ताकि कोई अप्रिय घटना व किसी की जानमाल  की कोई  क्षति  न हो.   

अगस्त 04, 2015

उमड़ा आस्था का जन--सैलाब.............


सहरसा टाईम्स की रिपोर्ट--- बिहार के बाबाधाम(बैजनाथधाम,देवघर) के नाम से मशहूर कोसी क्षेत्र के सैंकड़ों वर्ष पुराने काठो के प्रसिद्ध बाबा मटेश्वरधाम मंदिर में सावन की पहली सोमवारी प़र काँवरियें के साथ--साथ  आस्था का जन--सैलाब उमड़ा है. सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के काठो में सहरसा के सीमावर्ती जिलों के अलावे देश के विभिन्य हिस्से सहित नेपाल और भूटान क्षेत्र से भी श्रधालुओं का जत्था पहुँचता रहा है.भक्तों को यह भरोसा है की इस धाम में बाबा से जो भी मांगो वह मिल जाता है. 
यहाँ भक्तों पर बाबा की असीम कृपा बरसती है.भक्तों का कहना है की इस धाम की महिमा अपरम्पार है.यहाँ के शिव लिंग की खासियत यह है की शिव लिंग के चारों ओर से सालो भर जल निकलता रहता है जिसे श्रद्धालु नीर के रूप में ग्रहण करते हैं.कहा जाता है की शिव लिंग के बगल के हिस्से में पहुँच रहे जल का सीधा संपर्क पाताल से है.जल कहाँ से आता है,यह रहस्य आजतक बरकरार है.
सावन में,इस शिव मंदिर की छंटा और महिमा देखते ही बनती है.लेकिन यह बताना लाजिमी है की इस विशिष्ट धाम में श्रधालुओं का सालोभर तांता लगा रहता है.भगवान आशुतोष इस पावन स्थल प़र अपने दोनों हाथों से लोगों प़र अपनी कृपा बरसा रहे हैं.

अगस्त 01, 2015

मेरी विरासत संघर्षवाद की है, वंशवाद की नहीं ---- चेतन आनंद

पटना में "हम" नेत्री सह पूर्व सांसद लवली आनंद और जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन के ज्येष्ठ पुत्र चेतन आनंद से सहरसा टाईम्स के ग्रुप एडिटर मुकेश कुमार सिंह की खास बातचीत-------
* मेरी विरासत संघर्षवाद की है,वंशवाद की नहीं ...
* मेरे पिता आनंद मोहन जी जे.पी.आंदोलन की उपज..... 
* कलही और बेईमान राजनीति ने लाठी--गोली--जेल--फांसी के अलावा हमारे परिवार को कुछ नहीं दिया.... 
* आनंद मोहन जी की राजनीति शर्तों की रही .....
* हम ना भागने वाले, ना हारने वाले,ना झुकने वाले और ना ही टूटने वाले हैं..... 
* शोषण,विषमता और जुल्म के खिलाफ और अपनी आन---वान और शान की खातिर हमारी लड़ाई अनवरत    जारी रहेगी 
           
 एक कार्यक्रम में शामिल होने पटना आये "हम" नेत्री सह पूर्व सांसद लवली आनंद और जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन के ज्येष्ठ पुत्र चेतन आनंद ने सहरसा टाईम्स से बेहद खास और एक्सक्लूसिव बातचीत की. चेतन आनंद ने बातचीत की शुरुआत करते हुआ कहा की "मेरी विरासत संघर्षवाद की है, वंशवाद की नहीं". जिस तरह महाराणा प्रताप के दादा राणा सांगा, पिता उदय सिंह और खुद राणा प्रताप ने आजादी और स्वाभिमान के लिए मुगलों से पीढ़ी दर पीढ़ी संघर्ष किया, उसी तरह मेरे पिता आनंद मोहन जी के दादा स्वर्गीय रामबहादुर बाबू, जिन्हें लोग प्यार से कोसी का गांधी कहकर पुकारते थे, मेरे बड़े दादा जी पद्मानंद बाबू, दादा स्वर्गीय सच्चिदानंद बाबू देश की आजादी के वास्ते लगातार अंग्रेजों से लड़ते रहे. मेरे पिता आनंद मोहन जी स्वयं जे.पी.आंदलन की उपज हैं. जो अपने जीवन के अठारहवें वसंत में पढ़ाई छोड़कर लड़ाई में कूदे तथा 1974--1977 के छात्र आंदोलन से आपातकाल,जिसे लोग "दूसरी आजादी की लड़ाई" ,कहते हैं,में अनेकों बार लाठी--गोली और जेल की यातनाओं के शिकार हुए.अपने संघर्षों, सिद्धांतों और बेबाकी के कारण ही वे आज असीम कष्टों को वरण कर कारागार में कैद हैं.
चेतन आनंद ने बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा की आनंद मोहन जी की लड़ाई कभी व्यक्तिगत नहीं रही.अविभाजित बिहार के चप्पे--चप्पे पर उनके संघर्षों की अमिट कहानी आज भी चस्पां है.वे सदैव राज्य,समाज और साथियों के हक़ के लिए लड़ते रहे.हाँ,यह बात दीगर है की उन्होनें राजनीति अपनी शर्तों पर की.कभी स्वाभिमान और सिद्धांत से समझौता नहीं किया.यही कारण है की कार्यकर्ताओं के सवाल पर मम्मी ने जहां बाढ़ की जीती हुयी सीट छोड़ दी,वहीँ पापा ने राजयसभा का "ऑफर" ठुकरा दिया.लेकिन खेद की जिन अपनों के लिए मम्मी--पापा ने इतनी बड़ी कुर्बानी दी,उन्हीं लोगों ने वक्त आने पर सत्ता के लालच में पाला बदल लिया.इस कलही और बेईमान राजनीति ने पुरे एक सदी के संघर्ष में लाठी--गोली--जेल--फांसी के अलावा हमारे परिवार को कुछ नहीं दिया है.मेरे परदादाओं स्वर्गीय रामबहादुर बाबू,राम नारायण बाबू और जंगबहादुर बाबू ब्रितानियाँ हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए लाठियां खायी और जेल गए.दादाओं को जेल में तरह---तरह की यंत्रणा झेलनी पड़ी और अब पापा सच बोलने की सजा भुगत रहे हैं.बड़ा सवाल यह है की जब सौ वर्षों के अनवरत संघर्ष में हमारे बड़े--बुजुर्गों को कुछ भी नहीं मिला,तो हमें क्या हासिल होना है.
चेतन काफी गंभीर थे और उनका लहजा बिल्कुल दार्शनिक जैसा प्रतीत हो रहा था.उन्होंने आगे कहा की 'वंशवाद" और "संघर्षवाद" में बड़ा ही बुनियादी फर्क है.सत्ता या पार्टी के शीर्ष पर विराजमान रहकर जो अपने लायक--नालायक पुत्रों--परिजनों को बतौर उत्तराधिकारी जनता पर थोपता है,तो इसे वंशवाद कहते हैं.लेकिन जब कोई अंजाम जानते हुए सच की खातिर और हर तरह के अन्याय के विरुद्ध सीना तानकर बगावत का परचम थामता है,तो यह संघर्षवाद है.
चेतन के भीतर खलबली सी मची लग रही थी और आँखों  में कई जज्बाती सवाल  ख़ामोशी से तैरते प्रतीत हो रहे थे.चेतन ने बातचीत को और अधिक खींचने की जगह उसे विराम देना मुनासिब समझा और आखिर में कहा की मैं "वंशवाद" नहीं "संघर्षवाद" का प्रतीक हूँ और आपके माध्यम से यह बताना चाहता हूँ की हर प्रकार के शोषण, विषमता और जुल्म के खिलाफ,साथ ही अपनी आन--वान और शान की खातिर हम पीढ़ी दर पीढ़ी लड़ने वाले लोग हैं.ना भागने वाले,ना हारने वाले,ना झुकने वाले और ना टूटने वाले.अगर जरुरत पड़ी तो हम अपनी जान देकर भी "पापा की लड़ाई" को जारी रखेंगे.

"हम" नेत्री लवली आनंद से खास- बातचीत...............

EXCLUSIVE
* नीतीश जी मुगालते में हैं की वो लोगों के भाग्य नियंता हैं
नीतीश कुमार राजनीति के वह बाली हैं, जो दूसरों से उधार की शक्ति ले जुगाड़ पर अपना राजनीतिक सफर   तय करते रहे हैं 
* कोई बाहुबली हो या ना हो लेकिन नीतीश कुमार ऐसे महाबली हैं जिनके सत्ता संरक्षण में झारखंड और     बिहार के दर्जनों माफिया और बाहुबली पुष्पित--पल्लवित हो रहे हैं 
 पटना में "हम" नेत्री लवली आनंद से सहरसा टाईम्स के ग्रुप एडिटर मुकेश कुमार सिंह की खास बातचीत....
"हम" नेत्री लवली आनंद
आज "हम" नेत्री लवली आनंद ने सहरसा टाईम्स से ख़ास बातचीत की और कहा कि जी. कृष्णैया मामले में आनंद मोहन जी के खिलाफ सत्ता की साजिश पर अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार यह कहकर पल्ला झाड़ते रहे की कानून अपना कर रहा है. इसके पीछे सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है, लेकिन जे.डी.यू. के प्रवक्ता संजय सिंह की ओर से अखबारों में प्रकाशित बयान ने यह साबित कर दिया है की आनंद मोहन जी की सजा के पीछे नीतीश कुमार की साजिश थी.और वे कोर्ट के कंधे पर बन्दुक रखकर अपने राजनीतिक विरोधियों का सफाया करते रहे. नीतीश कुमार राजनीति के वह बाली हैं, जो दूसरों से उधार की शक्ति ले जुगाड़ पर अपना राजनीतिक सफर तय करते रहे हैं. नीतीश जी मुगालते में हैं की वो लोगों के भाग्य नियंता हैं.असलियत यह है की अगले चुनाव में राज्य की जनता खुद उनका नसीब तय कर चुकी है.देर--सवेर उनके तमाम षड्यंत्रों और अहंकार का मुकम्मल जबाब मिलेगा.
***कहा कि -----  बिहार का बच्चा--बच्चा अवगत है की वर्ष 1994 के 5 सितम्बर को मुजफ्फरपुर में क्या हुआ था.घटना के दिन छोटन शुक्ला की मातमपुर्सी से हम पति--पत्नी लौट रहे थे. साजिशन हम दोनों को हाजीपुर रेलवे क्रासिंग पर गिरफ्तार कर के इस मुकदमें में घसीट दिया गया.इससे बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है की जेडीयू नेता के.पी.रमैया के " आका और आदर्श लीडर नीतीश कुमार जी मुजफ्फरपुर में स्वयं जार्ज फर्नांडिस के साथ धरने पर बैठे थे और आनंद मोहन जी को निर्दोष बताया था.खुदी राम बोस केंद्रीय कारा पहुँच आनंद मोहन जी से राजनैतिक समझौते में बाढ़ और शिवहर की सीटें जीतीं. लगातार वर्षों उनके साथ हर मंच से उन्हें निर्दोष बताते रहे.1996 में नवीनगर और 2005 में बाढ़ विधानसभा की सीटें भी लवली आनंद ने नीतीश--मोहन के समझौते में ही जीतीं.
***कहा कि -----सासाराम से जदयू उम्मीदवार श्री रमैया अपनी याददास्त को खँगालेंगे तो पाएंगे की वो आज जिस दल के नेता बन बैठे हैं,उसकी बुनियाद हीं नीतीश कुमार ने आनंद मोहन के सहयोग से रखी थी. श्री रमैया को यह भी बताना चाहिए की अगर आनंद मोहन जी कृष्णैया मामले में दोषी हैं तो फिर उनके आका नीतीश कुमार सजा बाद किस मुंह से समझौते की शर्तें लेकर उनकी माँ से मिलने उनके पैतृक गाँव पंचगछिया गए थे. कोई बाहुबली हो या ना हो लेकिन नीतीश कुमार ऐसे महाबली हैं जिनके सत्ता संरक्षण में झारखंड और बिहार के दर्जनों माफिया और बाहुबली पुष्पित--पल्लवित हो रहे हैं.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।