मुकेश कुमार सिंह की कलम से------- सरकार और उसके तंत्र जब गूंगे और बहरे हो जाएँ तो इंसाफ कहीं गुम होने लगता है. आज हम अपने इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में सहरसा की एक बेटी के ऐसे दर्द से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपकी ना केवल रूह थर्रा जायेगी बल्कि आपका सीना भी चाक हो जाएगा..........

जब दिल दरक जाए......जब भरी जवानी में हमसफर इस रंग बदलती दुनिया में अकेला छोड़,आसमानी सत्ता के हवाले हो जाए.....जब सारे सतरंगी ख्वाब और अरमानों का जीवन के शुरआती दौर में ही सर कलम हो जाए.......आप समझ सकते हैं उस अभागी का जीवन दोजख में किस तरह से सिसकिया ले रहा होगा....किस तरह से सुबकियां ले रहा होगा.यह कहानी सहरसा जिला मुख्यालय के रिहायशी मुहल्ला बटराहा की रहने वाली अभागी पूजा का है.पूजा की शादी वर्ष 2011 में गुजरात के अहमदाबाद में तैनात कस्टम इंस्पेक्टर राजेश कुमार सिंह के साथ हुयी थी. राजेश कुमार सिंह सहरसा जिले के भरौली गाँव के रहने वाले थे. अपनी ड्यूटी पर अहमदाबाद में तैनात खासे मिलनसार राजेश फुले नहीं समा रहे थे.उन्हें पता था की उनकी पत्नी माँ बनने वाली है.जब प्रसव का समय बिल्कुल निकट आ गया तो वे छुट्टी लेकर 6 अप्रैल को सहरसा चले आये.लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था.11 अप्रैल को पूजा ने बेटे को जन्म दिया.बेटे को गोद में लेकर राजेश बेहद खुश थे.लेकिन यह ख़ुशी कुछ समय की थी.12 अप्रैल 2012 का वह मनहूस दिन.अचानक कुछ लम्हों के लिए बीमार पड़े राजेश कुमार सिंह की मौत ईलाज के दौरान हो गयी.उन्नीस वर्ष की उम्र में शादी हुयी और बीसवें वर्ष में ही पूजा बेबा हो गयी.पूजा अपने पति की मौजूदगी में ही माँ भी बन गयी थी.पेट खोलकर उसे बेटा हुआ था.बेटा महज दो दिन का ही था और वह अस्पताल के बेड पर ही थी की पति गुजर गए.अब आप अनुमान लगाईये की पूजा को मिली यह चोट कितनी गहरी थी और उसका जीवन कितना बोझिल और बेजार हो चुका था.

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पिता संजय सिंह |
पूजा अभी अपने मायके में है.माँ--बाप और भाई का उसे भरपूर प्यार मिल रहा है लेकिन जीवन में पति का एक अलग महत्व होता है.कम उम्र में ही सदियों का सितम यह मासूम झेल रही है.उसे नौकरी लग जाती तो हो सकता है की वक्त के साथ--साथ उसके गहरे और हरे जख्म भर जाते.साथ ही उसकी जिंदगी में भी कुछ ख्वाहिशों और कुछ सपनों को सिद्दत से जगह मिल जाती. बेटियों की हिफाजत और उसके बेहतर भविष्य को लेकर बेहद गंभीर रहने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,क्या सहरसा की इस अभागी बेटी की सुधि लेंगे?क्या पूजा की अँधेरी जिंदगी में फिर से उम्मीद के दिए टिमटिमाएंगे?क्या पूजा की बेपटरी जिंदगी फिर से पटरी पर आकर रफ़्तार पकड़ सकेगी?सहरसा टाईम्स इस बेटी के दर्द को मोदी जी तक पहुंचाने का हर सम्भव प्रयास करेगा.आगे रब जाने इसका क्या होगा.
Saharsa times ko Narendra Modi tak sandes pahunchane wali kosis jaisi is Nek kam ke liye Salam.
जवाब देंहटाएंItna adhik bilamb aapradhik hai.
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