अक्टूबर 24, 2012

बाढ़ विस्थापितों के लिए बेमानी है पर्व--त्यौहार

आइये हम सब मिलकर इन्हे भी दशहरा की शुभकामनाये दे ..........
मुकेश कुमार सिंह,सहरसा टाइम्स:  सहरसा जिले के पूर्वी और पश्चिमी कोसी तटबंध के भीतर कोसी हर साल तबाही लाती है।हर साल हजारों लोग बेघर होकर यायावर हो जाते हैं।सही मायने में यह वह इलाका है जहां के लोग हर साल पहले उजड़ते फिर बसने की कोशिश करते रहते हैं।यानी उजड़ने और बसने का यह अंतहीन सिलसिला ताउम्र चलता रहता है।हजारों की तायदाद में बहुतों ऐसे बाढ़ विस्थापित हैं जो पिछले कई दशकों से तटबंध के किनारे या उसके आसपास बसे आजतक बस सरकारी मदद की बाट जोह रहे हैं।हम उन्हीं बाढ़ विस्थापितों में से हाल के वर्षों में अपना सबकुछ गंवाकर पूर्वी कोसी तटबंध के रिंग बाँध या फिर उसके आसपास आकर बसे और जिन्दगी से रोजाना जंग लड़ते मुफलिसों के दर्द से सनी जिन्दगी यानी सच की जलती तस्वीर दिखाने लाये हैं।यूँ तो सहरसा जिले के नवहट्टा,महिषी,सिमरी बख्तियारपुर और सलखुआ प्रखंड के कई ऐसे इलाके हैं हैं जहां तटबंध के आसपास अलग--अलग जगहों पर बाढ़ विस्थापित आकर बसे हैं।सभी की मुकम्मिल तस्वीरों को हम आपको एक साथ कभी भी नहीं दिखा पायेंगे।एक जगह की स्थिति को देखकर ही आप बांकी तस्वीरों को खुद ब खुद समझ जायेंगे।आज हम आपको नवहट्टा प्रखंड के पहाड़पुर स्थित रिंग बाँध पर पिछले तीन वर्षों से आकर बसे बाढ़ विस्थापितीं के दर्द से आपको रूबरू कराने जा रहे हैं।हम बेबस हैं इसलिए दर्द में सने हजारों बाढ़ विस्थापित जिंदगियों को एक खबर में समेट कर आपको नहीं दिखा सकते। अभी का पूरा आलम माँ जगदम्बे की पूजा--अर्चना का है।हर ओर उत्साह और खुशियों में डूबकर लोग इस महान पर्व को सिद्दत से मना रहे हैं लेकिन इन बाढ़ विस्थापितों के लिए हर पर्व--त्यौहार बेमानी है।इनके लिए ना होली ना दिवाली और ना ईद और दशहरा।किसी भी पावन पर्व के मौके पर इनमें कोई हर्ष और उत्साह नहीं है।इन करमजलों के लिए सबकुछ फीका--फीका और बेस्वादी है।इनकी बेजा जिन्दगी फकत जिन्दगी बचाने और उसे सहेजने में ही निकल जाती है।जाहिर तौर पर यहाँ की हजारों बेबस जिंदगियां सरकार और तंत्र से अपने हक़ और हकूक को लेकर सैंकड़ों सवाल पूछती नजर आती हैं।
 दशहरा के पावन पर्व में सारा आलम न केवल भक्तिमय है बल्कि इस पर्व को लोग काफी हर्ष और उत्साह से मना रहे हैं।लेकिन इन बाढ़ विस्थापितों के लिए किसी भी पर्व का कोई महत्व नहीं है।पेट में दाना,सर ढकने के लिए छप्पर और तन ढकने के लिए कपडे का इंतजाम,इनके लिए मिल का पत्थर है तो पूजा---पाठ ये किसतरह से और क्योंकर करेंगे।बस माँ को पांच--दस रूपये का कभी हुआ तो किसी तरह से चढ़ावा चढ़ा देते हैं।बच्चे इस पर्व के मौके पर बहुत कुछ मांगते हैं लेकिन उनके पास कुछ भी नहीं है जिससे वह बच्चों का मन रख सकें।सुनिए इन दो महिलाओं को।इनके दर्द इनकी जुबान पर किस तरह से बयां हो रहे हैं।
यह बच्चियाँ तक़दीर से फ़क़ीर है।बाढ़ ने इसका घरबार--कुल जमापूंजी को निगल लिया।पिछले तीन साल से यह सपरिवार रिंग बाँध पर जिन्दगी बचाने की बस कवायद कर रही है।कहती है की सारा समय तो उसे नाम के घर को संभालने में ही गुजर जाता है तो वह पूजा--पाठ क्या करेगी।इसकी माने तो पूजा--पाठ और पर्व--त्यौहार अमीरों और सामर्थ्यवानों के लिए है।सरकार ने उनलोगों को आजतक कुछ नहीं दिया है।वे किसी भी पर्व--त्यौहार में खुश और उत्साह में रहने के लायक ही नहीं हैं।सुनिए इस बच्ची को।आपके सीने छलनी हो जायेंगे।
एक माँ उबालती रही पत्थर तमाम रात,बच्चे फरेब खाकर चटाई पर सो गए।सो जाते हैं फुटपाथ पर अखबार बिछाकर,मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते।इन बाढ़ विस्थापितों का जीवन ही बेस्वादी है।पर्व--त्यौहार इनके जीवन में ख़ुशी और उत्साह की जगह उनके उपहास उड़ाते नजर आते हैं। काश कोई फरिस्ता---तारणहार आता और इनके जीवन में भी रंग भर जाता।महुआ न्यूज़ इस महान पर्व के मौके पर माँ जगदम्बे से इन पीड़ितों के दिन बहुरें,इसके लिए दिल से कामना करता

अक्टूबर 23, 2012

नवमी में उमड़ी भीड़

रिपोर्ट चन्दन सिंह:  आज नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के दर पर जन सैलाब उमड़ पड़ा है.महानगर से छोटे शहरों की बात तो छोड़िये सुदूर ग्रामीण इलाके में भी माँ के दर पर माथा टेकने के लिए होड़ मची हुई है.सहरसा जिला मुख्यालय में भी कई जगहों पर माँ की पूजा के लिए कई भव्य पांडाल बनाए गए हैं जहां भक्तों की भीड़ उमड़ रही है.इन विभिन्य पूजा पंडालों में खासकर के महिलायें और बच्चियों की अपार भीड़ देखी जा रही है.महिलायें और बच्चियां माँ सिद्धिदात्री से जहां अपने मन की मुराद पूरी कराने के लिए माँ के दर पर अपना माथा टेक रही हैं वहीँ माँ रीझ सके इसके लिए चुनरी और चढ़ावा चढाने के लिए वे बाबली भी हो रही हैं.
महिलायें तो माँ का खोंचया भरने के लिए इतनी उतावली दिख रही हैं मानों कोई रिकार्ड कायम करने की ठान रखी हो। थाना चौक,भी.आई.पी रोड,रेलवे कोलोनी,सहरसा कॉलेज गेट,कचहरी ढाला और रिफ्यूजी कोलोनी स्थित माँ के पांडाल काफी भव्य बनाए गए हैं जहां भक्तों की अपार भीड़ भी उमड़ रही है.सहरसा के इनदोनों पंडालों में थाना चौक स्थित पांडाल का कुछ ख़ास महत्व है.शहर के बीचोबीच बने इस पांडाल तक भक्तों को पहुँचने में आसानी होती है इसलिए जाहिर सी बात है की यहाँ अपार भीड़ उमड़ती है. शाम ढलते ही यहाँ की अप्रत्यासित भीड़ किसी को भी दांतों तले ऊँगली दबाने को विवश कर देता है. महिलायें यहाँ किस तरह से धक्का--मुक्की करती हुई माँ की पूजा-अर्चना में जुटी हैं.माँ को चढ़ावा और चुनरी चढाने की उनमें बेताबी तो है ही कैसे माँ का वे खोंचया भर सकें इसके लिए भी उनका मन जरुरत से कहीं ज्यादा व्याकुल है.
 माँ तो माँ हैं.दर खुला है उनका जहां भक्तों के आनी की कोई सीमा तय नहीं है.लोगों को अपनी मन की मुरादें माँ से पूरी करानी है.माँ की करुणा बरस रही है जिसमें भक्तजन गोते लगा रहे हैं.दुर्गा है मेरी माँ,अम्बे है मेरी माँ.जय माता दी.

रूपये दो नहीं तो जान दो

 आरोपी चन्दन सिंह
रिपोर्ट मुकेश कुमार सिंह,सहरसा टाइम्स:   बीते शनिवार देर शाम सदर थाना के PHED कॉलनी के आवासीय परिसर में PHED के ही एक कनीय अभियंता के घर आठ से दस की संख्यां में मोटरसाईकिल सवार कुछ हथियार बंद युवकों ने हमला बोल दिया।हमलावरों ने कनीय अभियंता को पहले तो जीभर के भद्दी---भद्दी गालियाँ दी फिर कनपटी पर पिस्टल सताकर पचास हजार रूपये तुरंत देने और हर महीन पचास हजार रूपये रंगदारी देने की मांग की और नहीं देने पर सपरिवार जान से मारने की धमकी दी।भला हो पड़ोसियों का की हो हल्ला सुनकर लोग जमा होने लगे जिससे मोटरसाईकिल पर सवार होकर ये मवाली भाग खड़े हुए। अभियंता ने हमलावरों में से दो युवकों की
 पहचान की है जो PHED के ही एक कर्मचारी कैलास सिंह के बेटे चन्दन सिंह और रौशन सिंह हैं।हद बात तो यह है की इस मामले का मुख्य आरोपी चन्दन सिंह भाजपा का जिला RTI सेल का अध्यक्ष है।इस घटना के बाबत पीड़ित अभियंता ने तुरंत पुलिस को जानकारी दी।पुलिस ने सदर थाना में काण्ड दर्ज कर तहकीकात शुरू कर दी है।-
यह है PHED के कनीय अधियानता लाल बाबू साह का घर।देखिये पूरा परिवार किस तरह से दहशत में है।घर में पत्नी,बेटा --बेटी--दामाद और सभी सगे--सम्बन्धी सकते में और परेशान हाल हैं।घटना के बाबत पीड़ित अभियंता और उनके परिवार के लोग पूरी जानकारी देते हुए अपने प्राण की रक्षा की गुहार लगा रहे हैं।बेटा भुवनेश्वर में इंजीनियरिंग की पढाई करता है और छुट्टी में घर आया है।कहता है की इस भय और डर से उसकी पढाई छुट जायेगी।  अब इस मामले का पुलिसिया अनुसंधान के बाद जो और जैसा फलाफल आये लेकिन अभी पीड़ित का पूरा परिवार भय और दहशत के साए में है।चूँकि आरोप भाजपा जिला RTI सेल के अध्यक्ष पर लगा है तो जाहिर सी बात है की आगे इस मामले में सियासी दाँव--पेंच भी खूब देखने को मिलेंगे।यूँ हम बता दें की पुलिस के लिए यह मामला आसानी से निपटाने वाला कहीं से भी साबित नहीं होगा।

मदिरा से माँ की अनूठी पूजा

 ।।। खाश रिपोर्ट।।। चन्दन सिंह
मदिरा से माँ की अनूठी पूजा : शक्तिपीठों में विशिष्ट माँ उग्रतारा धाम में एक तरफ माँ को शराब पिलाकर हुयी अनूठी पूजा तो दूसरी तरफ नगाड़ों की थाप पर लगा माँ तारा का जयकारा  /तंत्र--मन्त्र के साधक भी दूर--दराज इलाके से आकर जुटे हैं सिद्धि लेने में।।। साधकों और आमभक्तों ने माँ तारा को खूब पिलाई मदिरा।।।। माँ को मदिरा पिलाकर पूजा का यह विधान है चौंकाने वाला।।। खाश रिपोर्ट।।।।
पूरा देश माँ अम्बे के जयकारे से गुंजायमान है.दशहरे की धूम से जर्रा--जर्रा सिक्त है.सहरसा में भी नवरात्रे की अपनी छंटा है जो अलग तरह की ही अनुभूति करा रही है.देश के 52 शक्तिपीठों में से एक सहरसा जिले के महिषी गाँव स्थित माँ उग्रतारा धाम में शक्ति की देवी माँ तारा की पूजा बड़े धूम--धाम से मनाई जा रही है.तंत्र साधना के लिए विख्यात इस शक्ति पीठ पर चिनाचार और षोडषोपचार विधि से पूजा--अर्चना करने की परम्परा रही है.यहाँ देश के विभिन्य हिस्सों के अलावे विदेशों से ना केवल भक्तजन अपनी मुरादों की पूर्ति कराने आते हैं बल्कि तंत्र साधक भी यहाँ आकर सिद्धि प्राप्त करते हैं.नवरात्रे में यहाँ अष्टमी और नवमी की पूजा काफी महत्वपूर्ण और अनूठी होती है.अष्टमी को माँ की अद्दभुत आरती होती है.ढोल--नगाड़े बजते हैं और माँ का जयकारा लगता है.जहां साधक अपनी तंत्र सिद्धि के लिए विभिन्य तरह से पूजा-अर्चना करते हैं वहीँ साधक के साथ--साथ आमभक्त माँ को मदिरा पिलाते हैं.आम भक्तों के द्वारा माँ को रिझाने--मनाने के लिए मदिरा पिलाकर भक्ति की यह परम्परा विरले ही देखने को मिलती होगी.आज हम आपको अष्टमी में माँ को  शराब पिलाकर हो रही इस अनूठी पूजा को दिखाने लाये हैं जिसे देखकर एक बार आप भी जरुर दंग रह जायेंगे.
माँ की महिमा अपरम्पार है तो भक्तों की भक्ति का अंदाज भी कोई कम नहीं है.इस धाम की बात ही निराली है.आज नवमी को यहाँ पर बलि प्रदान की परंपरा है.जानते हैं विभिन्य मुरादों की पूर्ति के लिए माँ से मनौती करने वाले भक्तों की ओर से आज यहाँ तीस हजार से ज्यादा छागर और भैंसे की बलि दी जायेगी.हम तो आखिर में बस इतना ही कहेंगे की जय माता दी. 

अक्टूबर 19, 2012

सहरसा के चन्द्रायण में भूत बंगला

मुकेश कुमार सिंह सहरसा टाइम्स:  
अगर आपको सरकार की बदइन्तजामी,लापरवाही और सरकारी धन के बेजा दुरूपयोग का नजारा देखना हो तो  आप सहरसा चले आईये.यहाँ एक नहीं थोक में कई ऐसे नज़ारे मिलेंगे जो आपको ना केवल हैरान और परेशान करेंगे बल्कि सरकार के कामकाज के तरीकों में अल्प ज्ञान के बड़े-बड़े कितने सुराख हैं वह भी नजर आयेंगे.पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर बसे सहरसा और सुपौल जिले के करीब 15 लाख की आबादी के लिए आवागमन का एक मात्र साधन नाव है.लोगों के लिए इस पार से उसपार जाने में घंटों के वक्त लगते हैं.ऐसे में सबसे बड़ी मुसीबत उनलोगों को होती है जो बीमार हैं और जिन्हें तुरंत स्वास्थ्य सुविधा की जरुरत है.कोसी के इस इलाके के लोग अक्सर समय पर इलाज नहीं होने की वजह से काल--कलवित होते रहे हैं.
एक तो नाव पर मुश्किल भरी यात्रा फिर मरीजों को दूर--दराज इलाके में ले जाने के लिए सवारी की कमी.ऐसे में इस इलाके के मरीजों को बचाने की गरज से करीब 
14 करोड़ की लागत से नवहट्टा प्रखंड के चन्द्रायण स्थित पूर्वी तटबंध के किनारे पर रेफरल अस्पताल का निर्माण कराया गया.करीब सात एकड़ भूखंड पर पसरे इस अस्पताल के लिए आलिशान भवन ना केवल बनकर तैयार भी हुए बल्कि इस अस्पताल के लिए लाखों के चिकित्सीय अत्याधुनिक उपकरण भी मंगाए गए.बड़े ताम--झाम और गाजे--बाजे के साथ 18 सितम्बर 1995 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्वास्थ्य मंत्री महावीर प्रसाद और क्षेत्रीय विधायक अब्दुल गफूर की मौजूदगी में इस अस्पताल का विधिवत उदघाटन भी किया.इलाके के लोगों की बांछें खिल उठी थी की अब उनके घर के बुजुर्ग,महिलायें और घर का चिराग असमय दुनिया को अलविदा नहीं कहेगा. लेकिन नियति को यह शायद मंजूर ही नहीं था.19 सितम्बर 1995 को इस अस्पताल में यह कहकर ताले जड़े गए की यहाँ पर एक सप्ताह के बाद डॉक्टर और चिकित्साकर्मी आयेंगे लेकिन आजतक इस अस्पताल में वह समय नहीं आया जब इसके जंग खाए ताले खुलते.बन्द पड़े ताले आज भी उसी तरह इस अस्पताल में जड़े हुए हैं.
इस अस्पताल में कभी कोई ना तो डॉक्टर ही बैठे और ना ही कोई स्वास्थ्यकर्मी ही यहाँ आया.लम्बे समय तक डॉक्टर और चिकित्साकर्मी की बाट जोहते--जोहते अब यह संज्ञा भर का अस्पताल ना केवल भूत बंगले में तब्दील है बल्कि खंडहर होकर जमींदोज होने के कगार पर भी है.सरकारी पेंच में फंसकर यह अस्पताल करोड़ों की सरकारी राशि को बर्बाद कर दम तोड़ गया.इलाके के लोगों ने कभी यह अस्पताल अपने अस्तित्व में आएगा की अब उम्मीद भी छोड़ चुके हैं.सुशासन के ढोल--ताशे बज रहे हैं.विकास के कसीदे कढे जा रहे हैं.ऐसे में कोसी इलाके का यह रेफरल अस्पताल हुक्मरान और उसके तंत्रों के दावों की कलई खोल रहा है.यह नजारा बता रहा है की सरकार की कोशिशें पूरी तरह से ईमानदार नहीं हैं.सरकार को दावे कम और काम ज्यादा करना होगा.

अक्टूबर 17, 2012

उग्रतारा महोत्सव में आये मुख्यमंत्री

रिपोर्ट चन्दन सिंह: बिहार पर्यटन विभाग द्वारा पहली बार सहरसा के महिषी ग्राम स्थित माँ उग्रतारा धाम के महात्म को भांप कर आयोजित हो रहे दो दिवसीय उग्रतारा महोत्सव के पहले दिन आज सूबे के मुखिया नीतीश कुमार न केवल आये बल्कि दीप प्रज्जवलित कर महोत्सव का आगाज भी अपने शुभ हाथों से किया।नीतीश कुमार हेलिकॉप्टर से करीब सवा ग्यारह बजे महिषी ग्राम पहुंचे।हेलीपेड पर उनको पहले गॉड ऑफ ऑनर दिया गया।मुख्यमंत्री यहाँ से सड़क मार्ग से सब से पहले माँ उग्रतारा मंदिर पहुंचे जहां वैदिक विधि--विधान से पूजा और अर्चना की।मुख्यमंत्री यहाँ करीब पच्चीस मिनटों तक रहे।यहाँ से वे महोत्सव के आयोजन स्थल पर पहुंचे जहां महोत्सव का उद्दघाटन किया।दो दिवसीय इस महोत्सव में आज रात जहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा वहीँ कल मंडल धाम में इस क्षेत्र की विशिष्टता को लेकर एक सेमीनार आयोजित होगा जिसमें कई चोटी के विद्वान् शामिल होंगे।आज रात आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोक गायिका विजया भारती और तृप्ति शाक्या अपने सुरों का जलवा बिखेड़ेंगी मुख्यमंत्री ने इस महोत्सव के मौके पर उग्रतारा धाम के विकास और सौन्द्रियकरण के लिए 326.43 लाख और बाबा जी कुटी बनगांव के विकास और सौन्द्रियकरण के लिए लिए 98.20 लाख की योजना का रिमोट से शिलान्यास किया।इस अवसर पर धरोहर नाम के एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।मुख्यमंत्री यहाँ पर अपने भाषण में काफी संभले दिखे और किसी तरह की राजनितिक बात नहीं की।एक दार्शनिक की भांति उन्होनें लोगों से प्रेम,भाईचारा और एक दुसरे को सहयोग की नसीहत दी।उन्होनें कहा की बिहार के विकास से ही देश का विकास संभव है।
महिषी उग्रतारा शक्तिपीठ का भी उन्होने खूब गुणगान किया।इस महोत्सव के उद्दघाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता बिहार सरकार के पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने की।इस कार्यक्रम में मंत्री जीतन राम मांझी सहित खगड़िया के जदयू सांसद दिनेश चन्द्र यादव और क्षेत्रीय कई विधायक भी मौजूद थे।मुख्यमंत्री करीब सवा बजे यहाँ से पटना के लिए प्रस्थान कर गए।यहाँ पर बदले--बदले मिजाज थे हुजुर के।मुख्यमंत्री के अधिकार यात्रा के दौरान सहरसा का दौरा बिहार में सब से अधिक शांतिपूर्ण रहा था।आज के कार्यक्रम में भी इनका सिर्फ और सिर्फ खैर---मकदम ही हुआ।जाहिर तौर पर यहाँ से नीतीश जी भरपूर उर्जा का संग्रहण कर के जा रहे हैं,जो आगे उन्हें खूब काम आयेगा।

खबरदार मुख्यमंत्री करेंगे पूजा

रिपोर्ट चन्दन सिंह: महिषी स्थित उग्रतारा मंदिर में मुख्यमंत्री के पहले से घोषित पूजा करने के प्रोग्राम की वजह से आज सुबह से ही आम भक्तों को इस मंदिर में पूजा नहीं करने दी गयी।जाहिर तौर पर इस इलाके के भक्तों से लेकर दूर--दराज इलाकों से आने वाले भक्तों के लिए यह पहला ऐसा कुमौका था जब उन्हें माँ के बिना दर्शन और बिना पूजा-- के ही उन्हें यहाँ से लौटना पर रहा था।इस बात से आम लोगों में खासा आक्रोश था जिसका वे अपने तरीके से खुल कर विरोध भी कर रहे थे।आज अहले सुबह से ही माँ उग्रतारा मंदिर पुलिस छावनी में तब्दील था।मुख्यमंत्री यहाँ करीब साढे ग्यारह बजे पहुंचे और माँ की पूजा की।बताते चलें की नवरात्रे में दूर--दूर,यहाँ तक की नेपाल से भी इस मंदिर में पूजा करने के लिए हजारों की संख्यां में भक्त यहाँ आते हैं।लेकिन आज का दिन इन भक्तों के लिए मनहूस साबित हुआ और सभी भक्तों को यहाँ मौजूद पुलिस-प्रशासन के धौंस और खौफ की वजह से बिना पूजा किये ही यहाँ लौट गए।इसमें कोई शक नहीं है की माँ के दरबार में भी पद,कद और हैसियत से आज की पूजा हुयी।आमलोगों ने सकते में आकर इसका पुरजोर विरोध जताया लेकिन इसका नतीजा सिफर ही निकला।हद बात तो यह थी की बच्चे---बूढ़े और महिलाओं को भी पूजा नहीं करने दी गयी।
भगवान् के घर भी आदमी को खुश करने की कोशिश।यह ऐसा दरबार है जहां भक्त सिर्फ भक्त होते हैं लेकिन यहाँ मुख्यमंत्री के सामने सारे भक्त बौने पर गए।

अक्टूबर 16, 2012

संग्राम का बजा विगुल

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट:  बीते कल  सहरसा में पुलिस की बर्बरता की इंतहा पर लोगों का गुस्सा न केवल फूटा बल्कि लोगों ने सदर अस्पताल में घंटों बबाल भी काटे और मौके पर पहुंचे तीन अधिकारियों को घंटों बंधक बनाए रखा..गुस्साए लोगों का आरोप है की बीते 13 अक्तूबर को एक निर्दोष की गिरफ्तारी कर बनगांव थाने की पुलिस ने बेरहमी से दो दिनों तक हाजत में बंद कर के उसकी बेरहमी से पहले तो पिटाई की फिर आज सुबह जख्मी शख्स को सड़क किनारे लाकर लावारिश की तरह फेंक दिया और वहाँ से चलते बने.बनगांव थानाध्यक्ष संजीव कुमार सहित बनगांव पुलिस की बर्बरता और दादागिरी की इंतहा की इस घटना पर घंटों बबाल हुआ.बनगांव थाना क्षेत्र के वसुदेवा गाँव के रहने वाले संजीव दास को जख्मी हालत में ग्रामीणों ने सदर अस्पताल में भर्ती कराया है जहां उसकी स्थित नाजुक बनी हुयी है.लोगों और परिजनों का कहना है की चोरी,लूटपाट और मारपीट के एक झूठे मामले में पुलिस 
ने संजीव दास को पहले तो गिरफ्तार करके ले गयी लेकिन बाद में उसकी बेरहमी से पिटाई कर के उसे छोड़ दिया.मामला काफी विस्फोटक और यहाँ की तस्वीर काफी भयावह होती लेकिन आज तमाम विरोधी दलों के द्वारा बिहार बंद की वजह से उन लोगों का पूरा ध्यान सहरसा की बंदी में रहा इसलिए किसी का ध्यान इधर नहीं खिंचा वर्ना हम अभी आपको कुछ और ही दिखा रहे होते.आपातकालीन कक्ष में देखिये संजीव दास को किस तरह से बर्बर बनगांव पुलिस ने बेरहमी और निर्ममता से उसकी पिटाई की है.उसके दोनों चुतर,छाती और पाँव में गंभीर जख्मों के निशान मौजूद हैं जो पुलिस को यमराज साबित करने में समर्थ हैं.इस जख्मी और पुलिस की काली करतूत को देखने पहले एस.डी.ओ,ए.डी.एम और एस.डी.पी.ओ साहब आये.लेकिन लोगों ने इनकी एक न सुनी.इन्हें लोगों ने करीब दो घंटे तक अपनी गिरफ्त में रखा.बड़ी मुश्किल से ये लोग अपनी--अपनी गाडी लेकर यहाँ से भागे।फिर ये सभी डी.एम और एस.पी के साथ पुनः यहाँ आये.जख्मी संजीव की हालत काफी नाजुक है.उसके परिजन बताते हैं की पुलिस उसे एक झूठे मामले में पकड़ कर ले गयी और उसकी ऐसी पिटाई की उसका बचना मुश्किल है.पुलिस की बर्बरता की कहानी यहीं पर खत्म नहीं होती है.पुलिस वालों ने इसे पीट --पीट कर पहले तो अधमरा कर दिया फिर उसे वसुदेवा गाँव के समीप एक सड़क के किनारे लाकर फेंक दिया
सहरसा जलते--जलते बच्च गया.अगर पुलिस ने अपना रवैया नहीं बदला तो मधुवनी से बड़ी घटना यहाँ घटित होकर रहेगी.बताते चलें की बीते 29 दिसंबर 2011 को पुलिस और प्रशासन की नादानी से सहरसा में लगातार दो दिनों तक छात्र और पुलिस---प्रशासन के बीच संग्राम छिड़ा था.उस समय भी काफी बर्बादी हुयी थी लेकिन अब उस घटना से बड़ी घटना की आशंका कुलाचें भर रही है.जाहिर तौर पर पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों को अपनी आदत और कार्यशैली में बदलाव लाना होगा,तभी ऐसी बड़ी घटनाओं को रोका जा सकेगा.




सहरसा में बंदी

रिपोर्ट चन्दन सिंह:  वामपंथियों के साथ--साथ राजद,लोजपा,समाजवादी पार्टी सहित कई अन्य क्षेत्रीय पार्टियों द्वारा आहूत बिहार बंद का आज सहरसा में व्यापक असर देखा गया।जिला मुख्यालय ही नहीं जिले के तमाम बाजारों की लगभग सभी दुकानें आज दिनभर बंद रही।बंद के दौरान विभिन्य विरोधी पार्टियों के कार्यकर्ता अपने हाथों में अपने दल का बैनर और झंडा थामे घूम--घूमकर बाजार की दुकानें बंद कराते रहे।सहरसा की कई सड़कों पर भी घंटों जाम लगाकर यातायात को बाधित किया गया।सुबह में सलखुआ में जनसेवा एक्सप्रेस और सत्तर कटैया में राघोपुर---सहरसा पैसंजर ट्रेन को घंटों रोका गया।राज्य सरकार के विरोध में उबल रहे गुस्से का यह नतीजा रहा की सहरसा बंद पूरी तरह से सफल रहा।सहरसा बंद की एक खासियत यह भी रही की बहुचर्चित जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में आजीवन कारावास के सजायाफ्ता पूर्व सांसद बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी पूर्व सांसद लवली आनंद और उनके समर्थकों ने भी इस बंदी में जमकर हिस्सा लिया।
 सहरसा बंद पूरी तरह से सफल रहा।सरकार को अब हर बात मजाक में और हल्के में लेना उसकी सेहत के लिए बेहतर साबित नहीं होगा। सरकार में बने लोगों को दुसरे पर फिकरे कसना और मजाकिया लहजे में सिर्फ ज्ञानवर्धन करना चाहते हैं जैसे बयान देने के दिन अब लद गए।अब जनता सबकुछ देखने की नहीं बल्कि समझने की स्थिति में है।

अक्टूबर 15, 2012

लड़कियों को छेड़ना पड़ा मंहगा

सहरसा टाइम्स के खबर का असर 
 चन्दन सिंह की रिपोर्ट : दिनांक 13 दोपहर बाद दो लड़कियों के साथ छेड़छाड़ कर रहे दो युवकों में से एक को लोगों ने न केवल दबोच लिया बल्कि उस युवक की पहले तो जमकर धुनाई की गयी फिर उसे पुलिस को सौंप दिया गया।सदर थाना के जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय के सामने घटी इस घटना को सहरसा एस. पी ने गंभीरता से लिया है।सदर थाना में मामला दर्ज कर पुलिस इस मामले के दुसरे आरोपी को गिरफ्त में लेने के लिए छापामारी कर रही है।पुलिस की गिरफ्त में आया युवक सदर थाना क्षेत्र के पंचवटी चौक का रहने वाला है जबकि उसका फरार दोस्त संत नगर का रहने वाला है।बताना लाजिमी है की पिछले चार दिनों से दो युवक इन दोनों लड़कियों को परेशान कर के रख दिया था।लड़कियों ने पूछने पर बताया की दो लड़के पिछले चार दिनों से उसका पीछा करते थे और बाईक उनके आगे लगाकर गन्दी--गन्दी बातें करते थे।यही नहीं कागज़ पर इन युवकों ने अपना मोबाइल नंबर कागज़ पर लिखकर उनके आगे यह कहकर फेंक दिया की इसे उठा लो।
सोनी,राधा कुमारी-पीड़ित लडकियां।
आगे इसी से दिल की बातें परवान लेंगी।उन दोनों ने इस बात की जानकारी अपने परिजनों को दी।परिजनों ने आज जाल बिछाकर लड़की से इन युवकों को फोन करवाया और उन्हें जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय के सामने बुलवाया।दोनों युवक सज--धज कर मिलन स्थल पर पहुंचे।इन मजनुओं को कहाँ पता था की यहाँ तो उनकी शामत आने वाली थी।दोनों लड़के अलग--अलग बाईक से आये थे।लड़के ने बाईक दोनों लड़कियों के सामने खड़ी की और उन्हें गाडी पर बिठाने का प्रयास किया की चलो कहीं दूर सन्नाटे में मुहब्बत की पींगें बढ़ाएंगे।लेकिन एक लड़की ने राहुल की बाईक की चाभी ले ली और उसे बहलाने लगी की थोड़ी देर यहीं रुको।इतने में स्थानीय लोगों का हुजूम और परिजनों का कारवां इन दोनों युवकों की तरफ लपका।विजय नाम के युवक ने मौके की नजाकत को भांप लिया और अपनी बाईक स्टार्ट कर वहाँ से उड़न छू हो गया लेकिन राहुल फंस गया।फिर हुआ दे दनादन।
इस मामले को एस.पी ने गंभीरता से लिया है।उनकी माने तो गिरफ्त में आये युवक को फिलवक्त जेल भेजा जा रहा है।एक अन्य आरोपी युवक जो भागने में कामयाब हुआ है पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए छापामारी कर रही है।दोनों आरोपियों के खिलाफ सदर थाना में काण्ड दर्ज कर लिया गया है। अजित सत्यार्थी,एस पी   ने आगे कहा की इन मौसमी मजनुओं से निपटने के लिए अलग से रणनीति बनायी गयी है।स्कुल,कॉलेज और कोचिंग संस्थानों के आसपास पुलिस की गस्ती बढ़ाई जा रही है।ऐसे किसी भी शख्स को बख्सा नहीं जाएगा जो इस तरह की ओछी हरकत करेंगे।
जो पकड़ा गया वह चोर और जो बच गया वह साधू।कच्ची उम्र में फिकरे कसना और पाँव का फिसलना अब आम बात हो गयी है।यह नजारा तो एक बानगी भर है।सहरसा में छेड़छाड़ की अक्सर बड़ी घटनाएं देखने को मिलती रहती है।यह अलग बात है की इस बार परिजनों की पहल से एक मजनू दबोचा गया।लड़का और लड़की दोनों के परिजनों को आज उन्हें बेहतर साँचा देने की जरुरत है।जीवन के अंधदौड़ में आज बहुत कुछ पीछे छूटते जा रहे हैं। खुलेपन का यह मतलब नहीं की सड़क पर नैतिक मूल्यों का सर कलम किया जाए।

अक्टूबर 08, 2012

शराब ने ली बलि

रिपोर्ट चन्दन सिंह: बीती रात सदर थाना के नया बाजार स्थित राज श्री भोग फ्लावर मिल प़र शराब पीने--पिलाने
 के लिए हुई मारपीट में बेटे को बचाने गए एक पिता की शराबियों ने लाठी--डंडे और फरसे के प्रहार से गंभीर रूप से जख्मी कर दिया.आनन्--फानन में मुहल्ले और घर के लोगों ने इलाज के लिए उसे सदर अस्पताल लाया जहां देर रात उसकी मौत हो गयी.घटना के सम्बन्ध में प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ बजरंग साह नाम का युवक अपने चार दोस्तों के साथ अपने घर के बगल में स्थित राज श्री भोग फ्लावर मिल प़र अपने चार दोस्तों के साथ शराब पी रहा था.इसी दौरान किसी बात को लेकर उनलोगों के बीच मारपीट हो गयी.मारपीट और हो--हल्ला को देख बजरंग के पिता लाल मोहर साह ने बीच--बचाव करने की कोशिश की लेकिन अंगूर की बेटी सर चढ़कर बोल रही थी.चारों शराबियों ने लाल मोहर की लाठी--डंडे और फरसे के हमले से गंभीर रूप से जख्मी कर दिया.अब अंजाम सामने है लाल मोहर इस दुनिया को अलविदा कह चुका है.पुलिस ने इस मामले में सदर थाना में काण्ड दर्ज कर जहां अनुसंधान तेज कर दिया है वहीँ इस मामले के चार नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.शराब ने आखिरकार एक शख्स की बलि ले ही ली. आपालकालीन कक्ष में लाल मोहर की लाश को.उसके हाथ में फरसे के प्रहार से हुए जख्म के निशान साफ़--साफ़ झलक रहे हैं.उसके मुंह से खून निकल रहा है.बीती रात इन्होनें अपने बेटे को बचाने में अपनी जान गंवा दी.अस्पताल में उनके रिश्तेदारों और पहचान वालों का मजमा लगा हुआ है.उधर मृतक के घर प़र कोहराम मचा हुआ है.परिजनों के रोदन और विलाप से यमराज का सीना भी चाक हो रह है.इस घटना को लेकर मृतक का छोटा बेटा बताता है की उसका भाई बजरंग घर के बगल के ही मिल प़र बैठकर शराब पी रहा था की अचानक उसकी मारपीट वहाँ शराब पी रहे अन्य चार लोग मिल मालिक टुनटुन साह,मनटुन साह और उसके स्टाफ विकास कुमार सिंह और निकेश सिंह के साथ हो गयी.उसके भाई को बचाने के लिए उसके पिता गए.उन चारों ने बजरंग को छोड़कर उसके पिता जी को ही लाठी--डंडे और फरसे से प्रहार कर जख्मी कर दिया जिससे उसके पिता की मौत इलाज के दौरान हो गयी.घटना स्थल प़र अभीतक खून के धब्बे मौजूद हैं.स्थानीय लोग भी इस मौत को दारु--शराब पीने को लेकर हुए विवाद का नतीजा बता रहे हैं.
पुलिस कहती है:--- 
सूर्यकांत चौबे,सदर इन्स्पेक्टर सह सदर थानाध्यक्ष भी इस घटना के पीछे शराब पीने के समय हुए विवाद को ही कारण बता रहे हैं.अधिकारी कह रहे हैं की बीच--बचाव में गया मारा गया.,सहरसा.पुलिस इस मामले में काण्ड अंकित कर अनुसंधान शुरू कर चुकी है.पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की क्या वजह निकल कर सामने आती है,उनके लिए यह देखना भी जरुरी है.वैसे मृतक परिजनों ने चार लोगों मिल मालिक टुनटुन साह,मनटुन साह और उसके स्टाफ विकास कुमार सिंह और निकेश सिंह को नामजद आरोपी बनाया है.पुलिस ने इन चारों को गिरफ्तार कर लिया है.
     नीतीश बाबू के शराब शास्त्र पढने वाले विद्यार्थियों की कोई कमी नहीं है.हर उम्र और वय के लोग शराब शास्त्र विषय में उच्चतर डिग्रियां हासिल करने में लगे हुए हैं.यह नरबली शराब शास्त्र के विद्यार्थियों के शराब प्रेम का ही नतीजा है.यूँ हम आपको बताना चाहते की सहरसा में में आपको बेरोजगार,सरकारी हाकिम--मुलाजिम से लेकर तथाकथित सभ्रांत वर्ग के लोग दिन के उजाले से लेकर रात के अँधेरे में कभी भी आसानी से थोक में मिल जायेंगे.इस जिले में शराब की दरिया बह रही है जिसमें लोग खूब डुबकियां लगा रहे हैं.

IIT ADMISSION ELIGIBILITY CRITERIA 2013

This report by http://www.100marks.in :  Yesterday IIT Joint Admission Committee has made a startling confirmation on the eligibility for admissions into IIT, while MHRD has been quite vocal until now on saying that top 20 percentile in 12th board will serve as eligibility criteria for all the students who have passed 12th board in 2012 and 2013.
But now IIT JAB has declared that eligibility for students who have passed 12th board in 2012 is only 60% marks, while top 20 percentile cut-off will stay for students appearing for 12th board in 2013 and also for students who will be sitting for 12th board in 2013 and will be using 2013 score for admission.
The official notification reads
In respect of those students who passed their Board exam for the first time in 2012, the eligibility criteria for joining any of the IITs or ISM Dhanbad will be 60% marks in their 12th Board or equivalent (55% for SC/ST/PD candidates). For those candidates who appear in their Board exams for the first time in 2013, the eligibility criteria will remain ‘top 20 percentile of the successful candidates’ in their Boards, category-wise. This will be a one-time exception for JEE (Advanced) 2013 only.
For those students who passed their 12th Board exams in 2012 but are re-appearing in the 2013 Board exams with a view to improve their performance, 60% rule will apply if they use their 2012 Board exam results and ‘top 20 percentile’ rule will apply if they use their 2013 Board exam results. This too will be a one-time exception for JEE (Advanced) 2013 only.
In case the percentile score is not available from testing agencies [such as Pre-University exam conducted by a University, two-year course of the Joint Services Wing of the National Defence Academy, General Certificate Education examination (London/Cambridge/Sri Lanka), High School Certificate Examination of Cambridge University, International Baccalaureate Diploma (Geneva), Senior Secondary School Examination of National Institute of Open Schooling, three year Diploma recognized by AICTE / State Board of Technical Education and any Public School/Board/University examination in India or in any foreign country recognized as equivalent to the 10+2 system by the Association of Indian Universities (AIU)] the CBSE score for top 20 percentile of the successful candidates in the student’s category will be used.
                                         THIS FACT BY http://www.100marks.in

अक्टूबर 06, 2012

ओवर ब्रिज के लिए सत्याग्रह

रिपोर्ट चन्दन सिंह :  पिछले पंद्रह साल के दरम्यान तीन अलग--अलग रेल मंत्रियों के द्वारा सहरसा के रेलवे ओवर ब्रिज का शिलान्यास किया गया लेकिन हद की इंतहा देखिये की उसका निर्माण कार्य आजतक शुरू नहीं हो सका.दशकों से जाम की समस्या से हलकान--परेशान सहरसावासियों को इस तकलीफ से कब की निजात मिल गयी होती लेकिन क्षेत्रीय प्रभावशाली नेताओं और रसूखदारों के निजी स्वार्थ और हस्तक्षेप की वजह से इस रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य आजतक शुरू नहीं हो सका.अब लोगों का धैर्य जबाब दे चुका है. सहरसा जिला मुख्यालय के सुपर बाजार के पश्चिमी गेट प़र कोसी प्रमंडलीय रेलवे ओवर ब्रिज निर्माण संघर्ष समिति के बैनर तले जिला पार्षद सह समाजसेवी प्रवीण आनद सहित चार लोगों ने एक साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल यानि सत्याग्रह की शुरुआत की है.इसबार आरपार की लड़ाई है.इन सत्याग्रहियों का साफ़ कहना है की अभी तो शुरुआत में महज चार साथी भूख हड़ताल प़र बैठे हैं लेकिन आगे अनशनकारियों की संख्यां कहाँ तक पहुंचेगी,कहना नामुमकिन है.इस बार ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू वे करवाकर के ही रहेंगे की उन्हौनें हुंकार भरी गयी है.जंगे ओवर ब्रिज का बिगुल बज चुका है.यह लड़ाई जनता बनाम नेता और शासन--प्रशासन है.इस अनिश्चितकालीन अनशन की शुरुआत गीत--संगीत,भजन और देशभक्ति गीतों के रंगों में सराबोर होकर हुई.
इस आन्दोलन के सभी रास्ते ओवर ब्रिज तक जाते हैं.जंगे ओवर ब्रिज का विगुल बज चुका है.ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू कराने का कठिन मगर इकलौता संकल्प है.आखिर में हम भी कहेंगे यहाँ ओवर ब्रिज के अभाव में "बेजा खत्म हो रही हैं जिंदगियां साहेब,नींद से जागिये और रहनुमा बनिए"

अक्टूबर 03, 2012

सेक्स रैकेट का खुलासा

बीते शाम में सदर थाना क्षेत्र के गंगजला चौक स्थित एक टेलरिंग की दूकान से पुलिस ने दो युवकों को एक कम उम्र की लड़की के साथ संदिग्ध अवस्था में रंगे हाथों गिरफ्तार किया.हद की इंतहा देखिये की दूकान को बाहर से बन्द करके उसमें ताला जड़ा हुआ था और भीतर में रंगरलियाँ मनाई जा रही थी.पुलिस को किसी ने इस बात की सूचना दी.पुलिस बिना मौक़ा गंवाए आनन्--फानन में वहाँ पहुंची और ताला तोड़कर दूकान के भीतर से तीनों को गिरफ्तार कर लिया.गिरफ्तार एक युवक टेलरिंग दूकान का मालिक एजाज है जबकि दूसरा युवक उसका साथी कमरुद्दीन मांस व्यवसायी है.लड़की मधेपुरा की रहने वाली है.जाहिर तौर प़र पुलिस ने एक सेक्स रैकेट का खुलासा किया है लेकिन इस देह व्यापार के दलदल में फंसी लड़की का दर्द कलेजे को छलनी और चाक करने वाला है.पुलिस की गिरफ्त में आई लड़की का कहना है की उसके माता--पिता तीन बेटियों के अधेड़ बाप से उसकी शादी रचा रहे थे जिसका उसने विरोध किया तो उसके माँ--बाप ने उसे घर से निकाल दिया.बेघर हुई जब उसे पेट की आग सताने लगी तो उसने देह का सौदा कर लिया.अब उसे एक ग्राहक से एक बार की सेवा में एक हजार रूपये मिलते हैं

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।