अप्रैल 30, 2012

मासूम की बलि

रिस्ते के जब पाए दरकते हैं तो बड़े से बड़े हादसे पल में बेजा हो जाते हैं और बाद में जिसपर महज अफ़सोस के सिवा वापसी का कोई चारा नहीं होता.सहरसा जिला के बनगांव थाना के बलहा--गढ़िया गाँव में सिर्फ रिस्ते को ही नहीं बल्कि पूरी आदमजात को लहू--लुहान करने वाली एक खौफनाक घटना घटी है.मामूली घरेलू झगडे वह भी गोबर के गोइठे और भूसा--करसी को लेकर हुए झगडे में एक सगे चाचा और दो सगी चाची ने मिलकर महज दस माह की एक बच्ची को पाँव से कुचल--कुचल कर मौत के घात उतार डाला.मानवता के चिथड़े उड़े और इंसानियत का सीना चाक हुआ..दस माह की सरस्वती जिसने अभी ठीक से दुनिया देखी भी नहीं थी,जिसे जीवन के उतार--चढ़ाव,गुना--भाग से कोई लेना देना नहीं था उसे असमय इस दुनिया से विदा कर दिया गया.बड़ों के झगडे में एक मासूम की बलि चढ़ गयी.पूरा घर लग रहा है आंसुओं के सैलाब से डूब जाएगा.माँ की चीत्कार यमराज को ललकार रहा है.घटना के बाबत मृतका बच्ची की माँ का कहना है की गोइठा और भूसा--करसी को लेकर उनकी कहा सुनी उनकी दो गोतनियों से हो गयी.इसको लेकर वे लोग आपे से बाहर हो गए और दोनों गोतनी और एक जेठ ने उस अबला को लाठी से पीटना शुरू कर दिया.बच्ची उनके हाथ से नीचे गिर गयी,.दरिन्दे जमीन पर गिरी बच्ची को पाँव से रौंदना शुरू कर दिया और वे तबतक उसे रौंदते रहे जबतक सरस्वती सदा के लिए खामोश नहीं हो गयी.घर में हो रहे हंगामा की खबर सुनकर सरस्वती के पिता शशि यादव भी दौड़कर पहुंचे लेकिन उनके भाई और भाभी ने मिलकर उन्हें भी मारना शुरू कर दिया.शशि के कान काट डाले,उसके सर फोड़ डाले.शशि का तो कहना है की उनके अपनों ने तो पहले उनकी बेटी की जान ली फिर उन्हें भी जान से मारने की पूरी कोशिश करने लगे.लेकिन उसने जोर से हल्ला मचाना शुरू किया जिससे गाँव के लोग जमा होने लगे.इतने में सभी आरोपी फरार हो गए और उसकी जान बच सकी.शशि को तीन बेटियाँ थीं जिसमें से सरस्वती इस दुनिया से जा चुकी है.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।