अक्टूबर 23, 2012

मदिरा से माँ की अनूठी पूजा

 ।।। खाश रिपोर्ट।।। चन्दन सिंह
मदिरा से माँ की अनूठी पूजा : शक्तिपीठों में विशिष्ट माँ उग्रतारा धाम में एक तरफ माँ को शराब पिलाकर हुयी अनूठी पूजा तो दूसरी तरफ नगाड़ों की थाप पर लगा माँ तारा का जयकारा  /तंत्र--मन्त्र के साधक भी दूर--दराज इलाके से आकर जुटे हैं सिद्धि लेने में।।। साधकों और आमभक्तों ने माँ तारा को खूब पिलाई मदिरा।।।। माँ को मदिरा पिलाकर पूजा का यह विधान है चौंकाने वाला।।। खाश रिपोर्ट।।।।
पूरा देश माँ अम्बे के जयकारे से गुंजायमान है.दशहरे की धूम से जर्रा--जर्रा सिक्त है.सहरसा में भी नवरात्रे की अपनी छंटा है जो अलग तरह की ही अनुभूति करा रही है.देश के 52 शक्तिपीठों में से एक सहरसा जिले के महिषी गाँव स्थित माँ उग्रतारा धाम में शक्ति की देवी माँ तारा की पूजा बड़े धूम--धाम से मनाई जा रही है.तंत्र साधना के लिए विख्यात इस शक्ति पीठ पर चिनाचार और षोडषोपचार विधि से पूजा--अर्चना करने की परम्परा रही है.यहाँ देश के विभिन्य हिस्सों के अलावे विदेशों से ना केवल भक्तजन अपनी मुरादों की पूर्ति कराने आते हैं बल्कि तंत्र साधक भी यहाँ आकर सिद्धि प्राप्त करते हैं.नवरात्रे में यहाँ अष्टमी और नवमी की पूजा काफी महत्वपूर्ण और अनूठी होती है.अष्टमी को माँ की अद्दभुत आरती होती है.ढोल--नगाड़े बजते हैं और माँ का जयकारा लगता है.जहां साधक अपनी तंत्र सिद्धि के लिए विभिन्य तरह से पूजा-अर्चना करते हैं वहीँ साधक के साथ--साथ आमभक्त माँ को मदिरा पिलाते हैं.आम भक्तों के द्वारा माँ को रिझाने--मनाने के लिए मदिरा पिलाकर भक्ति की यह परम्परा विरले ही देखने को मिलती होगी.आज हम आपको अष्टमी में माँ को  शराब पिलाकर हो रही इस अनूठी पूजा को दिखाने लाये हैं जिसे देखकर एक बार आप भी जरुर दंग रह जायेंगे.
माँ की महिमा अपरम्पार है तो भक्तों की भक्ति का अंदाज भी कोई कम नहीं है.इस धाम की बात ही निराली है.आज नवमी को यहाँ पर बलि प्रदान की परंपरा है.जानते हैं विभिन्य मुरादों की पूर्ति के लिए माँ से मनौती करने वाले भक्तों की ओर से आज यहाँ तीस हजार से ज्यादा छागर और भैंसे की बलि दी जायेगी.हम तो आखिर में बस इतना ही कहेंगे की जय माता दी. 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।