अगस्त 17, 2012

रात की झमा - झम वर्षा से धान के खेतों में हरियाली

 रिपोर्ट  चन्दन सिंह  रात की झमा-झम वर्षा से धान की फसल हरा भरा दिखने लगा  है बीते कई दिनों से वर्षा नहीं होने से किसान के चहरे पर उदासी के बादल मंडरा रहे थे  खेतों में लगे धान का फसल बर्वाद होने के कगार पर जा चूका था लेकिन अचानक रात से सुबह तक लगातार हो रहे वर्षा से धान की खेतों में पानी भर गया जिससे खेत में लगे धान के पोधे में हरियाली दिखने लगी है. काफ़ी जद्दोजहद करने के बाद भी किसान के साथ कई समस्याए बनी रहती है जिसको लेकर सरकार के दावे सिर्फ और सिर्फ हवाई दिखती है. आज कोशी के किसान पूरी तरह से बदहाल है इसे देखने वाला कोई भी सरकारी नुमाइन्दे  नहीं है. नहरे और तालाब  पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. अधिकतर नहर में पानी नहीं है यदि पानी इस में छोड़ा भी जाता है तो इससे किसान को लाभ तो नहीं मिलता  है लेकिन खेतों में लगे फसल बर्वाद जरुर हो जाता है . नहर सफाई के लिये फंड भी आते है लेकिन ये सरकारी हुक्मरानों के खाऊ - पकाऊ में है ख़त्म हो जाती है. किसी भी सरकारी योजना का लाभ सुदूर क्षेत्र के किसान को नहीं मिलता यदि मिलता भी है तो उन नामचीन किसान को मिलता है जो किसी जनप्रतिनिधि के सगे सम्बन्धी होते है या तो दबंग. इस क्षेत्र में खेती के लिये सिमित उपजाऊ जमीन है जिससे गरीब किसानों का पेट भरता है अधिकतर खेतिहर  जमीन कोशी मैया के प्रतिवर्ष भेट चढ़ जाती है इन सभी समस्याओं से कोशी के किसान जूझ रहे है.
सवाल और समस्याए कई है, किसान बदहाल है , नेता खुशहाल है, खाद  के कालाबाजारी करने वाला सेठ धान का पौधा बड़ा होने के  इंतजार में है,  सरकारी योजना मुख्यालय में फाइल की रौनक बढ़ा रही है. लेकिन किसान भाई को इन सभी
समस्याओं से कब मुक्ति मिलती है ये उपरवाला ही जानता है.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।