अगस्त 30, 2012

29 अगस्त सहरसा के छः शहीद वीर सपूत

चर्चित गायिका कृतिका गौतम
भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर वीर सपूतों में बिहार का गौरवशाली इतिहास है.यूँ कहें तो बिहार की धरती ही अमर बलिदानियों की रही है.लेकिन इस कड़ी में सहरसा की भी अग्रणी भूमिका रही है.29 अगस्त 1942 को भारत छोडो आन्दोलन के दौरान सहरसा के छः वीर सपूतों ने भी अपनी जान देश प़र न्योछावर कर देश को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका निभायी थी.सहरसा के धीरो राय,केदारनाथ तिवारी,हीराकांत झा,पुलकित कामत,कालेश्वर मंडल और भोला ठाकुर ने भारत छोडो आन्दोलन के दौरान अंगेजों की गोली खाकर भी सहरसा के शहीद चौक प़र हिन्दुस्तानी तिरंगा लहरा दिया.इन छः वीर सपूतों के शरीर गोलियों से छलनी थे और इनके प्राण ने इनका शरीर त्याग दिया था लेकिन इनके हाथों में तिरंगा लहरा रहा था.आज उन्हीं अमर शहीद की याद में दि सेन्ट्रल को--ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाईटी लिमिटेड के सौजन्य से एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन हुआ.राज्य सरकार के विधि,योजना और विकास मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्दघाटन किया.इस पावन कार्यक्रम में छातापुर के जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू,कई राजनीतिक हस्तियों के अलावे सामाजिक विषयों के जानकार--विद्वान् और प्रबुद्धजन शामिल हुए.इस मौके प़र आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में क्षेत्रीय कलाकारों ने सूरों का ऐसा अदभुत जलवा बिखेड़ा की शाम में शुरू हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा.
 कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.शाम करीब सात बजे शुरू हुआ देशभक्ति गीतों का दौर रात बारह बजे के बाद तक चलता रहा.नृत्य और एक से बढ़कर एक भक्ति गीत से क्षेत्रीय कलाकारों ने ऐसा समां बांधा की लोग बस झूमते और थिरकते चले गए.स्वारांजलि संगीत अकादमी की बच्चियों के द्वारा प्रस्तुत एक से बढकर एक नृत्य ने लोगों को खूब झुमाया.उसके बाद गीतों के क्या कहने.खासकर के रामेश्वर पाठक,देश के कई बड़े मंचों प़र बड़े पार्श्व गायकों के साथ अपने फन का लोहा मनवा चुकी चर्चित गायिका कृतिका गौतम और अमरेन्द्र मिश्र आगा को लोगों ने खूब सराहा.
अमर बलिदानियों की याद में ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम दिल को ना केवल छू लेते हैं बल्कि रूह तक उतर जाते हैं.लेकिन ऐसे कार्यक्रमों से सीख लेकर अमर बलिदानियों के अधूरे और बड़े सपने जो आज के दौर में कहीं पीछे छुट गए हैं उन्हें पूरा करने का सरे--पाँव शपथ लेना चाहिए.आज बलिदानियों का बलिदान बेजा और बेमानी लगने लगा है. आईये आप भी देश प्रेम के रंगों में सरबोर होकर खूब झूमिये,नाचिये और गाईये.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।