अगस्त 22, 2012

सहरसा के लोगों की एक बड़ी मुसीबत

चन्दन सिंह की रिपोर्ट : कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल में महिला मरीजों,उनके परिजनों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों की जान प़र बनी है.इस अस्पताल में प्रसव कराने के लिए गर्भवती महिलाओं की यहाँ मेले की शक्ल में भीड़ उमड़ रही है.लेकिन इस भीड़ के आलम में आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की महिला मरीजों,उनके परिजनों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यहाँ शौचालय,बाथरूम और पानी का इंतजाम नहीं है.यही नहीं प्रसव कक्ष और प्रसव वार्ड से ठीक सटे नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में भी शौचालय,बाथरूम और पानी का इंतजाम नहीं है.खासकर यहाँ शौचालय और बाथरूम नहीं होने से महिलाओं को कैसी दिक्कत हो रही होगी,इस दर्द को समझने वाला कोई नहीं है.आज सहरसा टाइम्स एक बड़ी और दुख:दायी पीड़ा का सनसनीखेज खुलासा करने जा रहा है.   
* सबसे पहले हम आपको लेकर सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में आये हैं.देखिये यहाँ प़र बेसिन और नल तो लगे हुए हैं लेकिन उससे पानी नहीं निकल रहा है.बड़ी मुश्किल से अगर इससे कभी पानी टपकता भी है तो वह बिल्कुल गन्दा होता है.सारे नल बेकार पड़े हुए हैं.प्रसव के दौरान स्वच्छ पानी की कितनी दरकार होगी,आप समझ सकते हैं.आप प्रसव वार्ड में भी प्रसव के लिए आई गर्भवती महिलायें अपनी बारी आने के इन्तजार में हैं.उनके साथ उनके परिजन भी हैं.अब हम आपको यहाँ की सबसे बड़ी समस्या से आपको रूबरू करा रहे हैं. महिला मरीजों,उनके परिजनों के साथ--साथ प्रसव कक्ष और वार्ड के लिए तैनात महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए शौचालय और बाथरूम का कोई इंतजाम नहीं है.आप समझने की कोशिश करें की महिला जात रात और दिन अपने नैसर्गिक क्रिया से आखिर कहाँ और कैसे कैसे फारिग होती होंगी.इस अव्यवस्था से सबके सब दुखी,परेशान और आहत हैं.हम आपको सिर्फ इस साल इस प्रसव कक्ष में हुए प्रसव के आंकड़ों से वाकिफ कराना चाहते हैं जिसको देखकर आप यहाँ की भीड़ को समझ सकते हैं और फिर आपको यहाँ कितनी बड़ी मुसीबत को महिलायें झेल रही हैं,इसे भी आपको समझने में सहूलियत होगी.इस साल जनवरी माह में 633,फ़रवरी में 581,मार्च में 578,अप्रैल में 495,मई में 502,जून में 531,जुलाई में 689 और इस माह में अगस्त में आजतक 378 शिशुओं ने जन्म लिए हैं. 
सिविल सर्जन
यहाँ प़र जब किसी नवजात शिशु की तबियत बिगड़ती या नाजुक होती है तो उसे नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती कराया जाता है.यही समस्या वहाँ प़र भी मौजूद है.
इस गंभीर समस्या को लेकर सहरसा टाइम्स  ने जब सिविल सर्जन सह चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर भोला नाथ झा से बात की तो उन्हौनें जल्द ही इस दिशा में काम होने की बात कही.उन्हौनें कहा की वे खुद इसको लेकर बेहद चिंतित और गंभीर हैं.प्रमंडलीय आयुक्त ने पचास लाख रूपये अस्पताल को दिए हैं.वे PHED से इसके लिए DPR बनाने को कहा है.जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जायेगी.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।