मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: सहरसा
में इनदिनों खाकी पूरी तरह से दलाली पर उतरी हुयी है। सात दिन पूर्व बिजली
करेंट लगाकर एक महिला को जान
से मारने मामले में पुलिस ने जहां थाने में मामला दर्ज नहीं किया है वहीँ
पीड़ित महिला और उसके परिजनों को पुलिस तरह--तरह का प्रलोभन देने और
डराने--धमकाने में जुटी हुयी है।जाहिर तौर पर इस मामले की तटस्थ पड़ताल
की जगह पुलिस बीच का रास्ता निकालने में ज्यादा रूचि इसलिए दिखा रही है की
इस बहाने उन्हें मोटी रकम मिलने की बेइन्तहा उम्मीद है।इधर पीड़ित महिला सदर
अस्पताल में जिन्दगी और मौत से जूझ रही है और साफ़-साफ़ कह रही है की वह
शब्जी बेचकर गुजर करने वाली मामूली महिला है।उसे उसके बगल के ही एक
दुकानदार ने बिजली का करेंट लगाकर मारने की कोशिश की है।इस घटना में उसके
दो बच्चों को भी करेंट लगे थे लेकिन वे दोनों ठीक हैं।उसकी हालत काफी नाजुक
है और उसे नहीं लगता की वह बच पाएगी।मामला अति गंभीर है इसमें पुलिस को
त्वरित गति से मामले की सघन जांच कर सच को उकेरना चाहिए था लेकिन पुलिस तो
आखिर पुलिस है साहेब।उसकी जो मर्जी होगी वह वही करने के लिए तयशुदा
है।सहरसा पुलिस की दादागिरी और काली करतूत को बेनकाब करती घटना और उसकी
साबूत तस्वीर लेकर आज सहरसा टाईम्स आपके सामने हाजिर हो रहा है।


सहरसा पुलिस को किसी भी तरह की आंधी--तूफ़ान और बड़े--बड़े आदेश---निर्देश की परवाह नहीं है।यहाँ की पुलिस हम नहीं सुधरेंगे की तर्ज पर काम करने की ना केवल आदी है बल्कि वे वहीँ करेंगे जो उनकी मर्जी है।यहाँ दफा के लिए बोली लगती है और दफा बिकते हैं।यहाँ की खाकी इन्साफ के लिए नहीं बल्कि दलाली के लिए मशहूर है।