मई 25, 2013

कम्पाउंडर और झोला छाप डॉक्टर ने मिलकर लुटी नाबालिग की अस्मत

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट : छेड़छाड़,जोर--जबरदस्ती और दुष्कर्म की घटनाओं से आज पूरा देश ना केवल मर्माहत है बल्कि उबल और खौल रहा है।ऐसे में सहरसा जिले के बिहरा थाना के मोकना गाँव से अगवा कर एक पंद्रह वर्षीय महादलित बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटी घटना से मानवता, रिश्ते--नाते,मर्यादा और इंसानियत के एक बार फिर से चिथड़े उड़े हैं। इस बार झोला छाप डॉक्टर और कम्पाउंडर ने मिलकर नाबालिग की अस्मत लुटी है।जानकारी के मुताबिक़ घटना बीते 23 मई की देर रात की है। पहले तो झोला छाप डॉक्टर ने पीड़ित बच्ची को अगवा कर पहले खुद उसकी इज्जत लुटी फिर अपने कम्पाउंडर दोस्त के साथ मिलकर जमकर उसे नोंचा।
विजय साह जो उसके गाँव के बगल के गाँव बरुआरी का रहने वाला है 23 मई की शाम में उसके घर आया।विजय पीडिता के यहाँ ही रात का खाना खाया और उसी के यहाँ सो भी गया।लेकिन रात जब गहरी हुयी तो विजय घर में घुसकर जबरदस्ती पीड़िता को अपनी मोटरसाईकिल पर लेकर फरार हो गया।पहले विजय पीड़िता को अपने घर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया।दुसरे दिन पीड़िता को लेकर वह सुपौल अपने कम्पाउंडर दोस्त शिव कुमार के घर पहुंचा।दिनभर विजय और शिव कुमार फिर भर दिन पीड़िता की अस्मत से छूटकर खेलते रहे। अस्मत को चाक करने के बाद इन दरिंदों ने बीती देर शाम पीड़िता को सुपौल बस स्टैंड पर यह कहकर छोड़ दिया की इस बात का किसी से जिक्र नहीं करना वर्ना मौत के घाट उतार दूंगा।सहरसा पुलिस को इस बात की भनक लगी उसने पहले तो लड़की को सकुशल बरामद किया फिर उसकी निशानदेही पर एक आरोपी शिव कुमार को सुपौल के चर्चित डॉक्टर बी.के.यादव के निजी क्लिनिक से दबोच लिया।लेकिन मुख्य आरोपी विजय साफ़ भागने में कामयाब हो गया।इस घटना के बाबत पीड़िता और उसके पिता सहरसा टाईम्स को जानकारी दिया। पिता तपेश्वर रामकहते हैं की उनकी पहचान पूर्व से ही विजय से थी लेकिन वह इतना बड़ा दरिंदा निकलेगा उन्हें इसका तनिक भी अहसास नहीं था।इन जालिमों को फांसी की सजा होनी चाहिए,इसकी वे मांग कर रहे हैं।
पुलिस पीड़िता के परिजन आवेदन पर कारवाई करते हुए एक आरोपी को दबोचने के बाद पीड़िता का मेडिकल चेकअप कराने में जुटी है।बिहरा थाना के एस.आई आर.भूषण का कहना है की इस मामले के एक अन्य आरोपी को गिरफ्त में लेने के लिए पुलिस संभावित ठिकानों पर छापामारी कर रही है।
आखिर क्या हो गया है इस समाज को।क्यों पापियों की संख्यां में बदस्तूर इजाफा हो रहा है।आखिर कब और कैसे महफूज रह सकेंगी हमारे घर की लाडलियां।कहते हैं की आप बदलेंगे तो जग बदलेगा।आखिर सुधार और बदलाव की लहर किधर से उठेगी।पल भर के जिश्मानी भूख मिटाने में आखिर क्यों ये दरिन्दे जीवन भर की टीस और मौत बाँट रहे हैं।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।