मई 31, 2013

रंगदारी दो फिर होगा गृह प्रवेश

मुकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट: सुशासन में गुंडों का राज है।आज सहरसा टाईम्स एक दंपत्ति की ऐसी दुखती--टीसती कहानी लेकर आपके सामने हाजिर है जिसमें सुशासन के तमाम दावों की हवा निकल रही है।बड़े अरमान के साथ जीवन के आखिरी पड़ाव पर सहरसा के एक प्रोफ़ेसर दंपत्ति ने अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई से पटना के पाटलिपुत्रा कोलोनी में करीब 40 लाख रूपये में एक फ्लैट खरीदा की जीवन के आखिरी दिन वहाँ सुकून से गुजारेंगे लेकिन वहाँ के रंगदार कह रहे हैं की पांच लाख रूपये रंगदारी दो तब होगा गृह प्रवेश।कॉलेज प्रोफ़ेसर इस दम्पति पर गम का पहाड़ टूटा है।आप खुद समझिये जिसने दिसंबर 2012 में फ्लैट खरीदा हो लेकिन अभीतक उसमें रह्बसर का उसे मौक़ा नहीं मिला हो तो उसपर क्या बीत रहा होगा।
 सहरसा के रमेश झा महिला कॉलेज में पदस्थापित प्रोफ़ेसर पति--पत्नी डॉक्टर एहसान शाम और डॉक्टर रेयाज बानो काफी डरे--सहमे हैं।सुशासन का राज समझकर इन्होनें पटना में यह सोचकर फ्लैट खरीदा की पटना में कानून का राज होगा उन्हें वहाँ अच्छे लोग मिलेंगे जिससे उनके जिन्दगी के आखिरी दिन अमन और सुकून में बीतेंगे। बड़े अरमान से घर खरीदा था।18 अप्रैल 2013 को वे अपने फ्लैट में गृह प्रवेश की तैयारी कर रहे थे की अचानक हथियार से लैस चार--पांच लोग घर के अन्दर घुस आये और गृह प्रवेश की प्रक्रिया को यह कहकर रोक दिया की इस फ्लैट में अगर रहना है तो पांच लाख रूपये रंगदारी दो।अचानक की इस विपत्ति से यह बुजुर्ग दंपत्ति घबरा गया।डॉक्टर एहसान शाम की पत्नी डॉक्टर रेयाज बानो जो हार्ट की पेशेंट हैं ने डर से तुरंत घर में रखे पचास हजार रूपये रंगदारों को यह कह कर दिए की अब वे उनकी जान छोड़ दें।पीड़ित दंपत्ति उसी रात पटना से सहरसा लौट आया।उसके बाद रंगदार इनलोगों को फोन पर बांकी रूपये के लिए धमकी देने लगे।इस दंपत्ति ने पटना के दो रंगदार रुपेश कुमार झा और नन्द कुमार झा के नाम बताये हैं जो उनसे रंगदारी मांग रहे हैं।ये बता रहे हैं की वे इस विपदा से निजात दिलाने के लिए सहरसा और पटना पुलिस दोनों से फ़रियाद की लेकिन किसी ने उनकी एक ना सुनी।बताना लाजिमी है की डॉक्टर एहसान शाम सहरसा के कोसी चौक के समीप एक भाड़े के मकान में रहते हैं।शाम साहब देश के जाने--माने शायर हैं और देश के ना केवल कई मंचों पर अपनी शायरी का लोहा मनवा चुके हैं बल्कि इनकी लिखी दर्जनों किताबें बाजार में उपलब्ध हैं।इन्होने खुद की लिखे शेर पढ़कर भी सहरसा टाईम्स से अपने दर्द का बयान किया।दुःख की इस घडी में सहरसा टाईम्स को अपने सामने पाकर वे सहरसा टाईम्स से ना केवल इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं बल्कि सहरसा टाईम्स के लिए दुआ भी कर रहे हैं।
सहरसा टाईम्स ने इस मामले को काफी संजीदगी और गंभीरता से लिया और इस बाबत पुलिस अधिकारी से जबाब--तलब किया।सहरसा के पुलिस अधीक्षक अजीत सत्यार्थी अभी अवकाश पर हैं।उनकी गैर मौजूदगी में हमने प्रभारी पुलिस अधीक्षक कैलाश प्रसाद से इस घटना को लेकर तल्ख़ बातचीत की।सहरसा टाईम्स की दखल के बाद इन्होनें सदर थाना में काण्ड दर्ज करने का निर्देश दिया।इनका कहना है की इस मामले में पटना पुलिस की जिम्मेवारी बनती है की वह इसमें उचित कारवाई करे।वे पटना पुलिस को इस मामले को रेफर करते हुए वहाँ के अधिकारियों से बात भी करेंगे।चलिए कम से कम सहरसा टाईम्स के प्रयास के एक झटके में सहरसा में मामला तो दर्ज हुआ। सुदूर ग्रामीण इलाके या फिर और जिलों के शहरों की बात छोडिये,राज्य मुख्यालय पटना में भी गुंडों का राज है।सहरसा टाईम्स इस पीड़ित दंपत्ति को हर हाल में इन्साफ दिलाकर रहेगा।सूबे के मुखिया को कानून के राज में खौफ के राज की इस तस्वीर को सिद्दत से देखना चाहिए।

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