जनवरी 05, 2012

तबेले में स्कूल School In The Stable

तबेले में स्कूल

चलता--फिरता स्कूल
यूँ तो पूरे सूबे में लचर और बदहाल शिक्षा व्यवस्था बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने की नयी ईबारत लिख रहा है लेकिन खासकर के सहरसा में शिक्षा की बदहाली सरकार की किरकिरी कराने के साथ--साथ शिक्षा इंतजामात की पोल भी खोल रहा है.गौरतलब है की  सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड अंतर्गत लक्ष्मीपुर गाँव के शर्मा टोला स्थित एक प्राथमिक विद्यालय ज़मीन और भवन के अभाव में एक तबेले में चल रहा है.भविष्य के सतरंगी सपने सहेजे मासूम बच्चे यहाँ जानवरों के शौच और विभिन्य तरह की नाफ फाडू गंदगी के बीच पढाई करने को विवश हैं.इस तबेले वाले स्कूल में बच्चे, शिक्षक और परिजन सब के सब मजबूर हैं.हद की इंतहा तो यह है यह स्कूल मौसम के मिजाज के अनुकूल जगह भी बदलता रहता है और तब इसके हालत इससे भी बदतर होते हैं.जाहिर तौर पर इसे चलता--फिरता स्कूल भी कह सकते है.ये भी कहने में हमे कतई गुरेज नहीं होगा की ये कही अधुकीकरण का प्रभाव तो नहीं है.
बदहाल शिक्षा और दफ़न होते भविष्य के सपने.यही है सहरसा की शिक्षा व्यवस्था का काला सच.परघट प्रखंड अंतर्गत शर्मा टोला स्थित उत्क्रमित प्राथमिक  इस विद्यालय को ना तो अपनी ज़मीन है और ना ही अपना भवन.यह लावारिश और खानाबदोस विद्यालय है.गाय---बछड़े,बकरी सहित कई और जानवर बांधे जाने वाले इस तबेले में स्कूल का संचालन हो रहा है.हर तरफ ना केवल गंदगी का अम्बार है बल्कि उससे बदबू भी आ रही है लेकिन मासूम नौनिहाल इसी जगह पर पढने को विवश हैं.स्कूल के शिक्षक का कहना है की चूँकि इस विद्यालय को अपनी ज़मीन और अपना भवन नहीं है तो इसी जगह पर विद्यालय संचालित करना उनकी मज़बूरी है.इस विद्यालय में पढाई का यह आलम है तो मिड डे मिल योजना किस तरह चल रही होगी,इसे समझा जा सकता है.बारिश होने पर यह विद्यालय इस जगह से भी हटा लिया जाता है.उस वक्त यह विद्यालय इस तबेले से भी बड़े तबेले में संचालित किया जाता है.उछल--कूद करने के बाद भी स्कूल के शिक्षक इसे चलता--फिरता विद्यालय नहीं मानते हैं.कहते हैं की सरकार द्वारा तय समय तक उन्हें रोज स्कूल में तो रहना ही पड़ेगा.
में आपको बताते चालू बिहार में विकास का मूल्यांकन सिर्फ  सूबे के इर्द गिर्द बन रहे रोड और नए नए योजनाओ का आगाज होना ही विकास है.बिहार में सुशासन में कुछ भी ही उसे जायज ही समझना होगा.सुशासन की जय हो का नारा बुलंद करना ही होगा. नहीं तो सूबे के मुखिया नीतीश जी बुरा मान..अरे भाई स्कूल खुले हैं तो भवन आज नहीं तो कल बन ही जायेंगे....कम से कम बच्चे अभी पढने का रियाज तो कर ही रहे हैं.आपको क्या आपति हो
रही है.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।