अक्तूबर 29, 2016

फीकी दिख रही हैं दीप की दिपावली.....

दीप बेचने वालें हैं निराश....
कुछ ही लोगों के नजर में हैं दीप की अहमियत.... 
मो० अजहर उद्दीन की रिपोर्ट------ शुरू से ही दिपावली में दीप का जलाना शुभ माना जाता रहा है, लोग अपने घर और दुकान में ससम्मान दीप प्रज्वलित करके माँ लक्षमी की पूजा अर्चना करते हैं ।लेकिन धीरे--धीरे बदलते परिवेश और दुनियां के चकाचौन्द में लोग पूर्व की परम्परा को अपने जेहन से उतारते जा रहे है ।जिसका नतीजा त्यौहारों के इस मौसम में देखने को खूब मिल रहा हैं लोग रंग--बिरंगी रौशनी के चकाचौन्द में आकर चाईनीज लाईट का इस्तेमाल खूब करते दिख रहे हैं ।पिछले दिनों की ही बात है जब पूरा देश चाईनीज प्रोडक्ट का जम कर विरोध करते दिखा था ।लेकिन ऐसा नहीं हुआ लोग अपनी मरजी से खूब चाईनीज लाईट का इस्तेमाल कर रहे है।
जिसका आलम ये है की जिसकी ज़िन्दगी दीप बेच कर दिपावली मनाने की थी उनकी दिपावली फीकी रह गई । नहीं दिख रहा है दीयों के दुकान पर लोगों की भीड़ ।एक्का--दुक्का लोग ही कर रहे है इसकी खरीदारी ।बेसबरी से कर रहे है अपने ग्राहकों का इन्तेजार ।
एक दीप विक्रेता से बात करने पर उन्होंने बताया की जिस हिसाब से हमलोग बाजार में बिक्री का अनुमान लगाया थे उस हिसाब से अभी बिक्री नहीं हैं बचे हुए कुछ घंटों में बिक्री अच्छी होने की उम्मीद है। चलायें गरीब तो उम्मीद पर ही ठीके होते है ।खुदा तू इन सभी के घरों में दीप केवल दिपावली के लिए ही नहीं बल्कि उनकी ज़िन्दगी को रौशन करने के लिए जला दें ।         

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।