दिसंबर 31, 2011

सहरसा में अघोषित कर्फ्यू (Undeclared curfew in Saharsa)

ऊपरवाला ना करे फिर कभी बीते कल का भयानक और रूह को थर्रा देने वाला नजारा सहरसावासियों को देखना पड़े.शरीर के हड्डियों तक में सिहरन पैदा कर देने वाले पुलिस--छात्र संग्राम के बाद अब सहरसा को शांत करने में पुलिस को दिनभर खासी मशक्कत करनी पड़ी.जिला मुख्यालय के सभी मुख्य जगहों प़र जहां थोक में पुलिस के जवान लगाए गए थे वहीँ पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी स्थिति प़र पल--पल ना केवल नजर बनाए हुए थे बल्कि गस्त भी लगा रहे थे.सहरसा,मधेपुरा और सुपौल के एस.पी के साथ--साथ सहरसा के जिलाधिकारी मिसबाह वारी दिनभर मुस्तैद रहे.शहर में एक बार फिर से शान्ति और अमन कायम हो सके इसके लिए 36 मेजिस्ट्रेट की भी तैनाती की गयी थी.एक तरह से सहरसा में अघोषित कर्फ्यू का नजारा दिख रहा था.दिन के ग्यारह बजे से सहरसा बाजार की दुकाने खुलने लगी और लोग दहशत में रहते हुए धीरे--धीरे सामान्य होने लगे.इस पूरे अभियान को दरभंगा रेंज के आईजी राकेश कुमार मिश्रा नेतृत्व दे रहे थे. 
सहरसा में एक तरह से अघोषित कर्फ्यू का माहौल रहा.सहरसा,मधेपुरा,सुपौल,दरभंगा और मधुबनी जिले के 1200 से ज्यादा जवान शान्ति बहाली की इस मुहीम में झोंके गए.इसके अलावे गस्ती दल अलग से दिनभर गस्त लगाते रहे.बाजार खुला और लोग दोपहर बाद धीरे--धीरे सामान्य होने लगे.जाहिर तौर प़र लोगों में दहशत का माहौल अभी भी था.पूछने प़र लोगों का कहना है की भगवान् का शुक्र है की उनकी जान बची.अब कभी ऐसी घटना की पुनरावृति ना हो.
बामुश्किल शान्ति व्यवस्था कायम हो सकी.भगवान् ना करे कभी ऐसी घटना की पुनरावृति फिर से हो.इस घटना से पुलिस--प्रशासन के अधिकारियों के साथ--साथ आमलोगों को भी सबक लेने की जरुरत है.अल्लाह का करम है की सहरसा पूरी तरह से जलकर ख़ाक होने से बच गया.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।