मार्च 02, 2013

कैदी की मौत मामले में तेज हुयी सियासत

 कल 1 मार्च को मंडल कारा के एक विचाराधीन बंदी की बिमारी से हुयी मौत मामले में गरमाया जेल,तेज हुयी सियासत// रिपोर्ट -- मुकेश कुमार सिंह //
बीते कल एक मार्च को सहरसा मंडल कारा के एक विचाराधीन कैदी महंथी यादव की मौत मामले में आज पुरजोर तरीके से सियासत शुरू हो गयी है।इधर इस कैदी की मौत से मंडल कारा का माहौल भी कल से ही काफी गर्म है।जेल के करीब 500 बंदी इलाज में लापरवाही से महंथी यादव की मौत को वजह बताते हुए और जेल में व्याप्त अन्य अनियमितता की वजह से कल से ही भूख हड़ताल पर बैठे हैं।समाचार भेजे जाने तक कैदियों की भूख हड़ताल आज दुसरे दिन भी जारी है।इस मौत मामले को लेकर विभिन्य राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल आज दिन में सहरसा के नए डी.एम सतीश चन्द्र झा से मिला और उनसे कहा की बंदी की मौत जेल के अन्दर हुयी लेकिन उसकी लाश को सदर अस्पताल लाकर उसके शव में ऑक्सीजन भरने का अमानवीय कृत्य किया गया।ईलाज के दौरान सदर अस्पताल में कैदी की मौत की बात जेल प्रशासन अपनी गर्दन बचाने की गरज से कर रहा है।नेताओं ने इस कैदी की मौत की न्यायिक जांच और मृतक के परिजनों को दस लाख मुआवजा और एक आश्रित को नौकरी दिए जाने की मांग की है।हांलांकि सहरसा टाईम्स की पहल के बाद डी.एम सतीश चन्द्र झा न केवल मृतक के शव के पास पहुंचे बल्कि मृतक के परिजनों को सांत्वना भी दी।यही नहीं सहरसा टाईम्स की पहल से ही वे हमारी मौजूदगी में मंडल कारा पहुंचे जहां जेल अधिकारियों और कैदियों से वार्ता कर सच को खंगालने की कोशिश की।
यूँ भी मौत पर सियासत की पुरानी रिवायत है।देखिये डी.एम साहब के चेंबर में राजद,लोजपा और सीपीआई सहित कई अन्य दलों के नेता यहाँ जमे हुए हैं।सभी का समवेत कहना है की महंथी की मौत इलाज के अभाव में जेल के भीतर ही हुयी लेकिन उसकी लाश को सदर अस्पताल लाकर लाश के इलाज का नाटक किया गया।यह मानवाधिकार का मामला बनता है।नेताओं ने इस पुरे मामले की न्यायिक जांच और दोषियों पर कड़ी कारवाई के साथ--साथ मृतक के परिजन को दस लाख मुआवजा और एक आश्रित को सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग की।महिषी राजद विधायक मोहम्मद अब्दुल गफूर नेताओं के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे।
जेल के कैदी
अब सीधे चलिए मंडल कारा सहरसा। यहाँ पर हम आपको कुछ खास दिखाने लाये हैं।देखिये ये सभी जेल के कैदी हैं जो सहरसा कोर्ट पेशी के लिए जा रहे हैं।ये बंदी खुलकर बता रहे हैं की महंथी यादव की मौत जेल के भीतर ही हो गयी थी।उसकी लाश को अस्पताल ले जाया गया।राजाराम यादव,दया यादव और परमेश्वरी यादव सहित कई बंदी जेल के भीतर विभिन्य तरह की कमियों को लेकर भी खुलकर बता रहे हैं।कैदियों ने यह भी बताया की इलाज के अभाव में महंथी की मौत हुयी है इसलिए वे सभी कल से ही भूख हड़ताल पर हैं।
अब बारी जिले के हाकिम की है।जेल गेट पर ही सहरसा टाईम्स ने इस पूरी घटना को लेकर डी.एम साहब से खास बातचीत की।उन्होनें कैदी की मौत की वजह बताते हुए साफ़ किया की कैदी की मौत इलाज के दौरान सदर अस्पताल में हुयी।नेताओं की सियासत पर उन्होनें पहले तो जमकर चुटकी ली फिर कैदियों की भूख हड़ताल को स्वीकारा।इनकी मानें तो कैदियों ने उनसे कुछ शिकायतें की है जिसको लेकर वे कल 3 मार्च की शाम में पुनः जेल आयेंगे और  कैदियों की शिकायत को सुनेंगे. कुलमिलाकर इस मौत के मामले में इन्होनें जेल प्रशासन को क्लीन चिट दे दिया।हांलांकि उन्होनें मृतक बंदी के परिजनों को दस लाख रूपये के मुआवजे और एक आश्रित को नौकरी देने के मामले में कहा की इसके लिए वे राज्य सरकार से अनुशंसा करेंगे।
लाश को किसी तरह से अस्पताल से उठवाने में जिला प्रशासन आज कामयाब हो गया लेकिन यह मामला आगे आसानी से शांत रहने वाला नहीं है।मंडल कारा के कैदी अभी भी भूख हड़ताल पर डटे हुए हैं और उनकी कई और मांगें हैं।अगर उसपर त्वरित विचार और ठोस समाधान नहीं हुआ तो बात आगे बिगड़ सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।