अगस्त 30, 2012

29 अगस्त सहरसा के छः शहीद वीर सपूत

चर्चित गायिका कृतिका गौतम
भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की आहुति देने वाले अमर वीर सपूतों में बिहार का गौरवशाली इतिहास है.यूँ कहें तो बिहार की धरती ही अमर बलिदानियों की रही है.लेकिन इस कड़ी में सहरसा की भी अग्रणी भूमिका रही है.29 अगस्त 1942 को भारत छोडो आन्दोलन के दौरान सहरसा के छः वीर सपूतों ने भी अपनी जान देश प़र न्योछावर कर देश को आजाद कराने में अपनी महती भूमिका निभायी थी.सहरसा के धीरो राय,केदारनाथ तिवारी,हीराकांत झा,पुलकित कामत,कालेश्वर मंडल और भोला ठाकुर ने भारत छोडो आन्दोलन के दौरान अंगेजों की गोली खाकर भी सहरसा के शहीद चौक प़र हिन्दुस्तानी तिरंगा लहरा दिया.इन छः वीर सपूतों के शरीर गोलियों से छलनी थे और इनके प्राण ने इनका शरीर त्याग दिया था लेकिन इनके हाथों में तिरंगा लहरा रहा था.आज उन्हीं अमर शहीद की याद में दि सेन्ट्रल को--ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाईटी लिमिटेड के सौजन्य से एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन हुआ.राज्य सरकार के विधि,योजना और विकास मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्दघाटन किया.इस पावन कार्यक्रम में छातापुर के जदयू विधायक नीरज कुमार बबलू,कई राजनीतिक हस्तियों के अलावे सामाजिक विषयों के जानकार--विद्वान् और प्रबुद्धजन शामिल हुए.इस मौके प़र आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में क्षेत्रीय कलाकारों ने सूरों का ऐसा अदभुत जलवा बिखेड़ा की शाम में शुरू हुआ सांस्कृतिक कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा.
 कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ.शाम करीब सात बजे शुरू हुआ देशभक्ति गीतों का दौर रात बारह बजे के बाद तक चलता रहा.नृत्य और एक से बढ़कर एक भक्ति गीत से क्षेत्रीय कलाकारों ने ऐसा समां बांधा की लोग बस झूमते और थिरकते चले गए.स्वारांजलि संगीत अकादमी की बच्चियों के द्वारा प्रस्तुत एक से बढकर एक नृत्य ने लोगों को खूब झुमाया.उसके बाद गीतों के क्या कहने.खासकर के रामेश्वर पाठक,देश के कई बड़े मंचों प़र बड़े पार्श्व गायकों के साथ अपने फन का लोहा मनवा चुकी चर्चित गायिका कृतिका गौतम और अमरेन्द्र मिश्र आगा को लोगों ने खूब सराहा.
अमर बलिदानियों की याद में ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम दिल को ना केवल छू लेते हैं बल्कि रूह तक उतर जाते हैं.लेकिन ऐसे कार्यक्रमों से सीख लेकर अमर बलिदानियों के अधूरे और बड़े सपने जो आज के दौर में कहीं पीछे छुट गए हैं उन्हें पूरा करने का सरे--पाँव शपथ लेना चाहिए.आज बलिदानियों का बलिदान बेजा और बेमानी लगने लगा है. आईये आप भी देश प्रेम के रंगों में सरबोर होकर खूब झूमिये,नाचिये और गाईये.

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इतनी आक्रोश क्यों ? जो किसी मासूम की जान ले ले .....

रिपोर्ट चन्दन  बीते मंगलवार को बेलगाम अपराध से कराहते सहरसा में एक बड़ी वारदात ने लोगों की आँखों की नींद छीन ली है.सदर थाना क्षेत्र के पोलिटेक्निक मैदान के समीप दो युवकों ने एक किशोर को चाक़ू मारकर गंभीर रूप से जख्मी कर दिया और वहाँ से उड़न छू हो गए.खून से लथ--पथ किशोर को स्थानीय लोग और जख्मी किशोर के कुछ मित्रों ने आनन्--फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.मृतक विकास कुमार झा सहरसा जिले के लगमा गाँव का रहने वाला था और जिला मुख्यालय के एक लौज में रहकर इंटर की पढाई कर रहा था.वह राजेन्द्र मिश्रा कॉलेज का छात्र था.पुलिस और अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पोलिटेक्निक मैदान पर क्रिकेट खेल के दौरान कुछ लड़कों के साथ उसका विवाद हुआ था.इसी विवाद को लेकर अभिनव और प्रणव नाम के दो लड़कों ने विकास को चाक़ू मारकर जख्मी कर दिया जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी.अभिनव और प्रणव दोनों सगे भाई हैं जो सहरसा जिले के शाहपुर गाँव के रहने वाले हैं.ये दोनों भी सहरसा में किसी लौज में रहकर पढाई करते हैं. 
पूर्व भाजपा विधायक संजीव कुमार झा ने इस घटना को लेकर बड़े साफ़ लहजे में कहा की बिगड़ती कानून व्यवस्था की वजह से आज भय नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है.इसी का नतीजा है की अपराधियों का मनोबल काफी बढ़ गया है.आवश्यकता है की ऐसे तत्वों से शख्ती से निपटा जाए. 
नव निर्माण मंच के युवा अध्यक्ष मो लुकमान अली ने कहा सूबे के मुखिया कहते है की कानून अपना काम कर रही है लेकिन ऐसा इस जिले में दिख नहीं रहा है अपराधी खुली चुनैती देते हुए अपने मकसद में कामयाब हो रहे है लेकिन सहरसा प्रशासन के कानों में जू भी नहीं रेंगती...
जाहिर तौर पर सहरसा पुलिश के ऊपर लगातार सवाल तो दागे जाते है लेकिन इनकी कार्यशैली की प्रणाली क्या है इससे हम भी नहीं वाकिफ़ है. फ़िलहाल तो पुलिस ने जाँच की शुरुआत क्रिकेट में हुए विवाद को सामने रखकर की है.आगे देखना दिलचस्प होगा की इस चाकूबाजी और ह्त्या के पीछे की वजह सिर्फ यही है या फिर कुछ और.फिलवक्त इस घटना से चारों ओर सनसनी फ़ैल गयी है.इसमें कोई शक नहीं है की इस घटना की एक बड़ी वजह सहरसा पुलिस की नाकामियों की लम्बी फेहरिस्त और उसकी सुस्ती भी है.
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अगस्त 28, 2012

बड़ी अनहोनी का संकेत

रिपोर्ट चन्दन सिंह  सहरसा में इनदिनों मासूम नौनिहालों की जान से खेलने की पुरजोर कोशिश की जा रही है.गैर--सरकारी स्कूलों से लेकर सरकारी स्कूलों के बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुचाने वाले वाहन डीजल और पेट्रोल की जगह धड़ल्ले से गैस से चलाये जा रहे हैं. आलम यह है की छोटे--छोटे बच्चे और बच्चियां गैस सिलेंडर पर बैठकर जानलेवा सफ़र करने को मजबूर हैं.आँखों में भविष्य के कई रंगों से सने सपने लिए बच्चे रोजाना अपनी जिन्दगी को दाँव प़र लगाकर घर से स्कूल फिर स्कूल से घर तक की यात्रा कर रहे हैं.जाहिर तौर प़र यहाँ का नजारा जानलेवा है जो किसी दिन बड़ी घटना का गवाह बनेगा.जान जोखिम में डालकर चलने वाले इस खतरनाक सफ़र को जिला प्रशासन और स्कूल प्रबंधन ख़ामोशी से तमाशबीन बना महज टुकुर--टुकुर देख रहा है.इस मामले में स्कूल प्रबंधन जहां तरह--तरह की सफाई दे रहा है वहीँ जिला प्रशासन के जिम्मेवार पदाधिकारी सहरसा टाइम्स  से सूचना मिलने की बात बता ना केवल तुरंत जांच शुरू करने की बात कर रहे हैं बल्कि दोषियों के खिलाफ कठोर दंडात्मक कारवाई की भी बात कर रहे हैं.
यहाँ गैर--सरकारी स्कूलों से लेकर सरकारी स्कूलों के बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर पहुचाने वाले वाहन डीजल और पेट्रोल की जगह धड़ल्ले से गैस से चलाये जा रहे हैं.मासूम बच्चों को पता नहीं है की वे कितनी खतरनाक यात्रा कर रहे हैं.बच्चों के लिए यह यात्रा महज खेल भर है.हद की इंतहा तो यह है की किसी बड़ी दुर्घटना की आशंका से बेखबर ये बच्चे गाड़ी में रखे गैस सिलिंडर प़र बैठकर यात्रा करने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं.देखने में यह तस्वीर बच्चों को डरावनी नहीं लग रही हैं लेकिन यह किसी बड़ी अनहोनी को खुला न्योता है.सहरसा में गैर सरकारी स्कूल की बात करें तो इसकी संख्यां पूरे जिले में 120 है.इसी तर्ज का एक सरकारी विद्यालय केन्द्रीय विद्यालय के रूप में भी है.
ऐसा नहीं है की सहरसा टाइम्स  सिर्फ तबाही और बर्बादी की ही तस्वीरें दिखाता है.
सहरसा टाइम्स  तबाही और बर्बादी से पहले की तस्वीरें भी दिखाकर ना केवल जिम्मेवार तंत्र को बल्कि सरकार को भी आगाह और खबरदार करता है की नींद से जागिये बड़ी घटना सिद्दत से दस्तक लगा रही है,उसे घटित होने से रोकिये.उम्मीद है की तंत्र के साथ--साथ सुशासन बाबू को भी सहरसा टाइम्स  की यह पहल पसंद आएगी. 


अगस्त 26, 2012

रमेश झा महिला कॉलेज के लड़कियों की जान जोखिम में

                                                             COLLEGE CAMPUS


रिपोर्ट चन्दन सिंह:- कोसी प्रमंडल के एकलौते अंगीभूत रमेश झा महिला कॉलेज में इनदिनों लड़कियों की जान से खेलने की तैयारी चल रही है.इतने बड़े कॉलेज में जहां साढ़े चार से पाँच हजार लड़कियाँ पढ़ रही है वहाँ बिजली के खम्भे की जगह पेड़ प़र नंगे बिजली तार को बांधकर बिजली की सप्लाई की जा रही है.बारिश का मौसम है और यह बड़ी लापरवाही किसी बड़ी घटना का गवाह बनने के लिए मुकम्मल तैयार दिख रही है.कॉलेज में एक अदद बिजली का खम्भा भी है लेकिन वह बिजली के तार उसपर बांधे जाएँ इसके लिए वह तरस रहा है.कॉलेज आ रही लड़कियाँ पेड़ प़र रेंगते बिजली के इस करेंट से डरी--सहमी हैं लेकिन भविष्य के सपनों को साकार करने की चाहत में ये अपनी जान को जोखिम में झोंके रहने के लिए विवश हैं.
श्यामा रॉय,प्राचार्या,रमेश झा महिला कॉलेज,सहरसा
कॉलेज की प्राचार्या श्यामा रॉय भी मानती है की पेड़ प़र तार को बांधकर बिजली दौडाना बड़े खतरे की घंटी बजा रहा है लेकिन वे बिजली विभाग से गुहार लगाते--लगाते थक गयी हैं.इनकी नजर में बिजली विभाग किसी बड़ी घटना का इन्तजार कर रहा है.   इस केम्पस में कई ऐसे वृक्ष है जिसपर बिजली के नंगे तारों को बांधकर बिजली सप्लाई की जा रही है.हद की इंतहा है यह.कॉलेज आ रही लडकियां इससे डरी--सहमी हैं और इस जानलेवा खेल के लिए कॉलेज प्रशासन को जिम्मेवार ठहरा रही है तो दूसरी तरफ लड़कियों के परिजन भी इस तस्वीर को देखकर काफी चिंतित हैं. एक बड़ी लापरवाही की वजह से थोक में लडकियां मौत के मुहाने पर खड़ी है.आजतक बड़ा हादसा सिर्फ ऊपरवाले के रहम से नहीं हुआ है.इस कॉलेज में लड़कियों की जान से खेलने की पूरी तैयारी है.अगर बड़ा हादसा हुआ तो इसकी जबाबदेही कौन लेगा.सोये तंत्र को आखिर घटना से पहले जागने की आदत क्यों नहीं है.

अगस्त 23, 2012

जुल्म की इंतहा प़र पुलिस की बेहयाई

मुकेश सिंह की रिपोर्ट  पुलिस की नाकामी और उसकी दादागिरी के आपने कई मामले देखे और हो सकता है की झेले भी होंगे लेकिन आज हम पुलिस की बदमिजाजी की ऐसी तस्वीर दिखाने लाये हैं जिसे देखकर आपका पुलिस प़र से बचा थोड़ा भरोसा भी खत्म होता प्रतीत होगा.बीती रात सदर थाना के कायस्थ टोला स्थित एक घर प़र दबंगों का कहर बरपा.कहने को सगे रिश्तेदारों ने कुछ गुंडों को साथ लेकर रात करीब दस बजे पीड़ित रविन्द्र सिन्हा के घर में घुसे और पहले तो घर के सभी सदस्यों की जमकर धुनायी की फिर घर में रखे 5 लाख कैश सहित जेवरात और कीमती सामान लूटकर चलते बने.इतना ही नहीं इन कलयुगी दानवों ने घर की लड़कियों के साथ ना केवल छेड़छाड़ किया बल्कि उन्हें गंभीर रूप से जख्मी भी कर दिया.
दो लड़कियों के सर प़र गंभीर रूप से चोट आई है.आप यह जानकार हैरान हो जायेंगे की रात में ही पुलिस ने जख्मी लड़कियों का बयान लिया लेकिन जख्मी के बयान के बाद भी पुलिस ने दोपहर बाद तक कोई कारवाई नहीं की.सुबह होने प़र जो कोई कारवाई होती नहीं दिखी तो जख्मी लड़कियों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ सड़कों पर लोगों और मीडिया से इन्साफ की गुहार लगानी शुरू कर दी.पीड़ित जख्मी लड़कियों का कहना है की पुलिस इस मामले में कारवाई करने की जगह आरोपियों को थाने में बिठाकर चाय पिला रही है और नास्ते करा रही है.जहां तक पुलिस अधिकारी का सवाल है तो वे इसे पारिवारिक मामला बताकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.
सहरसा टाइम्स के साथ पीड़ित लड़की
सहरसा टाइम्स  ने इस मामले को चुनौती के तौर प़र लिया है और वह जबतक पीड़ितों को इन्साफ नहीं मिल जाता तबतक वह पीड़ितों के साथ ना केवल खड़ा रहेगा बल्कि सिद्दत से हक़ और इन्साफ के लिए आवाज भी उठाता रहेगा. इस मामले में दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है.इस मामले में पुलिस ने न्यायपालिका के किसी माननीय जज की तरह त्वरित स्व-विवेक अनुसंधान और एक तरह से फैसला सुना दिया है.सहरसा पुलिस के कामकाज का क्या तरीका है,यह घटना उसी की बानगी है. सहरसा टाइम्स  इस मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलाकर रहेगा,आखिर में उसे इसके लिए जिस हद तक जाना पड़े.

अगस्त 22, 2012

सहरसा के लोगों की एक बड़ी मुसीबत

चन्दन सिंह की रिपोर्ट : कोसी प्रमंडल के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल में महिला मरीजों,उनके परिजनों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों की जान प़र बनी है.इस अस्पताल में प्रसव कराने के लिए गर्भवती महिलाओं की यहाँ मेले की शक्ल में भीड़ उमड़ रही है.लेकिन इस भीड़ के आलम में आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की महिला मरीजों,उनके परिजनों और महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए यहाँ शौचालय,बाथरूम और पानी का इंतजाम नहीं है.यही नहीं प्रसव कक्ष और प्रसव वार्ड से ठीक सटे नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में भी शौचालय,बाथरूम और पानी का इंतजाम नहीं है.खासकर यहाँ शौचालय और बाथरूम नहीं होने से महिलाओं को कैसी दिक्कत हो रही होगी,इस दर्द को समझने वाला कोई नहीं है.आज सहरसा टाइम्स एक बड़ी और दुख:दायी पीड़ा का सनसनीखेज खुलासा करने जा रहा है.   
* सबसे पहले हम आपको लेकर सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में आये हैं.देखिये यहाँ प़र बेसिन और नल तो लगे हुए हैं लेकिन उससे पानी नहीं निकल रहा है.बड़ी मुश्किल से अगर इससे कभी पानी टपकता भी है तो वह बिल्कुल गन्दा होता है.सारे नल बेकार पड़े हुए हैं.प्रसव के दौरान स्वच्छ पानी की कितनी दरकार होगी,आप समझ सकते हैं.आप प्रसव वार्ड में भी प्रसव के लिए आई गर्भवती महिलायें अपनी बारी आने के इन्तजार में हैं.उनके साथ उनके परिजन भी हैं.अब हम आपको यहाँ की सबसे बड़ी समस्या से आपको रूबरू करा रहे हैं. महिला मरीजों,उनके परिजनों के साथ--साथ प्रसव कक्ष और वार्ड के लिए तैनात महिला स्वास्थ्यकर्मियों के लिए शौचालय और बाथरूम का कोई इंतजाम नहीं है.आप समझने की कोशिश करें की महिला जात रात और दिन अपने नैसर्गिक क्रिया से आखिर कहाँ और कैसे कैसे फारिग होती होंगी.इस अव्यवस्था से सबके सब दुखी,परेशान और आहत हैं.हम आपको सिर्फ इस साल इस प्रसव कक्ष में हुए प्रसव के आंकड़ों से वाकिफ कराना चाहते हैं जिसको देखकर आप यहाँ की भीड़ को समझ सकते हैं और फिर आपको यहाँ कितनी बड़ी मुसीबत को महिलायें झेल रही हैं,इसे भी आपको समझने में सहूलियत होगी.इस साल जनवरी माह में 633,फ़रवरी में 581,मार्च में 578,अप्रैल में 495,मई में 502,जून में 531,जुलाई में 689 और इस माह में अगस्त में आजतक 378 शिशुओं ने जन्म लिए हैं. 
सिविल सर्जन
यहाँ प़र जब किसी नवजात शिशु की तबियत बिगड़ती या नाजुक होती है तो उसे नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई में भर्ती कराया जाता है.यही समस्या वहाँ प़र भी मौजूद है.
इस गंभीर समस्या को लेकर सहरसा टाइम्स  ने जब सिविल सर्जन सह चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर भोला नाथ झा से बात की तो उन्हौनें जल्द ही इस दिशा में काम होने की बात कही.उन्हौनें कहा की वे खुद इसको लेकर बेहद चिंतित और गंभीर हैं.प्रमंडलीय आयुक्त ने पचास लाख रूपये अस्पताल को दिए हैं.वे PHED से इसके लिए DPR बनाने को कहा है.जल्द ही इस समस्या से निजात मिल जायेगी.

अगस्त 19, 2012

सहरसा में ट्रैफिक नियम है ठेंगे प़र

मेरी मर्जी मै चाहे जो करू .........
रिपोर्ट चन्दन सिंह : आखिर उस नियम का क्या करेंगे जिसको लोग ठेंगे प़र रखते हैं.तमाम नियम--कायदों को ना केवल धता बताकर बल्कि पूरी तरह से जान को जोखिम में डालकर यहाँ प़र लोग मोटरसाईकिल का सफ़र कर रहे हैं.सुनसान गलियों या सड़कों की बात तो छोड़िये सबसे भीड़ वाले इलाके से मोटरसाईकिल प़र तीन चार नहीं बल्कि छः--छः लोगों को लादकर लोग सफ़र कर रहे हैं.आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की लोग एक मोटरसाईकिल को टेम्पो बनाकर पूरा परिवार उस प़र लादकर बेधड़क सफ़र कर रहे हैं लेकिन उसे रोकने वाला कोई नहीं है.ऐसा नहीं है की यहाँ ट्रैफिक व्यवस्था नहीं है.यहाँ प़र हर चौक-चौराहे प़र ट्रैफिक पुलिस और अधिकारी मौजूद हैं लेकिन सबकुछ टाँय--टाँय फिस्स.जाहिर तौर पर यहाँ लोग जिन्दगी को खुद मुसीबत में डाल रहे हैं और हादसों को खुला निमंत्रण दे रहे हैं.
 
डॉक्टर पंडित नागेश्वर झा,चालक,
देखिये यहाँ लोग किस तरह से ना केवल खुद अपनी जिन्दगी भर को बल्कि कई जिंदगियों को एक साथ जोखिम में डालकर सफ़र कर रहे हैं.मोटरसाईकिल पर लोग महिलाओं को और सामान को इस कदर लादकर चल रहे हैं गोया यह मोटरसाईकिल ना होकर टेम्पो या कोई और बड़ा वाहन हो.सुनसान गलियों या सड़कों की बात तो छोड़िये सबसे भीड़ वाले इलाके से मोटरसाईकिल प़र तीन चार नहीं बल्कि छः--छः लोगों को लादकर लोग सफ़र कर रहे हैं.आप यह जानकार हैरान--परेशान हो जायेंगे की लोग एक मोटरसाईकिल को टेम्पो बनाकर पूरा परिवार उस प़र लादकर बेधड़क सफ़र कर रहे हैं लेकिन उसे रोकने वाला कोई नहीं है.हमने जोखिम से भरे इस सफ़र की कई तस्वीरें उतारीं हैं जिसमें से कुछ खास तस्वीरों से आपको रूबरू करा रहे हैं.जब इस साहब की बीबी से सहरसा टाइम्स ने बात की तो उनके जबाब ने हमारे ज्ञान चक्षु खोल डाले.मोहतरमा बता रही हैं की वे सभी लम्बे समय से इसी तरह से यात्रा कर रही हैं.उन्हें कभी डर नहीं लगता.भगवान के ये शुक्रगुजार हैं की अभीतक सबकुछ शुभ रहा है.
मैं चाहे ये करूँ,मैं चाहूँ वो करूँ---मेरी मर्जी.सबकुछ ताख पर और जानलेवा सफ़र बीच बाजार में जारी.ये सरफिरे खुद की जिन्दगी के साथ--साथ औरों की जिन्दगी को भी मुसीबत में डालकर सफ़र कर रहे हैं.जबतक ट्रैफिक नियम को कड़ाई और शख्ती से पालन कराते हुए कठोर दंड नहीं दिए जायेंगे ऐसे नज़ारे बड़ी घटना को बदस्तूर खुला निमंत्रण देते रहेंगे.

अगस्त 18, 2012

नहीं हुआ ऑन लाईन जमीनी दस्तावेज

रिपोर्ट चन्दन सिंह सरकार एक तरफ जहां अपराधिक घटनाओं को कम करने के लिए भगीरथ प्रयास कर रही है वहीँ सहरसा जिला प्रशासन अपराधिक घटनाओं को अधिक से अधिक संख्यां में घटित होने का खुला निमंत्रण दे रहा है.बताना लाजिमी है की सहरसा में होने वाले अधिकांश अपराधों की जड़ में ज़मीन विवाद रहा है.ऐसे में ज़मीन से जुड़े कागजातों को जहां संजीदगी के साथ जिला प्रशासन को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर और मजबूत प्रयास करने चाहिए.वहाँ जिला प्रशासन ज़मीन से जुड़े तमाम कागजात और अभिलेखों को संभाल कर रखने में पूरी तरह से उदासीन और लापरवाह दिख रहा है.जिला समाहरणालय स्थित जिला अभिलेखागार में रखे ज़मीन के इन तमाम महत्वपूर्ण कागजात के ना केवल चिथड़े उड़ रहे हैं बल्कि दीमकों ने भी इसे पूरी तरह से अपने निशाने पर ले रखा है.आलम यह है की बहुतों महत्वपूर्ण दस्तावेज एक तरफ जहां अभीतक नष्ट हो चुके हैं वहीँ दूसरी तरफ जो बचे हैं वे लगातार नष्ट हो रहे हैं.ऐसे मैं ज़मीन के वाजिब मालिकों के सामने बड़ी मुसीबत खड़ी हो गयी है.जाहिर तौर पर दस्तावेज के नहीं उपलब्ध रहने से ज़मीन मालिकों को जहां कोई कागजात नहीं मिल पा रहा है वहीँ ज़मीन किसी की और खतियान किसी और नाम का तो रशीद किसी और के नाम पर काटे जाने का गोरखधंधा खूब जोर--शोर से चल रहा है.हालत ऐसे हों तो समझा जा सकता है की ज़मीन का विवाद इस इलाके में कितना गंभीर होगा.आज ज़मीन विवाद में शहर से लेकर गाँव तक जमकर लाठियां भांजी जा रही है और बंदूकें खूब धुंआ उगल रही है.शायद जिला प्रशासन को खून के छींटों से ज़मीन का रंग मटमैला और कोसी के पानी का रंग लाल देखने का पूरा मंसूबा है.यहाँ यह भी बताते चलें की अगर बिहार के सभी जिलों के न्यायालय की बात करें तो 60 लाख से ज्यादा ज़मीन विवाद के मामले इन न्यायालयों में वर्षों से लंबित हैं.सरकार ने जमीनी दस्तावेजों को संभालकर रखने के लिए इन दस्तावेजों को ऑन लाईन करने की बात की लेकिन ढाई वर्ष गुजर जाने के बाद भी इन दस्तावेजों को ऑन लाईन नहीं किया जा सका.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।