दिसंबर 04, 2014

खेत जोतना है तो रंगदारी दो

पुलिस के अधिकारी अरविन्द कुमार मिश्रा
रिपोर्ट सहरसा टाईम्स:  खेत जोतकर फसल लगानी है तो एक लाख रूपये रंगदारी दो वर्ना जान से मार डालेंगे.मामला बनमा ईटहरी थाना के बथनाही गाँव का है जहां खेत को जोत रहे एक परिवार को अपराधियों ने पहले तो रोका और फिर एक लाख रूपये की रंगदारी मांगी.रंगदारी से इंकार करने पर अपराधियों ने ना केवल जमकर खुनी तांडव किया बल्कि खुलकर फरसे चलाये और गोलियां भी बरसाई।  इस खूनी वारदात में एक शख्स के गले में गोली मार दी गयी जबकि दो अन्य को फरसे से हमला कर जख्मी कर दिया गया.
                 तीनों जख्मी को सदर अस्पताल लाया गया है.गोली से जख्मी हुए शख्स की हालत काफी नाजुक है, उसे बेहतर ईलाज के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया गया है. इस मामले में पुलिस के अधिकारी अस्पताल पहुंचकर जांच में जुट चुके है.  पुलिस के अधिकारी अरविन्द कुमार मिश्रा, पीड़ित के सूर में सूर मिलाते हुए अग्रतर कार्रवाई की बात कर रहे हैं. बताते चलें की पीड़ित ने विजेंद्र यादव,दुलारचंद यादव,सिंहेश्वर यादव सहित नौ लोगों के खिलाफ नामजद मामला दर्ज कराया है.

दिसंबर 03, 2014

सहरसा पुलिस की बेशर्मी देखो सरकार

मुकेश कुमार सिंह की कलम से----- विगत कई वर्षों से अपनी बिगड़ैल और काली करतूतों के लिए खासा बदनाम रही सहरसा पुलिस ने एक बार फिर हैरतअंगेज और चौंकाने वाली घटना को अंजाम दिया है.ताजा वाक्या सहरसा जिले के नवहट्टा थाना का है, जहां के पुलिस अधिकारी ने जमीन विवाद के एक मामले में चार मासूम बच्चे और एक सौ वर्ष के बीमार और अपाहिज बने बुजुर्ग के खिलाफ 107 का नोटिस भेजा है.पुलिस के अधिकारी को इस बुजुर्ग और इन मासूमों से ना केवल बलवा का अंदेशा है बल्कि उन्हें लग रहा है की ये सभी मिलकर बड़ी से बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं.इस वाकये से पीड़ित परिवार जहां सदमें में और परेशान हाल है वहीँ सहरसा टाईम्स की दखल के बाद पुलिस के आलाधिकारी इस बड़ी गलती की सुधार का भरोसा दिला रहे हैं.
मामला नवहट्टा थाना के बेहद करीब पश्चिमी टोला का हैं.मुहम्मद जुबेर का अपने गोतिया से जमीन का विवाद है.इसी मामले में नवहट्टा पुलिस अधिकारी एस.आई मनोज शर्मा ने चार मासूम नौनिहाल और एक बुजुर्ग के खिलाफ धारा 107 का नोटिस भेजा है.पुलिस अधिकारी ने चार नौनिहालों को मुजरिम समझकर नोटिस भेजा है.ये बच्चे पढ़ना चाहते हैं लेकिन पुलिस का खौफ इन्हें सता रहा है.रात में इन्हें नींद नहीं आती है और ये डरे--सहमे रहते हैं

.इन बेबसों में तीन बच्चियां शाजदा खातून,जुरेदा खातून और रिफत खातून हैं जिनकी उम्र सात से दस साल के भीतर है.एक लड़का मोहम्मद परवेज है जिसकी उम्र करीब दस साल है.हद की इंतहा तो यह है की पुलिस अधिकारी ने सौ वर्ष के मोहम्मद इदरीस को भी नहीं बख्सा है.लाचार और बेबस बुजुर्ग बिना सहारे के चल भी नहीं पाते हैं.पुलिस अधिकारी को इनसे भी बड़ा खतरा है.हद की इंतहा है और सारे बच्चे और बुजुर्ग अब सहरसा टाईम्स से इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं. घर का मुखिया मोहम्मद जुबेर भी खासा परेशान है.पूरी घटना को तफ्सील से बताते हुए वह कह रहे हैं की पुलिस के अधिकारी उनकी एक नहीं सुन रहे हैं.उनके परिवार के सभी लोग डरे--सहमे हैं.पुलिस के खौफ से रात में कोई सोता नहीं है.सहरसा टाईम्स से ये मदद और इन्साफ की गुहार लगा रहे हैं.
पुलिस के बड़े अधिकारी मृत्युंजय कुमार चौधरी,ए.एस.पी,सहरसा इस गंभीर मसले को बड़ी चूक मान रहे हैं.सहरसा टाईम्स को ये इस वाकये पर अपनी सफाई देने के साथ--साथ इस भूल को सुधारने का भी भरोसा दिला रहे हैं. 
जाहिर तौर पर यह हैरतअंगेज और चौंकाने वाली घटना है.इसमें कोई शक नहीं है पुलिस के अधिकारी मौक़ा ए वारदात पर जाने की जगह अपने कार्यालय,या फिर अपने आवास से तफ्तीश करते हैं,यह उसी की बानगी है.आगे देखना दिलचस्प होगा की पुलिस के बड़े अधिकारी इस बड़ी भूल का किस तरह से सुधार कराते हैं और जांच अधिकारी पर कैसी कार्रवाई करते हैं.वैसे सहरसा टाईम्स इस मामले में पीड़ित को इन्साफ मिलने और जांच अधिकारी पर कार्रवाई होने तक,इस मामले को सिद्दत से उठाता रहेगा.

दिसंबर 01, 2014

साढ़े तीन घंटे का ग्रहण

आज सुबह करीब आठ बजे प्लेटफॉर्म संख्यां दो पर बड़ी लाईन की एक इंजन पटरी से उत्तर गयी.इंजन के पटरी पर से उतरने की वजह से करीब आधा दर्जन गाड़ियों का परिचालन साढ़े तीन घंटे तक ठप्प रहा.इस दौरान यात्रियों को काफी परेशानी हुयी और वे काफी हलकान रहे.रेल प्रशासन के लाख मशक्कत के बाद इंजन को फिर से पटरी पर चढ़ाया गया और रेल परिचालन को फिर से से शुरू किया जा सका.
मुफ्त का तेल लूटते रहे लोग 
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आज अहले सुबह रलवे के तेल भण्डार का तेल भीतर बिछी पाईप के फट जाने की वजह से बाहर बहने लगा.तेल बहकर बगल के एक जल--जमाव वाले हिस्से में जाने लगा.आसपास के लोगों को जैसे ही इस बात की भनक लगी वे भीड़ की शक्ल में वहाँ पहुंचे और विभिन्य तरह के बर्तनों से तेल को वहाँ से उठाकर अपने-अपने घर ले जाने लगे.बाद में पता चला की सैंकड़ों लीटर डीजल  डीजल बहे थे जो आमलोग लूट कर ले गए.जाहिर तौर पर रेल प्रशासन को एक तो देरी से सूचना मिली दूजा फटे पाईप की खोज करने में उन्हें वक्त लगा.तक़रीबन चार घंटे तक इलाके के लोग इस दौरान मनमाफिक तरीके से तेल लूट कर ले गए.

नवंबर 29, 2014

सरे राह किसने भरी मांग में सिंदूर------

रजनीश कुमार
मुकेश कुमार सिंह की कलम से-----
अगर आपके घर में कोई मासूम बच्ची है और वह पढ़ने के लिए स्कूल,कॉलेज या फिर कोचिंग जा रही है तो हो जाइए होशियार.जनाब राह चलता कोई मनचला कहीं आपकी घर की ईज्जत की मांग में सिंदूर ना डाल दे.ताजा वाकया सहरसा के सदर थाना के नया बाजार की है जहां एक मनचले आशिक ने अपने कुछ मित्रों साथ मिलकर दशवीं कक्षा की एक छात्रा को कोचिंग जाने के दौरान जबरन ना केवल उसकी मांग में सिंदूर डाल दिया बल्कि उसे अगवा कर ले भागने की कोशिश भी की.हांलांकि किसी तरह लड़की ने अपनी जान बचाई और अपने परिजन के साथ थाने पहुंची,जहां पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए मुख्य आरोपी को अपनी गिरफ्त में ले लिया है.दिन--दहाड़े घटी इस घटना से इलाके में सनसनी फैली हुयी है.
 
सदर थाने में मौजूद यह बच्ची राजकीय कन्या हाई स्कूल की दशवीं कक्षा की छात्रा है.आज सुबह यह सदर थाना के न्यू कॉलोनी स्थित अपने आवास से वह नया बाजार पढ़ने के लिए कोचिंग जा रही थी.कोचिंग से कुछ पहले ही सदर थाना के न्यू कॉलोनी मोहल्ले का रहने वाले रजनीश कुमार अपने चार--पांच साथियों के साथ घात लगाए हुए बैठा हुआ था.मासूम जैसे ही वहाँ पहुंची रजनीश ने पहले तो उसे दबोच लिया फिर जबरन उसकी मांग में सिंदूर डाल दिया.इतना ही नहीं रजनीश ने पुलिस लिखे नंबर प्लेट वाली मोटरसाईकिल से मासूम को लेकर भागने की कोशिश भी की.लेकिन किसी तरह से अपना हाथ छुड़ाकर मासूम पड़ोस के एक घर में घुसकर पहले तो अपनी जान बचाई फिर वहीँ से अपने परिजन को फोन किया.फिर वह अपने परिजन के साथ थाने पहुंची जहां मासूम के पिता सतीश कुमार झा के आवेदन पर मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने त्वरित गति से मुख्य आरोपी को अपनी गिरफ्त में ले लिया.गौरतलब है की रजनीश पिछले कई महीने से मासूम के साथ छेड़खानी और जोर--जबरदस्ती कर रहा था.
इधर पुलिस की गिरफ्त में आये रजनीश का कहना है की मासूम उससे एकतरफा प्यार करती थी.वह बीए पार्ट वन का छात्र है.बीते कई महीने से मासूम उसे ना केवल फोन करती थी बल्कि उसे गिफ्ट भी देती थी.लेकिन वह मासूम से प्यार नहीं करता था.उसने पहले भी मासूम को कई दफा समझाया था की वह उससे प्यार नहीं करता है.आज भी वह मासूम को समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मासूम ने अपने पर्स में रखे सिंदूर को जबरन निकालकर उसके हाथ में दे दिया और जबरदस्ती अपने मांग में लगा लिया.खुद को बेकसूर बताते हुए रजनीश कह रहा है की प्यार में अंधी हुयी मासूम ने उसे फंसा डाला.पुलिस के अधिकारी मृत्युंजय कुमार चौधरी,ए.एस.पी,सहरसा घटना के बाबत जानकारी देते हुए कह रहे हैं की मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी की जा चुकी है और पुलिस आगे का अनुसंधान कर रही है.आगे अगर इस मामले में अन्य की संलिप्तता की बात सामने आएगी तो उनकी भी गिरफ्तारी होगी.
घोर कलयुग आ गया है.कानून और पुलिस वाले दहशतगर्दों के सामने बिल्कुल बौने साबित हो रहे हैं.आगे इस मामले में जैसी भी कार्रवाई हो लेकिन फिलवक्त इलाके के वैसे माँ--बाप जिनको बेटियां हैं वे अपनी--अपनी बेटी को लेकर खासे चिंतित और खौफजदा हैं.

सितंबर 28, 2014

बाढ़ राहत लेने जा रहे युवक की ट्रेन से गिरकर मौत

बाढ़ राहत के लिए अपने गाँव से कुछ पीड़ितों के साथ ट्रेन से सलखुआ प्रखंड आ रहे एक तीस वर्षीय युवक की मौत ट्रेन से गिरकर हो गयी.मृतक धमारा स्टेशन से कोपरिया स्टेशन आ रहा था की ट्रेन से उतरने के दौरान कोपरिया स्टेशन पर वह ट्रेन की चपेट में आकर गंभीर रूप से जख्मी हो गया.सलखुआ थाना के साम्हर कला गाँव के रहने वाले जख्मी ख़ुशी लाल चौधरी की मौत सदर अस्पताल में ईलाज के दौरान हो गयी.राहत लेने से पहले ही वह इस दुनिया से कूच कर गया.सदर अस्पताल के आपात्कालीन कक्ष के बेड पर ख़ुशी लाल चौधरी की लाश पड़ी हुयी है.ट्रेन से गिरकर जख्मी होने के बाद इसे पहले सलखुआ PHC ले जाया गया लेकिन स्थिति गंभीर देखते हुए वहाँ से इसे सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया.सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने इसे बचाने की भरपूर कोशिश की लेकिन इसे बचाया नहीं जा सका.तीन बच्चों का पिता सरकारी राहत लेने से पहले ही इस दुनिया को खुदा हाफिज कह दिया.अब कोई भी राहत इसे ज़िंदा नहीं कर सकती.मृतक के चाचा जय जय राम चौधरी और वीरो चौधरी सहरसा टाईम्स को घटना की पूरी जानकारी देते हुए रो पड़ते हैं..
पुलिस के अधिकारी शम्भू नाथ तिवारी,एसआई,सदर थाना,सहरसा पंचनामा बनाकर घटना की जानकारी दे रहे हैं और कार्रवाई के नाम पर केश दर्ज करने की बात कर रहे हैं.
सरकारी बाढ़ राहत लेने आ रहे थे की घर का खमाॉश चूल्हा जलेगा लेकिन उसे क्या पता थी की चूल्हे की अंगीठी जलने की जगह उसकी चिता में ही आग लगने वाली है.आगे रब जाने की इसे अब कैसी सरकारी मदद मिलेगी.

सितंबर 23, 2014

बंदी गए भूख हड़ताल पर


मंडल कारा सहरसा के पचास से ज्यादा बंदी पूर्व सांसद आनंद मोहन के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर चले गए हैं.इस वर्ष ईलाज के अभाव में तीन बंदियों की हुयी मौत की न्यायिक जांच नहीं होने,मृतक बंदियों को मुआवजा नहीं मिलने,जेल के भीतर स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार नहीं होने,जेल के भीतर विभिन्य तरह के काम करने वाले बंदियों को मिलने वाले पारिश्रमिक में अनियमितता,जेल के भीतर घटिया खाद्य सामग्री की आपूर्ति और जेल के भीतर विभिन्य निर्माण कार्यों में अनियमितता सहित कई अन्य मांगों को लेकर बंदी भूख हड़ताल को विवश हुए हैं.बताते चलें की अभी हड़ताल में शामिल बंदियों की संख्यां करीब पचास है लेकिन आगे हड़ताल जारी रही तो में बंदियों की संख्यां में क्रमवार ईजाफा होगा.इस पुरे मसले पर फिलवक्त जेल प्रशासन ने हमसे कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया.

पूर्व सांसद के घर मिली युवक की लटकती लाश


मधेपुरा के राजद सांसद पप्पू यादव द्वारा डॉक्टर और पैथोलॉजिस्टों को जारी नाजी फरमान से हलकान--परेशान कोसी इलाके का माहौल अभी नरम भी नहीं पड़ा था की जदयू के कद्दावर नेता और खगडिया के पूर्व सांसद दिनेश चन्द्र यादव के सहरसा जिला मुख्यालय के कायस्थ टोला स्थित आवासीय परिसर के एक कमरे से बरामद एक युवक की लटकती लाश ने पुरे इलाके में सनसनी फैला दी है.मृतक पल्लव कुमार झा कायस्थ टोला का ही रहने वाला था जो केबल का काम करता था.भीतर से बंद कमरे में युवक की लाश मिली है लेकिन मृतक के परिजन का आरोप है की सांसद के बॉडी गार्डों ने उसकी हत्या कर लाश को लटका दिया है.
इस मामले में सांसद ने निष्पक्ष जांच की मांग के साथ--साथ जांच में पुलिस को भरपूर सहयोग करने का भरोसा दिलाया है.जदयू में बड़ी हैसियत रखने वाले कोसी इलाके के कद्दावर जदयू नेता और खगडिया के पूर्व सांसद दिनेश चन्द्र यादव के आवास के बाहर मेले की शक्ल में लोगों का हुजूम जमा है.ये सारे लोग किसी दावत में नहीं आये हैं बल्कि एक युवक की जो लाश मिली है उसके पीछे का रहस्य क्या हैं.यानि यह हत्या है या फिर आत्महत्या,इस सच को यहां मौजूद हर कोई जानना चाहता है
चूँकि मामला हाई प्रोफाईल है,इसलिए पुलिस के अधिकारी फूंक--फूंक के कदम रख रहे हैं.हांलांकि फिलवक्त जिले में ना तो एसपी पंकज कुमार सिन्हा मौजूद हैं और ना ही एसडीपीओ प्रेमसागर.सारी कमान अभी सूर्यकांत चौबे,इन्स्पेक्टर साहब के जिम्मे है.इनका कहना है की परिजन के बयान पर मामला दर्ज होगा और आगे की जांच में जो कुछ निकलेगा,उसी आधार पर कार्रवाई होगी.
इस मामले ने पुरे इलाके को हिलाकर रख दिया है.चूँकि मामला ना केवल पूर्व सांसद के आवास से जुड़ा है बल्कि आरोप भी उनके बॉडी गार्डों पर ही लग रहा है,ऐसे में निष्पक्ष जांच पर संसय बरकरार है.आगे देखना दिलचस्प होगा पुलिस की जांच कितनी पाक--साफ़ और मृतक को इन्साफ दिलाने लायक होती है.यूँ घटनास्थल की परिस्थिति आत्महत्या की कम और हत्या की ओर ज्यादा इशारे कर रही है.

मई 15, 2014

स्वप्न या हकीकत


एक अजीब  सी कहानी है. एक लड़का है अपने माता-पिता का दुलारा है. बचपन कि दिवार लांघ  कर वो जब जवान होता है तब अपने माता पिता के सपनों कि रथ पर सवार होकर निकल पड़ता है अपनी मंजिल कि तरफ़. बहुत खुश है वो  है वो. बहुत तेज चलता है पर सभल के चलता है और आपने रास्ते से भटकता नहीं है.
अब मंजिल बहुत करीब दिखती है. दिल में जीत कि फुहार उठतीं है पर अचानक रथ का पहिया टूट जाता है. लड़का जमीन पर गिरता है उसका सर फुट जात है उसका एक पैर टूट जाता है. मंजिल सामने है पर अब वो चल नहीं सकता. रेंग रहा है पर ज्यादा रेंग नहीं सकता, वो चिल्लाता है रोता है पर कुछ कर नहीं पाता है वो. खुद के ठीक होने का अब इँतजार भी नहीं कर सकता। क्योंकि जिस रथ पर वो सवार थ उसे बनाने के लिये उसके मात पिता अपनी साडी कमाई खर्च कर चुके थे, सारे जमीने बेच चुके थे.
अब लड़के को मंजिल दुर होता प्रतीत होता है. दूर होते होते मंजिल गायब हो जाता है. लड़के को अपने माता पिता कि बाते याद आती है कि '' अब लौटना तो जीत कर लौटना, अपनी मंजिल को पा कर लौटना।''
इतने में मुझे कुछ आहट सी  होती  है, मेरी नींद खुलती है. मैं  शायद  सपनों मे खोया था , पर आँख खुलने तक मै बहुत रोया था. पर रोया क्योँ ? क्या उस लड़के को मैं पहचानता था मै ? कौन था वो कहीं मै हि तो नही था या आपमे से  कोइ एक था. मर चुका है मेरे सपनों मे वो पर अभी भि उसे ढूँढ  रहा हूँ मै.…………………। 

कुंदन मिश्रा
पिता ७ अशोक कुमार मिश्रा
संत नगर - सहरसा

अप्रैल 23, 2014

नरेंद्र मोदी कल सहरसा में

प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी गुरुवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच स्थानीय पटेल मैदान में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। उनकी सुरक्षा के कड़ी इंतजाम किए जा रहे हैं। सहरसा में ३० अप्रैल को चुनाव होनी है. कल तक जो लोग मोदी को टीवी पर देखा करते थे वह चाय बेचने वाला देश का भावी प्रधानमंत्री सहरसा के पटेल मैदान के मंच से लोगो को सम्बोधित करेंगे। गॉव घर से लोगों का आना शुरू हो चूका है मोदी के दूर दराज का समर्थक अपने रिश्तेदार के यंहा आकर डेरा जमा दिए है. मोदी के मंच पर भीड़ न लगे इसके चलते दो मंच का निर्माण किया जा रहा है एक मंच से मोदी लोगो को  सम्बोधित करेंगे तो  दूसरे मंच पर प्रदेश स्तर के नेता, विधायक व सांसद होंगे। सुरक्षा को लेकर आइबी की टीम और गुजरात से भी डीआइजी एवं डीएसपी रैंक के अधिकारी सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे चुके हैं. सुरक्षा के ख़ाश  इंतजाम को लेकर डी एरिया को मेटल डिडेक्टर से जाँच की जा चुकी है. नरेंद्र  मोदी की सभा को सफल बनाने के लिए भाजपा के कार्यकर्ताओ  और विधायकों ने  पूरी ताकत लगा दी  है। शहर से लेकर सुदूर गांव व कस्बों लोगो को मोदी के सभा में आने को आमंत्रित कर रहे है.

अप्रैल 03, 2014

किसी तरह रात का खाना बन जाए

रिपोर्ट सहरसा टाईम्स: भविष्य संवारना किसे अच्छा नहीं लगता,सपने देखना किसे अच्छा नहीं लगता.लेकिन जहां गरीबी और मुफलिसी में जिदगी जार-जार हो और जहां एक जून रोटी का जुगाड़ मील का पत्थर साबित हो रहा हो वहाँ सपने नहीं पलते,वहाँ जिन्दगी बस घिसटती,रिसती--सिलती यूँ ही कब शुरू और कब खत्म हो जाती है,कुछ पता ही नहीं चलता.सहरसा का आलम कुछ ऐसा है की यमराज को भी रोना आ जाए.सुदूर ग्रामीण इलाके की बात तो छोड़िये जिला मुख्यालय में मासूम नौनिहाल थोक में अपना भविष्य संवारने की जगह सड़कों के किनारे, ऑफिस--ऑफिस या फिर जिधर पेड़ों से भरे इलाके हैं उधर पत्ते  और जलावन चुनने में सुबह से शाम कर देते हैं.ये वे तंगहाली की कोख से जन्मे बच्चे हैं जो पत्ते और जलावन चुनकर ले जाते हैं तो घर का चूल्हा जलता है फिर सडा--गला कुछ पकता है और फिर कुलबुलाते पेट की ज्वाला शांत होती है.सरकारी इंतजामात से महरूम घरों में अभिशाप की तरह पैदा हुए इन बच्चों को क्या पता की इनके घर के बड़ो और खुद उनपर सियासतदान सियासत की बड़ी--बड़ी सीढियां चढ़ते हैं.एक तरफ गरीबों और बच्चों के नाम प़र योजनाओं की आई सुनामी थमने का नाम नहीं ले रही है तो दूसरी तरफ सरकारी खजाने के मुंह इनके लिए यूँ खुले हैं की कभी बन्द होने का नाम ही नहीं लेते,फिर भी ये गरीब घर के बच्चे दोजख की बेजा जिन्दगी जीने को विवश हैं.सरकार के सारे नारे--दावे "सब पढ़े--सब बढे" और "मुनिया बेटी पढ़ती जाए" सहरसा में पूरी तरह से दफ़न हो रहे हैं.
सुशासन बाबू आँखों प़र चढ़ा सरकारी चस्मा उतारिये और इन तस्वीरों को देखिये.हमें पता है की आप संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं.आपका कलेजा इन तस्वीरों को देखकर जरुर फट पड़ेगा.अगर ये तस्वीरें आपको दहला--रुला नहीं सकीं तो यकीन मानिए आगे हम कोसी तटबंध के भीतर और सुदूर ग्रामीण इलाके की तस्वीरें लेकर आयेंगे जो सुशासन के सारे ढोल--ताशे के चिथड़े तो उड़ाएंगी ही,साथ ही सुशासन या कुशासन या फिर ठगासन सभी की सारी पोल--पट्टी भी खोलकर रख देंगी.जागिये नीतीश बाबू जागिये.इतना आसान नहीं है विकसित बिहार के सपने को सच कर दिखाना.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।