अक्तूबर 28, 2011

आग लगने से सहरसा के एक गाँव में तबाही

 २८-१०-११
अनूठे प्रकाश पर्व दीपावली में ख़ुशी और उल्लास में सने रौशनी के लिए जलने वाला दीया सहरसा के एक गाँव में तबाही और बर्बादी का दीया बन गया.बीती रात सहरसा जिले के बलबा ओपी क्षेत्र के मदनपुर गाँव में एक दीये से एक घर में आग लग गयी और फिर देखते ही देखते कई घरों से आग की लपटें उठने लगीं.दीपावली के जश्न में डूबे गाँव वाले अचानक आई इस विपदा से पहले तो किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए लेकिन फिर आग बुझाने की कोशिश में जुट गए.ग्रामीणों के अथक प्रयास के बाद आग पर तो काबू पा लिया गया लेकिन दस घर फिर भी पूरी तरह से जलकर ख़ाक हो गए.दस परिवार की ना केवल कुल जमापूंजी,अनाज, गहने और कपडे बल्कि एक दर्जन मवेशी भी जलकर पूरी तरह से ख़ाक हो गए.हद की इंतहा देखिये की घटना बीते कल रात की है लेकिन आज सुबह जब मीडिया के लोग घटनास्थल पर पहुँचे तो उस समय तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी ना तो घटना की जानकारी लेने वहाँ पहुंचे थे और ना ही किसी ने पीड़ितों का हाल--चाल लेना मुनासिब समझा था.मीडिया की पुरजोर दखल के बाद दोपहर बाद प्रशासन के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. VO दीपावली की खुशियों के बीच एक गाँव मातम में डूबा हुआ है. 
इस गाँव में दिवाली का दीया खुशियों का दीया नहीं बल्कि बड़ा मनहूस और मातमी दीया संबित हुआ.दीये से आग की एक लपट उठी और दस घर जलखर ख़ाक हो गए.गाँव वालों के साहस को लाख--लाख धन्यवाद है की उन्होनें आनन्--फानन में संगठित होकर आग बुझाने की शुरुआत कर दी जिससे आग पर काबू पाया जा सका.लेकिन तमाम कोशियों के बाद भी दस घर जलकर ख़ाक हो गए.जाहिर सी बात है की इस भीषण आगजनी में जहां एक दर्जन मवेशी की जान गयी वहीँ लाखों की संपत्ति का नुकसान भी हुआ.आग की तेज लपटों में लोग ना घर में रखे गहने--जेवर,नकदी,कपड़े और अनाज निकाल पाए और ना ही घर में बांधे मवेशी को ही खोल पाए.इस हादसे में हांलांकि एक भी इंसानी जान का नुकसान नहीं हुआ लेकिन चार गायें और आठ बकरी जलकर जरुर मर गयी.पीड़ित रो रहे हैं और तड़प रहे हैं.गाँव के लोग उन्हें संभालने में जुटे हुए हैं लेकिन एक भी प्रशासनिक अधिकारी या क्षेत्र के बड़े जनप्रतिनिधि घटना के दूसरे दिन दोपहर तक पीड़ितों को वक्ती राहत पहुंचाने या फिर कम से कम उनका हाल-चाल जानने भी यहाँ नहीं पहुँचे.मीडिया ने पीड़ितों की आवाज बनकर सहरसा के जिलाधिकारी देवराज देव से बड़े तल्ख़ अंदाज में बात की और प्रशासन की इस लापरवाही को लेकर कई सवाल खड़े किये.
लापरवाह जिला और प्रखंड प्रशासन दिवाली के जश्न की खुमार में था.रात में लोगों के घर जलकर ख़ाक हुए.एक बड़ी तबाही हुई लेकिन प्रशासन के किसी हाकिम को यहाँ आकर इन पीड़ितों को देखने की फुर्सत नहीं हुई.
एक बार फिर संवेदनहीन बने जिला और प्रखंड प्रशासन को मीडिया ने झंकझोर कर आम लोगों के हक़ की आवाज उठायी है.

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।