अक्टूबर 30, 2011

कालाबाजारी के अनाज बरामद

रिपोर्ट : मुकेश सिंह  30-10-11
आज फिर जिला प्रशासन को कालाबाजारी के हजारों क्विंटल अनाज बरामद करने में सफलता मिली.सदर थाना क्षेत्र के विश्वकर्मा ढाला के समीप माईक्रो इंडस्ट्री (बाल भोग फ्लावर मील)पर फोन पर मिली गुप्त सूचना पर सहरसा के जिलाधिकारी देवराज देव और सदर एस.डी.ओ राजेश कुमार सहित कई और अधिकारियों ने मिलकर छापा मारा जिसमें तीन हजार क्विंटल से ज्यादा कालाबाजारी के गेहूं बरामद किये गए.अधिकारियों ने मौके पर मौजूद दो मजदूर और मील के मुंशी को हिरासत में ले लिया है.हांलांकि मील मालिक हेमंत कुमार ठाकुर जो की पेशे से वकील हैं,फरार होने में कामयाब हो गए.अनाज को बरामद करते हुए अधिकारियों ने मील को तत्काल सील कर दिया है.बताना लाजिमी है की इसी माह जिला प्रशासन ने एक मुहीम चलाकर करीब 25 हजार क्विंटल कालाबाजारी के अनाज बरामद किये थे.एक तरफ जहां कालाबाजारी के अनाज के थोक में बरामदगी से जिला प्रशासन की बांछें खिली हुई है वहीँ यह प्रश्न भी खड़ा हो रहा है की आखिर गरीबों के मुंह के निवाले को इस तरह से छीनकर कालाबाजारी करने वाले चांदी काट रहे थे तो इतने लम्बे समय से जिला प्रशासन खामोस और तमाशबीन क्यों था.
जिलाधिकारी देवराज देव
जिला प्रशासन ने फिर से आज कालाबाजारी के तीन हजार क्विंटल से ज्यादा कालाबाजारी के गेहूं बरामद किये हैं.जाहिर सी बात है की यह प्रशासन के लिए एक बड़ी कामयाबी है.हम आपको सदर थाना क्षेत्र के विश्वकर्मा ढाला के समीप माईक्रो इंडस्ट्री (बाल भोग आटा)में हुई छापामारी का नजारा दिखा रहे हैं.देखिये यहाँ पर जिलाधिकारी देवराज देव,एस.डी.ओ राजेश कुमार,जिला आपूर्ति पदाधिकारी सुभाष झा सहित कई अन्य अधिकारी छापामारी में जुटे हैं,यहाँ पर तीन हजार क्विंटल के करीब कालाबाजारी के गेहूं बरामद किये गए हैं.गेहूं की बरामदगी के साथ--साथ अधिकारियों ने यहाँ पर गेहूं को ठिकाने लगा रहे दो मजदूरों और मील के मुंशी अर्जुन कुमार को भी हिरासत में लिया है.हिरासत में लिए गए मजदूर को कुछ भी पता नहीं है की यह गेहूं कैसे और कहाँ से यहाँ लाये गए और यह मील किसका है.
जाहिर तौर पर जिला प्रशासन को फिर एक बार बड़ी कामयाबी मिली है.लेकिन विश्वस्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ जिला प्रशासन के अधिकारी कालाबाजारी के अनाज बरामदगी के लिए वहाँ हाथ डाल रहे हैं जहां से उन्हें या तो कम नजराना मिल रहा है या फिर नहीं मिल रहा है.यानि यह सारा खेल नजराना बढाने या फिर नजराने के लिए हो रहा है.वैसे यह एक बड़ा सच है की कालाबाजारियों को लम्बे समय से यह खेल खेलने की आजादी मिली हुई है.जाहिर सी बात है की ये आजादी उन्हें आखिर मिली कैसे और मिली तो मिली किनसे.बहुत कुछ खुद से भी समझने की कोशिश की जा सकती है.यहाँ चित भी मेरी और पट भी मेरा का खेल जारी है.हम तो आखिर में इसे वक्ती ड्रामा भर की संज्ञा देंगे.

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