अक्तूबर 08, 2011

लाखों की दवाएं सड़क किनारे

08-10-11 

भूख,बेकारी और बीमारी की मार झेल रहे इस इलाके पर एक तो रूहानी ताकतों की मेहरबानी नहीं बरसती है उस पर इंसानी ताकतों की बदमिजाजी ने लोगों का जीना मुहाल करके रख दिया है.समय पर इलाज के अभाव और दवा नहीं मिलने की वजह से हर साल इस इलाके में अनगिनत मौतें होती हैं जिसका कोई सरकारी आंकड़ा तक तैयार नहीं होता है.सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के नाम पर एक तरह से सरकारी खजाने का मुंह पूरी तरह से खोल दिया है लेकिन दूसरी तरफ स्वास्थ्य महकमे से जुड़े अधिकारी और कर्मी सरकार के प्रयासों को ना केवल पलीता लगाने पर तुले हैं बल्कि आमलोगों की जिन्दगी से वे खेल भी रहे हैं.सहरसा जिला मुख्यालय के डूमरैल मुहल्ले में उस समय खलबली मच गयी जब इस मुहल्ले की कई जगहों पर लाखों की दवाएं सड़क किनारे या फिर सड़क पर यत्र--तत्र फेंकी हुई मिली.इन फेंकी गयी दवाओं में से अधिकांश दवाएं एक्सपायर हैं लेकिन बहुत सारी ऐसी दवाएं भी हैं जो 2012 और 2013 में एक्सपायर करेंगी.गरीब मरीजों को अस्पताल में बेड मयस्सर नहीं होते तो समय पर दवाएं भी नहीं मिलती है.इस कारण से थोक में गरीब मरीज काल--कलवित होते हैं.लेकिन यहाँ की बदमिजाजी देखिये की गरीबों की जान बचाने में इस्तेमाल की जाने वाली इन दवाओं को किस तरह से बेरहमी से बर्बाद करके यहाँ पर फेंक दिया गया है. स्थानीय मीडिया ने  इस वाकये को गंभीरता से लिया और फ़ौरन आलाधिकारियों से इस बाबत बात करी.आनन्--फानन में फिर एस.डी.ओ आये जिन्होनें इस नंगे सच को अपनी मजबूर आँखों से देखा.तत्काल उन्होनें सारी दवाएं सीज करते हुए इस बाबत जिलाधिकारी को जानकारी दे दी है.यानि आगे उन्होनें जांच और कारवाई की बात कही गयी है
राजेश कुमार,एस.डी.ओ,सदर,सहरसा.
आज हम आपको गरीबों के साथ लगातार हो रहे अन्याय और मजाक की तस्वीर दिखाते हैं.यह नजारा है सहरसा के डूमरैल मुहल्ले का.देखिये इस मुहल्ले के सड़क किनारे करीब दस जगहों पर लाखों की दवाईयां एक्सपायर कराकर या फिर बिना एक्सपायर कराये ही फेंके गए हैं.एक तरफ गरीब मरीज दवा के बिना फ़रियाद करते और हाथ जोड़ते--जोड़ते इस दुनिया से विदा हो जाते हैं तो दूसरी तरफ दवाईयों को यूँ ही बर्बाद कर फेंक दिया जाता है.आखिर इस तरह दवाईयों की बर्बादी से किसको फायदा हो रहा है.यह लापरवाही और बदमिजाजी की तासीर है जो लोगों की जिन्दगी से मुहब्बत करने से परहेज करना सिखाता है.सहरसा का स्वास्थ्य विभाग आम लोगों यानि गरीबों के लिए कितना फिक्रमंद है यह उसी की बानगी है.देखिये दवाएं किस तरह फेंकी हुई सुशासन की सरकार को ना केवल मुंह चिढ़ा रही है बल्कि करारा तमाचा भी लगा रही है.इलाके के लोग दवाओं को यूँ फेंका देखकर बीमार हो रहे हैं.दवाएं सड़क किनारे यत्र--तत्र फेंकी हुई हैं.बच्चे सड़कों पर इन फेंकी गयी दवाओं से खेल रहे हैं.आप खुद से इन तमाम तस्वीरों का नजारा कीजये और फिर तय कीजिये की इस जिले में पहले आम मरीजों का इलाज जरुरी है या फिर बीमार तंत्र का इलाज कराना ज्यादा जरुरी है. इलाके के लोगों के दर्द को जो कह रहे हैं की अस्पताल जाने पर उन्हें एक तो दवाएं नहीं मिलती है और उन्हें झिडकियों के साथ भगा दिया जाता है और यहाँ पर दवाएं फेंकी जा रही हैं.अस्पताल में उनसे दवा के बदले पैसे भी मांगे जाते हैं. 
कहते हैं की हमाम में सारे नंगे हैं लेकिन यहाँ तो नंगे होने के साथ--साथ बेशर्म और बदमिजाज भी हैं.सेवा यात्रा पर निकलने वाले सुशासन बाबू नीतीश जी देख रहे हैं की आपके अधिकारी--कर्मी लोग यहाँ क्या--क्या गुल खिला रहे हैं.बिहार में सहरसा जिला स्वास्थ्य इंतजामात और बेहतर सेवा के लिए नंबर वन पर है.अरे नीतीश बाबू हम आप से पूछना चाहते हैं क्या इसी करिश्में की वजह से सहरसा को अव्वल नंबर दिए हैं.अरे नीतीश बाबू अभी भी वक्त है,जागिये और देखिये कैसे आपके सुशासन को चीरा--फाड़ा जा रहा है.

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*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।