जुलाई 30, 2015

आनंद मोहन की राजनीतिक नैया को अब पार लगाएंगे मांझी....

सहरसा टाईम्स के ग्रुप एडिटर मुकेश कुमार सिंह की कलम से------  तारीख 29 जुलाई 2015. जगह पटना का रविन्द्र भवन. यह दिन बिहार के राजनीतिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण माना जाएगा. आज फैंड्स ऑफ आनंद द्वारा आयोजित एक विशेष सम्मलेन के दौरान सपा छोड़ पूर्व सांसद लवली आनंद ने अपने तमाम समर्थकों के साथ जीतन राम मांझी की नवोदित पार्टी "हम" की सदस्य्ता ग्रहण की. इस पुरे कार्यक्रम के दौरान पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद का बड़ा बेटा चेतन आनंद अपनी माँ के साथ साये तरह मौजूद रहा. "हम" सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़ लवली आनंद और चेतन आनंद दोनों को "हम" पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेवारी सौंपेगी. इसी साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और लवली आनंद ने "हम" का दामन थामा है. जाहिर तौर पर जीतन राम मांझी और उनके समर्थकों के लिए आगे यह एक "संजीवनी" साबित होगी. सूबा बिहार सहित देश के अन्य हिस्सों में भी पूर्व सांसद आनंद मोहन का अभी भी एक बड़ा जनाधार मौजूं है. 
इस कड़ी में यह बताना जरुरी है की सजायफ्ता पति का दर्द और बच्चों के लालन--पालन की जिम्मेवारी को समेटे पूर्व सांसद लवली आनंद अपनी राजनीति की गाड़ी भी आगे बढ़ाती रही है. संघर्ष की यात्रा जब लम्बी होने लगती है तो इंसान टूटने और बिखड़ने लगता है लेकिन लवली आनंद चट्टानी वजूद के साथ जिंदगी का जंग ना केवल सिद्दत से लड़ती रही बल्कि राजनीति में भी खुद को बनाये--जमाये रखा. लेकिन जीवन के झंझावतों में उलझी लवली आनंद बगैर आनंद मोहन के राजनीति में कोई बड़ी हैसियत नहीं बना पायी और इस पार्टी से उस पार्टी में जाने में ही उनके कीमती समय बेजा व्यय होते रहे. 
पूर्व सांसद आनंद मोहन 
बताते चलें की तत्कालीन गोपालगंज जिलाधिकारी जी.कृष्णैया ह्त्या मामले में बीते लगभग एक दशक से आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की राजनीतिक यात्रा में एक ठहराव जरूर आया है लेकिन उनकी राजनीतिक जिंदगी मुकम्मिल तौर से खत्म हो गयी हो, ऐसा कतई नहीं है. सहरसा मंडल कारा में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन विगत लोकसभा और विधान सभा चुनाव के दौरान विभिन्य राजनीतिक दलों की एक बड़ी और महती जरुरत रहे हैं. समय--समय पर विभिन्य राजनेताओं ने अपने--अपने फायदे लिए इनका भरपूर इस्तेमाल किया है. लेकिन उहापोह से भरी, अंधदौड़ वाली आज की राजनीति में पूर्व सांसद आनंद मोहन को किसी ने जेल से रिहाई के लिए प्रयास नहीं किया. विभिन्य मंचों से पूर्व सांसद आनंद मोहन की माँ गीता देवी,पत्नी लवली आनंद,बेटा चेतन आनंद सहित उनके अनेकों समर्थक आनंद मोहन को बिल्कुल निर्दोष और बेशर्म राजनीति का शिकार बताते रहे लेकिन इसका फलाफल सिफर आया और आनंद मोहन आजतक सलाखों के पीछे बंद हैं.
"हम" में शामिल होने के बाद लवली आनंद ने नीतीश--लालू पर जमकर हमले किये. खासकर नीतीश कुमार को पति आनंद मोहन को सजा कराने वाला और उनको जेल के सलाखों के पीछे करवाने वाला सबसे बड़ा साजिशकर्ता और बहुरुपिया बताया. इस मौके पर लवली को पार्टी में शामिल कराकर मांझी जहां बेहद खुश थे वहीँ उन्होनें आत्मीयता से ओतप्रोत होकर और मजबूती के साथ घोषणा की आगे जब उनके सहयोग से बिहार में सरकार बनेगी तो उनकी पहली प्राथमिकता होगी "जेल में बंद पूर्व सांसद आनंद मोहन की सम्मानजनक रिहाई"
लवली के पार्टी में शामिल होने का एक तरह से सभी जश्न मना रहे थे. कहते हैं कि यूँ भी नेताओं को खामोशी से बिठाकर रखना पहाड़ खोदकर दूध निकालने के समान है.लेकिन जब मौक़ा ख़ास हो और एक अदद मंच भी हो तो मंचासीन नेता,आखिर कैसे चुप बैठेंगे. इस मौके पर महाचन्द्र प्रसाद सिंह ने कह डाला की सहरसा जेल से आनंद मोहन ने इस कार्यक्रम में उन्हें शामिल होने का न्योता दिया था.यह एक बड़ी भूल थी जिसे वृषण पटेल ने अपने भाषण में सम्भाला और कहा की मांझी जी ने फोन करके न्योता दिया था जिसे महाचन्द्र बाबू ने गलती से आनंद मोहन के द्वारा न्योता मिला,कह डाला.वृषण पटेल ने इंकलाबी लहजे में कहा की आमलोगों का यह नारा है की "जेल का फाटक टूटेगा और आनंद मोहन निकलेगा",यह जल्द ही साकार होगा. वृषण पटेल ने तो यह भी कहा की जल्द ही लालू प्रसाद जेल जाएंगे और जेल में बंदी तब कहेंगे की "बहारों फूल बरसाओ,मेरा महबूब आया है".
लवली आनंद "हम" में शामिल हो चुकी हैं और हम को चुनाव आयोग ने राजनीतिक पार्टी की मान्यता भी दे दी है. बहुत जल्द इस पार्टी को चनाव चिह्न भी हासिल हो जाएगा. आगामी विधानसभा चुनाव में यह पार्टी कितनी ताकतवर पार्टी के रूप में उभरकर सामने आती है, आगे यह देखना दिलचस्प होगा. वैसे अभी इतना तो तय दिख रहा है की एन.डी.ए.  की सब से बड़ी पार्टी बीजेपी इस नवोदित पार्टी "हम" को खुश करने में कोई कोर--कसर  नहीं छोड़ेगी.
सहरसा टाईम्स  के ग्रुप
एडिटर मुकेश  कुमार सिंह
पूर्व सांसद लवली आनंद की इस नयी राजनितिक पारी को लेकर हम अपने पाठकों को एक बेहद खास जानकारी देना चाहते हैं.लवली आनंद को अपनी पार्टी रालोसपा में शामिल कराने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुसवाहा और प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार ने सहरसा जेल में आनंद मोहन से कुछ दिन पूर्व मुलाक़ात की थी. यही नहीं लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान और बीजेपी के कई कद्दावर नेता भी आनंद मोहन पर अलग से डोरे डाल रहे थे. वैसे मांझी के बेहद करीबी शकुनी चौधरी भी जेल जाकर आनंद से ना केवल मुलाकात की थी बल्कि वे लगातार उनके सम्पर्क में भी थे.लेकिन सियासी धुंध अब पूरी तरह से छंट चुकी है.पूर्व सांसद आनंद मोहन और लवली आनंद की राजनीतिक नैया के असल मांझी अब "जीतन राम मांझी" हैं.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


THANKS FOR YOURS COMMENTS.

*अपनी बात*

अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।