सुशासन की सरकार के तमाम बड़े--बड़े दावों से इतर सहरसा में गरीब--गुरबों की हाय--तौबा और हक़ के लिए हंगामे का दौर बदस्तूर जारी है.इसी कड़ी में आज कहरा प्रखंड के बीपीएल धारियों ने राशन किरासन के लिए जिला समाहरणालय गेट प़र ना केवल जमकर हंगामा किया बल्कि सरकार और प्रशासन के खिलाफ खूब नारेबाजी भी की.आक्रोशित लाभुकों का आरोप था की गाँव के डीलर ने पिछले छः महीने से उन्हें अनाज और किरासन तेल नहीं नहीं दिए हैं.राशन--किरासन के अभाव में उनके सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गयी है. समाहरणालय गेट प़र यह हंगामा बारह बजे दिन से लेकर साढ़े तीन बजे दिन तक बरपता रहा.बड़े अधिकारी विकास योजनाओं को लेकर वीडियो कौन्फेंसिंग में लगे हुए थे.बड़ी मुश्किल से मौके प़र आये मेजिस्ट्रेट ने लोगों को समझा--बुझालकर मामले को शांत कराया.इस हंगामे के बीच सत्ताधारी दल के एक विधायक चाय की दूकान प़र बैठकर मजे से चाय की चुस्की ले रहे थे.
जुलाई 27, 2012
जुलाई 26, 2012
बड़ी दुर्गा मंदिर में चोरी
बीती रात चोरों ने सदर थाना के शब्जी मंडी स्थित बड़ी दुर्गा मंदिर में लाखों मूल्य के माँ का सोने का पानी चढ़ा चांदी मुकुट और चांदी की छतरी चुरा लिए.चोर मंदिर की छत से वेंटिलेटर के रास्ते माँ की मूर्ति के पास पहुँचे और चोरी की इस घटना को अंजाम दिया.पुलिस ने सदर थाना में काण्ड दर्ज कर मामले की तहकीकात शुरू कर दी है.बताना लाजिमी है की इसी साल चोरों ने सदर थाना के महावीर चौक स्थित हनुमान मंदिर से भी भगवान राम का मुकुट और छतरी चुराए थे जिसका आजतक पता नहीं चल सका है.जाहिर तौर प़र चोरों के बढे हौसलों का ही नतीजा है की अब भगवान भी सुरक्षित नहीं रह गए हैं.
चोरों के बढे हौसलों ने जहां भगवान को पूरी तरह से असुरक्षित बना दिया है वहीँ पुलिस की कार्यशैली प़र भी सवाल खड़ा कर दिया है.आखिर चोरों को पुलिस का खौफ क्यों नहीं है.भगवान से पंगा लेने वाले ये चोर अब पुलिस को क्या तवज्जो देंगे.
चोरों के बढे हौसलों ने जहां भगवान को पूरी तरह से असुरक्षित बना दिया है वहीँ पुलिस की कार्यशैली प़र भी सवाल खड़ा कर दिया है.आखिर चोरों को पुलिस का खौफ क्यों नहीं है.भगवान से पंगा लेने वाले ये चोर अब पुलिस को क्या तवज्जो देंगे.
सहरसा टाइम्स के ख़बर का असर........ अनाथ बच्चे ने ख़त्म किया भूख हड़ताल
रिपोर्ट चन्दन सिंह : अनाथ बच्चों की भूख हड़ताल से पहले तो जिला प्रशासन का कलेजा नहीं पसीजा लेकिन सहरसा टाइम्स के ख़बर का असर देखिये की गहरी नींद में सोया प्रशासन अनशन के दूसरे दिन बीते देर शाम में जागा और अनाथ आश्रम के संचालक से ना केवल वार्ता की बल्कि उनकी कुछ छोटी मांगों को मानकर तत्काल भूख हड़ताल को खत्म भी कराया.जिला प्रशासन के अधिकारी का कहना है की ऐसे अनाथ बच्चों को सरकार द्वारा आदेशित और निर्देशित NGO या किसी संस्था को रखने का हक़ है लेकिन आकांक्षा अनाथ आश्रम के संचालक बिना किसी वैधानिकता के पिछले चार साल से इन अनाथों को पाल रहे हैं इसलिए उनके बच्चों के प्रति लगाव की वजह से जिला प्रशासन उनसे सहानुभूति रखता है.जिला प्रशासन ने उनकी वे मांगें मान ली है जो जिला प्रशासन से संभव है.बड़ी मांगों की भरपाई सरकार के स्तर से ही संभव है.जिला प्रशासन ने किसी तरह से बला को टालने की तर्ज प़र अनशन को तो खत्म करा लिया है लेकिन आगे बच्चों की जिन्दगी कैसे चलेगी और इनके भविष्य का क्या होगा यह यक्ष प्रश्न जस का तस बरकरार है.
अनशन तो खत्म हो गया लेकिन इन बच्चों के लिए कोई बेहतर और स्थायी समाधान नहीं हो सका.संचालक आगे सरकार से लड़कर हक़ लेने की बात कर रहा है.रब जाने इन नौनिहालों का क्या होगा.
अनशन तो खत्म हो गया लेकिन इन बच्चों के लिए कोई बेहतर और स्थायी समाधान नहीं हो सका.संचालक आगे सरकार से लड़कर हक़ लेने की बात कर रहा है.रब जाने इन नौनिहालों का क्या होगा.
जुलाई 25, 2012
हड़ताली मासूमों की जान प़र बनी
रिपोर्ट चन्दन सिंह: कहते हैं जिसका कोई नहीं उसका तो खुदा है यारों.लेकिन यहाँ तो लग रहा है ऊपर वाले ने भी मुंह फेर लिया है.किस्मत के मारे इन अनाथ बच्चों प़र भगवान को भी तरस नहीं आ रहा है.चित्कार और दर्द में सनी यहाँ की तस्वीर यमराज को रुलाने का माद्दा रखता है लेकिन भगवान को भी ना जाने क्या हो गया है.लगता है की भगवान ने भी जात--जमात और पैसे--रसूख वालों प़र ही मेहरबान होने का मन बना लिया है.पहले तो इन मासूमों के सर से माँ--बाप का साया छीना अब इनको तिल--तिल कर मरने को छोड़ दिया है.कुल 23 की संख्यां में इस अनाथ आश्रम में अनाथ बच्चे पल रहे हैं.पल क्या रहे हैं बस जिन्दगी के दिन काट रहे हैं.13 बच्चे कुसहा त्रासदी के हैं और 10 बच्चे इधर--उधर से भूले--भटके लावारिश हैं जिन्हें लाकर जमा कर दिया गया है. कुछ बच्चे कुपोषण के शिकार हैं लेकिन इनका इलाज नहीं हो पा रहा है.अब यहाँ अनशन प़र पड़े पाँच बच्चों की हालत बिगड़ चुकी है.बच्चे बीमार पड़ते जा रहे हैं. ये खुद के बीमार होने की भी बात कर रहे हैं
इन मासूम नौनिहालों को किसी तारणहार की जरूरत है.सरकार को बेजा कामों में खर्च करने के लिए या यूँ कहें पानी में बहाने के लिए पैसे हैं लेकिन इन बच्चों की जिन्दगी बचाने के लिए पैसे या कोई बड़ी योजना नहीं है.आखिर सरकार किस खुशफहमी में है.क्यों नहीं इन बच्चों के लिए सरकार आगे आ रही है.एसी कमरे में चिकेन--बिरयानी और लजीज व्यंजनों के जायके लेने में इन बच्चों की सुधि लेना निश्चित रूप से नामुमकिन है.काश ! ये ओहदेदार इन मासूमों में अपनी संतान की सूरत देखते.सच मानिए तब पाँव के नीचे की ज़मीन ही फट जाती.ऊपर वाले तुने देने में कोई कमी नहीं की लेकिन किसे क्या मिला यह तो मुकद्दर की बात है.
मशरूम खाने के चक्कर में कई बीमार

एक परिवार अचानक एक बड़ी आफत आ गयी है.एक साथ पंद्रह लोग जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.इन्हें दवा के साथ--साथ दुआओं का भी असर हो जिससे इनकी जिन्दगी बेजा काल के गाल में समाने से बच सके.
2008 की कुसहा त्रासदी में हुए अनाथ मासूमों की भूख हड़ताल
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आकांक्षा अनाथालय के बच्चे |
रिपोर्ट चन्दन सिंह: जिला समाहरणालय के ठीक सामने एक जर्जर भवन में अवस्थित आकांक्षा अनाथ आश्रम के दिन अब लद से गए हैं.एक संतान विहीन दम्पति द्वारा बिना किसी सरकारी और प्रशासनिक मदद के संचालित इस आश्रम में कुल तेईस अनाथ बच्चे पल रहे हैं जिसमें कुसहा त्रासदी के तेरह अनाथ बच्चे हैं. बिना किसी सरकारी--प्रशासनिक मदद के चलने वाले इस अनाथ आश्रम में बीते चार वर्षों से इन मासूम नौनिहालों में किसी तरह जान फूंकने की कवायद चलती रही.लेकिन अब इस आश्रम के संचालक आर्थिक रूप से पूरी तरह से टूट गए हैं और इन बच्चों के लालन--पालन में पूरी तरह से असमर्थ हैं.बीते चार वर्षों में आश्रम के संचालक ने मंत्री,सांसद--विधायक से लेकर जिले के तमाम बड़े अधिकारियों से इन बच्चों के लिए जीभर के गुहार लगाई लेकिन किसी ने इन बच्चों के लिए मजबूत पहल नहीं की.आज नतीजा सामने है की यहाँ पल रहे बच्चे दीन--हीन बने दाने--दाने को मोहताज हैं.आलम यह है की आज अहले सुबह से ये टूटे नौनिहाल जिन्दगी बचाने के लिए जिला समाहरणालय के सामने भूख हड़ताल प़र बैठे हैं.ये टूगर बच्चे भोजन,वस्त्र,इलाज और भविष्य के लिए तरस रहे हैं और डी.एम साहब से फ़रियाद कर रहे हैं की मुझे खाना दो नहीं तो मरने की इजाजत दो.
यह बिल्कुल साफ़ हो चुका है की सत्तासीनों और उसके तंत्रों की आँखें और उनके कान अलहदा होते हैं.सुशासन का दावा करने वाले एसी नेताओं को ये तस्वीरें दोजख और तबाही के नहीं लगेंगी.यह तस्वीरें उन्हें सिर्फ और सिर्फ तमाशे की लगेंगी.गोया हमने बाहर से कलाकार मंगवाकर तस्वीरें उतारी हों.नीतीश बाबू अपनी आँखों पर आपने ना जाने कौन सा चस्मा चढ़ा रखा है जिससे सिर्फ चाँद--तारे और सूरज के साथ--साथ विकास ही दिखते हैं.राजा साहब,कोशिश करके ऐसा चस्मा पहनिए जिससे सच और वाजिबियत की जमीनी तस्वीरें दिखें.
अस्पताल से लालू की हुई छुट्टी
रिपोर्ट चन्दन सिंह: पैसा,रसूख और ताकत के सामने एक बार फिर गरीबी को शिकस्त मिली.पद,पैरवी और तिकड़म हमेशा इन्साफ की राह में रोड़े डालता रहा है.इसी कड़ी में बीते 12 जुलाई से सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती नाबालिग लालू को ना केवल अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया बल्कि उसे सहरसा व्यवहार नयायालय के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में पेश भी किया गया.देर शाम लालू को पुर्णिया रिमांड होम भेज दिया गया.बताना लाजिमी है की 11 जुलाई की शाम जिले के सिमरी बख्तियारपुर के दबंग राजनीतिज्ञ सह कद्दावर व्यवसायी चंद्रमणि भगत और उनके दो भाईयों ने चोरी के आरोप में अपनी दूकान में बंद करके लालू की ना केवल बेरहमी से पिटाई की थी बल्कि उसके तलवे पर किसी नुकीली चीज चुभो कर उसे गंभीर यातना भी दी थी. नतीजतन जदयू ने चंद्रमणि भगत को पार्टी से निष्कासित कर दिया.लालू की पिटाई मामले में तीन लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें से दो आरोपी मनोज भगत और ललन भगत ने 16 जुलाई को न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया.वे दोनों अभी जेल में हैं.लेकिन हद की इंतहा देखिये की पिटाई मामले का मुख्य आरोपी चंद्रमणि अभीतक फरार है और मासूम लालू को रिमांड होम भेज दिया गया.सत्तासीनों के आशीर्वाद से लालू को इन्साफ नहीं मिल पाया.जिस बेरहम दरिन्दे आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए वह छुट्टा घूम रहा है और मासूम नाबालिग बच्चा रिमांड होम चला गया .पैसे के दम प़र मेले लागाये जाते हैं,बड़े--बड़े खेल--तमाशे से लेकर भव्य आयोजन होते हैं.पैसा बहुत चीजों प़र भारी होता है.गरीब लालू के इन्साफ प़र जुल्मी पैसे का रंग चढ़ गया.
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जुलाई 24, 2012
भाई ने बहन की गर्दन रेती

फिलवक्त पुलिस ने इस मामले में पिता के बयान प़र सदर थाना में काण्ड दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया है.सभी आरोपी फरार हैं.इस घटना ने एक बार से फिर पाक रिस्ते को चाक किया है.धन के लोभ में आज रिस्ते के मजबूत पाए भी दरक--दरक के धराशायी हो रहे हैं. यह घटना उसी की बानगी है.फिलवक्त अभी हम तो सिर्फ यही दुआ करते हैं की किसी तरह से पहले मरियम की जान बच जाए.
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