फ़रवरी 02, 2017

सबका साथ सबका कल्याण ----- संविदा कर्मी

मेरी भी दर्द सुनो सरकार ..........
आई. टी. प्रबंधक, आई.टी. सहायक और कार्यपालक सहायक हुए लामबंद..
सहरसा टाईम्स की विशेष रिपोर्ट :::-----
सहरसा जिला ही नहीं बल्कि बिहार सरकार के तमाम कार्यालयों में संविदा पर बहाल कार्यपालक सहायकों, आई.टी. सहायकों और आई.टी. प्रबंधक द्वारा सरकारी कार्य को बेहतर तरीके से अंजाम दिया जा रहा है. सरकार की जन कल्यानकारी योजनाओं का लाभ बिहार के जनता तक पहुँचाने में अहम् भुमका निभा रही है

गौरतलब है कि संविदा पर नियुक्त कर्मियों को सरकार द्वारा निरंतर नए नए प्रलोभन देकर संविदा कर्मियों को बहुत ही कम मानदेय देकर कार्य लिया जा रहा है. सरकार के इस रवैया से तंग आकर सहरसा जिले के आई. टी. प्रबंधक, आई.टी. सहायक और कार्यपालक सहायकों ने लामबंद होना शुरू कर दिया है. बीते कल सहरसा के स्टेडियम में एक आपात बैठक कर सभी को एक साथ होकर सरकार से अपनी मांगे पूरी करने की अपील की गई है. 
फाइल फोटो 
इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे गोप गुट के उपाध्यक्ष श्री माधव प्रसाद सिंह ने कहा कि जबतक आप सभी एक होकर सरकार से अपनी मांग नही रखेंगे तबतक ये सरकार आपकी नही सुनने वाली है. उन्होंने सहरसा ही नहीं बल्कि बिहार के तमाम विभागों में कार्यरत आई. टी. प्रबंधक, आई.टी. सहायक और कार्यपालक सहायकों एक होकर सरकार से अपने हक़ और हकूक के लिए लामबंद होने का अपील किया है. यदि आप ऐसा नही करते हो तो आस सरकार के नये नये प्रोलोभन ही आपको प्राप्त होते रहेंगे.  
सहरसा टाईम्स से एक कार्यपालक सहायक ने अपनी दुखार रोते हुए सुनाया की हमारी हालत जानवर से भी बत्तर है. एक तो कम मानदेय दिया जाता है और वो भी समय पर नहीं मिलता. आवंटन यदि विभाग से आ भी जाता है काफी जद्दोजद करने के बाद ही कुछ माह का मानदेय मिल पता है.  सूत्र के अनुसार कई विभागों में कार्यरत कार्यपालक सहायकों को कई माह से मानदेय भी नहीं मिला है जिसके कारण भुखमरी की नौवत सी आ गई है. साथ ही कहा की हमारे अधिकांश साथी जो कई वर्षों से कार्य कर रहे उनकी उम्र दुसरे किसी नौकड़ी के लिए समाप्त हो चूका है.  इसलिए हमलोग इसे छोड़ भी नहीं सकते है. अब जो भी वो सरकार के रहमोकरम पर हम सभी टिके है.

दिनांक २९-०१-२०१७ कार्यपालक सहायक बैठक की तस्वीर 
जाहिरतौर से बिहार सरकार के विभागों में जो संविदा पर कार्य कर रहे है उसके पीछे जो दर्द छिपा है उसे आज तक किसी अख़बार ने और न किसी न्यूज़ चैनल वालों ने इस सरकार के सामने प्रस्तुत करने की जद्दोजद की है. कम मानदेय पर सरकार के जनकल्यानकारी योजनाओं को धरातल पर उतरने में इनकी अहम् भूमिका मानी जाती है. इतना ही नहीं सरकारी कर्मचारियों से लेकर आलाधिकारी भी इनपर क्रूरता जैसा व्यवहार करने से गुरेज नही आते.  


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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।