जुलाई 22, 2016

मुक़दमे में पेंच, मामला प्रेम प्रसंग या फिर रंगदारी का .....

मुक़दमे में पेंच .......
पचास हजार की रंगदारी दो .........

मामला प्रेम प्रसंग,या फिर रंगदारी का .......

पुलिस की तटस्थ जांच से होगा दूध का दूध और पानी का पानी......
मुकेश कुमार सिंह की दो टूक...

घटना 14 जुलाई की है । वार्ड नम्बर 5 सराही मुहल्ले के रहने वाले अवध किशोर मिश्रा ने सदर थाना में एक आवेदन दिया जिसमें अपनी शिक्षिका पत्नी मीरा सिन्हा के मोबाइल पर एक युवक राजेश यादव के द्वारा 50 हजार रूपये रंगदारी मांगने की उन्होने बात कही । चूँकि आवेदन पुलिस अधिकारी के हाथ में था और मामला आधी आबादी के हक़--हकूक और सुरक्षा से जुड़ा हुआ था, इसलिए आनन्--फानन में मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू कर दिया गया । 
चूँकि यह मामला एक महिला से जुड़ा हुआ था, इसलिए यह हमारे लिए भी बेहद महत्वपूर्ण था । कुछ दैनिक पत्रों ने इस खबर को ऐसे परोसना शुरू किया की यह मामला किसी आतंकी सरगना से जुड़ा हुआ हो। तब हमने भी इस मामले की पड़ताल शुरू की और इसके तह में जाना शुरू किया। हम अपने पाठको को सब से पहले यह बताना चाहते हैं की रंगदारी मांगने का यह पहला हैरत अंगेज मामला है जिसमें तथाकथित अपराधी राजेश यादव ने अपनी जन्म कुंडली बताकर रंगदारी की मांग की। यानि उसने अपने पिता का नाम बताया और अपने आवास का जिक्र किया फिर रंगदारी की मांग की। पीड़ित पक्ष ने अपने आवेदन में यह जिक्र किया है ।आवेदनकर्ता रिटायर्ड होमगार्ड के हवलदार हैं। आवेदन में शिक्षिका कहाँ पदस्थापित है इसकी जानकारी रंगदार को है और रंगदारी नहीं देने पर पुरे परिवार को बर्बाद कर देने की वह धमकी देता है । तथाकथित रंगदार ने अपने 9473119376 मोबाइल नम्बर से शिक्षिका के 7870859600 पर फोन कर के धमकी दी है ।
अब पुलिस जांच में जुटी हुयी है लेकिन पीड़ित पक्ष के लोग बाबले हो रहे हैं की आरोपी की अविलम्ब गिरफ्तारी क्यों नहीं हो रही है ? यह सही है की सहरसा पुलिस के दामन पर कई दाग हैं लेकिन कोई अधिकारी जल्दी यह नहीं चाहता की कोई निर्दोष अपराधी की श्रेणी में आ खड़ा हो । पुलिस अधिकारी तफ्तीश कर कर रहे लेकिन पूरा सच अभी उनके हाथ नहीं आ रहा है ।
अब हमने भी भी इस मामले में कुछ पड़ताल की है । यह मामला कहीं से रंगदारी का नहीं है । राजेश यादव के पिता कुन्दन यादव् एक कॉलेज में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी हैं । इनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि कहीं से भी अपराधिक नहीं है। यह मामला प्रेम प्रसंग का है। अवध किशोर मिश्रा की वयस्क पुत्री (नाम देना मुनासिब नहीं है) का राजेश का प्रेम प्रसंग है। महीनों से वे एक--दूसरे को चाहते हैं । वे दोनों शादी करना चाहते हैं लेकिन सामने जाति की दीवार है। हम किसी के पारिवारिक मामले में हस्तक्षेप करना नहीं चाहते हैं। लेकिन सच,आखिर सच होता है, उसपर पर्दा डालना गुनाह है। प्यार किसी को किसी से हो सकता है लेकिन समाज क्या स्वीकृति देता है, इसका ख्याल रखना भी बेहद जरुरी है। हमारे पास इस प्रेम प्रसंग के कुछ पुख्ता साक्ष्य आये हैं। लड़का--लड़की के बातचीत के ऑडियो और एक दूसरे को किये गए मैसेज हमारे पास आये हैं जो पुलिस के पास भी हैं। पुलिस अधिकारी एक तरह से अंजाम तक पहुँच चुके हैं लेकिन ना जाने उनकी कौन सी विवशता है जो वे इस मामले का वे पटाक्षेप नहीं कर पा रहे हैं। हम कहीं से भी पुलिस की कार्यशैली पर ऊँगली नहीं उठा रहे हैं लेकिन पुलिस जिस तरह से राजेश के घरवालों पर दबिश बना रही है उसपर हम सवाल जरूर खड़े कर रहे हैं ।
पुलिस को खुद से यह समझना चाहिए की कोई अपराधी अपनी कुंडली बताकर रंगदारी की मांग नहीं करता ?फिर उस शख्स का कोई अपराधिक इतिहास भी नहीं हो? समाज में उनकी एक ईज्जत हो... पड़ोसी उनके आचरण को लेकर कसीदे कढ़ रहे हों...ऐसे में किसी दबाब में आकर किसी युवक की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए । एक शख्स से पुरे परिवार का सम्मान और भविष्य जुड़ा होता है । इस मामले में पुलिस से ज्यादा सामाजिक हस्तक्षेप की जरुरत है। पीड़ित पक्ष को भी अपनी मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए । सारी समस्याओं का समाधान पुलिस और कानून से कतई संभव नहीं है। पुलिस को चाहिए की वह आवेदक की बेटी का भी तटस्थ बयान ले। उसके बयान से सच पूरी तरह से सामने आ जाएगा । एकपक्षीय कार्रवाई कहीं से न्यायसंगत नहीं है । पुलिस को किसी दबाब से ईतर सच की अगुआई करनी होगी ।प्रेम प्रसंग के मामले को रंगदारी का क्रूर रंग देना,निसंदेह एक बुरी परिपाटी का दुखद आगाज होगा ।

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।