अगस्त 18, 2011

अन्ना ही ही अन्ना हुआ सहरसा


    अन्ना ही ही अन्ना हुआ सहरसा




स्वाधीनता दिवस के पावन और एतिहासिक मौके पर आज सहरसा के युवकों ने महात्मा गाँधी की प्रतिमा के सामने शपथ लेकर खुद को अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार ख़त्म कराने की मुहीम में पूरी तरह से झोकने का एलान किया.सैकड़ों की तायदाद में युवकों का जत्था पहले दूरसंचार विभाग के कार्यालय के समीप अवस्थित महात्मा गाँधी की प्रतिमा के सामने पहुंचा जहां उन्होने बापू का नमन कर उन्हें सलामी दी फिर वहीँ पर शपथ लिए.यहाँ से युवाओं का कारवां निकला तो वह मुख्यालय के विभिन्य सड़कों से गुजरते हुए अन्ना के समर्थन में ना केवल जमकर नारेबाजी करता रहा बल्कि अन्ना के समर्थन में युवाओं सहित आमलोगों को भी अन्ना की मुहीम में शामिल होने का आह्वान भी करता रहा.कल से अन्ना दिल्ली में अनशन पर जा रहे और सहरसा में अन्ना की लहर फैल चुकी है.ऐसे में कहा जा सकता है की जिस तरह से अन्ना के समर्थन में देश उबलने लगा है यह कहीं से भी केंद्र  सरकार के लिए खासकर के कॉंग्रेस के लिए शुभ

                                                                       
   संकेत नहीं है.
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अब पूरा देश ना केवल ऊबल रहा है बल्कि इसको लेकर व्यापक तरीके से लामबंदी भी हो रही है.इसी कड़ी में आज सहरसा के युवाओं ने भ्रष्टाचार के विरोध में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष शपथ लेकर ना केवल अन्ना हजारे के पक्ष में उतरने का एलान किया बल्कि जबतक अन्ना की लड़ाई मंजिल तक नहीं पहुँचती है तबतक जान देकर भी वे उनका और उनके मुहीम का साथ नहीं छोड़ेंगे का फरमान भी जारी किया.आप पहले यह नजारा देखिये.देखिये किस तरह यहाँ युवाओं का जत्था बापू की प्रतिमा के सामने शपथ ले रहा है.यहाँ शपथ लेकर युवाओं का यह सैलाब सड़कों पर  निकला जो मुख्यालय के विभिन्य सड़कों से गुजरते हुए घंटों अन्ना के समर्थन में गगनभेदी नारे लगाता रहा.आप खुद ही इस जोश से भरे युवाओं की लामबंदी को देखिये.स्वाधीनता के पावन अवसर पर युवाओं का यह शंखनाद भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए एक नयी ऊष्मा  का संचार कर रहा है

युवाओं का यह सैलाब नए भारत की पटकथा लिखने का सन्देश दे रहा है.सहरसा में अन्ना के लिए यह लामबंदी अन्ना की मुहीम को कितना फायदा पहुंचा पाएगी यह तो आगे देखा जाएगा लेकिन अभी इतना तो कहा ही जा सकता है की भ्रष्टाचार अब और बर्दास्त करने के लिए लोग तैयार नहीं हैं.











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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।