एम.डी के
खिलाफ सदर थाना में करीब पचास करोड़ रुपया गबन करने का मामला दर्ज,एम.डी कल
जायेंगे जेल /कोसी रेंज के डीआईजी के निर्देश पर हो रही है कारवाई///मुकेश कुमार सिंह///

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आरोपी एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा |
इधर आरोपी एम.डी का कहना है की बीते कुछ महीनों से
यह बैंक,बैंक के ऋण धारकों से
ऋण वसूली के लिए जिले के विभिन्य थानों में मुकदमा दर्ज कराना शुरू किया
था। जिसमें से एक ऋणधारक जेल भी जा चुका है।पहले चरण में नौ लोगों पर
मुकदमा दर्ज किया गया था जिसमें से आठ पर अभीतक वारंट जारी हैं लेकिन उनकी
गिरफ्तारी अभीतक नहीं हो पायी है।आरोपी एम.डी का कहना है की द्वितीय चरण
में उन्होनें 24 ऋणधारकों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज करने के लिए आवेदन
दे रखा है।इस आवेदन पर अभीतक कोई कारवाई पुलिस ने शुरू नहीं की है। एम.डी
का निचोड़ में यही कहना है की पुराने ऋणधारकों के षड्यंत्र और
ताजा खाताधारियों के बकाये से उपजे
रोष इस घटना की मूल वजह है। पुराने ऋणधारकों ने ऋण देने से बचने के लिए
साजिश करके उन्हें फंसाया है।अगर ऋणधारक ऋण की वापसी समय से नहीं करेंगे तो
आखिर वे खाताधारियों को उनकी जमा राशि कैसे और कहाँ से देंगे।
इधर पुलिस
अधिकारी अब एम.डी के पुराने इतिहास को भी खंगालने में है जुटी हुयी है
जिससे केश और मजबूत हो सके।सहरसा एस.पी
अजित सत्यार्थी अभी अवकाश पर हैं।सहरसा टाईम्स ने कोसी रेंज के डी.आई.जी
संजय कुमार सिंह से मोबाइल से बात की।उनका कहना है की खाताधारी
आरोपयुक्त लिखित आवेदन दे रहे हैं इसीलिए एम.डी जीतेन्द्र मिश्रा जेल
जायेंगे।यहाँ बड़ा सवाल यह है की इसी एम.डी के निर्देश पर बैंक
द्वारा चलाये जा रहे ऋण वसूली अभियान में ना केवल कई ऋणधारकों पर मुक़दमे
दर्ज हुए हैं बल्कि एक ऋणधारक जेल भी जा चुका है। उसके बाद फिर से बैंक
ने करीब चालीस ऋण धारकों के खिलाफ़ ऋण वसूली के लिए पुलिस थाने में मुकदमा
दर्ज करने का आवेदन भी दे रखा है। हद बात जानिये की किसी की जान बचाने के
लिए पहले पुलिस उसे बचाकर थाने लाती है
फिर उसे जेल भेजने के लिए सामूहिक ढंग से आरोपयुक्त आवेदन खाताधारियों से
थाने में लिखवाकर उसे जेल भेजने की पूरी तैयारी करती है। ऐसे में पुलिस की
यह कार्यशैली जाहिर तौर पर उसे कटघरे में
खड़ी कर रही है।

सहरसा टाईम्स: बैंक में अगर गबन और फर्जीवाड़ा हुआ है तो शख्त से शख्त कारवाई के हम भी पक्षकार हैं लेकिन साजिश के सामने घुटने टेककर या फिर कोई और बड़ा लाभ लेकर इस खेल का ताना--बाना बुना गया है तो सच मानिए सहरसा टाईम्स आगे सच की साबूत तस्वीरों और खबर की तह में जाकर एक--एक सच को खोद--खोदकर बाहर निकालकर बहुत जल्द आपके सामने हाजिर होगा और शासन--प्रशासन की इंट से इंट बजा देगा।फिलवक्त पुलिस ने कारवाई की जो नायाब शैली का मुजायहरा किया है वह उसे कटघरे में खड़े करने के लिए काफी है।आखिर में हम एक सवाल आपके लिए छोड़े जा रहे हैं की अगर यह एम.डी रूपये डकार चुका था तो सहरसा से फरार क्यों नहीं हुआ।अपनी जमीन बेचकर भी लोगों के रूपये देने की बात उसने आखिर क्यों की।साथ ही अगर एम.डी जेल चला गया तो ऋणधारकों से ऋण की वसूली कौन करेगा और खाताधारियों को रूपये कौन देगा।
sachchai par se aaj na to kal parda uthna hi hai
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