गरीब को गरीब होने का दिलाती है,एहसास....
किस्तों में दी जाती है,योजना की राशि....
दर्द और पीड़ा उठाने को मजबूर है,लोग....
सहरसा टाईम्स ने दी दस्तक, लाभुक है परेशान.....
दर्द और पीड़ा उठाने को मजबूर है,लोग....
सहरसा टाईम्स ने दी दस्तक, लाभुक है परेशान.....
आज सरकार की बात करे तो राज्य हो या केन्द्र सरकार करोड़ो--अरबों राशि की योजना का पटाक्षेप तैयारी कर रही है,जिससे भारत में गरीबी को जड़ से खत्म किया जा सके. हमारा देश 1947 ई० में अंग्रेजो के चँगुल से आजाद हुआ तब से लेकर अब--तक के दौड़ में गरीबी नाम का दीमक भारत देश को केवल खखुला ही नहीं कर रही है,बल्कि गरीबी के जंजीरों में देश को जकड़े हुए है.बात वाजिब है की हमारे देश से गरीबों का दर्द और गरीबी कैसे खत्म होगी। लेकिन हमारा आज का विषय है,किस्तों में क्यों दी जाती है योजना की राशि। जी मैं इस विषय को विस्तार से बताना चाहता हूँ,और आप सभी को इस सच भरी दर्द से भी रूबरू करता हूँ, सरकार बी० पी० एल० परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत शहरी आवास बनाने हेतु 2 लाख राशि आवंटित करती है, लेकिन ये राशि बी० पी० एल० परिवार के खाते में जाना किसी अंधे आदमी को सड़क पार करने के बराबर है.




भाड़ी बरसात के इस मौसम में पन्नी को सहारा बना कर ज़िन्दगी गुजारने को बेबस है,लाभुक ।इनकी हिचकियाँ लेती ज़िन्दगी को देखने वाला कोई नहीं सभी को मतलब फकत अपने जेब को भाड़ी करने की है बरहाल दर्द तो सैकड़ो की गिनती को भी पार कर देगी यह कहना कतय गलत नहीं होगा की पुरे सिस्टम में ही अनगिनत छेद है .नई इमारत बनने से पहले वार्ड पार्षद से लेकर निगम के अधिकारी माँगते है नजराना जिसका सबूत लाभुक के द्वारा दिये गये बतौर विडियों मौजूद है जो दूध का दूध और पानी का पानी साफ करने के लिए काफी है। हम ने कई घरों के दर्द को टटोलने की कोशिश की जिसमें दर्द ही दर्द मिला ।दर्द एक हो तो बताऊं यहाँ जहाँ दबाये वहाँ मवाद ही मवाद है ।खुदा तू सारे आलम का बादशाह है,इन सभी के दर्द को जल्द से जल्द दूर कर दें ।
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