



बच्चों के तल्ख तेवर और सड़क पर पढ़ाई करने का यह तरीका निसंदेह उनकी पीड़ा का परवान है ।आगे यह देखना बेहद जरुरी है की इन बच्चों के हक़ के लिए कोई ठोस पहल होती है,या फिर ये बच्चे यूँ ही फिर से आंदोलन को विवश होंगे ।वैसे ऐसे मामले में बड़े अधिकारी आश्वासन की घूंटी पिलाने के सिवा हमें तो कोई बड़ी कार्रवाई करते आजतक नजर नहीं आये हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.