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आरोपी प्रिंसिपल |
अब हम आपको आरोपी प्रिंसिपल का बयान सुनाते हैं।इनकी मानें तो
उन्हें इस आरोप को सुनकर कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है की वे क्या
कहें।जिसे वे अपनी बच्ची की तरह पाल रहे थे,आखिर वह ऐसा बयान देकर उन्हें
क्यों कलंकित कर रही है।प्रिंसिपल साहब साफ़--साफ़ बताते हैं की जनवरी माह से
उन्होनें स्कूल की फ़ीस बढ़ा दी है और पिछले तीन माह का बकाया भी बच्ची के
परिजनों पर है।अब भगवान जाने झूठी बात से उन्हें क्यों फंसाया जा रहा
है।

जाहिर तौर पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार पुलिस के लिए पीड़िता का बयान सर्वोपरि है।पुलिस ने पीड़िता के बयान पर सदर थाना में मामला दर्ज कर आरोपी गुरूजी को गिरफ्तार भी कर लिया है।लेकिन गिरफ्त में आये गुरूजी के पुराने चरित्र और उनके व्यक्तित्व का जो इतिहास है उसमें न केवल एक गुरूजी की पूरी गरिमा छुपी हुयी है बल्कि उनका सामाजिक दायरा भी उत्तम और बेदाग़ है।इस मामले में एक साफ़--सुथरे व्यक्ति के जीवन भर की पूरी पूंजी का एक साथ क्षय है।पुलिस को पीड़िता के बयान का ख्याल तो रखना ही चाहिए लेकिन पूरी पारदर्शिता के साथ इस मामले की जांच भी होनी चाहिए।पुलिस को अगली कारवाई से पहले इस मामले का सिद्दत से तटस्थ पड़ताल करने की जरुरत है। सहरसा टाईम्स सदैव पीड़ितों के पक्ष में खड़ा रहा है लेकिन पीड़ित की वाजीवियत को समझना भी हमारा फर्ज है।पुलिस अधिकारियों को इस मामले में कतई जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।एक संसय बरकरार है की कहीं यह घटना किसी अन्य वजह से प्रायोजित तो नहीं है।वैसे अब सारा कुछ पुलिसिया अनुसंधान पर निर्भर करता है की वे आगे क्या खंगाल कर निकालते हैं।मामला अति संवेदनशील है,इसलिए एक तरफ जहां इस मामले में स्कूल एसोशिएसन को आगे आना चाहिए वहीँ स्वस्थ समाज के गुनी लोगों को भी आगे बढ़कर सच खंगालने की सामूहिक कोशिश करनी चाहिए।यूँ बताते चलें की इस तरह के मामले समाज के चंद छुटभैये और सरफिरों के लिए महज सियासत और षड्यंत्र का सामान होता है।हमें ऐसे बेहुदे और नापाक क़दमों को भी कुचलने की जरुरत है।
गुनी लोगों को भी आगे बढ़कर सच खंगालने की सामूहिक कोशिश करनी चाहिए।यूँ बताते चलें की इस तरह के मामले समाज के
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