सहरसा टाईम्स एक्सक्लूसिव////मुकेश कुमार सिंह ////
सरकार
की
बड़ी से बड़ी योजना या तो कागजों में सिमट कर रह जाती है या फिर वह महज
खाऊ--पकाऊ बनकर व्यवस्था को साबूत तरीके से मुंह चिढाती रहती है.ऐसा नहीं
है की योजना को लेकर सरकार या उसका पूरा तंत्र चिंतित और गंभीर नहीं है.असल
मसला यह है की उनकी चिंता और गंभीरता आमलोगों के भले से इतर उनके अपने भले
से ज्यादा मतलब रखता है.
सहरसा का PHED विभाग इनदिनों बड़ी और
महत्वाकांक्षी योजना की बलि चढाने में नयी ईबारत लिख रहा है.PHED द्वारा
करोड़ों की लागत से ग्रामीण इलाकों में IRP(आयरन रिमूवर प्लांट)के साथ
चापाकल लगाने की योजना पूरी तरह से ना केवल फ्लॉप साबित हो रही है बल्कि
अधिकांश चापाकल बिना पानी टपकाए या तो चुरा लिये गए हैं या फिर वे
ढह--ढनमना कर ज़मीनदोज हो रहे हैं.कोसी का यह इलाका यूँ ही दूषित पानी को
लेकर रेडजोन के रूप में चिन्हित है.कोसी क्षेत्र में अत्यधिक मात्रा में
लौह युक्त पानी वह भी पीला पानी निकलता है जिसे इलाके के लोग पीने को विवश
हैं.ऐसे में विभाग की यह लापरवाही लोगों के
जीवन से खूब खिलवाड़ भी कर रहा है.सुशासन का दम भरने वाले नीतीश बाबू को
अपने निजाम में चल रहे इस काले खेल को देखने की या तो फुरसत नहीं या फिर
जरुरत नहीं है.

इन रोते-बिलखते चापाकलों में
से ज्यादातर के सामान रख--रखाव के अभाव में या तो चुरा लिए गए हैं या फिर
वे वहीँ प़र ढह--ढनमना कर ज़मीनदोज हो रहे हैं.बानगी के तौर प़र हम कहरा
प्रखंड के नरियार और महिषी प्रखंड के उतरी पंचायत का नजारा दिखा रहे हैं.इस
इलाके के लोगों को कहना है की चापाकल तो लगा दिया गया लेकिन उन्हें आजतक
इस चापाकल से एक बूंद पानी नसीब नहीं हुआ.इनका कहना है की इन चापाकलों के
पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गयी.यमुना देवी,सदानंद ठाकुर,जय बहादुर
ठाकुर,मोहम्मद मुस्तकीम,बच्चू
साह,भूमि मंडल जैसे इलाके के लोग सहरसा टाईम्स से चीख--चीख कर
कह रहे हैं की इन चापाकलों को मनमाने तरीके से बस लगा भर दिया गया.यह काम
कर रहा है की नहीं,इसे देखने वाला कोई नहीं.लोग साफ़ तौर प़र स्वीकार कर रहे
हैं की सरकार का पैसा बिना पानी बहाए,पानी में बह गया.
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कार्यपालक अभियंता राजेश प्रसाद सिन्हा |
अब बारी है विभाग के हाकिम की.सहरसा PHED के कार्यपालक अभियंता राजेश प्रसाद सिन्हा की नजर में
यह योजना जिले भर में मिला--जुलाकर ठीक--ठाक चल रही है.इनकी नजर में कुछ
जगहों प़र जल--निकासी की वजह से चापाकल नहीं चलने की सूचना उन्हें मिली
है.सहरसा टाईम्स द्वारा बार--बार झंक--झोड़ने प़र अधिकारी ने यह जरुर स्वीकार
किया की उनके पास कनीय अभियंताओं की घोर कमी है जिस कारण से चापाकलों
के मेंटेनेंस यानि रख--रखाव में उन्हें दिक्कत होती है.जनाब का यह जबाब
स्थिति का खुलासा करने के लिए काफी है.

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