मुकेश कुमार सिंह : कोसी
के PMCH कहे जाने वाले सदर अस्पताल सहरसा में गरीब मरीजों के साथ इनदिनों
खुलकर खिलवाड़ हो रहा है.दूर--दराज इलाके से अपनी गाढ़ी कमाई खर्च करके
मुफ्त चिकित्सा के प्रलोभन में गरीब मरीज इस अस्पताल में आते तो हैं लेकिन
उनका इलाज नहीं हो पाता है.सुबह आठ बजे से ही अपना रजिस्ट्रेशन करवाकर
घंटों चिकित्सक के आने की बाट जोहना और फिर बिना इलाज कराये ही लौट जाना
इनकी नियति बन गयी है.



अब ज़रा इस तस्वीर को देखिये.अस्पताल परिसर में वर्षों से चलने वाला यह
प्राईवेट दवाखाना है.इस अस्पताल में आने वाले मरीजों को अक्सर इसी दूकान
से दवा खरीदनी पड़ती है.एक तरफ सरकार कहती है की अस्पताल में दवा का
अकूत भण्डार है जहां गरीब मरीजों को मुफ्त में दवा मिलेगी लेकिन यहाँ आकर
गरीब मरीज ठगे जा रहे हैं.मरीज के परिजन खुलकर बता रहे हैं की वे प्राईवेट
से दवा खरीदने को विवश हैं.मरीज के परिजन तो यह भी कह रहे हैं की यहाँ के
डॉक्टर खुद उन्हें अपने क्लिनिक पर यह कहकर बुलाते हैं की यहाँ बेहतर
इंतजाम नहीं है,आप मरीज को लेकर हमारी क्लिनिक पर चलिए.जहांतक दवा दुकानदार
का सवाल है तो उसका कहना है की जो आवश्यक दवा अस्पताल में नहीं होती है
उसी को लेने के लिए मरीज के परिजन यहाँ आते हैं.
इस अस्पताल में कोसी प्रमंडल के सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले की अलावे कोसी तटबंध के भीतर सीमावर्ती दरभंगा जिले के लोगों के साथ-साथ नेपाल इलाके से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.
इस अस्पताल में कोसी प्रमंडल के सहरसा,मधेपुरा और सुपौल जिले की अलावे कोसी तटबंध के भीतर सीमावर्ती दरभंगा जिले के लोगों के साथ-साथ नेपाल इलाके से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.
![]() |
सामजिक कार्यकर्ता प्रवीण आनंद |
![]() |
सिविल सर्जन भोला नाथ झा |
हमने इस पुरे
मसले को लेकर सहरसा के सिविल सर्जन सह चीफ मेडिकल ऑफिसर भोला नाथ झा से जबाब--तलब
किया.इनकी मानें तो मरीजों को देखने में किसी तरह की कोताही नहीं बरती जा
रही है.ये बिल्कुल सफ़ेद झूठ बोलकर यह जता रहे हैं की इतने भारी मात्रा में
मरीजों के पुर्जे कट रहे हैं जो उनके इलाज किये जाने का प्रमाणपत्र
है.अस्पताल परिसर में प्राईवेट दवाखाना को लेकर इनका कहना है पिछले सिविल
सर्जन आजाद हिन्द प्रसाद और जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से वह दवाखाना
खोला गया था.वे इसपर कोई टिपण्णी करना चाहते.
सरकार बेहतर स्वास्थ्य इंतजामात की चाहे जितनी डींगें हांक ले लेकिन सरजमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है.बड़ा सच है की गरीब सदियों से खेलने और इस्तेमाल की वस्तु बनकर रह गए हैं.हर जगह यही गरीब ठगे और छले जा रहे हैं.सियासत भी इन्हीं गरीबों प़र और हकमारी भी इन्ही गरीबों की.
सरकार बेहतर स्वास्थ्य इंतजामात की चाहे जितनी डींगें हांक ले लेकिन सरजमीनी सच्चाई कुछ और ही बयां करती है.बड़ा सच है की गरीब सदियों से खेलने और इस्तेमाल की वस्तु बनकर रह गए हैं.हर जगह यही गरीब ठगे और छले जा रहे हैं.सियासत भी इन्हीं गरीबों प़र और हकमारी भी इन्ही गरीबों की.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
THANKS FOR YOURS COMMENTS.