


विभाग के अधिकारी इस योजना की विफलता को स्वीकारते हैं लेकिन इसके लिए लोगों में जागरूकता की कमी के साथ-साथ उस वक्त योजना में रही कुछ तकनीकी कमियों को वे इसके लिए जिम्मेवार ठहराते हैं.इनकी नजर में यहाँ यह योजना प्रयोग के तौर पर शुरू की गयी थी जो विफल साबित हो गयी.
जाहिर सी बात है अगर यह योजना सफल होती तो आज लोग शुद्ध जल पी रहे होते और दूषित जल से कबका उन्हें छुटकारा मिल गया होता.लेकिन इस योजना की विफलता की वजह से लोग लौह युक्त,पीला और गंदगी से भरा दूषित पानी पीने को विवश हैं.चिकित्सक की राय में इस इलाके के लोग दूषित जल पीने की वजह से डायरिया,डिसेंट्री,गैस्टिक,टायफायड,जोंडिस सहित पेट से जुड़े कई अन्य बिमारियों के शिकार होते हैं.
एक बड़ी और कल्याणकारी योजना यहाँ विभागीय लापरवाही और लूट-खसोट की बलि चढ़ चुकी है.यहाँ आमजन की जगह समृद्ध तंत्रों के हितों का ख़याल रखा जाता है.लूट तंत्र की जय हो.काश एक बार अन्ना इधर भी आते.नीतीश बाबू गहरी नींद से जागिये और कुछ ऐसा कीजिये जिससे सच में लोगों का भला हो सके.लोगों ने जिगर फाड़ के आप पर भरोसा जताया है और आपको झोली भर के दुआएं दी है.लोगों की फना होती उम्मीदें और आस को साबूत उम्र बख्सी की जुगात कीजिये.
