नवंबर 20, 2011

सहरसा पुलिस की दरिंदगी


सहरसा पुलिस और जेल पुलिस--प्रशासन के रवैये से एक परिवार अब पूरी तरह से तहस---नहस होने के कगार पर है.सहरसा पुलिस की बिगडैल कार्यशैली की वजह से पति के अपहरण के फर्जी मुक़दमे में फंसकर पहले तो बेकसूर गर्भवती पत्नी जेल गयी फिर जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से उसके नवजात बच्चे की मौत हो गयी.बच्चे की मौत के सदमें से आहत और निदोष रहते हुए जेल की सजा काट रही यह लाचार और बेबस पत्नी फिलवक्त गंभीर रूप से बीमार है जिसका इलाज जेल पुलिस की अभिरक्षा में सदर अस्पताल में हो रहा है.अपनी बीमार पत्नी को अस्पताल में देखने,उससे उसका हाल-चाल पूछने और उसकी तीमारदारी के लिए अस्पताल में पहुँचे उसके पति को पहले तो उसकी अभिरक्षा में लगे पुलिस जवान ने रोका लेकिन जब वह मिलने की जिद पर अड़ गया तो पुलिस जवान ने ना केवल उसकी जमकर पिटाई की बल्कि उसे हथकड़ियों में जकड़कर सदर थाना भी पहुंचा दिया.पहले से पुलिस की बेशर्मी की वजह से पिछले चार महीने से जेल की सजा काट रही पत्नी के बाद अब पुलिस उसके पति को भी जेल भेज दे लेकिन मीडिया ने जब निर्दोष  अनु और उसके पति को इंसाफ दिलाने के लिये राजधानी से लेकर सहरसा तक के  तमाम वरीय पदाधिकारी से संवाद करने लगी तो दबाब में आकर अनु के पति को छोड़ा. 
इसे सहरसा पुलिस ने अपने ही पति के अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर बीते 19 अगस्त को जेल भेज दिया.उस समय अन्नू गर्भवती थी.हद की इंतहा देखिये अन्नू को 25 अक्तूबर को एक बेटा हुआ लेकिन वह जेल प्रशासन की लापरवाही की वजह से इलाज के अभाव में 12 नवम्बर को दम तोड़ दिया.सदमें में अब अन्नू बीमार है जिसका यहाँ पर इलाज चल रहा है.बिना किसी कसूर के अन्नू अपने ही दो रसूखदार भैंसुरों के द्वारा अपहरण के झूठे मुकदमें में फंसाकर जेल भेज दी गयी.बताते चलें की अन्नू का पति मौजूद था लेकिन उसकी एक ना सुनी गयी.पैसे और पैरवी के दम पर इस फर्जी अपहरण काण्ड को पुलिस के आलाधिकारियों के अनुसंधान में ना केवल सत्य करार दिया गया बल्कि कोर्ट में चार्जसीट भी समर्पित कर दिया गया.आखिरकार अन्नू को अपनी माँ के साथ जेल जाना पड़ा.अब बीमार अन्नू यहाँ पड़ी हुई है तो उसकी देख--रेख के लिए उसका पति यहाँ आता है .लेकिन यमराज बने पुलिसवाले अन्नू के पति को उससे मिलने देना नहीं चाहते हैं.आज तो अन्नू पर फिर से एक इंसानी कहर बरपा है. अन्नू के पति को पहले तो उसकी अभिरक्षा में तैनात पुलिस जवान ने जमकर धुनाई की फिर उसे सदर थाना पहुंचा दिया.अन्नू बताती है की वह बीते 13 नवम्बर से यहाँ भर्ती है और उसके पति की इससे पहले भी कई बार पिटाई हो चुकी है.आज तो हद हो गयी.उसे मारपीट कर जेल भेजा जा रहा है.उसके पति उसके इलाज के लिए उससे पूछने आते हैं लेकिन यह पुलिसवालों को अच्छा नहीं लगता है.अन्नू सीधे तौर पर कहती है की उसे और उसके पति को ये लोग मिलकर मार डालना चाहते हैं.तड़पती अन्नू से जब हमने बात की तो उसने अपने पति और खुद अपनी रक्षा के लिये मीडिया से गुहार लगाने लगी.
धीरज ने प्रेम विवाह किया है.ना जाने इस प्रेमी जोड़े को किस कलमुहें की बुरी नजर लग गयी है.पुलिस के आलाधिकारी इस घटना के बाबत फिलवक्त मुंह नहीं खोल रहे हैं और बेकसूर धीरज अपनी पत्नी की तरह फर्जी मुकदमें में फंसकर हाजत भी गया लेकिन मीडिया की दखल पर इस बेकसूर पति धीरज को छोड़ दिया. ये मामला जितना सुलझता है उससे जयादा उलझता भी जाता है. आखिर सहरसा पुलिस को क्या हो गया है जो वह गलती दर गलती करती जा रही है. जो कही ना कही पुलिशया कारबाई  पर सवालिया निशान लगाती है .आखिर कौन इन मनमौजी और तानाशाह पुलिस पर नकेल डालेगा.सहरसा में कानून मजाक बनकर सरकार की ना केवल किरकिरी करा रहा है बल्कि इन देशी पुलिसवालों को अंग्रेजी पुलिस होने का अहसास भी करा रहा है.नीतीश बाबू जल्दी कुछ कीजिये,वर्ना देर हो जायेगी.  आपके विपक्ष को फिर एक मुद्दा मिल गया है अब आप किस किस को जबाब देंगे.हम भी  अनु को इंसाफ दिलाने की पुरजोर कोशिस कर रहे  है ओर आपको इस ख़बर का लगातार अपडेट देते रहेंगे  

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अपनी बात---थोड़ी भावनाओं की तासीर,थोड़ी दिल की रजामंदी और थोड़ी जिस्मानी धधक वाली मुहब्बत कई शाख पर बैठती है ।लेकिन रूहानी मुहब्बत ना केवल एक जगह काबिज और कायम रहती है बल्कि ताउम्र उसी इक शख्सियत के संग कुलाचें भरती है ।